I can see you - 25 in Hindi Women Focused by Aisha Diwan books and stories PDF | आई कैन सी यू - 25

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आई कैन सी यू - 25

अब तक हम ने पढ़ा के लूसी ने रोवन को एप्लीकेशन लिख कर कॉलेज से ना जाने की बात कही और उसकी मां को शादी के लिए हां भी कह दिया। अब तक रोवन को अंदाज़ा हो गया था के लूसी और उसकी मां के दरमियान क्या बातें हुई होगी। लूसी का एप्लीकेशन पढ़ने के बाद अब उसे यकीन हो गया था। 
कागज़ पर लिखे लूसी के शब्दों को उसने दोहरा दोहरा कर चार मर्तबा पढ़ लिया। अभी वो एप्लीकेशन को लिए हैरत में बैठा था के मां कमरे में आई और बोलने लगी :" रोवन ये क्या सुन रही हूं मैं! तुम लूसी को जाने के लिए कैसे कह सकते हो! क्या सीने में दिल के जगह पत्थर रख लिया है तुम ने!... क्या तुमने उसका शुक्रिया भी किया के उसने तुम्हारी जान बचाई?.... अब वो बेचारी सब कुछ जानते हुए भी तुम्हारा हाथ थामना चाहती है।..... सुनो!... हम लूसी के घर में तुम दोनों के रिश्ते की बात करने जायेंगे जब तुम कल यहां से घर चले जाओगे!"

रोवन ने परेशानी में कहा :" मां आप क्यों उसकी जान खतरे में डालना चाहती हैं!... वो तो नादान है अकल नहीं है उसमे पर आप तो तजुर्बेकार हैं। आप ने देखा है उन दो लड़कियों का हाल जिसने मुझसे शादी की थी!... आप जानती है मैं कर्स्ड (cursed) हुं! मै किसी को अपनी दुल्हन बना कर उसके साथ ज़िंदगी नही बिता सकता!...किसी मासूम की जान खतरे में डालने से बेहतर है मैं अकेला ही ज़िंदगी गुज़ार दूं!"

मां उसके पास बैठी और उसके हाथ पर हाथ रखते हुए बोली :" लेकिन वो कोई आम लड़की नहीं है। अगर वो बाकी लड़कियों जैसी होती तो मैं खुद कभी नहीं कहती शादी के लिए!.... तुम जानते हो की उस पर शैतानी शक्तियों का असर नहीं होता वो भूतों से लड़ सकती है।"

   " और इस लड़ाई में वो मर सकती है!...वो मेरे सामने ही दो बार मरते मरते बची है। फिर भी मैं उसे इस खतरे में कैसे डाल सकता हूं!....वो बच्चों जैसी है क्यों के अभी वो गमों से अनजान है! उसने अभी ज़िंदगी के तपती रेत पर कदम नहीं रखा है। इस लिए उसे सब आसान लग रहा है।"

रोवन ने अफसोस भरे आंखों से देखते हुए कहा।

मां ने मुस्कुरा कर कहा :"पर ज़िंदगी का नाम ही स्ट्रगल है बेटा!....ये सब छोड़ो! तुम भी तो उसे पसंद करते हो!"
     
रोवन नज़रे चुरा कर बोला :" मैं नहीं करता उसे पसंद!... वो न समझ और ज़िद्दी लड़की है।"

मां ने कहा :" बेटा मैं मां हुं! ये तुम अपने आप को झूट बोल रहे हो! उसके लिए जो तुम्हारी आंखों में दिखता है  वो उसके आंखों में भी दिखता है तुम्हारे लिए!... उसने सोच समझ कर फैसला लिया है। इतनी भी छोटी नहीं है के उसे अच्छे बुरे का फर्क समझ न आए!... शादी की उमर है! वो एक लौती लड़की है जो तुम पर लगा कर्स हटा सकती है। ज़रा ठंडे मन से सोच कर देखो की वो खास क्यों है? क्यों के उसे खास कामों के लिए चुना गया है और वो खास लड़की ही तुम्हारी दुल्हन बन सकती है।"

रोवन अब खामोश हो गया। कुछ देर गहरे सोच में डूबा रहा। वो भी समझ रहा था के लूसी ही कमेला से लड़ सकती है। लेकिन खुद के खातिर वो लूसी को इस जंजाल में नही डालना चाहता था। सच तो ये है की लूसी खुद इस जंजाल में कूद पड़ी है और न ही उसे कमेला से रत्ती भर का डर है। 
मां मुस्कुरा कर उसके पास से उठते हुए बोली :" जब दिल मान जाए तब इस दरखास्त पर दस्तखत कर देना! ये तुम्हारा कबूल नामा है।"

इधर लूसी अपने कमरे में आ कर पैकिंग करने लगी। उसने ये जगह छोड़ने की पूरी तैयारी कर ली थी लेकिन आज वो घर जाना चाहती थी इस लिए उसने कियान भैया को बुलाया था। अपने कामों में व्यस्त थी के उसके फोन की घंटी बजी। टेबल पर से फोन हाथ में लिया तो देखा रोवन का कॉल है। उसका नाम देखते ही दांतों तले उंगली दबाते हुए बोली :" ये मुझे कॉल क्यों कर रहे हैं! पक्का मुझ पर चिल्लाने के लिए किया होगा! नही उठाया तो और ज़्यादा गुस्सा करेंगे! उठा लेती हूं।...... हेलो गुड मॉर्निंग सर!"

रोवन ने उधर से कहा :" कहां हो तुम ?"

    " मैं! मैं तो अपने कमरे में हुं!
लूसी ने अटकते हुए जवाब दिया।

रोवन ने गंभीरता से कहा :" तुम ने शादी के लिए हां क्यों कहा?... तुम सब कुछ जानती हो ना फिर भी!... क्या तुम्हें खतरों के गड्ढों में कूदने में मज़ा आता है?...मैं ने तुम्हें कितनी बार कहा के मेरे मामलों में टांग मत अड़ाओ लेकिन तुम तो पूरी की पूरी अड़ गई हो!....अगर ज़िंदगी में सुकून चाहती हो तो मुझसे दूर चली जाओ! तुन्हें मेरी मां को आस नहीं देना चाहिए था!"

उसकी बातें सुन कर लूसी नाराज़गी में कड़क कर बोली :" सर पहले मुझे आप एक बात क्लियर कीजिए!....आपको किस बात का डर है!... मुझे कुछ हो जायेगा, इसका या फिर आपको गिल्टी और अफसोस में जीना पड़ेगा, इसका?

रोवन उसके सवाल से सन्नाटे में चला गया। उसे क्या जवाब दे समझ नहीं आ रहा था। कुछ देर तक खामोश रहने पर लूसी ने फिर से कहा :" क्या हुआ जवाब नही है!... मेरी जान की फिक्र है या अपनी ज़िंदगी की? बताइए!"

रोवन ने लंबी सांस लेते हुए कहा :" ये सवाल ही गलत है! ऑफकोर्स मुझे तुम्हारी फिक्र है।"

लूसी के चहरे का भाव फौरन बदल गया और फिर उसने मुस्कुरा कर कहा :" तो फिर मैं वादा करती हूं आप से शादी करने के बाद मैं नहीं मरूंगी!... मुझे बस आपका साथ चाहिए उस कमेला को हराने में! अब बस आप जल्दी से ठीक हो जाईए हमे कहीं जाना भी है।"

बस इतना कह कर लूसी ने झट से फोन काट दिया क्यों के उसका दिल तूफान की तरह तेज़ धड़कने लगा था। ये सब रोवन के सामने कहना उसके लिए इतना आसान नहीं था जितनी आसानी से उसने फोन पर कह दिया। 
उसने अपने फड़फड़ाते हुए दिल पर हाथ रखते हुए लंबी लंबी सांसे लेते हुए कहा :" बाप री मेरा दिल तो चिड़ियों के दिल जैसा धुक धुक धुक कर रहा है। कहीं हार्ट अटैक ना आ जाए!...नही नही मुझे ज़िंदा रहना है। मैंने रोवन सर से वादा जो कर लिया है ज़िंदा रहने का!"

अपने आप में बड़बड़ा कर वो फिर से अपने सामानों को बैग में रखने लगी। 

उधर रोवन को अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था के लूसी ने कमेला का नाम लिया। वो यही सोच रहा था के उसे कमेला के बारे में कैसे पता? कहीं उसे भूतों ने तो नहीं बताया? उसने ये भी कहा के हमें कहीं जाना है। कहां जाना है हमे?

कुछ देर वो लूसी और उसके बातों के बारे में सोचता रहा फिर अपने सिरहाने में रखे कलम और आवेदन पत्र को उठाया। उसे एक और बार पढ़ने लगा। इस बार उसके चहरे पर हल्की सी मुस्कान थी। लूसी के दिए हुए कलम से उसने उस पर दस्तखत करते हुए धीरे से कहा :" तो वो ज़िद्दी लड़की मेरे ही गले पड़ी!"


(पढ़ते रहें अगला भाग जल्द ही)