Tamas Jyoti - 33 in Hindi Classic Stories by Dr. Pruthvi Gohel books and stories PDF | तमस ज्योति - 33

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तमस ज्योति - 33

प्रकरण - ३३

मैं और रईश दोनों अपने घर के मैदान में बैठे बैठे बातें कर रहे थे। मैंने रईश से यूँ ही पूछ लिया, "भाई! तुम्हारा रिसर्च कैसा चल रहा है?"

रईशने मेरे इस सवाल का जो जवाब दिया उसे सुन कर मैं हैरान रह गया। लेकिन मुझे ये जवाब सुनकर ख़ुशी भी हुई। उसने मुझसे कहा, "कॉर्निया प्रत्यारोपण के लिए मेरा प्राणियों पर जो रिसर्च चल रहा था वह अब सफल हो गया है। हमने कृत्रिम कॉर्निया को जानवरों की आंखों में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया है। और खुशी की बात यह है कि इस कृत्रिम प्रत्यारोपण के कारण अस्वीकृति का कोई डर नहीं है। हर एक जानवर बहुत ही अच्छे से रिस्पांस दे रहा है। अब जल्द ही हमने अब तक जो भी रिसर्च किया है उसका एक पेपर भी प्रकाशित होनेवाला है और हम अपने काम का पेटेंट भी कराने जा रहे हैं। तुम विज्ञान के विद्यार्थी हो इसलिए तुम अच्छी तरह से जानते हो की रिसर्च कितना कठिन होता है! इसमें कई सालो की मेहनत और बहुत सारा समय लगता है। कई दिन और कई रातो का परिश्रम होता है।”

रईश की यह बात सुनकर मैंने मन में आशा लेकर कहा, "हां भाई! मैं जानता हूं कि यह काम कितना कठिन है। तो अब आगे क्या करोगे तुम लोग? मानव आंखों पर जिस रिसर्च के बारे में तुम बात कर रहे थे वह अब कब संभव होगा?" 

रईश बोला, "अब बस उसी बात पर आ रहा हूँ। तुम्हारे लिए तो एक बहुत अच्छी खबर है रोशन! हम निकट के भविष्य में ही मानव की आंखों पर रिसर्च करने के लिए एक बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रहे है। अभी इस प्रोजेक्ट को शुरू करने का काम जारी है। फिल्हाल हम जिस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं वह एक बहुत बड़ा प्रॉजेक्ट है। जिसके लिए काफी सारे श्रम और काफी सारे धन की जरूरत होगी। और उसके लिए अमेरिका में एक बहुत बड़ा विजन आई रिसर्च इंस्टीट्यूट है, जिससे इस संबंध में हमारी बातचीत भी चल रही है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही ये प्रोजेक्ट शुरू हो जाएगा। इसमें हम अलग-अलग देशों के वैज्ञानिक मिलकर काम करनेवाले हैं। और इस पूरे प्रोजेक्ट का दायरा अमेरिका होगा। अब भविष्य में जो भी रिसर्च होगा वह सब अमेरिका में ही होगा। यह अमेरिकी संस्था विज़न आई रिसर्च इंस्टीट्यूट हमें स्पॉन्सर करेगी, इसलिए रिसर्च की सारी जिम्मेदारी यही संस्था उठाएगी।"

मैंने कहा, "यह तो बहुत ही अच्छा समाचार है रईश! मुझे आशा है कि आप सभी अपने रिसर्च में सफल होंगे और जल्द ही मेरे और मेरे जैसे कई अन्य लोगों के जीवन में रोशनी लाएंगे जो अभी तक अंधेरे में ही जी रहे हैं। लेकिन अगर ये सब ठीक रहा तो क्या तुम्हें अमेरिका जाना पड़ेगा?”

रईश बोला, "हाँ, हाँ रोशन। तुमने सही समझा। मुझे अमेरिका जाना पड़ेगा। हमारा नेत्रदीप आई रिसर्च सेंटर, जहां मैं काम करता हूं, उसका अमेरिका के विजन रिसर्च आई इंस्टीट्यूट के साथ सहयोग है, इसलिए उनके वैज्ञानिक कभी-कभी हमारे रिसर्च सेंटर में आते हैं और कभी-कभी हमें भी वहां जाकर काम करने का मौका मिलता है। इसी प्रकार अन्य देशों के रिसर्च इंस्टीट्यूट भी इनके साथ सहयोग करते हैं।

जानवरों पर रिसर्च करना तो आसान है लेकिन इंसानों पर शोध करना बहुत कठिन है। लंबे समय से, हमारे पास इस परियोजना को लागू करने के लिए कई देशों के वैज्ञानिक काम कर रहे थे। अब हमारी मेहनत जल्द ही रंग लाएगी। और रोशन! क्या तुम्हे पता है इससे भी ज्यादा खुशी की बात क्या है? वो यह है कि भारत से अमेरिका जाने के लिए एक वैज्ञानिक के तौर पर मेरा नाम सुझाया गया है। क्योंकि, जैसा कि मैंने तुम्हे पहले बताया की यह पूरा रिसर्च प्रोजेक्ट अमेरिका में ही होनेवाला है।

अगर यह प्रोजेक्ट अच्छी तरह से पूरा हो गया तो न केवल तुमको फायदा होगा बल्कि कई अन्य लोगों को भी इस रिसर्च से बहुत फायदा होगा। जिन्हें यह आंखों की बीमारी है उन सभी के लिए ये एक लाभदायी कार्य होगा।

रईश की यह बात सुनकर मैंने उससे कहा, "वाह! रईश! यह तो बहुत अच्छी खबर है। यह खबर सुनकर मेरा दिल खुश हो गया। तो क्या तुम्हारे इस रिसर्च से मुझे भी फायदा होगा? क्या मैं भी दोबारा देख पाऊँगा? क्या मेरी आँखों की रोशनी भी वापस आ जायेगी? क्या मैं फिर से पहले की तरह ही सामान्य जीवन जी पाऊँगा?" मैंने रईश को एक साथ इतने सारे सवाल पूछ लिए की मानो जैसे उसका रिसर्च आज ही हो जाने वाला हो!

मुझे अचानक इस तरह सवाल पूछते देख रईशने मुझे शांत करते हुए कहा, "भाई! रोशन! सबसे पहले तो शांत हो जाओ। रिसर्च इतना आसान नहीं है। इसमें समय लगता है। तुम्हे बहुत धैर्य रखना पड़ेगा। लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि मैं एक दिन तुम्हारे जीवन को जरूर ज्योति से प्रकाशित कर दूंगा।

मैंने कहा, "लेकिन आज तुमने अचानक मुझे इतनी अच्छी ख़बर दी कि मैं बहुत खुश हो गया। मैं अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख सका और जोश में आ गया।"

रईश और मैं बात कर ही रहे थे कि फातिमा हमारे पास आई और बोली, "चलो! अब सभी को घर में प्रवेश करने की अनुमति है। अब नीलिमा की गोदभराई की सभी रस्में पूरी हो चुकी हैं।" 

मैंने कहा, "हाँ। हाँ। चलो! अब हम अंदर चलते है। बहुत भूख भी लग रही है। खाना तैयार है न?"

फातिमाने कहा, "हां हां। बिल्कुल तैयार है।’’ इतना कहकर वह अंदर चली गई। हम सभी पुरुषों को घर में प्रवेश मिल गया तो हम सभी घर के अंदर चले गए और सभी खाने पर टूट पड़े क्योंकि हम सभी को बहुत भूख लगी थी।

भोजन ख़त्म होने के बाद जब सभी मेहमान चले गए तो हमारे घर में केवल पाँच सदस्य बचे थे। मैं, मेरे मम्मी पापा, रईश, दर्शिनी और फातिमा। नीलिमाने यहां काम पर आने से पहले ही छह महीने की मेटरनिटी लीव ले ली थी, इसलिए नीलिमा अब गोदभराई के बाद अपनी मम्मी के साथ प्रसव के लिए अपने मायके जा रही थी। क्योंकि पहली डिलीवरी मायके में करने की प्रथा है इसलिए नीलिमा उसकी मम्मी के साथ अपने मायके जानेवाली थी। वो अब रइश से अलग होनेवाली थी इसलिए नीलिमा थोड़ी भावुक हो गई थी। लेकिन फातिमाने उसे संभाल लिया।

नीलिमा के जाने के बाद सब लोग अपने-अपने काम में व्यस्त हो गये। अब मैं और फातिमा अकेले थे। यही सही मौका देखकर फातिमाने मुझसे कहा, "रोशन! बहुत दिनों से मेरे मन में एक बात है जो मैं तुम्हें बताना चाहती थी, लेकिन अभी तक मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी। आज मैं हिम्मत करके तुम्हें यह बात बता रही हूं।" 

उसके बाद फातिमाने मुझे जो बताया उसे सुनकर तो मैं तो एकदम दंग ही रह गया।

(क्रमश:)