Tilismi Kamal - 21 in Hindi Adventure Stories by Vikrant Kumar books and stories PDF | तिलिस्मी कमल - भाग 21

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तिलिस्मी कमल - भाग 21

इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें .........................🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏



राजकुमार सागरिका के बताए अनुसार जलाशय के पूर्व दिशा की ओर चल पड़ा । डंकिनी जिसका शरीर बिच्छू के आकार का बना हुया था और उसके शरीर मे इतना जहर था कि उसे छूने मात्र से किसी के प्राण निकल सकते थे । 

राजकुमार पूर्व दिशा की ओर बढ़ता चला जा रहा था । तभी राजकुमार को एक जंगल नजर आने लगा । राजकुमार मन मे सोचा शायद यही डंकिनी का  जंगल है जो इस जंगल के बीचों बीच निवास करती है ।

राजकुमार सतर्क हो गया । अपने हाथ मे तलवार लेकर सावधान  की मुद्रा में आगे बढ़ने लगा । राजकुमार जैसे जैसे जंगल के अंदर प्रवेश कर रहा था वैसे वैसे जंगल के अंदर कीड़ो मकोड़ो का शोर बढ़ता जा रहा था ।

तभी राजकुमार को किसी जानवर की दर्द से चीखने की आवाज सुनाई दी । राजकुमार  आवाज की दिशा में बढ़ चला । राजकुमार जब आवाज वाले स्थान पर पहुंचा तो वँहा का दृश्य देखकर दंग रह गया ।

उस जगह में एक हिरन पर सैकड़ो बिच्छू लपटे हुए थे और हिरन का खून चूस रहे थे । हिरन उन बिच्छुओं से बचने के लिए अपने शरीर को इधर उधर पटक रहा था । लेकिन बिच्छू हिरन के शरीर से इस तरह से चिपके हुए थे कि हिरन के लाख कोशिश के बावजूद नही छूट रहे थे । हिरन दर्द से चीख रहा था ।

राजकुमार को हिरन की ऐसी हालत देख कर दया आ गई । राजकुमार अपने जादुई शक्ति से अपने हाथ मे एक मशाल प्रकट की । और हिरन के पास जाकर उसके शरीर के चारो ओर मशाल छुआने लगा ।

आग छूते ही हिरन के शरीर मे लिपटे बिच्छू जल्दी जल्दी हिरन का शरीर छोड़ने लगे । हिरन अपने मददगार को देखकर एक जगह खड़ा हो गया । हिरन के एक जगह खड़े होने से राजकुमार अच्छे से हिरन के शरीर के चारो ओर मशाल घुमाई । 

आग की लपट से बचने के लिए सभी बिच्छू हिरन के शरीर से हटकर एक दिशा की ओर चले गए और सभी बिच्छू एक जगह रूक गए । और तेजी से एक दूसरे से लिपटकर एक बड़ा सा आकर लेने लगे ।

राजकुमार यह सब देख कर आश्चर्य चकित था । इधर सभी बिच्छू एक दूसरे से लिपटकर एक बड़े बिच्छू का आकार ले लिया है । बड़ा बिच्छू राजकुमार को खा जाने वाली नजरो से देखा और गरजते हुए बोला -" तूने विषैला के शिकार को बचा कर अपनी मौत बुला ली है । तू चाहे जो भी हो आज तुझे विषैला के कहर से कोई नही बचा सकता है । आज तेरी मौत पक्की है । "

इतना कहने के बाद विषैला ने राजकुमार की ओर अपने मुँह से एक विषैली जल की बौछार छोड़ दी । राजकुमार अभी भी विस्मित होकर विषैला को देख रहा था । तभी अचानक हिरन तेजी से चिल्लाते हुए राजकुमार से बोला - " उस विषैली जल बौछार से बचो , अगर वह तुम्हारे शरीर से छू गयी तो तुम एक पल में जलकर मर जाओगो। "

हिरन की आवाज से राजकुमार का ध्यान टूटा । तो उसे अपने सामने से अपनी ओर आती हुई जल बौछार दिखाई दी । राजकुमार बिना एक पल की देर किया बिना अपने स्थान से हवा की तरह गायब हो गया । 

विषैली जल बौछार राजकुमार के पीछे खड़े पेड़ पर पड़ी । पेड़ में विषैली जल बौछार पड़ते ही पेड़ तुरन्त जलने लगा और थोड़ी देर में राख हो गया । 

राजकुमार हिरन के पास प्रकट हुया । और पेड़ की हालत देख कर थोड़ा चिंतित हो गया । विषैला अपना वार खाली जाता देखकर गुस्से से और तिलमिला गया । विषैला बिना एक पल की देर किए बिना । एक के बाद एक दसों विषैली जल बौछार राजकुमार और हिरन की ओर छोड़ दी ।

हिरन अपने तरफ इतने सारे विषैली जल बौछारो को आते देख कर घबरा गया और अपने आप को मरा हुया समझ लिया । जहरीली जल बौछारें हिरन और राजकुमार की ओर बढ़ रही थी ।

राजकुमार ने बिना एक पल की देरी किये बिना अपने और हिरन के चारों ओर एक सुरक्षा घेरा बना लिया । जहरीली जल बौछारें सुरक्षा घेरा से टकरा कर इधर उधर बिखर गई ।

विषैला अपना दूसरा वार बेकार जाते देखकर और बौखला गया । वह पागलों की तरह हिरन और राजकुमार पर जहरीली जल बौछारें छोड़ने लगा । सुरक्षा घेरा में होने के कारण हिरन और राजकुमार को जल बौछारों से कोई फर्क नही पड़ा ।

विषैला जहरीली जल बौछारें छोड़ना बंद कर दिया । और अपने शारीरिक शक्ति से सुरक्षा घेरा को तोड़ने के लिए उस पर लगातार अपने हाथों से वार करने लगा ।

विषैला के भारी भरकम वार से सुरक्षा घेरा में दरारें पड़ने लगी । सुरक्षा घेरा को टूटते देख कर राजकुमार हिरन से बोला - " क्या तुम इसको मारने का तरीका जानते हो ? "

हिरन बोला - " तरीका तो नही जानता हूं , लेकिन इतना पता है कोई भी बिच्छू हो उसका सबसे कमजोर अंग उसका डंक होता है अगर तुम उसके डंक को तोड़ दो तो शायद वह लड़ना बन्द करके अपनी हार मान ले ? "

राजकुमार हिरन की बात सुनकर कुछ सोचने लगा । इधर विषैला के भारी भरकम वारो से सुरक्षा घेरा एकदम कमजोर हो गया था । सुरक्षा घेरा बस टूटने वाला ही था उससे पहले ही राजकुमार और हिरन दोनो उस सुरक्षा घेरे से गायब हो गए । इधर विषैला का अगले वॉर ने सुरक्षा घेरे के टुकड़े टुकड़े कर दिए ।

लेकिन विषैला को सुरक्षा घेरे के अंदर कोई नही मिला । विषैला पागलों की तरह दहाड़ने लगा । उधर राजकुमार और हिरन एक पेड़ के नीचे प्रकट हुए । राजकुमार हिरन को वही छोड़कर पुनः गायब हो गया । और विषैला के सामने प्रकट हो गया ।

विषैला अपने सामने राजकुमार को प्रकट होता देखकर गुस्से से दहाड़ते हुए बोला - " अब तू जिंदा नही बचेगा । "

इतना कहने के बाद एक जहरीली जल बौछार राजकुमार की ओर छोड़ दी । राजकुमार जहरीली जल बौछार को अपने तलवार पर रोक ली । और अपने शरीर का आकार विषैला के शरीर के तीन गुना ज्यादा बढ़ा लिया ।

विषैला राजकुमार की यह शक्ति देखकर चौंक गया । विषैला राजकुमार के सामने एक छोटा सा बिच्छू लग रहा था । लेकिन विषैला राजकुमार से डरा नही । वह अगला वॉर करने के लिए अपना मुँह खोला ही था कि राजकुमार ने एक पल की देर किए बिना विषैला के डंक में अपने तलवार से वार कर दिया । 

डंक में तलवार लगते ही  विषैला का डंक उसके शरीर से अलग हो गया । विषैला दर्द से चीखने लगा । पूरे जंगल मे विषैला की चीखें गूँजने लगी । विषैला दर्द से तड़पते हुए जमीन पर उलट पलट कर रहा था ।

राजकुमार  विषैला से बोला - " मुझे तुम्हारे शरीर की बनावट से ये तो समझ मे आ गया है कि तुम डंकिनी के करीबी हो या उससे तुम्हारा कुछ सम्बन्ध है मुझे तुम डंकिनी का पता बता दो मैं तुम्हे जीवित छोड़ दूंगा अगर नही बताया तो मार दूँगा।"

विषैला बोला -" डंकिनी मेरी स्वामिनी है और मैं उनसे ग़द्दारी नही करूँगा चाहे तुम मुझे जान से ही मार दो । मैं तुम्हे उनके बारे में कुछ नही बताऊंगा ।  "

राजकुमार - " मैं उनको कोई नुकसान नही पहुंचाने आया हूं मुझे बस उनसे किसी का पता जानना है पता जानने के बाद मैं उनके पास से वापस चला जाऊंगा । "

विषैला - " तुम्हे कोई भी बात जाननी हो , मैं तुम्हे उनका पता नही बताऊंगा । "

विषैला की अपनी स्वामिनी के प्रति वफादारी देखकर राजकुमार मन ही मन खुश हुया और विषैला से बोला - " तुम्हारी वफादारी देखकर हमे अच्छा लगा । इसलिए हम तुम्हे नही मारेंगें । रही बात डंकिनी का पता जानने का तो वह पता कर ही लेंगे । "

इतना कहने के बाद राजकुमार विषैला को उसका डंक वापस कर दिया । और हिरन की तरफ चल दिया । विषैला घायल होने के कारण राजकुमार के ऊपर फिर से हमला नही किया और उसे जाने दिया ।

इधर राजकुमार हिरन के पास पहुंचा और बोला - " तुम  विषैला के चंगुल में कैसे फस गए  ? "

हिरन राजकुमार से बोला - " मैं तो यँहा पर हरी हरी घास चर रहा था । घास चरते चरते डंकिनी के क्षेत्र में कब पहुंच गया ? मुझे पता ही नही चला और जब पता चला तो मैं वँहा से भागा लेकिन तब तक विषैला ने मुझे पकड़ लिया । तुम्हारी बातें सुनने के बाद मुझे इतना तो पता चल गया है कि तुम डंकिनी के खोज में यँहा पर आए हो । लेकिन तुम कौन हो ? "

राजकुमार अपने बारे में और अपने आने का मकसद सब कुछ बता दिया । राजकुमार की बाते सुनकर हिरन बोला - " तुम बहुत नेकदिल इंसान हो । मुझे डंकिनी का पता मालूम है मैं तुम्हे बता दूँगा । सुनो , डंकिनी इस जंगल के बीचों बीच रहती है । तुम यँहा से सीधे चले जाना तुम्हे एक बड़ा सा बिच्छू के जैसे दिखने वाला पेड़ मिलेगा । उस पेड़ के नीचे एक गुफा है उसी गुफा में डंकिनी का निवास है । "

राजकुमार डंकिनी का पता जानने के बाद हिरन का शुक्रिया किया और उससे विदा लेकर सीधे जंगल मे प्रवेश कर गया । लगभग एक घण्टे चलने के बाद राजकुमार को एक बिच्छू के जैसे दिखने वाला पेड़ नजर आने लगा ।

राजकुमार पेड़ के करीब गया । और पेड़ के नीचे बनी गुफा में प्रवेश कर गया । राजकुमार सावधान की मुद्रा में आगे बढ़ता चला जा रहा था । राजकुमार गुफा के काफी अंदर तक पहुंच गया । राजकुमार आश्चर्य चकित था कि अभी तक उस पर किसी ने हमला नही किया ।

राजकुमार और अंदर गया तो किसी की डांटने की आवाज आ रही थी । राजकुमार आवाज की दिशा में चलने लगा थोड़ी देर बाद राजकुमार एक खुले हुए प्राकृतिक वातवरण में पहुंच गया । 

जँहा पर एक औरत जिसका आधा अंग इंसान का और आधा अंग बिच्छू जैसा था । वह एक दूसरे बिच्छू से गुस्से में  कह रही थी - " किसने तुम्हे घायल किया ? किसकी इतनी हिम्मत पड़ गयी जो मेरे सेवक को घायल कर दिया ? "

राजकुमार उस घायल बिच्छू को देखा तो वह और कोई नही बल्कि विषैला था । जिसको उसी ने घायल किया था । राजकुमार समझ गया यह अर्द्धस्त्री और कोई नही डंकिनी ही है ।

राजकुमार देर किए बिना बोला - " वह शख्स मैं हूँ डंकिनी जिसने तुम्हारे सेवक विषैला को घायल किया है । मुझे तुमसे केवल रक्तिका का पता जानना है मुझे उसका पता बता दो मैं यँहा से तुमको कोई नुकसान पहुंचाए बिना चला जाऊंगा । "

राजकुमार की आवाज सुनकर विषैला और डंकिनी उसकी तरफ पलटे । विषैला राजकुमार को देखकर चौंक गया और डंकिनी से बोला - " स्वामिनी , यही है वो जिसने मुझे घायल किया है । "

डंकिनी राजकुमार की तरफ देखते हुए गुस्से में कहा - " तूने मेरे सेवक को घायल किया । और तो और मेरे पास भी आ गया रक्तिका के बारे में जानने के लिए । तुम यँहा से जिंदा बच कर नही जा पाओगे।"

इतना कहने के बाद डंकिनी ने गुस्से से राजकुमार के ऊपर अपने डंकों से वर्षा कर दी । राजकुमार तुरन्त उस जगह से गायब हो गया और दूसरी जगह प्रकट हो गया । 

डंकिनी का वार खाली चला गया । डंकिनी गुस्से से और तिलमिला गई । डंकिनी ने इस बार राजकुमार की तरफ़ जहरीला धुँआ छोड़ दिया । राजकुमार ने अपने जादुई शक्ति से उस धुएँ को गायब कर दिया । 

अपना दूसरा वॉर भी बेकार जाते देखकर डंकिनी ने अपने जिस्म से छोटे छोटे बिच्छू निकालने लगीं । निकलने वाले सारे बिच्छू राजकुमार की ओर बढ़ने लगे । राजकुमार अपने जादुई शक्ति से उन छोटे छोटे बिच्छूओ पर अग्नि किरण छोड़ने लगा ।

छोटे बिच्छू अग्नि किरण में जलकर मरने लगे । विषैला घायल होने के कारण राजकुमार से नही लड़ सकता था इसलिये वह डंकिनी और राजकुमार की लड़ाई देख रहा था ।

डंकिनी का तीसरा वॉर भी बेकार चला गया । राजकुमार डंकिनी से फिर से बोला - " देखो मैं एक बार फिर से कहता मुझे रक्तिका का पता बता दो मैं यँहा से चला जाऊंगा । अभी तक केवल मैंने अपना बचाव किया है अगर अब भी तुमने मेरा कहना नही माना तो मजबूरन मुझे तुम पर वार करना होगा।"

राजकुमार की बात सुनकर डंकिनी बोली - " मैं हार मानने वाली नही हूँ जब तक तू मेरे वश में नही हो जाता तब तक मैं तुझ पर वार करती रहूंगी । "

इतना कहने के बाद डंकिनी ने फिर से राजकुमार के ऊपर हमला कर दिया । राजकुमार अपने जादुई शक्ति से डंकिनी के हमले को निष्फ़ल कर दिया । राजकुमार समझ गया की अब ये ऐसे नही मानेगी मुझे अपना ही तरीका अपनाना होगा ।

राजकुमार अपने शरीर को अदृश्य रूप में कर लिया । डंकिनी राजकुमार को इधर उधर ढूढ़ने लगी । लेकिन राजकुमार उसे नही दिखाई दिया । डंकिनी पागलों की तरह इधर उधर वार करने लगी । 

राजकुमार अदृश्य रूप में जरूर था लेकिन अगर उसे डंकिनी का कोई भी डंक छू गया तो वह मर जायेगा । राजकुमार देर करना सही नही समझा । राजकुमार अदृश्य रूप में ही हवा में उड़ा और डंकिनी के डंक के नजदीक पहुंच कर अपने तलवार से उसके डंक को काट दिया । डंक कटकर दूर जा गिरा ।

डंक कटते ही डंकिनी दर्द से तड़पने लगी । और अपने डंक को वापस लेने के डंक की ओर बढ़ी । लेकिन राजकुमार ने अपने जादुई शक्ति से हवा में एक जादुई हाथ प्रकट किया और उसी हाथ से डंकिनी के डंक को उठाकर अपने पास ले आया । अपने हाथ से राजकुमार डंक को छू नही सकता था , अगर छूता तो उस डंक के जहर से मर जाता ।

इतना सब करने के बाद राजकुमार डंकिनी के सामने प्रकट हो गया । और डंकिनी से कठोर आवाज में बोला - " बताओ रक्तिका मुझे कंहा मिलेगी ? अगर तुमने अब भी नही बताया तो तुम्हारे डंक को मैं अपनी शक्ति से जला दूँगा । डंक जलते ही तुम मर जाओगी क्योकि मुझे मालूम है तुम्हारी जान इस डंक में है, तो बोलो रक्तिका के बारे में बताओगे या फिर मैं डंक को जला दूँ ? " 

राजकुमार की बात सुनने के बाद डंकिनी बोली - "  नही मेरे डंक को मत जलाओ मैं तुम्हे रक्तिका के बारे में बताती हूँ ।  "

इतना कहने के बाद डंकिनी बोली - " रक्तिका , का भोजन केवल खून है वह हर दिन केवल एक जानवर का खून पीती है । खून पीने के लिए वह प्रत्येक दिन किसी न किसी जानवर को मारती रहती है । उसका निवास काली पहाड़ी है । काली पहाड़ी यँहा से दक्षिण दिशा की ओर दस कोस की दूरी में है । 

इतना कहने के बाद डंकिनी चुप हो गयी और थोड़ी देर में राजकुमार से कहा - " अब तो मैंने तुम्हें रक्तिका के बारे में बता दिया अब तो मुझे मेरा डंक लौटा दो । "

राजकुमार डंकिनी को उसका डंक लौटते हुए बोला - " अगर यह सब पहले बता देते तो तुम्हे इतना न घायल होना पड़ता और न ही मेरा इतना समय बर्बाद होता है । लेकिन डंक वापस पाने के बाद तुमने मुझ पर हमला किया तो मेरा जादुई हाथ तुम्हारे डंक को तुरन्त जला देगा और तुम्हारा कोई भी हमला उस पर असर नही करेगा । "

राजकुमार इतना कहने के बाद अपने जादुई हाथ को वंही पर छोड़ दिया और हवा में उड़ते हुए दक्षिण दिशा की ओर काली पहाड़ी की तरफ चल दिया ।



                            क्रमशः ....................💐💐💐💐💐💐💐


आप सबको यह भाग पढ़कर कैसा लगा यह अपनी समीक्षा देकर जरूर बताये । और अगला भाग जैसे ही प्रकाशित करू उसका नोटिफिकेशन आप तक पहुंच जाए इसलिए मुझे जरूर फॉलो करें ।


विक्रांत कुमार
फतेहपुर उत्तरप्रदेश
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