I can see you - 20 in Hindi Women Focused by Aisha Diwan books and stories PDF | आई कैन सी यू - 20

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आई कैन सी यू - 20

अब तक कहानी में हम ने पढ़ा की दुलाल ने लूसी को अपने बारे में और हमज़ाद के बारे में सब कुछ समझाया। रोवन हॉस्पिटल में बेहोश था और लूसी बेचैनी और बदसुकुनी में वहां से लॉज चली आई। रोवन के जीजा जी और रूमी ने उसे लॉज के गेट तक पहुंचा दिया। तूफानी बारिश हो रही थी। अपने कमरे में जाते ही लूसी ने देखा के वर्षा सिकुड़ कर अपने बिस्तर पर बैठी किसी से फोन पर बातें कर रही है। लूसी को देखते ही उसके पास आई और बेसब्री से पूछने लगी :" तुम मेरा फोन क्यों नही उठा रही थी? मेरी जान हलक पर अटकी हुई है और तुम ने एक मैसेज तक नहीं किया!... डायरेक्टर सर कैसे हैं?... वो ठीक हैं ना लूसी बोलो! मैं घुट घुट कर मर जाऊंगी... बताओ ना!"

लूसी उसकी आंखों में गौर से देख रही थी। लूसी की आंखें किसी खूंखार शिकारी चिड़िया की तरह थी जो वर्षा में अपने शिकार को तलाश कर रही थी। लेकिन वर्षा की परेशानी साफ बता रही थी के अब उस पर वो चुड़ैल हावी नहीं है। 

लूसी ने उसे जवाब दिया :" सर अब ठीक हैं!.... परेशान न हों तुम, इसमें तुम्हारी गलती नहीं है!.... ये बताओ किस से बात कर रही थी? किसी को बता तो नही दिया तुम ने?"

   " मुझे बहुत डर लग रहा था इस लिए यश को कॉल कर के बात कर रही थी! मैं ने उसे कुछ नहीं बताया! किसी को क्या बताऊं जब खुद को ही कुछ समझ नहीं आ रहा है!... बुरा सपना सा लग रहा है बस नींद ही नहीं टूट रही है।"

वर्षा रोते हुए मगर चिढ़ी हुई सी बोली। जैसे इस पहेली से तंग आ गई हो। उसने लूसी के बाजुओं को पकड़ कर मिन्नत कर के कहा :" लूसी तुम्हें कुछ मालूम है इस बारे में, है ना?....क्या बात है प्लीज़ मुझे बताओ! मेरे हाथों आज डायरेक्टर सर की मौत हो जाती अगर ऐसा कुछ फिर से हो गया तो मैं क्या करूंगी!... मुझे बताओ मैं क्या करूं?"

लूसी ने उसे बिस्तर पर बैठाया और नर्मी से कहा :" तुम किसी बद रूह के गिरफ्त में थी और वो रूह मुझे मारना चाहती थी लेकिन रोवन सर हमारे बीच आ गए!.... तुम चिंता मत करो वो तुम्हें कुछ नहीं कहेंगे! उन्हें जो भी कहना होगा वो मुझसे कहेंगे!....बस तुम अपने आप को मज़बूत रखो और हो सके तो दिल ही दिल ईश्वर से प्रार्थना करती रहो इस तरह तुम बुरी शक्ति का शिकार बनने से बच जाओगी!.... मैं कोई और तरीका तलाश करती हूं तुन्हें इन सब चीजों से दूर रखने के लिए!....मुझे माफ करना मेरी वजह से तुम्हें इतनी घुटन महसूस हो रही है।"

वर्षा को पूरी बात समझ नहीं आई लेकिन वो इतना समझ गई थी के कोई अदृश्य शक्ति है जिस से लूसी और रोवन सर जुड़े हैं। ये सब समझने के बाद वो बेहद डर गई। सहमी हुई उठी और कमरे में स्थापित भोले नाथ की छोटी सी मूर्ति के आगे हाथ जोड़कर खड़ी हो गई। आंखे बंद कर के अपनी प्रार्थना में मशगूल हो गई। दहशत से उसका दिल कांप रहा था। ये सब लूसी के लिए इतना खौफनाक नहीं था लेकिन आज इस हादसे से वो भी ख़ामोशी और उदासी में घिर गई थी। 

रात गहरी होती गई और साथ ही बारिश की बौछार भी घनी होती गई। तेज़ हवाएं ज़ोर ज़ोर से पानी के बूंदों को खिड़की पर मारती जिसकी छटाक, छटाक सी आवाज़ सन्नाटे में गूंज रही थी। लूसी और वर्षा अपने अपने बिस्तर पर सिमटी हुई लेटी हुई थी लेकिन आंखों से नींद आंसुओ के साथ बह कर जमींदोज़ हो गई थी। लूसी अपने सिरहाने एक तेज़ धार वाला चाकू रखकर सोई थी। उसे उस चुड़ैल के सामने आने का इंतज़ार था।

जीवन हॉस्पिटल :__

रोवन के कमरे में अब उसकी मां और रूमी थीं। बहन जीजू और रूमी का भाई सब घर चले गए थे। हॉस्पिटल में ज़्यादा लोगों को ठहरने की इजाज़त भी नहीं थी पर इन लोगों ने स्पेशल प्राइवेट कमरा लिया था जो किसी होटल रूम से कम न था। 

दोनों रोवन के आसपास बैठीं उसके होश में आने का इंतज़ार कर रही थी। रात के क़रीब दस बजे उसे होश आया। आंखें खुलते ही उसने दबी दबी आवाज़ में कहा :" रूमी!"
  " जी मामा!"

रूमी जल्दी से बिस्तर के पास उसके सामने आती हुई बोली।

"लूसी चली गई है क्या?.... वो कैसी है?

उसने दबी हुई आवाज़ में धीरे से पूछा।

रूमी ने एक नज़र अपनी नानी पर डाली जिनकी नज़रे पहले से रूमी को हैरानी से देख रही थीं। 
  " जी मामा वो चली गई है दरअसल लॉज की आंटी नाराज़ होती इस लिए उसे जाना पड़ा! आप चिंता मत कीजिए वो बिलकुल ठीक है।"

रूमी ने बताया।

मां ने उसके बालों पर हाथ फेरते हुए प्यार से कहा :" बेटा ये सब कैसे हो गया और वो प्यारी सी लड़की कौन है? बेचारी बहुत घबराई हुई और डरी हुई थी। उसकी आंखों में मैं ने तुम्हारे लिए वो चिंता देखी जो मेरे आंखों में थी। क्या तुम दोनों दोस्त हो?

रोवन ने भारी भारी पलकों से देखते हुए कहा :" नहीं मां!... वो हमारे कॉलेज की एक स्टुडेंट है। हमारे बीच कोई दोस्ती नहीं है।"

रूमी अपने मन के सवालों में उलझ रही थी। उसे समझ आ रहा था के रोवन और लूसी के बीच कुछ तो अजीब है जो ये दोनों सब से छुपा रहें हैं। उसने शक के लहज़े में पूछा :" लेकिन मामा डॉक्टर ने कहा कि आपको चाकू मारा गया था! किस ने चाकू मारा और क्यों? आप तो किसी लड़ाई में नहीं पड़ते!"

   "तुम्हें क्या लगता है मेरे दुश्मन नहीं है! मेरे ऐसे ऐसे दुश्मन है जिन्हें मैं दुश्मन नहीं समझता पर वो मुझे अपना जानी दुश्मन समझते हैं!.... इस बारे में तो पता ही है तुम सब को!"

रोवन ने बड़े सफाई से बात को छुपाते हुए कहा।

मां ने बालाएं लेते हुए कहा :" गर्क हो वो सारे!... तुम आराम करो! डॉक्टर ने बात करने से मना किया है।"

एक बेचैन सी रात गुजरी। आज रविवार की सुबह है इस लिए सारी लड़कियां देर तक सो रही थी। एक दो ही उठ कर इधर उधर टहल रही थी। सब बेफिक्र आराम से सो रहे थे लेकिन लूसी को तो सुबह का ही इंतज़ार था ताकी वो हॉस्पिटल जा कर रोवन से मिल सके, उसने देखा वर्षा देर रात जागने के बाद अब आराम से गहरी नींद सो रही है। दबे पांव जा कर उसने पहले नयाहा और एक सिंपल सा सफेद सूट पहन कर हॉस्पिटल के लिए निकल गई। 
कॉलेज के उस पार तक पैदल चली क्यों के इस पार गाडियां नहीं चलती। वहां से जा कर उसने एक रिक्शा किया और हॉप्सिटल पहुंची। 

(पढ़ते रहें अगला भाग जल्द ही)