Bejubaan - 3 in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | बेजुबान - 3

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बेजुबान - 3

और वह उससे पूछता रहा वह कागज पर लिखती रही।और उसने जो बताया निम्न था
जाकिर अपनी बीबी सलमा के साथ लखनऊ मे रहता ता।जाकिर हाथ का कारीगर था।वह निसन्तान था।काफी इलाज कराने के बाद भी उसकी पत्नी मा नही बनी थी।तब नाते रिश्तेदारों ने उससे दूसरा निकाह करने की सलाह दी थी। उनके धर्म मे बीबी के बच्चा न होने पर दूसरी शादी की प्रथा है।लेकिन वह अपनी बीबी से बहुत प्यार करता था।उसने दूसरा निकाह नही किया था।दोनों मिया बीबी मस्त थे।
जाकिर एक दिन देर से काम से लौट रहा था।उसे बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी थी।सुनसान जगह में बच्चा।उसने रोते बच्चे को गोद मे ले लिया।काफी देर तक ििनतजार किया कोई नही आया तो उस नवजात शिशु को घर ले आया।सलमा बच्ची को गोद मे लेते हुए बोली
खुदा ने हमे औलाद बक्श दी।
लोगो की सलाह पर वह पुलिस को सूचना देने भी गया था।लेकिन कोई नही आया।शायद वह बच्ची पाप की निशानी थी।बदनामी से बचने के लिए उसे कोई लावारिस छोड़कर चला गया था।कोई वारिस उस बच्ची का नही मिला तब पुलिस ने बच्ची जाकिर को ही दे दी।
जाकिर और सलमा ने उस बच्ची का नाम रखा था
शबनम
और जाकिर औऱ सलमा शबनम का लालन पालन करने लगें।वह बच्ची बोल नही पाती थी।फिर भी जाकिर ने उसे पढ़ने के लिए स्कूल भेजा था।जाकिर औऱ सलमा दोनों उसे खूब प्यार करते थे।लेकिन शबनम कि किस्मत में मा का प्यार ज्यादा नबी लिखा था।वह पांच साल कि हुई तब सलमा गुजर गई।जाकिर को लोगों ने सलाह दी।दूसरा निकाह कर लो
नही।मुझे बेटी को पालना है।जाकिर ने शबनम को बाप के साथ मा का प्यार भी दिया था।देखते ही देखते शबनम जवानी कि दहलीज पर आ गयी थी।जाकिर उसकी शादी के बारे में सोचने लगा था।कभी कभी उसके मन मे आता कि न जाने शबनम का धर्म कोनसा है।वह उसकी शादी हिन्दू से करे या मुसलमा न से
कभी वह सोचता अगर शबनम को किसी ने पसन्द कर लिया।वह चाहे जिस धर्म का हो।वह उसकी शादी कर देगा।कभी जाकिर शबनम को लेकर दुखी हो जता।शबनम सुंदर है।सब काम मे होशियार है।पढ़ी लिखी भी है।पर बेजुबान है कोन उसे अपनी बनाएगा।
उन दिनों राम जन्मभूमि आंदोलन चल रहा था।बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद कई जगह दंगे हुए थे।दंगाइयों ने बस्ती में आग लगा दी थी।लोग जान बचाने के लिए भागे थे।जाकिर घर पर था नही शबनम भी भागी थी।जिधर जाओ उधर दंगाई।दोनों धर्मो के लोग।गली कूची से वह भागी फिर भी दंगाई उसके पीछे पड़ गए।और भागती भागती वह यहा आ पहुंची थी।वह उससे बोला
तुम इस कमरे में आराम से सो जा ओ।यहा तुम्हारी जान को कोई खतरा नही है
और वह भी आकर सो गया था।सुबह वह उठा और उसने चाय बनाई।फिर उसने आवाज लगाई थी
शबनम
वह उठकर आयी थी
लो चाय पीओ
चाय पीने के बाद वह इशारे से बोली
मैं जाऊ
नही,"वह बोला था,"अभी हालात खराब है।यही रही
वह ऑफिस जाने से पहले खाना बनाता था।जब वह खाना बनाने लगा तो शबनम ने उसे हटा दिया और खुद खाना बनाया था।
खाना खाने के बाद वह उसे सब समझा गया और दिन में न निकलने को बोलकर चला गया।
शाम को लौटा तो वह शबनम के लिए कपड़े खरीद कद लाया था
ये लो शबनम