अध्याय 45
पिछला सारांश:
धनंजयन के अक्का से शादी करने के लिए जब कुमार कहता है तो सब लोग आश्चर्य चकित रह जाते हैं। कार्तिका भी बहुत खुश हुई। उसने कहा अपने कंपनी में जनरल मैनेजर पद देने का वायदा किया।
कार्तिका के बड़प्पन को जानकर धनंजयन की अम्मा ने कहा यह पूरा मेरा परिवार ही कार्तिका के लिए समर्पित है। उसके अप्पा के लिए हम हिम्मत बनकर उनके साथ रहेंगे ऐसा वायदा किया।
कुमार और शांति से लिए सगाई की फोटो को दामोदरन और उनके बेटे विवेक को धनंजयन ने भेजा।
इसको देखने के बाद कृष्णराज के बेटे को ढूंढने के लिए धनंजयन के पहले ही हमें ढूंढना चाहिए फैसला किया।
अपने बेटे मिल जाता तो बेटी और बेटे थे नाम से सभी संपत्ति को लिखकर रख दूंगा और मैं अपने को पुलिस में सरेंडर हो कर दूंगा ।ऐसा कृष्णा राज ने सोचा।
बेटे को ढूंढने के बाद सारी संपत्ति का बंटवारा कर मैं अपने को पुलिस में सेरेंडर कर दूंगा ऐसा कहते समय ही कृष्णराज जी आंखें नम हो गईं ।
उन्हें देखकर पूरा वातावरण गमगीन हो गया।
"अप्पा आप मत रोइए। अब सब कुछ अच्छी तरह से होगा" उनके पास बैठी कार्तिका ने उनके कंधे को पकड़ते हुए कहा।
"कार्ती.... तुम मुझे मत छूओं। मेरी बीमारी मेरे साथ ही जाने दो। मेरे मरने के बाद मेरे बिस्तर मेरे पलंग इन सबको जला देना। इस तरह की बीमारी मेरे शत्रु दामोदरन को भी नहीं होना चाहिए" बड़े संकोच के साथ कृष्ण राज बोले।
"अप्पा 'लेप्रोसी' रोग छुआछूत वाला रोग भी नहीं है। यह एक से दूसरे को नहीं फैलता। बेकार में आप मत डरिए। ऐसे ही आप नहीं मरोगे। यहां से सारी समस्याएं खत्म होने के बाद आपको मैं अमेरिका ले जाकर बहुत अच्छा इलाज करा कर आपको ठीक करवा के लेकर आऊंगी" ऐसा कार्तिका ने आत्म विश्वास के साथ बोली।
"हां सर, आप विश्वास के साथ रहिए। हम आपके बेटे के बारे में एक अच्छी खबर लेकर आएंगे..." कहकर कुमार और धनंजयन रवाना हुए।
कमरे से बाहर आते ही कार्तिका उनसे पूछने लगी।
"धना अब आप कहां जाकर मालूम करने वाले हैं?"
"संकर लिंगम जो रिटायर्ड हो गये कारपोरेशन सफाई कर्मचारी से ही मैडम। उन्होंने ही कचरे के डब्बे में से बच्चे को निकाल का पुलिस को खबर की थी।"
"अब वे कहां है मालूम है क्या?"
"उनके घर के पते को कॉरपोरेशन के ऑफिस से हमने ले लिया मैडम। वहां जाकर ही मालूम होगा।"
"आपका निश्चित रूप से उस दामोदरन के आदमी पीछा करेंगे। इस कारण विपत्ति आ सकती है। उसको आप कैसे संभालोगे?"
"यह अच्छा प्रश्न है मैडम। हम दोनों ही अपने भेष बदलने वाले हैं। 'अवंवै संमुगम'ऐसा एक पिक्चर आया था ना मालूम है?"
"मालूम है... वह पिक्चर मुझे बहुत पसंद है। अभी उसके बारे में क्यों! यह बात?"
"जरूरी है। इसमें कैसे कमल हासन ने अपने जिस अंदाज से सर से पैर तक अपने को बदल दिया था ऐसे ही हम दोनों भी दाढ़ी मुछे टर्बन कूलिंग ग्लांस पहनकर पंजाबी सिख में बदल जाएंगे।"
"ओह... ऐसा एक आईडिया है क्या? उसको भी यदि दामोदर के आदमी लोगों ने मालूम कर लिया तो?"
"सवाल ही नहीं उठता। अभी भी हम आपके बंगले से इस गेट से बाहर नहीं जाएंगे। पीछे की तरफ से एक दीवार को फांद कर जाने वाले हैं।"
"पीछे की तरफ एक खाली प्लॉट है हमने देख लिया। उस प्लॉट से अगली गली में जाकर सीधे मेकअप रूम में जाने वाले हैं। तुम्हारे अन्ना के मिलने तक हम अपने वेष को बदलने वाले नहीं हैं। तब तक मैं धना सिंह और यह कुमारसिंह..." ऐसा कहकर धनंजयन हंसने लगा।
अपने बदले हुए वेष वे उस शंकर लिंगम के घर पहुंचे वहां उन्हें उनका माला पहना हुआ फोटो दिखाई दिया। उससे पता चला कि वे जिंदा नहीं है। वहां सिर्फ उनका बेटा, और पत्नी ही थे। उनकी दोनों लड़कियां हाॅल में बैठकर गृह कार्य कर रहीं थीं।
शंकर लिंगम का लड़का संतोष धना से पूछा "आप?"
"आपके अप्पा शंकरलिंगम को देखने आए हैं। परंतु उनके फोटो जिस पर माला चढ़ी है देखकर सब कुछ बता दिया। अरे! वेरी सॉरी।"
"आपको देखने से पंजाबी जैसे लग रहे हो। परंतु आप अच्छी तरह से तमिल बोल रहें हो?" एकदम से संतोष ने पूछा।
"ऐसा है हम कई सालों से चेन्नई में रहते हैं। यहां के स्कूल में ही पढ़े हैं। इसीलिए..." ऐसा कहकर धना ने अपने आपको संभाल लिया। "वह ठीक है आप हमारे पिताजी को कितने साल बाद देखने आए हो , और आप क्यों देखने आए हो?"
"हम एक कारण से ही आए हैं। वे जब कारपोरेशन के स्वीपर थे 1997 में दिसंबर के महीने में तभी कचरे के डिब्बे में एक बच्चे को उन्होंने निकाला था। उसके बारे में आपको पता है?" धना के ऐसे पूछने से संतोष की आंखें चौड़ी फैल गई।
"हो सकता है उस समय आप छोटे बच्चे होंगे। अच्छा आपकी आयु क्या है?"
"वह सब तो बाद में अभी आप उस बच्चे के बारे में क्यों पूछ रहे हो?"
"किसी कारण से ही पूछ रहे हैं। वह हमारे बाॅस का लड़का है। पहले उन्होंने उसे नहीं स्वीकारा। परंतु अभी उनका मन बदल गया और उसे स्वीकारने के लिए तैयार है। इसीलिए ही..." धना के जवाब को सुनकर अगले ही क्षण वह जोर से हंसा।
"क्यों हंस रहे हो। मैं जो कह रहा हूं उस पर आपको विश्वास नहीं है क्या?"
"विश्वास की बात ही नहीं है ऐसा भी कहीं होता है क्या आश्चर्य हो रहा है। 27 साल तक जो अक्ल नहीं आई अब कैसे आ गई। वह अपने लड़के को ढूंढ रहें हैं और उसे क्यों लेना चाहते हैं समझ में नहीं आ रहा है?"
आगे अगले अध्याय में....