Jindagi ke rang hazar -- 12 in Hindi Anything by Kishanlal Sharma books and stories PDF | जिंदगी के रंग हजार - 12

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जिंदगी के रंग हजार - 12

कुछ खट्टी मीठी बाते
"खटाक
कुछ टूटने की जोर से आवाज आयी थी।परेश पलँग पर लेटा हुआ मोबाइल देख रहा था।आवाज सुनकर वह उठते हुए बोला"क्या हुआ
और वह किचन में जा पहुंचा।किचन में उसकी बहन रेखा औऱ पत्नी दीपा काम कर रही थी।परेश की अभी2 महीने पहले ही शादी हुई थी।रेखा रसोई की सफाई कर रही थी और दीपा सिंक में बर्तन धो रही थी।बर्तन धोते समय दीपा के हाथ से कांच के डिनर सेट जी प्लेटे गिर कर टूट गयी थी
"भाभी।भैया बेंगलोर स इसे खरीद कर लाये थे।वह नाराज होंगे
ननद की बाते सुनकर दीपा रुआंसी हो गई थी।मैके मे ससस कोई कुछ नही कहता था।पर यहाँ पति का गुस्सा तेज है वह सु न चुकी थी।परेश रसोई में जा पहुंचा
""आप जो सेट लाये थे भाभी से
"हटो यहाँ से
परेश ने पत्नी को हटाया ऑड सिंक में से कांच के टुकड़े हटाये।फिर पत्नी की तरफ देखकर बोला,"इतना परेशान मत हो ओ ।अरे टूट गया और आ जायेगा
परेश कांच के टुकड़े फेकने के लिए बाहर चला गया।उसके जाने के बाद रेखा बोली,"भाभी जादू कर दिया।तुम्हारी जगह मै होती तो भैया
भैया को गुलाब जामुन दे
रमा ने बेटी सुधा से कहा था।नरेश रसोई में खाना खा रहा था।सुधा ने2 गुलाब जामुन कटोरी में डाले थे।रमा बोली"दो और दे
"नही"नरेश खाना खाते हुए बोला,"सब के हिस्से के दो दो ही लाया हूँ
नरेश खाना खाने के बाद अपनी कटोरी लेकर अपने कमरे में चला गया
"अम्मा एक और
मुन्ना खाना खाने के बाद बोला
इसे एक औऱ दे दे
"रमा ने बेटी से कहा था
अम्मा सबके हिस्से के दो दो है
बच्चा है।दे दे
और माँ के कहने पर सुधा ने मुन्ना को एक और दे दिया
मुन्ना को देख कर टुन्नू भी बोला
एक औऱ
इसे भी दे
नई आयी बहु रसोई में खाना बना रही थी।घर के सदस्य खाना खा रहे थे।औऱ जब माला खाना खाने बैठी तो उसके लिए गुलाब जामुन नही बचे थे।खाना खाने के बाद माला ने रसोई का काम निपटाया और फिर अपने कमरे में चली गयी थी।नरेश लेटा हुआ मोबाइल देख रहा था।माला पलँग पर जाकर बैठ गई।नरेश मोबाइल रखते हुए बोला
गुलाब हलवाई कि सबसे पुरानी दुकान है।उसके यहाँ के गुलाब जामुन बहुत मशहूर है
माला पति की बात सुनकर कुछ नही बोली थी
आज में पुराने बाजार की तरफ गया था तो गुलाब जामुन ले आया"नरेश बोला,"कैसे थे
"अच्छे ही होंगे
"होगें या थे
पति कि बात सुनकर माला कुछ नही बोली।तब नरेश बोला"इसका मतलब तुंमने खाये नही
"बचे नही थे
"लो खाओ
नरेश ने कटोरी निकाली थी
"अरे आपने खाये नही
"मुझे मेरी माँ कि आदत मालूम है।मै जानता था तुम्हे नही मिलेंगे
औऱ माला पति की तरफ देखकर मुस्कराई थी
और माँ ने पूरे परिवार की मीटिंग बुलेज थी।रमेश की नई शादी हुई थी।माँ शादी के बाद परिवार की समस्या पर सभी से बात करना चाहती थी।माँ के कमरे में एक एक करके सभी पहुंच चुके थे।रमेश के पहुंचते ही माँ बोली
सब आ गए।बात शुरू करे
अभी सब कहाँ आये हैं?
रमेश बोला था
को न रह गया
माँ बोली थी
राधा
राधा।तेरी बहु?माँ बोली थी
हां
बेटा राधा पराई है।घर की बाते परायों के सामने नही की जाती है
माँ बहु कभी पराई नही होती।बेटी पराई होती है
रमेश बहन की तरफ देखते हुए बोला था
बेटे की बात सुनकर मा चुप रह गयी