I can see you - 29 in Hindi Women Focused by Aisha Diwan books and stories PDF | आई कैन सी यू - 29

Featured Books
  • My Wife is Student ? - 25

    वो दोनो जैसे ही अंडर जाते हैं.. वैसे ही हैरान हो जाते है ......

  • एग्जाम ड्यूटी - 3

    दूसरे दिन की परीक्षा: जिम्मेदारी और लापरवाही का द्वंद्वपरीक्...

  • आई कैन सी यू - 52

    अब तक कहानी में हम ने देखा के लूसी को बड़ी मुश्किल से बचाया...

  • All We Imagine As Light - Film Review

                           फिल्म रिव्यु  All We Imagine As Light...

  • दर्द दिलों के - 12

    तो हमने अभी तक देखा धनंजय और शेर सिंह अपने रुतबे को बचाने के...

Categories
Share

आई कैन सी यू - 29

अब तक हम ने पढ़ा की दोनो घर वालों में रजामंदी हो गई थी अब बारी थी सगाई की। लूसी ने रात के समय रोवन को कॉल किया और पूछा के कमेला कौन थी और उसने आपको श्राप क्यों दिया था। इस सवाल पर रोवन के चहरे पर जो एक मधुर मुस्कान आई थी अब वो दुख भरी खामोश दास्तान बयां करने लगी थी। 

कान में मोबाइल लगाए लूसी उसके जवाब का इंतज़ार कर रही थी। उसने जब देखा के रोवन बिलकुल खामोश है तो अपने सवाल पर थोड़ा सा पछतावा मेहसूस करने लगी। उसे ऐसा लगा जैसे उसने ये सवाल पूछ कर उस के दिल को ठेस पहुंचा दिया। उसने नर्म लहज़े में कहा :"alright sir, I'm sorry!... मुझे शायद पूछना नहीं चाहिए था। मुझे बस वो रायफल चाहिए!"

रोवन ने एक सर्द आह भरते हुए कहा :" तुम्हें मुझसे सवाल करने का हक़ है क्यों के इतने खतरों को जानते हुए भी तुम मुझसे शादी करने वाली हो!... लेकिन इस सवाल का जवाब मैं फोन पर नही देना चाहता! जब हम हमारे पुराने घर में दादा जी की रायफल लेने जाएंगे तब मैं तुम्हें सारी सच्चाई बता दूंगा! अभी तुम्हारी तस्सलि के लिए इतना बता सकता हूं के कमेला से मेरा कोई भी रिश्ता नहीं था।.....अपना ख्याल रखना और सुकून से सो जाना! रखता हूं गुड नाईट!"

   " गुड नाईट सर!"

लूसी ने दबी आवाज़ में जवाब दिया और एक लंबी सांस लेते हुए बिस्तर पर लेट गई। 
  " Thank God!... कमेला का उनसे कोई रिश्ता नहीं था।"

लेटे लेटे उसने अपने आप से कहा और फिर तकिए को बाहों में भर कर सो गई। नींद तो जल्दी आने वाली थी नहीं, अभी कुछ ही देर हुई थी की पड़ोस में से शोर गुल की आवाज़ आने लगी। एक पतली सी चीख सुनाई दे रही थी। पहले तो उसने नज़र अंदाज़ किया फिर जब आवाज़ें बहुत तेज़ हो गई तब वो बाहर निकली। घर के बाकी लोग भी बाहर निकल आए थे। उसने सोचा के कहीं आग तो नही लग गई है। सब इतना चिल्ला क्यों रहे हैं। 

कियान भैया पड़ोस वाले अंकल के घर जाने लगे तो लूसी भी पीछे पीछे गई। उनके घर के सभी लोग डरे हुए और परेशान लग रहे थे। एक ओझा आया हुआ था जिसके हाथ में नीम की पत्तियों का एक गुच्छा था। एक छोटे से कमरे से किसी बच्ची के चिल्लाने की आवाज़ आ रही थी। वो बेतहासा चिल्ला रही थी अब लगता था के उसकी आवाज़ की नली फट जायेगी। ओझा दरवाज़े के अंदर जैसे ही झांकता वो बच्ची और ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगती। वो एक ही शब्द दोहरा रही थी " जाओ"
उसकी आवाज़ से रोंगटे खड़े हो रहे थे।

कियान ने उस बच्ची के बाप से पूछा :" भैया क्या हुआ है इसे?.... ऐसे तो उसकी आवाज़ हमेशा के लिए चली जायेगी।"

बच्ची के बाप ने रोनी सूरत से कहा :" क्या बताऊं भाई ! आज ग्यारह दिन हो गए, पायल ना कमरे से निकल रही है ना खाती पीती है ना स्कूल जाती है। हम परेशान हो गए, उसका चहरा देखा नही जा रहा है। जब भी अंदर जाने की कोशिश करते हैं वो ऐसे ही चिल्लाती है और अपने चहरे और बालों को नोचने लगती है। डॉक्टर को बुलाया था वो भी देख कर चले गए उन्हें कुछ समझ नहीं आया अब झाड़ फूंक करने वाले ओझा को बुलाया है तब भी वैसे ही चिल्ला रही है। किसी को अपने पास आने ही नही दे रही है।"

लूसी ये सब सुनते ही उस छोटे से अंधेरे कमरे में तेज़ी से चली गई। बच्ची अब भी चिल्ला रही थी। लूसी ने जब उसे देखा तो उसका दिल थर्रा उठा। उसका बदन सिहर रहा था। नौ दस साल की पायल जिसका बाल और चहरा पूरी तरह बिगड़ गया था। कई दिनों से न नहाने और ब्रश न करने की वजह से पूरी तरह मैली हो गई थी। आंखे फीकी पड़ी थी जैसे कोई ज़िंदा मुर्दा हो। लूसी ने गौर से देखते हुए कहा :" शांत हो जाओ बेटा!... मैं तुम्हें भगाने नहीं आई हूं तुम से बात करनी है।" 

लेकिन वो तो लगातार चिल्ला रही थी तो वो लूसी की बात कैसे सुनती इस लिए लूसी ने उसे पकड़ कर गले लगा लिया और सर पर हाथ फेरते हुए बोलने लगी :" मुझे तुम से बात करनी है। मैं तांत्रिक नही हूं। बस बात करनी है।"

उसके ऐसा करने से वो धीरे धीरे शांत होने लगी। लूसी उसके पीठ और सर को सहलाती रही जब तक वो पूरी तरह शांत न हो गई। 
फिर लूसी ने धीरे धीरे कहा :" कौन हो तुम?.... मैं तुम्हें देख नही सकती जब तक तुम पायल के बॉडी से बाहर न आ जाओ!... मुझसे बात करो मैं तुम्हारी बातें समझूंगी! पायल के बॉडी से बाहर निकलो बेटा वरना ये मर जायेगी। किसी को मारना गलत बात होती है।"

बच्ची ने सर उठा कर लूसी को देखा और फटी हुई आवाज़ में बोली :" मैं बाहर निकल गई तो आप मुझे देख पाएंगे?... मेरी बात सुनेंगे!"

लूसी ने सर पर हाथ फेरते हुए प्यार से कहा :" हां बिलकुल!"

इधर कियान आवाज़ लगा रहा था :" लूसी तुम अंदर क्या कर रही हो! बाहर आओ जल्दी!... ओझा जी को अपना काम करने दो।"

इतने में लूसी पायल को गोद में उठा कर बाहर आई जो अब बेहोश हो गई थी। उसे देखते ही उसका पूरा परिवार हैरत में उसकी और झपट पड़े। लूसी ने पायल को उसके बाप के गोद में देते हुए कहा :" इसे जल्दी से हॉस्पिटल ले कर जाइए!"

बच्ची को उठा कर उसके मां बाप हॉस्पिटल लेकर भागे। लूसी ने पिछे मुड़ कर देखते हुए धीरे से कहा :" तुम मेरे साथ आओ!"

कियान भैया ने आंखे फाड़ कर उसे देखते हुए कहा :" तुम ने उसे शांत कैसे किया?.... क्या किया था तुम ने ?

लूसी अपने घर की तरफ चलते हुए बोली :" कुछ नहीं बस प्यार से बात किया था!.... भले ही आपको निकम्मी लगती हूं। लेकिन मैं कुछ भी कर सकती हूं।"

वो मुस्कुरा कर अपने कमरे में चली गई। एक भूत उसके साथ साथ अंदर गई। वो पायल के शरीर से निकली हुई एक दस साल की छोटी बच्ची थी। स्कूल यूनिफॉर्म पहनी हुई, अपने बालो की दो चोटी बनाई हुई थी। गोल मटोल सी प्यारी बच्ची थी। 

लूसी अपने बिस्तर पर बैठी और उसे भी बैठने को कहा। वो पास बैठी तो लूसी ने पूछा :" कौन हो तुम? मुझे अपने बारे में सब कुछ बताओ!"

बच्ची ने बेचैनी से कहा :" मुझे नफरत है! मुझे सब से नफरत है। सब बुरे लोग होते हैं। मुझे भगवान के पास जाना था लेकिन मैं नहीं जा पाई मुझे यहां नहीं रहना!...मुझे भगवान के पास भेज दो दीदी प्लीज़! मैने सुना है भगवान के पास बहुत अच्छी जगह है।"

ये सब कह कर वो बहुत रोने लगी। ज़ोर ज़ोर से हिचकियां ले कर लूसी को उम्मीद भरी नज़रों से देखते हुए रोती रही। 

लूसी ने उसे गले लगाए रखा जब तक वो रोते रोते थक कर चुप न हो गई। सर पर हाथ फेरते फेरते उसने उसे दिलासा दिया :" मैं तुम्हारी मदद करूंगी! पहले अपने बारे में बताओ तो सही! अभी अगर बात नही करनी हो तो सो जाओ, हम कल बाते करेंगे!"

बच्ची उसके सीने में सर रख कर रोते हुए सो गई। लूसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था के ये इंसान जैसी दिखने वाली भूत आखिर कौन है। अब तक इंसान जैसे दिखने वाले सिर्फ हमज़ादों को ही देखा है। क्या ये भी हमज़ाद है? लेकिन अगर है तो ये ऐसी बातें क्यों कर रही है और इतनी बेचैन क्यों है? 

(पढ़ते रहें अगला भाग जल्द ही)