अध्याय 39
पिछला सारांश:
दामोदरन अपने जाल में धनंजयन को फंसाने की योजना बना रहे थे। अपने धंधे के पार्टनर रामकृष्णन के लड़के को धनंजयन के बड़ी बहन से शादी करने के लिए प्रयत्न कर रहे थे।
मलेशिया में कानून के विरुद्ध कार्यों में लगे हुए रामकृष्णन के बारे में पुलिस में उनका एजेंट के पकड़े जाने पर उनका नाम बता देता है। अब मैं निश्चित रूप से कैद हो जाऊंगा डर से वह दामोदरन को फोन कर देता है। वह ‘हार्ट अटैक’ हो गया ऐसा नाटक करने को कहता है। फिर दामोदरन को उसके पहचान वाले डॉक्टर के पास एडमिट होने भेज देते हैं। धनंजयन को उनके मामले में ना आए इसलिए शादी होना बहुत जरूरी है ऐसा कह देते हैं । ऐसी एक योजना दामोदरन ने बना दी।
धना का डर कुमार को भी चिपक गया। कुछ क्षणों तक दोनों मौन रहकर क्या करें ऐसा सोचा।
उनकी घबराहट को देख उनकी अम्मा ने पूछा।
“क्या बात है बेटा कोई नई समस्या? तुम लोग अस्पताल न जाकर यहां क्यों खड़े हो?”
“कोई बात नहीं है अम्मा…आगे क्या करना है इस बात में ही थोड़ा सा असमंजस है बस।”
“नहीं, यह फोन आया था। उसके बाद ही तुम्हें यह परेशानी हुई। तुमने तो शुरू में ही बोला था ना तुम्हारा मालिक का विरोधी क्या उसी का फोन था?” बड़े ही स्पष्ट अक्का शांति ने पूछा।
“हां शांति…उसी का था। उसे कैसे संभालूं यही सोच रहा हूं।”
“इस शादी के बारे में, उसको पता है क्या?”
“मालूम था तभी तो बात कर रहा था; हमेशा की तरह मुझे धमकी दे रहा था।”
“वह कैसे, अभी तो हमने पूरी बात भी नहीं हुई। इतनी जल्दी उसे कैसे पता चला?”
“उसके आदमी हमारे परिवार पर निगाहें रखें रहते हैं अम्मा।”
“यह क्या क्रूरता है। क्या ऐसा भी कोई विरोधी होता है?”
“अम्मा, तुम मत घबराओ, उसे कैसे संभालना है मुझे मालूम है।”
“पुलिस में जाओगे क्या? बोलो तो मैं भी आऊं।’
‘पुलिस के पास भी नहीं जा सकते अम्मा। जाए तो हजारों सवाल उठेंगे। उसका जवाब देने के स्थिति में मेरे एम.डी. अभी नहीं हैं।”
“फिर कैसे संभालोगे?”
“किसी भी तरह से हम संभाल लेंगे अम्मा आप परेशान मत हो। चलो कुमार हम रवाना होते हैं। बाकी बातें वहां जाकर कर लेंगे।”
दोनों रवाना हो गए। उनके जाते ही शांति ने रोना शुरू कर दिया।
“तुम क्यों रो रही हो। शादी जो है पहले से ही स्वर्ग में पक्की हो जाती है। वहीं लड़का तुम्हारा पति होना लिखा है तो यह शादी जरूर होगी” सुशीला बोली।
“मेरी शादी के बारे में सोच कर मैं नहीं रो रही हूं अम्मा। धना के बारे में सोचकर मुझे फिक्र हो रही है। इंजीनियर, डॉक्टर ऐसा पढ़कर भी कितने लोग काम पर हैं, ऐसे में इसको ऐसा क्यों एक नौकरी?”
“इसका मालिक इसे एक कवच के रूप में प्रयोग में ला रहा है। उसने भी इसके लिए हामी भर ली और उसके लिए लड़ रहा है। कम से कम एक पढ़े लिखे आदमी जैसे इसका काम नहीं है। इस बात को सोचकर मुझे रोना आ गया।”
“मेरी समझ में भी अच्छी तरह से आ रहा है। ऐसी एक नौकरी की जरूरत नहीं है। उसको आने दो आज फैसला कर ही देते हैं” ऐसा एक फैसला करके सुशीला उठी।
धना और कुमार हॉस्पिटल में गए, तो वर मोहन और उसकी मां रंजीता दोनों डॉक्टर के कमरे में थे।
रंजीता के आंखों में आंसू थे। मोहन के चेहरे पर एक नाटक शोक का दिखाई दिया। इन्हें देखकर डॉक्टर ने बोलना शुरू किया…
“ रामकृष्णन को जो सीवियर हार्ट अटैक इन्हें आया है! ‘50-50’प्रतिशत ही चांस है। तुरंत ऑपरेशन करें तो इन्हें शुगर और ब्लड प्रेशर है। अभी दवाइयां के बदले उनके मन के मुताबिक कुछ कार्य हो तो वहीं उनके लिए दवाई का काम होगा। वे शादी-शादी करके कुछ बड़बड़ा रहे हैं।
“हां किसकी शादी है होनी है…वह रुक गई क्या…इसी सदमे में उन्हें अटैक आया है क्या?”
डॉक्टर के इस प्रश्न ने रंजीता जल्दी से आगे आकर बात करने लगी।
“हां डॉक्टर यह मेरा इकलौता बेटा मोहन…” ऐसा शुरू करते ही उसकी पहली शादी रुकने की बात से शुरू होकर शांति को लड़की देखने तक सब कुछ बोल कर उसने खत्म किया।
“आपके कहने पर एक बात समझ में आई। यह शादी कहीं रुक जाएगी क्या? ऐसे रामकृष्णन ने सोचा होगा। इसी के कारण हार्ट अटैक हुआ।”
“हो सकता है डॉक्टर, अब ठीक हो जाए तो ही मेरे लिए बहुत है। इसके लिए जो कुछ करना है आप कीजिएगा।”
“मैंने तो पहले ही कह दिया आपको इनके मन के मुताबिक एक काम होना चाहिए। उसके बाद ही दवाइयां और ऑपरेशन होगा।”
“ऐसा बोले तो…”
“अभी आपने शादी पक्की की है ना ! उसे तुरंत क्यों नहीं करना चाहिए?” ऐसा डॉक्टर के कहते ही धना स्तंभित रह गया।
“क्या कह रहे हो डॉक्टर…अच्छा दिन, मुहूर्त का समय, शादी की दावत कुछ भी ना करें बिना शादी?”
“उन सब को अपनी सहूलियत के हिसाब से बाद में कर लेना। अभी मैं आपको इनका जीवन को बचाने के लिए एक रास्ता बता रहा हूं। यदि हो सकता है इन्हें बचा नहीं पाऊं तो भी यह अपने आंख बंद करने के पहले तृप्ति के साथ मरेंगे…”
“डॉक्टर …”
“समझ में आ रहा है सर आपकी हिचकिचाहट मैं अच्छी तरह समझ रहा हूं। शादी जो है एक लड़की के जीवन में ‘एक बहुत बड़ा ओकेसीन है!’ वह एक अस्पताल के वार्ड के अंदर हुआ तो? कल्पना भी नहीं कर सकते सही है। परंतु एक जिंदगी को बचाने के लिए इसे छोड़े तो दूसरा रास्ता नहीं है।”
“चाहे तो माला बदल लो मंगलसूत्र पहनने का अच्छा मुहूर्त देखकर रख लेंगे!”
“जो करने वाले हो उसे अच्छी तरह करो। रिसेप्शन को अच्छी तरह कर लेना। अपने रिश्तेदारों को इसके बारे में बता देना। निश्चित रूप से वे लोग भी आपकी तारीफ करेंगे।”
आगे पढ़िएगा....