I can see you - 37 in Hindi Love Stories by Aisha Diwan books and stories PDF | आई कैन सी यू - 37

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आई कैन सी यू - 37

अब तक हम ने पढ़ा की रोवन ने अपनी आप बीती बताई के किस तरह उसे कमेला से श्राप मिला और अब तक वो उसी बददुआ में जी रहा है। 
उसने लूसी को गले लगाया था की मोमबत्तियां बुझ गई जिसका मतलब था के कमेला कमरे में आई होगी। 
लूसी फौरन इधर उधर देखने लगी। रोवन ने झट से तकिए के नीचे से एक पिस्टल निकाला और लूसी को अपने पीछे छुपाते हुए बोला :" लूसी मुझे बताओ वो कहां है?...जल्दी बताओ!"

लूसी ने पूरे कमरे के हर हिस्से हर कोने में नज़र दौड़ाई लेकिन उसे कमेला कहीं नहीं दिखी। उसने रोवन के पीछे से झांकते हुए कहा :" शायद हवा से कैंडल बुझ गई होगी! कमेला तो कहीं नज़र नहीं आ रही है।"

कुछ देर दोनों सन्नाटे छाए कमरे में किसी के आहट को महसूस करने की कोशिश करते रहे जब यकीन हो गया के कोई नही है तब रोवन ने अपना गन नीचे किया और कैंडल्स जलाने के लिए टेबल के पास गया। तभी उसका फोन बजने लगा। केंडल जलाने के बाद उसने कॉल रिसीव किया। उधर से एक इन्वेस्टिगेटर ने कहा :" सर यहां सब ठीक ठाक ही है! क्या अब हम आपके घर जा सकते हैं जहां आप ने कहा था पांच भूत है!"

रोवन :" हां ठीक है आप लोग जा सकते हैं!"

लूसी ने उसके हाथ में वो छोटा सा पिस्टल देखते हुए कहा :" आप ने तो कहा था के आप के पास ये छोटा वाला गन नहीं है!.... फिर ये कहां से आया? 

रोवन वापस उसके पास बैठते हुए बोला :" ये मैने चाचू से उधार मांगा है।"
फिर चिंतित हो कर बोला :" लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है कि कमेला चुप चाप कहीं गायब हो जायेगी! ये कहीं कोई साजिश तो नहीं है!"

लूसी :" शायद डर गई होगी या फिर मर गई होगी! अगर उसके मौत का समय आ गया होगा तो शायद मर गई होगी! अगर ऐसा हुआ तो कितना अच्छा होगा है ना!"

लूसी ने बड़ी खुशी जताते हुए कहा। लेकिन रोवन को ये बात खटक रही थी इस लिए वो दिल से खुश नहीं हो पा रहा था।

आधी रात गुज़र चुकी थी। रोवन की मां और बहन का दिल हर पल उन दोनों के लिए दुवाएं मांग रहा था। दोनो को परेशानी में नींद ही नहीं आ रही थी। ऐसा लग रहा था के आज रात नहीं गुज़र रही है बल्के कोई अंधेरे समंदर का रास्ता है जो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है।

घड़ी दो घड़ी काटते हुए रात बीती और सुबह होते ही रोवन की मां अपनी बेटी के पास आई जो अभी अभी उठ कर रसोई में गई थी। उन्होंने बहुत उत्सुकता से कहा :" मीना बेटा रोवन को फोन कर के पूछो ना वो दोनो ठीक तो है ना!"

मीना दीदी भी फोन करना चाहती थी फिर कुछ सोच कर बोली :" अभी रहने देते हैं मम्मी! इतनी सुबह वो लोग सो रहे होंगे! उठ कर खुद फोन कर लेंगे मैने लूसी से कहा था के सुबह सब से पहले मुझे कॉल करना!" 

मां मायूसी से बोली :" हां ये बात भी है पर क्या करूं समय काटे नहीं कट रहा है।....बस दुआ है मेरे बच्चे ठीक हों और सुकून से सो रहे हों!"

दीदी समझाते हुए बोली :" हां मम्मी ऐसा ही है! अगर कोई बात होती तो रोवन हमे बता देता!"


कॉलेज वाले घर में :__

सूरज की किरणे बिखर चुकी थी। आज यहां की सुबह में एक सुकून भरी ठंडी हवाएं चल रही थी। कॉलेज में लगे पेड़ पौधों और फूलों पर छोटी छोटी पक्षियां चू चू करती उड़ती फिर रही थी। 
लूसी की जब आंख खुली तो उसने अपने आप को रोवन से लिपटा हुआ पाया। अचानक हक्का बक्का हो कर आंखे बड़ी बड़ी कर के उसे देखने लगी जो गहरी नींद में सो रहा था। अब उसे याद आया के ये उसकी शादी शुदा जिंदगी की पहली सुबह है। उसने एक ठंडी सांस ली और उसे निहारते हुए हल्की सी मुस्कुराई। 
उसने धीरे धीरे रोवन की पकड़ से खुद को छुड़ाया और खसकते हुए बिस्तर से उतर गई। सब से पहले उसने रूमी को गुड मॉर्निंग मैसेज कर दिया फिर जल्दी जल्दी नहा धो कर एक खूबसूरत सा ड्रेस पहन कर आईने के सामने खड़ी हो गई। 
गीले बालों पर कंघी करते हुए अचानक उसके मुंह से एक आह निकल पड़ी। उसका हाथ उसके पेट के दाहिने ओर था जहां उसे अचानक ज़ोर दार टीस महसूस हुई। आह सुनते ही रोवन जाग पड़ा और हड़बड़ा कर उठते हुए बोला :" क्या हुआ?"

फौरन उसके पास आ कर उसे ठीक से टटोलने लगा। लूसी ने कहा :" कुछ खास नहीं बस यहां टीस महसूस हुई!...डरने की बात नहीं है अब नही हो रहा दर्द!"

रोवन ने एक लंबी सांस लेते हुए कहा :" अगर फिर से दर्द हो तो बताना हम डॉक्टर से कंसल्ट कर लेंगे!....पेट दर्द इग्नोर नहीं करना चाहिए!"

लूसी खामोश हो गई क्यों के ये टीस जैसा दर्द पेट के अंदर नहीं था ये टीस तो उस निशान पर हुआ था जो बचपन के दिनों में चमकता हुआ दिखता था और शायद अब भी कभी कभी चमक उठता है लेकिन कपड़े से ढका हुआ रहने के कारण पता नहीं चलता। रोवन को इस बारे में कुछ पता नहीं था इस लिए लूसी ने अभी खामोश रहना ही बेहतर समझा। 

लूसी फिर से आईने की ओर मुड़ कर अपने लंबे घने बालों पर कंघी करने लगी। रोवन वोही सिर्फ ट्राउज़र में बिना शर्ट के नंगे बदन खड़ा था। उसने घड़ी की ओर देखते हुए कहा :" तुम ने मुझे जगाया क्यों नहीं जब खुद उठ गई थी तो!...मैं इतनी देर कभी नहीं सोता पता नही क्यों आज आंख नहीं खुली!"

लूसी ने हिचकिचाते हुए कहा :" रात को देर तक सोए नहीं थे न इस लिए सुबह जाग नहीं पाए! आपको ऐसे सुकून से सोता हुआ देख कर मेरा मन गवारा नहीं किया के जगा दूं! कोई बात नहीं अब जा कर तैयार हो जाइए मैं घर में सब को एक एक कर के कॉल कर लेती हूं।"

रोवन :" तैयार हो कर कहां जाना है?

लूसी :" कॉलेज नहीं जाना है क्या?...आज मंडे है!

रोवन :"ओह हां!...और शाम को हमे घर भी जाना होगा! रिसेप्शन की पार्टी रखी है।"

लूसी खुश हो कर :" हां फिर हम रात को अपने घर जायेंगे! कल वापस आ जायेंगे!"

रोवन उकताहट से :" ये क्या आने जाने की रस्म है! मैं नहीं जा रहा कहीं और तुम भी नहीं जा रही हो!"

लूसी :" मैं तो न जाऊं लेकिन भैया भाभी सब हमे लेने आयेंगे आप उन्हें मना कर सकते हैं तो माना कर दीजिएगा! मेरा क्या वे आपको ही बदतमीज समझेंगे!"

    "अरे यार ये सब क्या झमेला है।"

रोवन झुंझला कर वाशरूम चला गया। 
लूसी ने सब को कॉल करना शुरू किया और बड़ी खुशी से सब से बात की। उसकी आवाज़ सुन कर उसकी सासु मां के जान में जान बसी और हज़ार दुवाएं देने लगी। 
उन्हें लग रहा था की शादी के रात लूसी को कुछ नहीं हुआ तो बला टल गई है लेकिन न लूसी को न रोवन को इस बात पर यकीन था। 


To be Continued.......