Apradh hi Apradh - 44 in Hindi Crime Stories by S Bhagyam Sharma books and stories PDF | अपराध ही अपराध - भाग 44

Featured Books
Categories
Share

अपराध ही अपराध - भाग 44

अध्याय 44

 

विवेक यह जो नोट था उसे देखकर विवेक एकदम से परेशान हो गया। 

मलेशिया के रामकृष्णन पुलिस में फंस जाने से दामोदरन चेन्नई को छोड़कर कोलैयमल्ली में जो उनका रहस्यात्मक  जगह जाने के लिए तैयार होने लगे। 

नकली दाढ़ी, मूंछें और मेकअप करके एक यात्रा कर रहे थे तो मोबाइल में वह फोटो आने से दामोदरन का चेहरा बदला और विवेक को उन्होंने बुलाया। 

“डैड…”

“विवेक यह धनंजयन बहुत ही खतरनाक है। उसके कारण मुझे भी उसने अज्ञातवास करने के लिए मजबूर कर दिया देखा?”

“एस डैड, चुपचाप किन्नर डॉन को बुलाकर उसे शूट करने के लिए बोल देते हैं डैड।”

“तुम फिर पिक्चर जैसे सोचते हो । हम ऐसा एक्शन ले सकते हैं ऐसे सोचकर वह बुलेट प्रूफ जैकेट पहन रखा होगा। उसको छेड़ने से तुम बचो। मैं जो कहता हूं सिर्फ वह करो।”

“बोलिए डैड…”

“अब वह अगला, कृष्णा राज के लिए उसका लड़का खुद ही ढूंढेगा?”

“हां डैड…उसके लिए पेपर और पत्रिकाओं में ऑफिस कॉरपोरेशन ऑफिसों में जाकर देख लिया।”

“मैं पक्का बता रहा हूं वह उस लड़के को ढूंढ लेगा। इस बात में तुम्हें उसे ओवरटेक करना ही पड़ेगा।”

“पक्का डैड…उसे ढूंढ कर खत्म करना है क्या?”

“बेवकूफ…उसे अपने ‘कस्टडी’ में ले लो। उसके बदले अपने आदमी किसी को उसकी जगह जाना पड़ेगा।”

“क्या कह रहे हो डैड मेरे समझ में नहीं आ रहा है।”

“महा मूर्ख, अपने आदमी को ही कृष्णराज का लड़का बनकर जाना चाहिए। क्या अभी समझ में नहीं आया?”

“ओ …आप ऐसे कह रहे हो। समझ गया समझ गया…”

“इसके लिए मुझे कितना बोलना पड़ रहा है देखा। कभी-कभी तो तू मेरा ही बेटा है क्या ? ऐसा मुझे संदेह होने लगता है। मैं क्रिमिनल हूं तो तुझे तो सुपर क्रिमिनल नहीं होना चाहिए क्या?”

“गुस्सा मत होइए डैड। अपना आदमी कृष्णराज के पास जाकर उनकी सब संपत्तियों का वारिस बन जाएगा तो सचमुच में वह सम्पत्ति अपने को आ गया जैसे हो जाएगा…करेक्ट?”

“एक्जेक्टली…अभी तक जो हार हुई इस बात में जीत कर धनंजयन के चेहरे में कालिख पोत सकतें हैं।”

“श्योर, डैड।”

“बातों में मत बोलो काम करके दिखाओ 

धनंजयन के पहले तुम उस लड़के को ढूंढों। तभी हम जो सोच रहे हैं वह होगा।”

“करके दिखाता हूं डैड ।”

“मैं कुंडली पर्वत पर जो अन्नाची जंगल में अपनी जगह है वहां अपनी जगह रहूंगा। रोजाना कोल्ली मलाई टाउनशिप में आऊंगा। वहां जाकर नया सिम लेकर डालूंगा और तुमसे रोज बात करूंगा।”

“आपको इस तरह से गायब होना ही पड़ेगा क्या डैड…उसे मलेशिया का रामकृष्णन आपके बारे में पुलिस को बता देगा ऐसा आप विश्वास कर रहे हो…नहीं तो आप डर रहे हो?”

“पुलिस अभी नए-नए युक्तियां को काम में लेती है। उन सब से बचने के लिए बहुत ज्यादा मन में दृढ़ता की जरूरत है। मलेशिया के रामकृष्णन में वह शक्ति हो सकती है या नहीं भी हो सकती है।

“इसलिए हम असावधानी से रह सकते हैं क्या? इसीलिए मैं अभी से अलग हो रहा हूं। तुम्हारा सवाल वह ‘असाइनमेंट’ ही है रामकृष्णन का लड़के का केस।”

“उसे मैं करके दिखा दूंगा डैड।”

ऐ बातें ऐसे ही खत्म हो गई। विवेक ने तीव्रता से सोचना शुरू कर दिया।

बिस्तर पर कृष्णा राज के पास धनंजयन और कुमार उनके पास बड़ी विनम्रता के साथ खड़े थे। 

“अप्पा कुमार की शादी होने वाली है। आपसे आशीर्वाद लेने के लिए अभी आए हैं” कार्तिका बोली।

“बहुत-बहुत बधाई कुमार। जो कुछ हुआ उसके बारे में कार्तिका ने बता दिया। उस विवेक के चेहरे पर भी तुमने कालिख पोत दिया” बड़ी खुशी के साथ कृष्णराज ने कहा।

"अप्पा हमारा बल अब बढ़ गया है। धनंजयन का पूरा परिवार ही अब हमारे साथ है। जल्दी से हम अन्ना को भी ढूंढ़ लेंगे” ऐसा कहकर कार्तिका अंशु मिश्रित आंखों से देखा। 

“मलेशिया के रामकृष्णन पुलिस बालों को मेरे बारे में बता देगा तो बस फिर क्या होगा? फिर मुझे पुलिस ढूंढने आ जाएगी फिर ! बस मुझे अरेस्ट नहीं करना चाहिए। मैं खुद जाकर सरेंडर कर दूंगा। वहीं अच्छा रहेगा। 

“मलेशिया का रामकृष्णन पुलिस के दिए हुए टॉर्चर को कितने दिनों तक सहन कर सकता है कह नहीं सकते। निश्चित रूप से दामोदरन अंडरग्राउंड हो गया होगा। ऐसा मैं नहीं कर सकता। मैं तो हिल भी नहीं सकता। मैं सोते रहता हूं देख लीजिए? 

“इसलिए मेरे लड़के को जितनी जल्दी ढूंढ लोगे उसके नाम से और कार्तिका के नाम से सब प्रॉपर्टी को मैं लिख कर रख दूंगा, और मैं सरेंडर हो जाऊंगा” कृष्णा राज बोले। 

“निश्चित रूप से बहुत जल्दी हम उसका पता लगा लेंगे सर। जब अपने अपनी गलतियों को सुधारना शुरू कर दिया इस समय आप एक अच्छे मनुष्य बन गए हैं। ऐसा है अब आपकी तबीयत ठीक नहीं है तो आपको सरेंडर करने की जरूरत है क्या सर?” धना ने पूछा।

धना ऐसा पूछें इसलिए कृष्णा राज ने बोलना करना शुरू किया।

“धना… गलती यदि भगवान भी करें तो वह गलती ही होगी ।ऐसा हमारी मातृभूमि में कहा है। शिवजी को मालूम होने पर गलती गलती ही है नक्कीरी को जरा सोच कर देखो।”

“मेरे समझ में आ रहा है सर…आपके बारे में सोचकर मुझे गर्व होता है।”

“परंतु मुझे बहुत संकोच होता है। मेरा पूरा शरीर गलने लगा तभी तो मुझे अक्ल आई। ऊपर कोई है वह सब कुछ देख रहा है यह कितना बड़ा सच है…” कृष्णा राज के ऐसा कहते ही पेंडुलम घड़ी की आवाज ने इसका समर्थन किया। 

आगे पढ़िए…