Apradh hi Apradh - 38 in Hindi Crime Stories by S Bhagyam Sharma books and stories PDF | अपराध ही अपराध - भाग 38

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अपराध ही अपराध - भाग 38

अध्याय 38

 

“माय गॉड। फिर यह अटैक भी हो सकता है” झुक घर उन्हें ध्यान से देखने लगा। 

उसके घर कर देखते ही “एक्जेक्टली वही है। एंबुलेंस को फोन करो” रामकृष्णन बोले।

“अय्यों…. क्या है जी यह” चिल्लाने लगी रंजीता।

इस बीच कुमार ने अपने मोबाइल से गूगल में जाकर एम्बुलेंस टाइप किया और लोकेशन में एम्बुलेंस नंबर को फोन किया। 

शांति और सुशीला एक अच्छे काम के करते समय ऐसा हो गया सोच कर बहुत सेंटीमेंट होने से दुखी हुईं।

रामकृष्णन के शर्ट को ढीला कर  

 सोफे पर दामाद मोहन ने लिटाया। दौड़ कर जाकर सिर के ऊपर वाले फेन को हाई स्पीड में रखा और एक.सी. भी श्रुति ने चला दिया। 

कुमार और धनंजय दोनों बाहर बालकनी में जाकर एंबुलेंस आ रहा है क्या? देखने लगे। जोर-जोर से आवाज करते हुए एंबुलेंस आता हुआ दिखाई दिया। 

“टेंशन मत करो धना…सब कुछ अच्छी तरह से हो जाएगा” इस तरह तसल्ली देकर एंबुलेंस के आदमियों को बुलाने के लिए कुमार दौड़ पड़ा। 

उसे समय दामाद मोहन का मोबाइल बाजा । उसने कानों में लगाया तो दामोदर जी ही बोल रहे थे। 

“अंकल आप हो?”

“हां मैं ही हूं, तुम्हारे अप्पा को हार्ट अटैक हुआ?”

“हां। इतनी जल्दी आपको कैसे पता चला…किसने कहा?”

“अलग जगह जाकर अकेले में बात कर। वह सचमुच का अटैक नहीं है। वह सिर्फ नाटक है।”

“क्या कह रहे हो अंकल?” ऐसे कहते हुए मोहन दूर हुआ। 

“तुम्हारे बाप का इंटरनेशनल पुलिस हिट लिस्ट में नाम आ गया। किसी भी क्षण उनके लोकेशन को ढूंढते हुए पुलिस आ सकती है। उन्हें तुरंत ही अंडरग्राउंड होना है। इसी समय तुम्हारी शादी भी होनी है।”

“क्या-क्या बोल रहे हो अंकल मेरे तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है।”

“पहले तुम अपने अप्पा के साथ हॉस्पिटल जाओ। वहां के डॉक्टर, मेरे पहचान के हैं। “बहुत सीरियस है बोलेंगे। तुम्हारे अप्पा को कुछ भी हो सकता है?” ‘उसके पहले मैं मेरे बेटे की शादी देखना चाहता हूं ऐसा बोलेंगे’।”

“इस स्पॉट में माला बदलकर तुम उसको मंगलसूत्र भी पहना देना वैसे ही रजिस्टर ऑफिस जाकर शादी को रजिस्टर भी कर देना। यह सब काम ज्यादा से ज्यादा 3 घंटे के अंदर को जाना चाहिए। 

“तुम्हारे पिताजी को मलेशिया ले जाकर वहां पर ट्रीटमेंट करेंगे। ऐसा कहकर मेरे आदमी उन्हें लेकर चले जाएंगे। उसके बाद तुम्हारे पापा मेरे कंट्रोल में आ जाएंगे। उनको अंडरग्राउंड में रखना मेरी जिम्मेदारी है।”

दामोदरन के बाद समाप्त करते ही एंबुलेंस स्ट्रक्चर समेत एक आदमी लेकर आया। रामकृष्ण उसके अंदर समाये। धीरे-धीरे बात करते हुए उनके पीछे-पीछे मोहन गया। 

रंजीत घबराहट कम हुए बिना ही दौड़ने लगी। 

धनंजय और कुमार दोनों सुशीला और शांति के पास आए,’टेंशन मत करो। हम जाकर उनके पास रहकर देखकर तुम्हें समाचार देंगे…’ उन्होंने बोला। 

“यह क्या है रे धना। एक अच्छे काम के समय ऐसा होना चाहिए क्या?”

“अरे ! मां तुम एकदम सेंटीमेंट में जाकर मत फंसो। आजकल हार्ट अटैक जो है वह सर्दी जुकाम बुखार जैसे ही साधारण ही होता है। इसमें यह ‘हार्ट पेशेंट है’ फिर पूछा ही मत?”

“इसलिए नहीं है रे! ऐसा होने से शुरू ही ठीक नहीं है शांति नहीं चाहिए ऐसा शांति कह देगी क्या?”

“ऐसा सब क्यों कल्पना करती हो? ऐसा कुछ भी नहीं होगा। शांति की शादी जरूर होगी। धैर्य से रहो। हम आ जाएंगे।” ऐसा कह कर दोनों लिफ्ट की तरफ भागे। लिफ्ट में अंदर आते ही धना का मोबाइल बज उठा वह विवेक का फोन कॉल था।

“क्यों धनंजयन तुमने अपनी बड़ी बहन के लिए अमेरिका का दामाद देख लिया ऐसा लगता है?”

“ओ…तुम्हें इतनी जल्दी पता चल गया…”

“अभी तुम किस कलर का शर्ट पहने हो वह भी मुझे पता है। तुम्हारे साथ कौन है ? तुम्हारा जिगरी दोस्त कुमार नाम का तुम्हारा ड्राइवर?”

“यह देखो, शादी में तुम कोई समस्या खड़ी करने की सोचो तो…मैं फिर मनुष्य भी नहीं रहूंगा। मेरा जवाब भी बहुत भयंकर होगा।”

“कौन सा बड़ा जवाब? मुझे कुछ जरूरत करने की जरूरत नहीं है। वहीं लड़के के बाप को हार्ट अटैक आ गया ना…वह सबको रोक देगा। 

“शादी के लिए बात करते समय ऐसा हो तो शादी के होने के बाद यह घर ऐसा ही होगा वे लोग ऐसा फैसला कर भाग जाएंगे।”

“उनको जो हार्ट अटैक आया है उसने तो मेरे काम को और सुलभ कर दिया। मुझे तो सिर्फ तमाशा ही देखना है बस । इसे मैं अच्छी तरह से कर सकता हूं।” कहकर उसने फोन काट दिया। 

कुमार ने भी अच्छी तरह सुना। 

“कौन वह विवेक था क्या?”

“हां यहां जो कुछ हो रहा है उन सब को पास में रहकर देख रहा है जैसे बोल रहा है। घर में कोई माइक्रोफोन या सीसीटीवी कैमरा रख दिया क्या ऐसा लगता है।”

“क्या बोला?”

“यह शादी नहीं होगी” ऐसे डरते हुए धना ने बोला।

आगे पढ़िए….