I can see you - 23 in Hindi Women Focused by Aisha Diwan books and stories PDF | आई कैन सी यू - 23

Featured Books
  • द्वारावती - 73

    73नदी के प्रवाह में बहता हुआ उत्सव किसी अज्ञात स्थल पर पहुँच...

  • जंगल - भाग 10

    बात खत्म नहीं हुई थी। कौन कहता है, ज़िन्दगी कितने नुकिले सिरे...

  • My Devil Hubby Rebirth Love - 53

    अब आगे रूही ने रूद्र को शर्ट उतारते हुए देखा उसने अपनी नजर र...

  • बैरी पिया.... - 56

    अब तक : सीमा " पता नही मैम... । कई बार बेचारे को मारा पीटा भ...

  • साथिया - 127

    नेहा और आनंद के जाने  के बादसांझ तुरंत अपने कमरे में चली गई...

Categories
Share

आई कैन सी यू - 23

दुलाल से बात चीत करने के बाद लूसी लॉज चली आई। उसके नस नस में बेचैनियां बिजली की तरह दौड़ रही थी। उसका दिमाग एक पल के लिए भी शांत नहीं हो रहा था। रोवन से शादी की बात उसके मन में बार बार गुदगुदी पैदा कर देती। उसे वो सारे पल याद आ रहे थे जब जब वो रोवन से मिली भले ही उन दोनों में कभी नर्मी से बात नहीं हुई थी। वो रात जब वो कमरे में बंद हो गई थी और रोवन ने लाइब्रेरी के बुक शेल्फ को उस पर गिरने से रोका था।  वो समा जब रोवन ने उसे चाकू लगने से बचाया था। ये सब याद कर के उसका दिल इस बात पर उसे राज़ी करने में लगा था के शायद वे दोनों एक दूसरे के लिए ही बने हैं। ख्यालों में खोई हुई अपने कमरे में आई तो देखा वर्षा दो सैंडविच टेबल पर रख कर सामने कुर्सी में बैठी खिड़की से बाहर की ओर देख रही है। लूसी ने अपना पर्स बेड पर रखा और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा :" कहां खोई हुई हो और ये सैंडविच सजाने के लिए बनाया है क्या?

वर्षा सर घुमा कर उसे नाराज़गी से देखते हुए बोली :" तुम डायरेक्टर सर से मिलने गई थी ना!... तुमने मुझे बताया क्यों नहीं मैं भी साथ में जाकर उनसे माफी मांग लेती! वह क्या सोचेंगे कि इतनी बड़ी बात हो गई और मैंने उनसे माफी तक नहीं मांगी! (खुनखुना कर)...एक तो मैं ये सोच कर पागल हो रही हूं के रूमी को पता चलेगा तो वो मुझसे नफरत करेगी! सर की पूरी फैमिली मुझे बद्दुआएं देगी!"

   " ऐसा कुछ नहीं होगा! किसी को कुछ पता ही नही के उन्हें चाकू कैसे लगा! ना उन्होंने बताया है ना मैने!....देखो वर्षा ज़्यादा सोच सोच कर खुद को हलकान मत करो ये बात बस हम तीनों के बीच ही रहेगी!"

लूसी ने उसे समझाते हुए कहा।

वर्षा अब कुछ शांत हो कर बोली :" अच्छा!... ऐसी बात है तो फिर ठीक है! ये बताओ अब वो कैसे हैं?

   " शुक्र है वो बिलकुल ठीक है! तीन दिन में उन्हें डिस्चार्ज मिल जायेगा!.... वर्षा मैं यहां से जा रही हूं! आगे क्या होगा मुझे नहीं मालूम लेकिन फिलहाल मैं जा रही हूं।"

लूसी ने अफसोस भरे लहज़े में कहा।

वर्षा हैरानी में उठ खड़ी हुई और सहमी हुई बोली :" ये तुम क्या कह रही हो! कहां जा रही हो और क्यों?... मैं अकेली नहीं रह पाऊंगी!"

    " तुम्हारा कोई न कोई बंदोबस्त हो जायेगा। एक बुरी आत्मा मेरे पीछे पड़ी है लेकिन वो मुझे पासेस नहीं कर सकती इस लिए उसने तुम्हारे बॉडी का सहारा लिया! मैं नहीं चाहती के मेरे आसपास के लोग उसका शिकार बने और रोवन सर ने भी मुझे कॉलेज छोड़ने को कहा है!.... मैं कल जा कर उन्हें एप्लिकेशन दे दूंगी और उनसे शादी करने के लिए उनकी मां को हां कह दूंगी!"

लूसी के ये सब कहने से वर्षा का सर चकरा गया। उसका मन झुंझला उठा और चिड़चिड़ी हो कर बोली :" तुम्हारी बातें इतनी आड़ीतेड़ी क्यों है! पिछले जन्म में मकड़ी थी क्या!... ये क्या पहेली है की कॉलेज छोड़ दूंगी फिर उनसे शादी के लिए हां कह दूंगी? मतलब क्या है साफ साफ बताओ ना कौन किस से शादी कर रहा है?

लूसी ने उसे वापस कुर्सी में बैठाया और खुद पास के कुर्सी में बैठी। एक गहरी सांस लेकर उसने सारी बातें बताई लेकिन अपने बारे में ये नहीं बताया के उसे भूत दिखते हैं। 

उसकी बातें सुन कर वर्षा हैरानी में बोली :" तुम बिलकुल पागल हो! वो श्रापित है ये जानते हुए भी डायरेक्टर सर से शादी करने के लिए तैयार हो?....क्या सिर्फ इस लिए की वो गुड लुकिंग है या इस लिए के तुन्हें उनसे पहली नज़र में प्यार हो गया था?... लेकिन तुम ये क्यों नहीं सोच रही हो के उनसे शादी कर के तुम मर जाओगी!"

    " वर्षा तुम भी ना! मैं उनसे शादी के लिए तैयार हूं इस लिए नहीं के वो गुड लुकिंग है और मुझे उनसे प्यार हो गया है!...ऐसा कुछ नहीं है। मैं बस उनकी मदद करना चाहती हूं। हां उनसे शादी करने में खतरा है लेकिन मैं उनकी दो दुल्हनों की तरह नहीं मरूंगी क्योंकि मुझ पर श्राप का असर नहीं होता, ना किसी जादू टोने का!"

ये सब कह कर लूसी ने अपने मन में सोचा :" खतरा तो मुझे हमेशा है। लेकिन जिनसे मुझे खतरा है मैं भी उनके लिए खतरा हूं।.... छोडूंगी नही उस सफेद छिपकली को जो अपने आप को मगरमच्छ समझ रही है। गोलियों से भून डालूंगी!"

वर्षा :" ठीक है लेकिन डायरेक्टर सर शादी के लिए तैयार हैं या उनकी मां ही बोल रही हैं बस?

   " जहां तक मुझे लगता है वो शादी के लिए आसानी से तैयार नहीं होंगे क्यों के उन्हें डर है की उनकी वजह से किसी और की मौत ना हो जाए और उन्हें फिर ज़िंदगी भर गिल्टी में न जीना पड़े लेकिन माएं अपने बच्चों को इमोशनल ब्लैकमेल कर के तैयार कर ही लेती हैं।"

लूसी ने कहा।

  वर्षा उसे एक सैंडविच पकड़ाते हुए :" हां तुम सुंदर भी हो और अट्रैक्टिव भी!... उनका भी दिल करता होगा ना अपना परिवार बनाने का! वो मान जाएंगे तुम देखना!"

इस बात पर लूसी छोटी सी मुस्कुराहट के साथ खामोश हो गई। अब वो फुलवारी जाने के बारे में सोचने लगी थी। लेकिन अकेली नहीं जा सकती थी अगर घर में भाइयों को पता चला तो वो बहुत नाराज़ होंगे इस लिए लूसी मन ही मन किसी को साथ में ले जाने के लिए तलाश कर रही थी पर ऐसा कोई उसे नही दिख रहा था जो साथ जा सके सिवाए रोवन के जो इस समय हॉस्पिटल में पड़ा है। 

रात को सोने से पहले उसने एप्लीकेशन लिखा और उसे अपने पर्स में रख लिया ताकी सुबह जा कर रोवन को दे सके, अपने बिस्तर पर जाने से पहले उसने वर्षा पर एक नज़र डाली जो सीने पर एक तकिया रख कर सो गई थी। उसने अपने बिस्तर की ओर कदम बढ़ाया ही था के दरवाज़े की तरफ उसकी नज़र पड़ी जहां वोही औरत खड़ी उसे घूर रही थी। 
उसे देखते ही लूसी का पारा चढ़ गया। उसने अपने सिरहाने में धीरे से हाथ डालकर लंबा सा खंजर निकाला और उसके सामने गई। 
लूसी के कुछ बोलने से पहले ही उसने कहा :" तो तुम रोवन से शादी करने वाली हो!.... शादी के दिन का इंतज़ार रहेगा मुझे!"

लूसी ने अपने आपे को काबू में कर कहा :" तुम इनवाइटेड नहीं हो तो बेगानी शादी में दीवानी बन कर आने की कोई ज़रूरत नहीं है।"

भूतनी ने मुस्कुरा कर कहा :" मैं बेगानी नहीं हुं! छह सालों से रोवन के आसपास ही हुं।"
    
   " तो कौन हो! रोवन सर की एक्स गर्लफ्रेंड हो ? बहन हो? भाभी हो या एक्स वाइफ हो? कौन हो ये बताओ!"
लूसी ने तपाक से पूछा।

उसने जवाब दिया :" मैं कमेला की डेमन हूं! वह कमेला जिस ने तुम्हारे रोवन को मरते वक्त श्राप दिया था और मैं बस उसी श्राप को बरकरार रख रही हूं क्यों के अब मेरे पास यहां कोई काम ही नहीं! यही मेरा एक मात्र काम है जिसे मैं बखूबी अंजाम दूंगी और आखरी पल तक इस काम को पूरा करती रहूंगी!"

लूसी हैरत में :" कौन कमेला?... उसने रोवन सर को कर्स क्यों दिया?... उसका क्या रिश्ता था सर से?

    " क्या मैं यहां तुम्हारे सवालों का जवाब देने आई हूं! जा कर पूछो ना अपने रोवन सर से, शादी कर रही हो इतना हक तो बनता ही है तुम्हारा!"

उसने चिढ़ाते हुए कहा। 

लूसी ने खंजर आगे करते हुए कहा :" तो तुम क्यों आई हो?... क्या तुम्हें मुझसे डर नहीं लगता?

उसने हंसते हुए कहा :" तुम एक इंसान हो और मैं एक डेमन! तुम्हें मुझसे डरना चाहिए न के मुझे तुमसे!...मैं शैतान हुं याद रखो!"

लूसी ने झट से जवाब दिया :" अच्छा!... तो तुम मुझे डराने आई हो! तो तुम भी एक बात याद रखो!... अगर तुम डेमन हो तो मैं भी लूसी से लुसिफर बन सकती हूं! लुसिफर को तो जानती होगी ना तुम! वोही डेविल्स का प्रिंस!....समझी कमेला की सस्ती कॉपी!"

उसके चिढ़ाने से कमेला को बेहद गुस्सा आ गया और उसकी आंखें पूरी तरह से लाल हो गई। लूसी ने खंजर मारने के लिए अपने हाथ को हवा में घुमाया तो वो फौरन गायब हो गई। 

"डरपोक कहीं की!
ये कह कर लूसी अपने बिस्तर पर बैठ गई। उसने अब ठाक लिया के रोवन से शादी कर के ही रहेगी। 

(पढ़ते रहें अगला भाग जल्द ही)