Mathura forest a mystery_Part-3 in Hindi Adventure Stories by Abhishek Chaturvedi books and stories PDF | अधूरा जंगल एक रहस्य_भाग-३

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अधूरा जंगल एक रहस्य_भाग-३

इस भाग में जानिए उसे गुड़िया की शक्ति क्या है....


गुड़िया की शक्ति

कुएँ के अंदर का अंधकार ऐसा था कि तीनों दोस्तों को कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। ठंडी और चिपचिपी दीवारों को छूने पर उन्हें ऐसा लगा जैसे वे किसी जिंदा चीज़ के भीतर फँसे हों। उनकी साँसें भारी हो गई थीं और दिल की धड़कनें तेज़। अरुण ने टॉर्च जलाने की कोशिश की, लेकिन वह काम नहीं कर रही थी। 

निधि के हाथ में अब भी वह गुड़िया थी, जो उसे और भी ज्यादा अजीब लगने लगी थी। गुड़िया की आँखें अब अंधेरे में चमक रही थीं, और उसके चेहरे पर एक विचित्र मुस्कान फैल गई थी। निधि को यह समझ में आ रहा था कि यह गुड़िया सिर्फ एक साधारण खिलौना नहीं थी। इसके अंदर कुछ भयानक शक्ति थी, जिसे उसने अब तक पूरी तरह नहीं समझा था।

मोहित ने गहरी साँस लेते हुए कहा, "हमें यहाँ से बाहर निकलने का कोई तरीका ढूँढना होगा। हम इस कुएँ में ज्यादा देर तक नहीं रह सकते।"

अरुण ने दीवारों का निरीक्षण करना शुरू किया, लेकिन उन्हें ऐसा कुछ भी नहीं मिला जिससे वे ऊपर चढ़ सकें। तभी निधि ने महसूस किया कि गुड़िया का शरीर हल्का-हल्का गर्म हो रहा है। जैसे-जैसे वह इसे पकड़े रही, उसे लगा कि गुड़िया में से कुछ संकेत आ रहे हैं, मानो वह उन्हें कुछ बताने की कोशिश कर रही हो।

"क्या हो रहा है, निधि?" अरुण ने उसकी ओर देखते हुए पूछा।

"यह गुड़िया..." निधि ने जवाब दिया, "यह कुछ कहना चाहती है। मुझे लगता है कि हमें इसका ध्यानपूर्वक निरीक्षण करना होगा।"

निधि ने गुड़िया को अपने चेहरे के पास लाकर ध्यान से देखा। उसने देखा कि गुड़िया के कपड़ों पर कुछ निशान थे, जिन्हें उसने पहले नहीं देखा था। जब उसने उन निशानों को साफ किया, तो उसके सामने एक अजीब सा प्रतीक उभर कर आया। प्रतीक को देखते ही निधि को एक हल्की चक्कर आ गई, और उसे अपने अंदर एक अजीब सी ऊर्जा महसूस होने लगी।

अचानक, कुएँ की दीवारों पर वही प्रतीक चमकने लगे। उस प्रतीक की रोशनी से कुएँ के भीतर का पूरा अंधकार दूर हो गया। रोशनी के कारण कुएँ की दीवारें धीरे-धीरे बदलने लगीं, और उनमें एक रास्ता दिखाई देने लगा। वह रास्ता कुएँ के नीचे की ओर जाता था, जैसे कोई पुराना सुरंग हो। 

अरुण ने कहा, "यह देखो! यह रास्ता हमें कहीं ले जा सकता है।"

मोहित ने सहमति में सिर हिलाया, और तीनों ने उस सुरंग की ओर बढ़ना शुरू किया। सुरंग के अंदर का माहौल बहुत अजीब था। जैसे-जैसे वे आगे बढ़ते गए, हवा में घुली गंध बदलने लगी। वहां घने धुएँ की तरह कुछ भरा हुआ था, जिससे उनकी आँखों में जलन हो रही थी। 

सुरंग के अंत में, उन्हें एक बड़ी गुफा मिली। गुफा के केंद्र में एक प्राचीन वेदी थी, जिसके चारों ओर कई और गुड़ियाएँ रखी हुई थीं। लेकिन ये गुड़ियाएँ टूटी-फूटी और विकृत थीं, मानो किसी ने उनके साथ बहुत क्रूरता की हो। वेदी पर एक बड़ी किताब रखी हुई थी, जिसका कवर खून से सना हुआ था।

निधि ने वेदी की ओर देखा, और गुड़िया ने अचानक जोर से चमकना शुरू कर दिया। वेदी पर रखी किताब अपने आप खुल गई, और उसमें से एक डरावनी आवाज निकलने लगी। आवाज ने कहा, "तुमने मुझे यहाँ तक पहुँचाया, लेकिन अब तुम्हें इस खेल का अंतिम भाग पूरा करना होगा।"

अरुण ने किताब को उठाने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही उसने उसे छुआ, उसका हाथ जल गया। वह चिल्लाया, "यह किताब शापित है! हमें इसे नहीं छूना चाहिए।"

लेकिन निधि के मन में कुछ और ही चल रहा था। उसे महसूस हुआ कि इस गुड़िया में जो शक्ति है, वही इस वेदी का रहस्य खोल सकती है। उसने बिना सोचे-समझे गुड़िया को वेदी पर रख दिया। 

जैसे ही गुड़िया वेदी पर रखी गई, गुफा की दीवारें जोर से हिलने लगीं। जमीन के नीचे से एक भयानक गर्जना सुनाई देने लगी, और गुफा के कोने-कोने से काले धुएँ के बादल उठने लगे। वेदी से एक गहरी लाल रोशनी निकलने लगी, जो सीधे गुड़िया के अंदर चली गई। 

गुफा के चारों ओर की गुड़ियाएँ अचानक जीवित होने लगीं। उनकी आँखों में अजीब सी चमक आ गई, और वे धीरे-धीरे चलने लगीं। तीनों दोस्तों को समझ में नहीं आ रहा था कि वे क्या करें। वे गुड़ियाएँ उनके चारों ओर घेरा बनाकर खड़ी हो गईं, और उनकी आँखों में एक भयानक क्रोध और नफरत झलक रही थी।

तभी, वेदी पर रखी गुड़िया ने अचानक अपनी आँखें खोलीं। उसकी आँखें अब पूरी तरह से लाल हो चुकी थीं, और उसका चेहरा विकृत हो गया था। उसने निधि की ओर देखा और एक शैतानी हंसी के साथ कहा, "तुमने मुझे यहाँ तक पहुँचाया, लेकिन अब तुम खुद को इस शाप से बचा नहीं पाओगी। तुम्हारी आत्मा अब मेरी है।"

गुफा में एक भयानक तूफान शुरू हो गया। हवा इतनी तेज़ थी कि तीनों दोस्त खुद को संभाल नहीं पा रहे थे। गुफा की दीवारें ध्वस्त होने लगीं, और ऊपर से बड़े-बड़े पत्थर गिरने लगे। 

अरुण ने चिल्लाकर कहा, "हमें यहाँ से भागना होगा, नहीं तो हम सब मारे जाएँगे!"

लेकिन मोहित और निधि की हालत खराब हो चुकी थी। गुड़ियों की भयानक शक्ति ने उन्हें पूरी तरह से जकड़ लिया था। वे अब खुद को बचाने की स्थिति में नहीं थे। 

निधि ने आखिरी बार गुड़िया की ओर देखा, और उसे समझ में आ गया कि इस खेल का कोई सुखद अंत नहीं है। उसने गुड़िया को वेदी से उठाने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही उसने उसे छुआ, उसकी आँखों के सामने सब कुछ काला हो गया। 

गुफा पूरी तरह से ढह गई, और उसके अंदर जो कुछ भी था, सब कुछ हमेशा के लिए दफन हो गया। 


अगले बार में कुछ सच्चाई जानते हैं जानते हैं.....
भाग-३: जंगल की अनकही सच्चाई

(अगले भाग में...)