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मन बहुत विचलित था मनु का, उसने ऑफ़िस जाकर सबसे पहले अनिकेत से सब बातें खुलकर बता दीं| वह भी तो अब परिवार का सदस्य ही तो था| अनिकेत ने कहा;
“दादा!सब आपकी परिस्थिति समझते हैं| आप वही करें जो डैडी चाहते हैं| ”अनिकेत ने बहुत स्पष्ट रूप से कहा| अनन्या भी इस समय वहाँ उपस्थित थी , उसकी समझ में भी कुछ नहीं आ रहा था| वह हाँ, न के हिंडोले में झूल रही थी| उसकी माँ भी उससे हर दिन इस विषय पर बात करती रहती थीं| वह उनको भी कोई उत्तर नहीं दे पाती थी| हाँ, बच्चे को जन्म देना और उसका लालन-पालन करने का उसका पक्का इरादा था जो उसने अपनी मम्मी से पहले ही कह दिया था| इस बात पर भी उन दोनों में काफ़ी बहस हो चुकी थी| अब वे थककर चुप हो गईं थीं|
“अनन्या जी, आप जल्दी ही डिसीज़न लीजिए, आई डोन्ट थिंक ही हैज़ मच टाइम---” अनिकेत के स्वर में चिंता की झलक थी|
“ऐसा क्यों कह रहे हो अनिकेत---?”मनु हड़बड़ाकर बोला|
“दादा!जीवन में कई बार ऐसी परिस्थितियों को भी झेलना पड़ता है जिनके बारे में हमने कभी सोचा भी नहीं होता—डैडी के एक फ्रैंड थे जो पहले तो बुलकुल ठीक थे, एकदम नॉर्मल, बाद में उन्हें यही बीमारी डाइगनोज़ हुई और---”अनिकेत कहते-कहते चुप हो गया|
“मैंने आशी को सारी बात खुलकर बता दी थी, उस पर तो कोई असर पड़ा नहीं, मुझे नहीं लगता कि वह अपना प्रॉजेक्ट पूरा किए बिना आएगी| उसके लिए पिता से ज़्यादा इंपोर्टेन्ट उसका प्रॉजेक्ट है| ” मनु बहुत दुखी व टूटा हुआ महसूस कर रहा था लेकिन उसे टूटना नहीं था, वही टूट गया तो कौन सब कुछ संभालेगा?
अनिकेत ने सुझाया कि आशिमा को लेकर अनन्या की मम्मी से मिलने जाना चाहिए| अनन्या घर जा चुकी थी| अब उसका छटा माह शुरू हो गया था और वह अब ऑफ़िस नहीं आना चाहती थी| उसके जाने के बाद ही मनु और अनिकेत ने प्रोग्राम बनाया कि अनन्या के घर आज ही चलते हैं| इसके लिए अनन्या को बताने की ज़रूरत महसूस नहीं की गई और वे दोनों आशिमा को लेकर अनन्या के घर पहुँच गए|
अनन्या की मम्मी ने उनका स्वागत बड़े बुझे हुए मन से किया| मनु ने दीना जी से हुई सारी चर्चा के बारे में उन्हें विस्तार से बताया और फिर चुप हो गया| उनको बताते हुए वह असहज भी हो रहा था| आखिर लड़की की माँ के सामने अपने और उनकी लड़की के संबंधों की बात कैसे करे?उसे उनको बताते हुए झिझक आ रही थी| शर्म से उसकी आँखें भी झुकी हुईं थीं | जो और जैसा होना था हो चुका था , अब कुछ और उपाय नहीं था, यह शादीशुदा होने का टैग उसको भीतर से कौंचता था जिसका उसकी ज़िंदगी में कोई अर्थ ही नहीं था|
"आँटी !जल्दी डिसीज़न लेना होगा—नहीं तो देर हो जाएगी---” अनिकेत ने अनन्या की मम्मी को समझाने की कोशिश करते हुए कहा|
“देर तो हो ही गई है, कब से कहती रही कि बच्चे को मत रख, जो भी हो गया, हो गया लेकिन इसने मेरी बात कहाँ मानी| इसे बच्चे को जन्म देकर उसे पालना है| तुम लोग ही बताओ मुझे चिंता होगी कि नहीं?हमारा समाज तुम लोगों जैसा ऊँचा नहीं है, हम बड़े लोग नहीं हैं, हमें तो कोई कुछ भी कह सकता है| तुम्हारे खानदान के ऊपर कोई ऊँगली नहीं उठाएगा पर हमारे----"अनन्या की मम्मी बहुत रुआसीं थीं जो स्वाभाविक था|
"आँटी!इसीलिए तो दीना अंकल अनन्या को घर रहने के लिए कह रहे हैं| "आशिमा ने उन्हें समझाने की कोशिश की|
"पर---किस रिश्ते से बुला रहे हैं वो---?"अनन्या की माँ ने कुछ ज़ोर देकर पूछा|
"आँटी, रिश्ता तो उनके लिए बहू-बेटी का ही रहेगा न ! वे ऐसे ही नहीं बुला रहे हैं, उनके मन में प्लानिंग है, आप इस बात पर विश्वास करें कि वे या हमारा परिवार अनन्या या आप पर कोई आक्षेप नहीं आने देगा| "आशिमा ने भी उन्हें समझाने की कोशिश की|
"मेरी समझ में यह नहीं आता कि वे क्या कर सकते हैं?क्या अपनी बेटी को वे अनन्या के लिए तलाक दिलवा सकते हैं?"उन्होंने पूछा|
"जी, आँटी, बिलकुल दिलवा सकते हैं---वो तो आशी दीदी यहाँ हैं नहीं वर्ना कब का यह काम हो जाता| आप ही बताइए, जब कोई रिश्ता ही न हो तो उसके लिए कोई डिसीज़न तो लेना पड़ेगा न?"आशिमा ने कहा|
मनु आँखें नीची किए बिलकुल चुपचाप बैठा था| क्या बोले वह?इस संबंध को बनाने में दोनों की रजामंदी थी| दोनों का बरसों पूर्व का आकर्षण था और अब अनन्या को उसके और आशी के बारे में सब कुछ पता था, पता भी क्या था, उसके सामने ही तो सब कुछ हुआ था| वह भी मनु की स्थिति से उतनी ही दुखी थी जितना वह स्वयं---ऐसी संवेदना में संबंधों का बन जाना कोई आश्चर्य की बात नहीं थी|
"आपका सोचना बिलकुल सही है आँटी, जब हम समाज में रहते हैं तब समाज के अनुकूल चलना भी हमारा कर्तव्य है| डैडी भी इस रिश्ते को सामाजिक मुहर लगाकर ही पक्का करना चाहते हैं| बस, आशी आ जाएं, इतनी देर है लेकिन तब तक डैडी अनन्या जी को परिवार के सदस्य की हैसियत से रखकर उनकी देखभाल करना चाहते हैं| "अनिकेत ने कहा|
"दीना अंकल खुद भी आपसे मिलना चाहते थे, आना भी चाहते थे लेकिन उनकी हैल्थ उन्हें इजाज़त नहीं देती| "आशिमा ने कहा|
"अगर आपको कोई एतराज़ न हो तो आप ही चलिए, अनन्या को छोड़ भी आइए और अंकल को मिल भी लीजिए | "आशिमा ने फिर उनसे रिक्वेस्ट की|