The Reward of Honesty in Hindi Moral Stories by ANOKHI JHA books and stories PDF | ईमानदारी का असली इनाम

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ईमानदारी का असली इनाम

ईमानदारी का असली इनाम

एक समय की बात है, पहाड़ों के बीच बसा एक छोटा सा गाँव था जिसका नाम सुखपुर था। गाँव बहुत सुंदर और शांत था, और वहाँ के लोग आपस में मिलजुल कर रहते थे। उसी गाँव में एक लड़का रहता था, जिसका नाम अर्जुन था। अर्जुन बहुत चतुर और होशियार था, लेकिन कभी-कभी वह झूठ बोल देता था, खासकर तब जब उसे मुसीबत से बचना होता था।

अर्जुन के माता-पिता उसे हमेशा समझाते थे कि ईमानदारी सबसे बड़ा गुण है और किसी भी हालत में झूठ नहीं बोलना चाहिए। लेकिन अर्जुन को लगता था कि थोड़े से झूठ से किसी का कोई नुकसान नहीं होता, और वह आसानी से अपनी गलतियों को छिपा सकता है। उसकी यही आदत धीरे-धीरे बढ़ने लगी।

प्रतियोगिता की घोषणा
एक दिन गाँव में खबर आई कि राजा ने एक बड़ी प्रतियोगिता की घोषणा की है। राजा के राज्य में एक विशाल बगीचा था, जिसमें तरह-तरह के फूल और फल उगाए जाते थे। राजा ने सोचा कि क्यों न वह गाँव के बच्चों को एक अवसर दे, जिससे वह देख सके कि कौन सबसे अच्छा किसान बन सकता है। इस प्रतियोगिता के अंत में विजेता को बहुत बड़ा इनाम और सम्मान दिया जाएगा।

राजा ने गाँव के प्रधान के माध्यम से संदेश भेजा, "हम हर बच्चे को एक-एक बीज देंगे। जो बच्चा इस बीज को सबसे अच्छे से उगाएगा और सबसे सुंदर पौधा लेकर आएगा, उसे हम राजा के बगीचे का मुख्य माली बनाएंगे और उसे इनाम में एक बड़ी रकम भी दी जाएगी।"

यह सुनकर गाँव के सभी बच्चे बहुत उत्साहित हो गए। अर्जुन भी बहुत खुश था और उसने सोचा, "यह तो बहुत अच्छा मौका है! मैं यह प्रतियोगिता जरूर जीतूंगा।"

ईमानदारी का इम्तिहान
अगले दिन राजा के आदमी गाँव में आए और सभी बच्चों को एक-एक बीज दिया। उन्होंने बच्चों से कहा, "इन बीजों को घर ले जाओ, इन्हें मिट्टी में लगाओ, और तीन महीने बाद हमें इसका पौधा दिखाओ। जो बच्चा सबसे सुंदर और स्वस्थ पौधा उगाएगा, वह विजेता बनेगा।"

अर्जुन भी बीज लेकर घर आया और उत्साह से उसे गमले में लगाया। वह हर दिन उसे पानी देता और धूप में रखता। दिन बीतते गए, लेकिन अर्जुन का बीज उग नहीं रहा था। उसने कई बार गमले की मिट्टी बदली, और फिर भी कोई अंकुर नहीं निकला। अर्जुन बहुत परेशान हो गया।

उसने सोचा, "अगर मेरा बीज नहीं उगा तो मैं इस प्रतियोगिता में कैसे जीतूंगा? सब लोग मुझ पर हंसेंगे!" अर्जुन के मन में कई बार ख्याल आया कि वह बाजार से एक पौधा खरीद ले और उसे प्रतियोगिता में दिखा दे। लेकिन फिर उसे अपनी माँ की बात याद आई, "सच्चाई सबसे बड़ी दौलत है। ईमानदारी का रास्ता कठिन हो सकता है, लेकिन अंत में वही जीतता है।"

अर्जुन के मन में दुविधा थी। उसने सोचा, "अगर मैं झूठ बोलकर पौधा दिखाऊं, तो हो सकता है मैं इनाम जीत जाऊं। लेकिन अगर राजा को पता चला कि मैंने झूठ बोला है, तो मेरी बहुत बेइज्जती होगी।" अर्जुन ने अंततः निर्णय लिया कि चाहे कुछ भी हो जाए, वह झूठ नहीं बोलेगा और खाली गमला लेकर ही प्रतियोगिता में जाएगा।

परिणाम का दिन
तीन महीने बीत गए, और प्रतियोगिता का दिन आ गया। गाँव के सभी बच्चे अपने-अपने पौधे लेकर राजा के महल में पहुंचे। कुछ बच्चों के पास बड़े-बड़े हरे-भरे पौधे थे, जिन पर सुंदर फूल खिले थे। अर्जुन का दिल घबरा रहा था, क्योंकि उसके पास खाली गमला था।

जब सभी बच्चे अपने पौधे राजा के सामने पेश कर रहे थे, अर्जुन धीरे-धीरे खाली गमला लेकर राजा के पास गया। उसे डर था कि राजा उसे डांटेंगे और सब लोग उसका मजाक उड़ाएंगे। लेकिन अर्जुन ने अपनी ईमानदारी से खाली गमला राजा को दिखा दिया।

राजा ने सभी बच्चों के पौधों को ध्यान से देखा और अर्जुन के पास आकर पूछा, "तुम्हारा पौधा क्यों नहीं उगा, अर्जुन?"

अर्जुन ने सिर झुका कर ईमानदारी से कहा, "महाराज, मैंने बहुत कोशिश की। हर दिन बीज को पानी दिया, धूप में रखा, लेकिन यह उगा ही नहीं। मुझे नहीं पता कि क्या गलती हो गई।"

राजा ने मुस्कुराते हुए अर्जुन के गमले को देखा और फिर सब बच्चों की ओर मुड़कर बोले, "बच्चों, मैं एक सच्चाई बताना चाहता हूँ। मैंने जो बीज तुम्हें दिए थे, वे खराब थे। उनसे कोई भी पौधा नहीं उग सकता था। फिर भी तुममें से कई बच्चों ने पौधे दिखाए। इसका मतलब है कि तुमने झूठ बोला और कहीं से पौधा लाकर दिखाया।"

यह सुनते ही सब बच्चे हैरान हो गए। सभी के चेहरे उतर गए, क्योंकि उन्होंने सोचा था कि उनकी चालाकी काम कर जाएगी।

राजा ने फिर अर्जुन की ओर इशारा करते हुए कहा, "केवल अर्जुन ने ईमानदारी का साथ दिया और खाली गमला लेकर आया। उसने कोई चालाकी नहीं की, इसलिए आज का विजेता अर्जुन है।"

अर्जुन की आँखों में खुशी के आँसू आ गए। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि उसकी ईमानदारी ने उसे विजेता बना दिया। राजा ने उसे न केवल इनाम दिया, बल्कि उसकी ईमानदारी की सभी के सामने तारीफ की। अर्जुन को राजा के बगीचे का मुख्य माली बना दिया गया, और गाँव में उसकी ईमानदारी की मिसाल दी जाने लगी।

सच्चाई की सीख
उस दिन अर्जुन ने एक बहुत बड़ी सीख सीखी। उसने समझा कि ईमानदारी का रास्ता कठिन हो सकता है, लेकिन अंत में वही जीतता है। झूठ बोलकर हम भले ही थोड़ी देर के लिए जीत जाएं, लेकिन सच्चाई का इनाम हमेशा सबसे बड़ा होता है। अर्जुन ने अपनी माँ की बात को दिल से लगा लिया और फिर कभी झूठ नहीं बोला।

इस कहानी से सभी बच्चों ने सीखा कि ईमानदारी सबसे बड़ा गुण है, और जो सच्चाई का साथ देता है, उसे हमेशा सच्चा सम्मान और इनाम मिलता है।