URVASHI-EK PREM KI VIDAYI in Hindi Thriller by ANOKHI JHA books and stories PDF | उर्वशी: प्रेम की विदाई

Featured Books
  • My Wife is Student ? - 25

    वो दोनो जैसे ही अंडर जाते हैं.. वैसे ही हैरान हो जाते है ......

  • एग्जाम ड्यूटी - 3

    दूसरे दिन की परीक्षा: जिम्मेदारी और लापरवाही का द्वंद्वपरीक्...

  • आई कैन सी यू - 52

    अब तक कहानी में हम ने देखा के लूसी को बड़ी मुश्किल से बचाया...

  • All We Imagine As Light - Film Review

                           फिल्म रिव्यु  All We Imagine As Light...

  • दर्द दिलों के - 12

    तो हमने अभी तक देखा धनंजय और शेर सिंह अपने रुतबे को बचाने के...

Categories
Share

उर्वशी: प्रेम की विदाई

|| उर्वशी: प्रेम की विदाई ||

कहानी की शुरुआत एक छोटे से गांव से होती है, जहां हरियाली और खुशबू बिखरी हुई है। इस गांव में माधव और उर्वशी, दो मासूम बच्चों की कहानी है, जिनकी दोस्ती समय के साथ एक गहरी और सच्ची प्रेम कहानी में बदल जाती है।

माधव और उर्वशी की पहली मुलाकात दसवीं कक्षा में होती है। माधव एक शर्मीला लड़का है, जो हमेशा अपने किताबों में खोया रहता है। वहीं, उर्वशी एक चुलबुली और मजेदार लड़की है, जो सबके दिलों में बसती है। उनके स्कूल में एक दिन का किस्सा है, जब उर्वशी ने पहली बार माधव को देखा।

वह दिन,स्कूल का पहला दिन था। उर्वशी अपनी माँ के हाथ पकड़कर स्कूल आई थी। उसे अपने नए सहपाठियों से मिलने का बड़ा उत्साह था। लेकिन जब वह क्लास में पहुँची, तो उसने देखा कि एक लड़का खिड़की के पास बैठा हुआ था, जो चुपचाप अपनी किताब पढ़ रहा था। उसकी आँखों में एक अद्भुत चमक थी, जो उर्वशी का ध्यान खींच लेती है।

उर्वशी ने सोचा, "कितना अनोखा लड़का है!" उसने अपना हाथ उठाया और अपनी माँ से कहा, "माँ, मैं उस लड़के के साथ बैठना चाहती हूँ।"

उसकी माँ ने मुस्कराते हुए कहा, "ठीक है, बेटा। जाओ।"

उर्वशी ने हिम्मत जुटाई और माधव के पास गई। उसने कहा, "क्या मैं तुम्हारे पास बैठ सकती हूँ?" माधव ने अपनी आँखें किताब से हटाकर उर्वशी की ओर देखा और मुस्कराया।

उस दिन से उनकी दोस्ती की शुरुआत हुई।

जैसे-जैसे समय बीतता गया, माधव और उर्वशी की दोस्ती गहरी होती गई। दोनों ने एक-दूसरे के साथ खेला, पढ़ाई की, और जीवन के छोटे-छोटे पलों को साझा किया।

स्कूल के दिनों में उर्वशी हमेशा माधव को अपनी शरारतों से हंसाया करती थी। एक बार, उन्होंने एक साथ अपनी कक्षा के लिए एक प्रोजेक्ट बनाया। उस प्रोजेक्ट के दौरान, उर्वशी ने माधव को बहुत सारी चीजें सिखाईं, और माधव ने उसकी मदद की। दोनों की जोड़ी हमेशा से ही खास थी।

माधव को उर्वशी की हर बात में दिलचस्पी थी। वह उसकी हँसी, उसकी आँखों की चमक और उसके साथ बिताए हर एक पल को संजोकर रखता था। उर्वशी भी माधव की मासूमियत और उसकी सच्चाई की ओर आकर्षित थी।

एक दिन, स्कूल के फंक्शन में उर्वशी ने एक नृत्य प्रस्तुत किया। माधव उसे देखकर मंत्रमुग्ध हो गया। उसने उस दिन महसूस किया कि उसका प्यार सिर्फ दोस्ती तक सीमित नहीं है, बल्कि वह उर्वशी से सच्चा प्यार करने लगा है।

उर्वशी भी धीरे-धीरे माधव के प्रति अपनी भावनाएँ समझने लगी। वह जानती थी कि माधव उसके लिए खास है, और उसने अपने दिल में उसे हमेशा के लिए रखने का फैसला किया।

 

|| स्कूल के दिनों की यादें ||
वह एक खूबसूरत सुबह थी जब माधव और उर्वशी ने अपनी जिंदगी की एक नई यात्रा की शुरुआत की। कक्षा दसवीं का पहला दिन। स्कूल का माहौल बच्चों की हंसी-खुशी से गूंज रहा था। बच्चे नए बैग और किताबों के साथ अपने-अपने सहपाठियों से मिल रहे थे।

माधव अपनी माँ के साथ स्कूल आया। वह थोड़ा शर्मीला था और अपने आसपास के बच्चों को देखकर घबराया हुआ महसूस कर रहा था। वहीं, उर्वशी ने अपने पिताजी का हाथ पकड़ा हुआ था। उसका चेहरा खुशी से खिला हुआ था। वह अपने नए दोस्तों से मिलने के लिए बेताब थी।

जब वे कक्षा में पहुंचे, तो उर्वशी की नजरें माधव पर पड़ीं। उसने देखा कि माधव खिड़की के पास बैठा था, उसकी आँखें किताब में खोई हुई थीं। उर्वशी की चुलबुली प्रवृत्ति ने उसे माधव की ओर खींचा। वह धीरे-धीरे माधव के पास गई और बोली, "क्या मैं यहाँ बैठ सकती हूँ?"

माधव ने झिझकते हुए सिर हिलाया। उस दिन से उनकी दोस्ती की शुरुआत हुई।

 

दिन बीतते गए और माधव और उर्वशी की दोस्ती गहरी होती गई। स्कूल में हर दिन नए अनुभव और नई शरारतें होती थीं। दोनों ने मिलकर एक-दूसरे के साथ पढ़ाई की, खेल के मैदान में खेला, और हंसी-मजाक किया।

एक बार, उन्होंने मिलकर अपने टीचर के लिए एक सरप्राइज जन्मदिन पार्टी का आयोजन किया। उर्वशी ने पूरी योजना बनाई, और माधव ने उसे निभाने में मदद की। उन्होंने अपने दोस्तों को बुलाया, केक खरीदा, और टीचर के लिए गिफ्ट लाया। जब टीचर पार्टी में आए, तो उर्वशी ने कहा, "सर, यह सब हमारे लिए बहुत खास हैं।" माधव ने उत्साह से कहा, "आप हमारे सबसे अच्छे टीचर हैं!" इस खुशी के पल ने उनके बंधन को और भी मजबूत बना दिया।

 

जैसे-जैसे समय बीतता गया, उर्वशी को एहसास हुआ कि उसका माधव के प्रति प्यार गहरा होता जा रहा है। एक दिन, जब वे दोनों स्कूल के बगीचे में बैठे थे, उर्वशी ने माधव को देखा। उसकी आँखों में चमक थी और मुस्कान ने उसके चेहरे को रोशन किया।

उर्वशी ने सोचा, "कितना प्यारा है माधव! उसका मासूम चेहरा और उसकी सच्चाई मुझे हमेशा आकर्षित करती है।" उसे महसूस हुआ कि माधव सिर्फ एक दोस्त नहीं, बल्कि उसकी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन गया है।

एक दिन, उर्वशी ने अपने दिल की बात माधव से कहने का निर्णय लिया। उसने कहा, "माधव, क्या तुम जानते हो? मुझे तुम्हारे साथ रहना बहुत अच्छा लगता है। तुम मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो।"

माधव ने मुस्कुराते हुए कहा, "मुझे भी तुम्हारे साथ रहना अच्छा लगता है, उर्वशी। तुम मेरी सबसे प्यारी दोस्त हो।"

उर्वशी की आँखों में चमक आ गई। उसने महसूस किया कि उनके बीच कुछ खास है, और यह सिर्फ दोस्ती नहीं है।

 

स्कूल के दिनों में उर्वशी और माधव ने कई प्यारी शरारतें कीं। एक बार, उन्होंने अपने सहपाठियों के साथ मिलकर टीचर की किताबों में छिपकर एक मजेदार खेल खेला। जब टीचर ने किताबें खोलीं, तो सभी बच्चे हंस पड़े।

उनकी हंसी ने पूरे कक्षा में उत्साह भर दिया। उस दिन ने उन्हें याद दिलाया कि दोस्ती में कितना आनंद और खुशी होती है।

उर्वशी की चुलबुली शरारतों और माधव की मासूमियत ने उनके रिश्ते को और भी गहरा बना दिया। दोनों ने हर पल का आनंद लिया और एक-दूसरे के साथ जिंदगी के मजेदार अनुभव साझा किए।

 

|| कॉलेज का सफर ||
कॉलेज का पहला दिन हमेशा से छात्रों के लिए एक नई उम्मीद और उत्साह का प्रतीक होता है। माधव और उर्वशी दोनों ही एक साथ नए सफर की शुरुआत करने जा रहे थे। उनकी दोस्ती के बंधन ने उन्हें कॉलेज में दाखिल होने के पहले ही उन्हें एक दूसरे के करीब ला दिया था।

कॉलेज का कैंपस भव्य था, जहाँ हरे-भरे पेड़, रंग-बिरंगे फूल, और खूबसूरत इमारतें थीं। नए विद्यार्थियों का एक समूह परिसर में इधर-उधर घूम रहा था। सभी की आँखों में नए अनुभवों की चमक थी। माधव और उर्वशी ने एक दूसरे का हाथ थामे कॉलेज के प्रवेश द्वार पर कदम रखा।

"यहाँ बहुत कुछ नया है," उर्वशी ने खुशी से कहा। "मुझे यह कॉलेज बहुत पसंद आया!"

"हाँ, यह तो सच में बहुत सुंदर है," माधव ने सहमति जताते हुए कहा।

दोनों ने अपने-अपने विभागों के क्लासरूम में दाखिला लिया। वहाँ उन्हें नए दोस्तों से मिलने और अपने विषयों को चुनने का अवसर मिला। इस बीच, माधव और उर्वशी ने एक-दूसरे के साथ हर पल का आनंद लिया।

 

कॉलेज के पहले सेमेस्टर की शुरुआत हो चुकी थी। माधव ने महसूस किया कि उसका प्यार उर्वशी के लिए और भी गहरा हो गया है। वह जानता था कि अब समय आ गया है कि वह अपने दिल की बात उर्वशी से कह दे।

एक दिन, कॉलेज के कैफेटेरिया में, जब दोनों एक साथ बैठकर चाय पी रहे थे, माधव ने हिम्मत जुटाई। उसकी धड़कन तेज़ हो गई, लेकिन उसने सोचा कि यह उसका सही मौका है।

"उर्वशी," उसने कहा, "क्या मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ?"

उर्वशी ने उत्सुकता से उसकी ओर देखा। "हाँ, माधव। तुम कहो।"

माधव ने अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा, "हम एक-दूसरे को बहुत समय से जानते हैं। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ। तुम मेरी जिंदगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो। क्या तुम मेरे साथ अपनी जिंदगी बिताने के लिए तैयार हो?"

उर्वशी की आँखों में खुशी की चमक आ गई। उसने तुरंत कहा, "हाँ, माधव! मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ। मुझे हमेशा से तुमसे यह उम्मीद थी कि तुम मुझे अपना दिल का हाल बताओगे।"

दोनों ने एक-दूसरे को गले लगाया, और उनके प्यार ने एक नई शुरुआत की। कॉलेज का सफर अब उनके लिए और भी खास हो गया था।

 

हालाँकि माधव और उर्वशी की कहानी में प्यार का नया अध्याय शुरू हो चुका था, लेकिन उनकी दोस्ती के एक अन्य पक्ष को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। मोहित, जो कि माधव और उर्वशी का एक साझा दोस्त था, ने हमेशा से उर्वशी की ओर आकर्षण महसूस किया था।

जब उसने देखा कि माधव और उर्वशी के बीच प्यार बढ़ रहा है, तो उसे अपने दिल में एक गहरी जलन महसूस हुई। वह सोचता था, "मैं भी उर्वशी को पसंद करता हूँ, लेकिन अब वह तो माधव की है।"

मोहित ने यह फैसला किया कि वह अपने दोस्त के प्यार को समझेगा, लेकिन उसके मन में एक अंतर्द्वंद्व चल रहा था। उसने सोचा, "क्या मुझे अपनी भावनाओं को माधव के सामने लाना चाहिए? क्या यह सही होगा?"

कॉलेज के दिनों में, मोहित अक्सर उर्वशी के साथ बैठता था। एक दिन, उन्होंने एक साथ पढ़ाई करते समय, उर्वशी से कहा, "तुम्हारा और माधव का रिश्ता बहुत प्यारा है। मैं तुम्हारी खुशियों के लिए खुश हूँ।"

उर्वशी ने मुस्कुराते हुए कहा, "धन्यवाद, मोहित। तुम्हारा समर्थन मेरे लिए महत्वपूर्ण है।"

हालाँकि मोहित ने अपने दिल की बात को छुपाए रखा, लेकिन उसे यह समझ आ गया कि उर्वशी का दिल अब माधव के लिए धड़कता है।

 

माधव और उर्वशी का रिश्ता और भी गहरा होता गया। दोनों ने कॉलेज में एक-दूसरे के साथ समय बिताना शुरू कर दिया, और उनका प्यार दिन-ब-दिन बढ़ता गया।

लेकिन मोहित की जलन और उसके दिल के भावनाओं ने उनकी दोस्ती को थोड़ी जटिलता में डाल दिया। मोहित के मन में हमेशा यह सवाल रहता था कि क्या वह अपने दोस्तों को खो देगा यदि उसने अपने दिल की बात बताई।

इस अध्याय में, माधव और उर्वशी की कॉलेज में दोस्ती का नया दौर और मोहब्बत का इज़हार होता है। यह कहानी उनके रिश्ते की मजबूती को दर्शाती है, लेकिन साथ ही मोहित के दिल के संघर्षों को भी सामने लाती है। आगे क्या होगा? क्या दोस्ती और प्यार के बीच का यह जटिल रिश्ता उन्हें एक नई दिशा देगा? यह सभी सवाल पाठकों को उत्सुकता में डालते हैं।

 

||करियर की शुरुआत ||
 
माधव की मेहनत और लगन ने उसे एक बड़ी कंपनी में नौकरी दिलाई। वह उस दिन बहुत उत्साहित था। सुबह उठते ही उसने अपने पसंदीदा कपड़े पहने और दर्पण में देखकर मुस्कुराया। उसे अपने पहले दिन की याद थी जब उसने अपने कॉलेज के दिनों में इस कंपनी के लिए इंटरव्यू दिया था।

जब वह कंपनी पहुँचा, तो उसके मन में कुछ नकारात्मक विचार आ रहे थे। "क्या मैं इस नई दुनिया में सफल हो पाऊँगा?" उसने सोचा। लेकिन उसे जल्दी ही पता चला कि उसकी मेहनत रंग लाई है।

उसने अपने सहकर्मियों से मुलाकात की, और सबने उसे गर्मजोशी से स्वागत किया। पहले दिन की कड़ी मेहनत ने उसे खुद पर गर्व महसूस कराया। काम के दौरान, माधव ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए जोश के साथ मेहनत करने का निर्णय लिया।

कॉफी ब्रेक में, उसने अपने सहकर्मियों से अपनी कहानी साझा की। "मैंने अपने कॉलेज के दिनों से ही अपने करियर के लिए कठिनाइयों का सामना किया है," उसने कहा। इस दौरान, उसकी आँखों में उर्वशी की छवि आई, जिसने उसे हमेशा प्रेरित किया।

जैसे-जैसे माधव का करियर आगे बढ़ा, उसके पास उर्वशी के लिए समय कम होता गया। वह अपने काम में व्यस्त रहता था, और उर्वशी भी अपने करियर में उन्नति करने के लिए प्रयासरत थी।

हालाँकि, इस समय की कमी ने उनके रिश्ते को और भी मजबूत बना दिया। दोनों ने समझ लिया कि प्यार का मतलब केवल एक-दूसरे के साथ होना नहीं है, बल्कि एक-दूसरे के सपनों को पूरा करने में मदद करना भी है।

उर्वशी ने एक नई कंपनी में नौकरी के लिए आवेदन किया था, और वह भी अपने करियर में ऊँचाई पर पहुँचने के लिए मेहनत कर रही थी। एक दिन, जब माधव ने उर्वशी को कॉल किया, तो उसने कहा, "माधव, मुझे एक नई नौकरी मिली है। मैं बहुत खुश हूँ!"

माधव ने खुश होकर कहा, "बधाई हो, उर्वशी! तुमने इसे पाने के लिए बहुत मेहनत की है।"

दोनों ने एक-दूसरे के प्रति अपने प्यार को और भी गहरा करने का निर्णय लिया, भले ही समय की कमी हो। जब भी वे मिलते, तो वे अपने सपनों के बारे में बात करते और एक-दूसरे को प्रोत्साहित करते।

 

माधव और उर्वशी के सपने अलग-अलग थे, लेकिन दोनों में एक चीज समान थी — अपने सपनों को पूरा करने की इच्छा। माधव ने अपने करियर में तेजी से आगे बढ़ने का लक्ष्य रखा। उसकी ख्वाहिश थी कि वह एक सफल बिजनेस एग्जीक्यूटिव बने।

उर्वशी ने भी अपने सपनों को समझा और उसे अपने करियर में सफलता पाने के लिए संघर्ष करना था। वह एक अच्छी मार्केटिंग मैनेजर बनना चाहती थी। उसने हमेशा कहा था, "मेरे लिए महत्वपूर्ण है कि मैं अपनी पहचान बनाऊं और समाज में योगदान दूं।"

उनकी बातचीत में हमेशा एक प्रेरणा का माहौल होता था। एक बार, जब माधव ने उर्वशी से कहा, "तुम्हें पता है, मैं अपनी पहली प्रमोशन के लिए पूरी कोशिश कर रहा हूँ," उर्वशी ने कहा, "मुझे यकीन है कि तुम इसे पा लोगे। तुम हमेशा मेहनत करते हो।"

इसके जवाब में, माधव ने कहा, "तुम भी बहुत मेहनत कर रही हो, उर्वशी। जब तुम अपनी मेहनत के फल को पाओगी, तो मैं तुम्हारे लिए सबसे बड़ा जश्न मनाऊँगा।"

इस प्रकार, दोनों के बीच की बातचीत ने उनके रिश्ते को और भी गहरा बनाया। वे एक-दूसरे के सपनों के प्रति प्रतिबद्ध थे और हमेशा एक-दूसरे को प्रोत्साहित करते रहे।

 

हालाँकि उनके करियर में उतार-चढ़ाव थे, लेकिन उनका प्यार हमेशा मजबूत बना रहा। एक दिन, उर्वशी ने माधव से कहा, "मैंने कुछ नए प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया है, लेकिन यह बहुत कठिन है।"

माधव ने उसे प्रेरित करते हुए कहा, "तुम हमेशा चुनौतियों का सामना करती हो। मुझे विश्वास है कि तुम इस बार भी सफल होगी।"

उर्वशी ने मुस्कुराते हुए कहा, "तुम्हारे शब्द हमेशा मुझे हिम्मत देते हैं।"

 

|| मोहित का राज ||
मोहित, जो माधव और उर्वशी का करीबी दोस्त था, के दिल में एक राज़ छिपा हुआ था। वह हमेशा से उर्वशी के प्रति आकर्षित रहा था, लेकिन उसकी यह भावना कभी भी उसके दोस्तों के सामने खुलकर नहीं आ सकी। जब भी वह उर्वशी को माधव के साथ देखता, तो उसके मन में एक अदृश्य द्वंद्व होता।

मोहित अक्सर सोचता, "क्या मुझे अपने दिल की बात माधव को बतानी चाहिए? वह मेरा सबसे अच्छा दोस्त है, लेकिन क्या वह इस सच को स्वीकार कर पाएगा?" उसके मन में लगातार यही सवाल चलता रहता था।

उर्वशी की मासूमियत और उसकी हंसमुख स्वभाव ने मोहित को उसकी ओर खींचा था। उसने कई बार उसे खुश करने की कोशिश की, लेकिन हर बार माधव की मौजूदगी ने उसे रुकने पर मजबूर किया।

 

माधव और मोहित की दोस्ती हमेशा गहरी रही थी। दोनों ने अपने कॉलेज के दिनों से लेकर अब तक हर सुख-दुख में एक-दूसरे का साथ दिया था। लेकिन हाल के दिनों में, माधव ने मोहित में कुछ बदलाव महसूस किया।

जब भी वह उर्वशी के साथ होता, मोहित का चेहरा अचानक से गंभीर हो जाता। माधव ने कई बार सोचा कि क्या मोहित के मन में कुछ ऐसा है जो वह उससे छिपा रहा है।

"क्या तुम ठीक हो, मोहित?" माधव ने एक बार मोहित से पूछा।

"हाँ, मैं ठीक हूँ। बस थोड़ा थक गया हूँ," मोहित ने जवाब दिया।

लेकिन माधव को यकीन था कि मोहित के मन में कुछ और है। वह अक्सर उर्वशी के बारे में बातें करता था, लेकिन उसकी आँखों में एक अलग सी चमक होती थी। यह सोचकर माधव ने अपने दिल को समझाया, "शायद यह सिर्फ मेरी गलती है।"

 

एक दिन, जब माधव और उर्वशी कॉलेज के कैफेटेरिया में बैठे थे, मोहित ने महसूस किया कि अब वक्त आ गया है। वह अपने दिल की बात उर्वशी के सामने रखने का मन बना चुका था।

उसने सोचा, "अगर मैं अब नहीं बोलूंगा, तो शायद यह मौका फिर कभी नहीं आएगा।" उसने खुद को समझाया कि वह माधव का दोस्त है, लेकिन उसके दिल में उर्वशी के लिए एक सच्चा प्यार है।

जब माधव और उर्वशी थोड़ी देर के लिए अलग हुए, तो मोहित ने उर्वशी को अपने पास बुलाया। "उर्वशी, क्या मैं तुमसे कुछ बात कर सकता हूँ?" उसने कहा।

उर्वशी ने आश्चर्य से उसकी ओर देखा। "हाँ, मोहित। तुम कहो," उसने कहा।

"मैंने हमेशा तुमसे एक बात कहने की सोची है," मोहित ने अपनी आवाज को थोड़ी धीमी कर लिया। "तुम जानती हो कि मैं तुम्हारी कितनी कद्र करता हूँ। तुम मेरे लिए बहुत खास हो।"

उर्वशी ने थोड़ी चौंक कर पूछा, "मोहित, क्या तुम मुझे कुछ कहना चाह रहे हो?"

"हाँ," मोहित ने गहरी सांस लेते हुए कहा। "मैं तुमसे प्यार करता हूँ। मैं जानता हूँ कि तुम्हारा माधव के साथ रिश्ता है, लेकिन मैंने अपनी भावनाओं को छुपाने की कोशिश की है।"

उर्वशी ने थोड़ी देर सोचा। "मोहित, मैं तुम्हारी भावनाओं की कद्र करती हूँ, लेकिन मेरा दिल माधव के लिए धड़कता है। मैं उसे पसंद करती हूँ और उसके साथ अपनी जिंदगी बिताना चाहती हूँ।"

मोहित की आँखों में निराशा छा गई, लेकिन उसने अपने आप को संभाला। "मैं समझता हूँ, उर्वशी। तुम्हारे और माधव के रिश्ते का मैं सम्मान करता हूँ।"

उर्वशी ने कहा, "तुम हमेशा मेरे अच्छे दोस्त रहोगे, और मैं तुम्हें कभी भूल नहीं पाऊँगी।"

एक सामान्य सुबह, माधव अपने काम पर जाने की तैयारी कर रहा था। उसका मन उर्वशी की खुशी में था, जो हाल ही में अपनी नई नौकरी के बारे में उत्साहित थी। उसने उसे सुबह कॉल किया था, लेकिन वह व्यस्त थी। माधव ने सोचा कि वह बाद में उससे बात करेगा और अपने काम पर निकल पड़ा।

दोपहर को अचानक एक फोन कॉल ने उसकी दुनिया को हिला कर रख दिया। मोहित का चेहरा चिंतित था। "माधव, उर्वशी का एक्सीडेंट हो गया है," उसने कहा, उसकी आवाज में स्पष्टता नहीं थी।

"क्या? तुम क्या कह रहे हो?" माधव ने पूछा, उसकी धड़कन तेज़ हो गई। "उर्वशी को क्या हुआ?"

"वह सड़क पर जा रही थी जब एक तेज़ कार ने उसे टक्कर मार दी। उसे अस्पताल ले जाया गया है," मोहित ने बताया।

माधव का दिल एक पल के लिए धड़कना बंद कर गया। "मैं तुरंत अस्पताल आ रहा हूँ," उसने कहा और तेजी से तैयार होकर बाहर निकल पड़ा।

रास्ते में उसकी आँखों के सामने उर्वशी की हंसती हुई मुस्कान, उनकी मीठी बातें, और खुशियों भरे पल घूमने लगे। वह सोचने लगा कि वह उसे किसी भी कीमत पर बचा लेगा।

 

जब माधव अस्पताल पहुँचा, तो वहाँ का माहौल भयावह था। डाक्टर और नर्स तेजी से इधर-उधर दौड़ रहे थे, और उस जगह एक निराशाजनक सन्नाटा फैला हुआ था। माधव ने मोहित को ढूंढा, जो उसके इंतज़ार में था।

"कैसे है वह?" माधव ने कांपती आवाज में पूछा।

"डाक्टर अभी कुछ नहीं कह रहे हैं, लेकिन स्थिति गंभीर है," मोहित ने जवाब दिया।

माधव का दिल तेज़ी से धड़क रहा था। वह अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के बाहर टहलने लगा। उसे ऐसा लग रहा था जैसे समय थम गया हो। उसने अपने आप को समझाने की कोशिश की कि उर्वशी मजबूत है और वह इससे बाहर आ जाएगी।

उसकी आँखों में आँसू थे, लेकिन वह रो नहीं सकता था। वह बार-बार अपनी यादों में खो जाता, जहाँ उर्वशी उसके साथ हंसती-बोलती थी। "उर्वशी, तुम मेरी जिंदगी हो। तुम मुझे छोड़कर मत जाना," उसने खुद से कहा।

 

कुछ घंटों की चिंता और इंतज़ार के बाद, एक डाक्टर बाहर आया। उसके चेहरे पर गंभीरता थी। माधव ने उसकी ओर बढ़ते हुए पूछा, "डाक्टर, वह ठीक है ना?"

डाक्टर ने धीमे स्वर में कहा, "मुझे खेद है, हमने अपनी पूरी कोशिश की, लेकिन उर्वशी की हालत बहुत गंभीर थी। वह हमें छोड़ गई।"

माधव के लिए यह सुनना असंभव था। उसकी दुनिया एक पल में बिखर गई। वह सोचने लगा कि कैसे यह सब हो गया। वह उर्वशी के बिना कैसे जी पाएगा?

"नहीं! यह नहीं हो सकता!" उसने चिल्लाते हुए कहा। "उर्वशी, तुम मुझे छोड़कर नहीं जा सकती!"

मोहित ने उसे सहारा देने की कोशिश की, लेकिन माधव के आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। उसके दिल में एक गहरी चोट लगी थी।

माधव ने अपने आपको एक कोने में खड़ा कर लिया और अपने इमोशंस को अपने अंदर समेटने की कोशिश की। उसके अंदर की गहराई में एक खालीपन था। वह सोच रहा था कि उर्वशी ने उसे कितनी खुशियाँ दी थीं।

उसने अपनी आँखें बंद कीं और उर्वशी की यादों में खो गया। "तुम मेरे लिए सब कुछ थीं, उर्वशी। मैं तुमसे हमेशा प्यार करूँगा," उसने धीरे से कहा।

उर्वशी का जाना उसके लिए सिर्फ एक दुर्घटना नहीं थी, बल्कि एक दर्दनाक सच्चाई थी। उसने अपनी ज़िंदगी में एक ऐसा खालीपन महसूस किया जिसे कोई भी भर नहीं सकता था।

 

|| अकेलापन और दुःख ||
          उर्वशी की मृत्यु के बाद, माधव का जीवन पूरी तरह से बदल गया। वह जिस खुशी और प्यार के लिए जीता था, वह सब उसकी आँखों के सामने चला गया। उसका दिल हर पल उर्वशी की यादों से भरा था।

पहले कुछ दिन तो वह बस शोक में डूबा रहा। उसके चेहरे पर खुशी की कोई लकीर नहीं थी। उसकी आँखों में बस एक खोखलापन था। वह दिन में कई बार उर्वशी की यादों में खो जाता। "क्या यह सच है? क्या वह सच में चली गई?" वह खुद से पूछता।

माधव ने अपने घर की दीवारों पर उर्वशी की तस्वीरें टांग रखी थीं। जब वह उन तस्वीरों को देखता, तो उसे उसकी हंसती हुई आँखें, उसकी मासूमियत, और उनकी साथ बिताए हर एक पल की याद आती। लेकिन अब वह सब कुछ खो चुका था।

माधव ने अपने करियर को पूरी तरह से छोड़ दिया। वह नौकरी पर नहीं गया और घर में ही बंद रहने लगा। उसे ऐसा लगता था कि अब जीवन में कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं रह गया।

"क्या मैं फिर से खुश हो पाऊंगा?" उसने सोचा। "अब मेरा जीवन एक खोखली परछाई बन गया है।" उसके मन में एक निरर्थकता का अहसास हो गया था।

उसने अपने दोस्तों से दूरी बना ली। जब वे उसे मिलने आते, तो वह बस चुपचाप सुनता रहता। उसे किसी से बात करने की इच्छा नहीं थी। उसके मन में बस एक ही बात चल रही थी, "उर्वशी के बिना मैं जीने का क्या मतलब?"

 

माधव के परिवार ने उसे बहुत समझाने की कोशिश की। उसकी माँ ने कहा, "बेटा, तुम्हें आगे बढ़ना होगा। उर्वशी चाहती थी कि तुम खुश रहो।"

लेकिन माधव को इस बात का कोई मतलब नहीं था। उसे लगता था कि उसका दिल टूट गया है और वह कभी ठीक नहीं हो पाएगा।

मोहित, जो हमेशा उसके साथ था, ने भी माधव की मदद करने का प्रयास किया। "मैं तुम्हारे साथ हूँ, माधव। हम इसे एक साथ पार करेंगे," उसने कहा। लेकिन माधव ने बस सिर झुका लिया।

हर किसी का समर्थन उसके लिए एक बुरे सपने की तरह लग रहा था। वह सब कुछ सुन रहा था, लेकिन उसके मन में कोई प्रतिक्रिया नहीं थी। उसे बस उर्वशी की याद आती थी और वह उसके बिना जीने की कल्पना नहीं कर पाता था।

एक दिन, मोहित ने कहा, "माधव, चलो कहीं चलते हैं। कुछ वक्त बाहर बिताते हैं।" लेकिन माधव ने ठंडी आवाज में कहा, "नहीं, मुझे अकेले रहने दो। मैं अब कहीं नहीं जाना चाहता।"

इस तरह, माधव ने अपने आपको और भी ज्यादा अकेला कर लिया। उसे लगा कि वह अपने दुःख में खुद को डुबो रहा है, और इसके अलावा कुछ नहीं कर सकता।

एक दिन, जब माधव अपने कमरे में बैठा था, उसने एक किताब खोली। उसमें उर्वशी के लिए लिखी गई कुछ कविताएँ थीं। उसे महसूस हुआ कि वह कितनी गहरी थी, और उसकी मुस्कान में कितनी मासूमियत थी। "क्या अब मैं कभी भी उसे वापस नहीं पा सकूँगा?" यह सवाल उसकी सोच को कचोटता रहा।

|| सपनों का संसार ||
कुछ महीनों तक अपने अंधकारमय जीवन में जीने के बाद, माधव एक रात गहरी नींद में सो गया। अचानक, उसे एक हल्की रोशनी महसूस हुई और उसकी आँखें खुल गईं। सामने, उर्वशी खड़ी थी, उसी मुस्कान के साथ, जो हमेशा उसे खुश कर देती थी।

"माधव!" उसने कहा, "तुमने मुझे बहुत याद किया है, है ना?"

माधव ने अपनी आँखों पर विश्वास नहीं किया। "उर्वशी? क्या तुम सच में हो?" उसने चौंककर पूछा।

"हाँ, मैं यहाँ हूँ। लेकिन तुम्हें मेरी बात सुननी होगी। यह बहुत ज़रूरी है," उर्वशी ने कहा।

माधव ने उसके पास जाने की कोशिश की, लेकिन वह कुछ दूर खड़ी रही। "तुम्हें सुनना होगा, माधव। तुम्हारी जिंदगी में बहुत कुछ हो रहा है, जो तुम नहीं जानते।"

 

उर्वशी ने अपने सपने में माधव को बताया कि उसकी मृत्यु एक दुर्घटना नहीं थी। "यह सब एक साजिश थी, माधव। मोहित और उसके दोस्त उन्मेष ने इसे योजनाबद्ध तरीके से किया था," उसने कहा।

माधव के दिल में खलबली मच गई। "क्या? तुम यह कैसे कह सकती हो?" उसने आश्चर्य से पूछा।

"मुझे मोहित से खतरा महसूस हुआ था। मैंने उसे अपने प्यार का इज़हार करने से मना कर दिया था, और इसी वजह से वह मुझसे नाराज़ था। वह चाहता था कि मैं तुम्हें छोड़ दूँ।"

उर्वशी ने अपनी बात जारी रखी, "जब तुमने मुझे छोड़ दिया था, तब उन्होंने यह सब किया। यह सब पहले से तय था।"

माधव की आँखों में आँसू आ गए। "लेकिन क्यों, उर्वशी? तुमने मुझसे कभी यह नहीं कहा।"

"मैं जानती थी कि तुम दुखी हो जाओगे, और मैं नहीं चाहती थी कि तुम मेरे लिए रोओ। लेकिन अब तुम्हें जानना होगा ताकि तुम अपना बदला ले सको," उसने कहा।

उर्वशी के शब्दों ने माधव को हिलाकर रख दिया। उसके मन में बिछड़े हुए दिन, प्यार की यादें, और अब यह सच्चाई सब मिलकर एक तूफान पैदा कर रहे थे। "मैं क्या करूँ?" उसने अपने मन में सोचा।

उसे एहसास हुआ कि अब उसके पास एक नया उद्देश्य है—उर्वशी के लिए न्याय। "मैं उन्हें नहीं छोड़ूँगा," उसने ठान लिया।

सपने में उर्वशी की उपस्थिति ने उसे एक नई ऊर्जा दी। "तुम्हें मेरे लिए लड़ना होगा, माधव। मुझे तुम्हारी ज़रूरत है," उसने कहा।

जैसे ही वह सपना समाप्त हुआ, माधव की आँखें खुल गईं। वह समझ गया कि अब उसे अपनी ज़िंदगी को बदलने का समय आ गया है। उर्वशी की बातें उसके मन में गूंज रही थीं, और उसने तय किया कि वह मोहित और उन्मेष से बदला लेगा।

"मैं तुमसे वादा करता हूँ, उर्वशी। मैं तुम्हारा बदला लूँगा और तुम्हारी याद को कभी नहीं भूलूँगा," उसने कहा और अपने इरादे को मजबूत किया।

 
उर्वशी के सपने के बाद, माधव का मन पूरी तरह से बदल गया था। उसने ठान लिया था कि वह मोहित और उमेश को नहीं बख्शेगा। पहले, उसकी जिंदगी में सिर्फ प्यार और खुशियाँ थीं, लेकिन अब उसका एक नया लक्ष्य था—अपने प्यार की हत्या का बदला लेना।

वह जानता था कि उसे ठोस सबूत इकट्ठा करने की जरूरत है। इसलिए, उसने पहले से ही अपने दोस्तों को अपने इरादों के बारे में बताने का निर्णय लिया। उसने मोहित और उमेश के बारे में जानकारी इकट्ठा करना शुरू किया।

"अगर मैं उनके खिलाफ कोई सबूत जुटा सकूँ, तो मैं आसानी से उनकी सच्चाई को उजागर कर सकूँगा," उसने सोचा। उसने इंटरनेट और स्थानीय समाचार पत्रों की मदद से उस दिन की दुर्घटना की सभी जानकारी एकत्र की।

उसे पता चला कि दुर्घटना के समय कई लोग वहां मौजूद थे। अगर वह उन गवाहों से बात कर सके, तो शायद वह मोहित और उमेश के खिलाफ मजबूत सबूत जुटा सकता था।

माधव ने अपने कुछ करीबी दोस्तों को बुलाया, जिन पर उसे भरोसा था। उसने उन्हें अपनी योजना बताई, और सभी ने उसका समर्थन किया।

"हम तुम्हारे साथ हैं, माधव। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम सही तरीके से काम करें," उसके दोस्त समीर ने कहा।

उन्होंने एक मीटिंग की और निर्णय लिया कि वे पहले गवाहों से संपर्क करेंगे। माधव ने अपने दोस्तों को विभिन्न समूहों में बांट दिया। कुछ लोग गवाहों के संपर्क में रहेंगे, जबकि कुछ लोग मोहित और उमेश की गतिविधियों पर नजर रखेंगे।

"हमें ध्यान रखना होगा कि मोहित को हमारी योजना के बारे में कोई जानकारी न मिले," माधव ने कहा। सभी ने सहमति जताई।

 

जैसे-जैसे दिन बीतने लगे, माधव और उसके दोस्तों ने अपनी योजना पर काम करना शुरू किया। माधव ने मोहित और उमेश के सोशल मीडिया अकाउंट्स की जांच की। वह जानना चाहता था कि क्या उनके पास कुछ ऐसी चीजें हैं जो उनकी साजिश का पर्दाफाश कर सकती हैं।

उसे एक बहुत महत्वपूर्ण बात पता चली। मोहित और उमेश ने उस रात को एक पार्टी का आयोजन किया था, जिसमें उनके कुछ दोस्त भी शामिल हुए थे। यह जानकारी माधव के लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकती थी।

"अगर हम उस पार्टी में शामिल हो सकें और वहाँ से सबूत इकट्ठा कर सकें, तो हम उन्हें बेनकाब कर सकते हैं," माधव ने अपने दोस्तों से कहा।

उसने अपने दोस्तों को पार्टी में जाने की योजना बनाई। वे सभी एक साथ वहाँ जाने वाले थे और पूरी स्थिति का फायदा उठाने के लिए तैयार थे।

"मैं चाहता हूँ कि हम सब सावधानी बरतें। हमें किसी भी तरह से उनके बारे में कोई शक नहीं होने देना है," माधव ने कहा, और सभी ने उसकी योजना के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण व्यक्त किया।

 

|| सच का सामना ||
माधव ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक योजना बनाई थी। उसने तय किया कि अब वक्त आ गया है कि मोहित को सच का सामना कराना चाहिए। उसने मोहित को अपने घर पर एक मुलाकात के लिए आमंत्रित किया।

"मोहित, आओ, मेरे घर पर आओ। हमें कुछ ज़रूरी बातें करनी हैं," माधव ने फोन पर कहा।

मोहित ने थोड़ी अनिच्छा से हाँ की, लेकिन उसे नहीं पता था कि माधव ने एक ट्रैप बिछाया है। जब मोहित घर पहुंचा, तो माधव ने उसे गर्मजोशी से स्वागत किया, लेकिन उसका मन हल्का नहीं था।

"कैसा चल रहा है, मोहित?" माधव ने कहा।

"बस ठीक है। तुम बताओ," मोहित ने थोड़ी घबराहट के साथ कहा।

जैसे ही बातचीत आगे बढ़ी, माधव ने अपने दोस्त प्रतिक को भी आमंत्रित किया, जो इस योजना में मदद करने के लिए तैयार था। प्रतिक ने तुरंत अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और माहौल को हल्का बनाने की कोशिश की।

"मोहित, तुम्हें पता है, हम सब उर्वशी के बारे में बहुत सोचते हैं। उसकी यादें हमें कभी नहीं भुला सकतीं," प्रातिक ने कहा।

"हाँ, लेकिन यह सब अतीत की बातें हैं," मोहित ने जवाब दिया।

माधव ने देखा कि मोहित ने अपनी बातों में थोड़ी झिझक दिखाई। अब वह सही समय था सच्चाई की ओर बढ़ने का।

"मोहित, क्या तुम सच में समझते हो कि यह सब अतीत की बातें हैं? क्या तुमने कभी सोचा है कि उर्वशी के साथ जो हुआ, वह सिर्फ एक दुर्घटना थी?" माधव ने सवाल किया।

मोहित ने एक पल के लिए चुप रहकर माधव की आँखों में देखा। उसे लगा कि माधव उसे किसी गंभीर बात की ओर ले जा रहा है। "माधव, तुम क्या कहना चाहते हो?"

"मैं जानता हूँ कि उर्वशी की मौत एक साजिश थी। मैंने तुम्हारे और उमेश के बीच की बातें सुनी हैं। मुझे सब पता है," माधव ने सीधा और स्पष्ट कहा।

मोहित की आँखों में डर दिखा। "तुम्हें गलतफहमी हुई है, माधव। मैं... मैं ऐसा कुछ नहीं कर सकता," उसने कहा।

"फिर तुम यह कैसे समझा सकते हो कि उर्वशी ने अपनी जान गंवाई? तुमने उसे कभी उस दिन अकेला क्यों छोड़ा?" माधव ने तीखे स्वर में पूछा।

मोहित की मनोदशा अचानक बदल गई। पहले वह आत्मविश्वास से भरा हुआ था, लेकिन अब वह अपनी गुनाहों को छिपाने के लिए संघर्ष कर रहा था।

"मैंने ऐसा कुछ नहीं किया। यह सब एक दुर्घटना थी," मोहित ने सफाई देने की कोशिश की।

"लेकिन तुम जानते हो कि यह सच नहीं है। तुम्हारी ईर्ष्या और गुस्सा ने उसकी जिंदगी को खत्म कर दिया," माधव ने उसे चुनौती दी।

मोहित अब परेशान था। उसे समझ में आ रहा था कि माधव उसके खिलाफ सच्चाई को उजागर करने का इरादा रखता है।

"माधव, मुझे माफ कर दो। मैं जानता था कि तुम्हारे और उर्वशी के बीच क्या चल रहा है, लेकिन मैंने कभी ऐसा कुछ करने का इरादा नहीं किया," मोहित ने अंततः कहा।

माधव ने उसकी आँखों में एक अनकही दया देखी। वह जानता था कि मोहित के भीतर भी एक सच्चाई है, लेकिन यह सब कुछ बदलने के लिए पर्याप्त नहीं था।

"मैंने तुम्हारी सच्चाई का सामना कर लिया है, मोहित। अब तुम्हें इसके लिए जवाब देना होगा," माधव ने कहा।

|| न्याय की मांग ||
माधव ने मोहित की आँखों में देख कर यह महसूस किया कि उसके अंदर गिल्ट और पछतावा है, लेकिन क्या यह पर्याप्त था? क्या यह उसे उर्वशी की मौत का सच बताने के लिए मजबूर कर सकेगा? माधव के मन में न्याय की भावना तेजी से बढ़ रही थी।

"मोहित, मुझे बताओ, तुम्हारा असली इरादा क्या था? क्या तुमने उर्वशी को उस दिन अकेला छोड़ने का सोचा था? क्या तुमने कभी इस बारे में सोचा?" माधव ने तीखे स्वर में पूछा।

"माधव, मैं... मैं बहुत तनाव में था। मैंने अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं किया," मोहित ने सफाई दी।

"लेकिन तुम्हारे तनाव ने उर्वशी की जान ले ली! तुम्हारी गलतियों ने उसे हमसे छीन लिया। अब तुमसे सच्चाई जानने का मेरा हक बनता है," माधव ने कहा। उसकी आवाज़ में दर्द और क्रोध दोनों की मिश्रण था।

 

मोहित अब अपनी गलती को समझने लगा था। वह सोचने लगा कि अगर उसने अपने दिल की बात उर्वशी को पहले ही कह दी होती, तो क्या चीजें इतनी बुरी हो सकती थीं?

"मैं जानता हूँ कि मैंने गलती की है, लेकिन मैंने कभी यह नहीं चाहा था कि यह सब हो। मैं बस तुमसे दोस्ती रखना चाहता था, लेकिन प्यार ने मुझे कमजोर बना दिया," मोहित ने कहा।

"मोहित, तुम्हें पता है कि प्यार में ईमानदारी कितनी ज़रूरी होती है। अगर तुम सच बताते, तो उर्वशी आज हमारे बीच होती। अब तुम क्या करोगे?" माधव ने उससे पूछा।

मोहित ने गहरी साँस ली। "मैं जानता हूँ कि मेरी कोई बात तुम्हें संतुष्ट नहीं कर सकती, लेकिन मुझे तुम्हारी मदद की ज़रूरत है। मैं तुमसे माफी मांगता हूँ," उसने कहा।

"माफी से कुछ नहीं होगा। मुझे बस एक ही चीज़ चाहिए - सच्चाई। तुम सच बताओ कि क्या हुआ," माधव ने कहा।

माधव के दिल में एक अजीब सी उथल-पुथल थी। वह अपनी प्रेमिका को खो चुका था, और अब उसका दोस्त उसकी हत्यारा की तरह लग रहा था। उसकी आँखों में आंसू थे, लेकिन उसने उन्हें छिपाने का प्रयास किया।

"मुझे तुम्हारी दोस्ती की ज़रूरत नहीं है, मोहित। मैं केवल यह जानना चाहता हूँ कि उर्वशी की मौत के पीछे कौन था। क्या तुमने उस दिन कुछ देखा?" माधव ने अपनी भावनाओं को सामने लाते हुए कहा।

मोहित ने सिर झुकाया। "हां, मैंने देखा। उर्वशी ने उस दिन मुझसे मुँह मोड़ लिया था, और मैं बुरा महसूस कर रहा था। मैं नहीं चाहता था कि यह सब हो, लेकिन मैंने अपने गुस्से को नियंत्रण में नहीं रखा," उसने कहा।

"तो तुमने उसे जानबूझकर नुकसान पहुँचाने की कोशिश की थी? क्या तुम जानना चाहते थे कि तुम्हारी ईर्ष्या ने उसकी जिंदगी को खत्म कर दिया?" माधव ने पूछा।

"नहीं, मैंने ऐसा कभी नहीं किया। मैं बस चाहता था कि वह मुझे पसंद करे। मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह सब होगा," मोहित ने बेताब होते हुए कहा।

"तुम्हें समझना चाहिए कि तुम्हारे क्रोध ने एक निर्दोष जीवन को छीन लिया है। मुझे तुमसे न्याय की मांग है, मोहित। तुम्हें उर्वशी के साथ जो हुआ, उसकी सच्चाई बतानी होगी," माधव ने सख्त स्वर में कहा।

|| विदाई ||
माधव ने इस बार सोने से पहले उर्वशी के साथ अपनी आखिरी मुलाकात की कल्पना की थी। उसकी आँखें भारी थीं, और उसके दिल में एक अजीब सा दर्द था। उसे पता था कि यह एक अंतिम मुलाकात होगी। जैसे ही वह सो गया, उसके मन में उर्वशी की यादों की एक झड़ी लग गई।

रात का अंधेरा छा गया, और माधव ने एक अद्भुत सपना देखा। उस सपने में उर्वशी एक खूबसूरत सफेद साड़ी में सजी हुई थी। उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, और उसकी मुस्कान में एक उदासी छिपी हुई थी।

"माधव," उसने धीरे से कहा। "मैं यहाँ तुम्हें अलविदा कहने आई हूँ।"

इस वाक्य ने माधव के दिल में एक तीखी चुभन पैदा कर दी। "उर्वशी, तुम मुझे छोड़ कर क्यों जा रही हो? मैंने तुमसे वादा किया था कि मैं तुम्हें कभी नहीं छोड़ूँगा," उसने कहा।

उर्वशी ने मुस्कुराते हुए कहा, "तुम्हें मुझे भूलना होगा। मुझे तुम्हारे लिए दुख होता है, लेकिन मेरे लिए यह संभव नहीं है कि मैं तुम्हारे साथ रह सकूँ। मेरी आत्मा शांति चाहती है।"

माधव की आँखों में आँसू आ गए। "मैं तुम्हें नहीं भूल सकता। तुम्हारे बिना मेरा जीवन अधूरा है।"

"तुम्हें आगे बढ़ना होगा, माधव। तुम मेरी यादों में जी सकते हो, लेकिन तुम्हें जीवन को जीने के लिए आगे बढ़ना होगा। यह तुम्हारी जिम्मेदारी है।"

उसकी बातों ने माधव को और भी दुखी कर दिया। "लेकिन तुम मेरी ज़िंदगी का हिस्सा हो। तुम्हारे बिना मैं क्या करूँगा?" उसने कहा।

 

उर्वशी ने धीरे से उसका हाथ अपने हाथों में लिया और कहा, "माधव, हमारी यादें हमेशा तुम्हारे साथ रहेंगी। वे तुम्हारे जीवन का हिस्सा हैं। मेरे जाने के बाद भी, मैं तुम्हारे दिल में रहूँगी।"

इस पल में, माधव ने उर्वशी की खुशियों और उनके प्यार की मिठास को महसूस किया। उनके साथ बिताए पल, हंसी-मज़ाक, और स्कूल के दिनों की यादें उसकी आँखों के सामने ताजा हो गईं।

"तुम्हारी यादें मेरे लिए हमेशा सबसे खास रहेंगी। मैं वादा करता हूँ कि मैं तुम्हें कभी नहीं भूलूँगा," माधव ने कहा, उसकी आवाज़ में दृढ़ता थी।

उर्वशी ने मुस्कुराते हुए कहा, "यह तुम्हारा प्यार है जो मुझे हमेशा जीवित रखेगा। अब मुझे अलविदा कहने का समय है। हमेशा मुस्कुराते रहना, और मुझे अपने दिल में ज़िंदा रखना।"

उसके बाद, उर्वशी धीरे-धीरे धुंधली होती गई, और माधव की आँखों में आँसू छलक पड़े। वह जानता था कि यह सचमुच उनकी आखिरी मुलाकात थी।

 

 || जीवन की नई शुरुआत ||
 
माधव ने उर्वशी से विदाई के बाद एक नई जिंदगी की शुरुआत करने का निर्णय लिया। वह जानता था कि जीवन में आगे बढ़ना ही सबसे सही रास्ता है। उसने अपने करियर में नई शुरुआत करने की ठानी।

उसने एक स्थानीय कंपनी में फिर से नौकरी के लिए आवेदन किया। इस बार, उसने अपने पुराने अनुभव और शिक्षाओं को ध्यान में रखते हुए अपना रिज़्यूमे अपडेट किया। हर सुबह जब वह नई संभावनाओं की तलाश में घर से निकलता, तब उर्वशी की यादें उसके साथ होतीं। उसकी हंसी, उसके सपने, और उनका साझा भविष्य उसकी प्रेरणा बन गए।

बॉस ने उसे इंटरव्यू में बुलाया। माधव ने आत्मविश्वास के साथ अपनी बातें रखीं। उसके चेहरे पर एक नई ऊर्जा थी, जो उसके सपनों की ओर बढ़ने की इच्छा को दर्शाती थी। जब उसे नौकरी मिल गई, तो उसे एक नई पहचान मिली। यह उसके लिए एक नया अध्याय था, और वह उर्वशी को अपने दिल से कभी नहीं भूल सकता था।

माधव ने यह तय किया कि वह उर्वशी की यादों को संजोएगा, लेकिन उन्हें अपने जीवन में एक सकारात्मक तरीके से शामिल करेगा। उसने उर्वशी के लिए एक विशेष कोना बनाया, जहाँ वह उनके साथ बिताए पल और उनकी तस्वीरें रखेगा।

वह अक्सर उस कोने में बैठता और उर्वशी के साथ बिताए खूबसूरत लम्हों को याद करता। उसने एक डायरी भी शुरू की, जिसमें उसने अपने विचार, भावनाएँ और उर्वशी के लिए अपने प्यार को लिखा। इस डायरी में, उसने उनकी प्रेम कहानी के सभी छोटे-छोटे पलों को दर्ज किया।

इस तरह, माधव ने अपनी यादों को संजोने का एक नया तरीका खोजा। यह उसे उर्वशी के प्रति अपने प्यार को हमेशा जीवित रखने में मदद करता था। उसने सीखा कि यादें भले ही दर्दनाक हों, लेकिन वे भी उसकी ताकत बन सकती हैं।

 

एक दिन, काम पर एक नई सहकर्मी ने उसकी मदद की। उसका नाम सिया था। वह माधव के साथ सहानुभूति रखने वाली और समझदार थी। धीरे-धीरे, उनकी दोस्ती गहरी होने लगी। सिया ने माधव को यह महसूस कराया कि जीवन में खुशी और दोस्ती का महत्व है।

"माधव, कभी-कभी हमें अतीत को छोड़कर वर्तमान में जीना होता है," सिया ने कहा।

उसकी बातों में सच्चाई थी। माधव ने महसूस किया कि उसे अपने जीवन में नई आशा और खुशी लाने की कोशिश करनी चाहिए। वह अपनी भावनाओं को समझने लगा और सिया के साथ अधिक समय बिताने लगा।

"शायद यह मेरे लिए एक नई शुरुआत है," उसने सोचा।

 

माधव और उर्वशी की कहानी एक गहन प्रेम और संघर्ष का प्रतीक है। यह हमें सिखाती है कि सच्चा प्यार कभी खत्म नहीं होता। चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों, प्यार की ताकत हर बाधा को पार कर सकती है। माधव और उर्वशी का प्यार न केवल उनकी मासूमियत का प्रतीक है, बल्कि यह उस गहरी भावना का भी प्रतीक है, जो समय, दूरी, और यहां तक कि मृत्यु के खिलाफ भी मजबूत रहती है।

जब उर्वशी माधव के जीवन से चली गई, तब माधव का दिल टूट गया। लेकिन यह प्यार ही था जिसने उसे आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। उर्वशी की यादें और उनके साथ बिताए हुए लम्हे हमेशा उसके साथ रहे। उनकी हंसी, उनकी बातें, और उनके सपने, ये सब माधव के दिल में गहराई से बसे हुए थे।

माधव ने अपने जीवन में बहुत सी कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उसने कभी अपने प्यार को नहीं भुलाया। उर्वशी की यादें उसे सदा प्रेरित करती रहीं, चाहे वे कितनी ही दर्दनाक क्यों न हों। वह जानता था कि उर्वशी हमेशा उसके साथ हैं, भले ही वह शारीरिक रूप से मौजूद न हों।

इस प्यार ने माधव को मजबूत बनाया। उसने अपने दुःख को अपनी ताकत में बदल दिया। उसने अपनी यादों को संजोकर रखा और अपने दिल में उर्वशी के लिए एक विशेष स्थान बनाया। जब वह सपनों में उर्वशी से मिला, तो उसने अपनी भावनाओं को साझा किया और उससे विदाई ली। यह विदाई एक नई शुरुआत का प्रतीक थी, जिसने उसे जीवन में आगे बढ़ने का हौसला दिया।