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मनु ने दीना अंकल के कमरे में झाँककर देखा। वे गहरी नींद सो गए थे| माधो उनके पास ही कुर्सी पर बैठा था, रेशमा पलंग के एक कोने में सिमटी सी बैठी थी| मनु ने रेशमा को उसके कमरे में जाने का इशारा किया और खुद अपने कमरे में आकर आशी को फ़ोन करने लगा|
“मनु हीयर---”
“हाँ, क्या बात है मनु, सोए नहीं?”आशी थी|
“आशी, अंकल की तबियत ठीक नहीं रहती, तुम्हें उनके पास होना चाहिए---”मनु ने कहा|
“क्या अपना प्रॉजेक्ट बीच में छोड़कर आ जाऊँ?मुझे कम से कम तीन/चार महीने तो और लगेंगे ही--”उसने रुडली कहा|
“मैंने अंकल की तबियत तुम्हें बताना ठीक समझा, अब जैसा तुम्हें ठीक लगे| ” मनु ने उदासी से कहा| इस लड़की को कोई नहीं समझा सकता| वह और भी उदास हो उठा| डॉक्टर साहब ने पहले भी बड़े खुलकर बताया था और आज भी यही बोले कि यह सीजोफ़्रेनिया का केस है| दीना जी का दिमाग वही सोचता रहता है जो वे अपने पास देखना चाहते हैं| इसका कोई ऐसा इलाज़ भी नहीं है| बस, इनको खुश रखने की जरूरत है|
मनु की ज़िम्मेदारी और भी बढ़ गई थी| वह अपने सभी कर्तव्यों को पूरा करना चाहता था| सच बात तो यह थी कि अपने ऊपर पूरा बोझ लिए वह मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर होता जा रहा था| न जाने कितने कष्टों से गुज़र रहा था वह और भीतर से गिल्ट भी महसूस करता था|
मनु को उस रात उनके कमरे में पड़ी आराम कुर्सी पर बैठे बैठे ही झपकी लग गई, माधो नीचे कालीन पर सोया हुआ था| सुबह जल्दी ही मनु की आँखें खुल गईं, रात को लगभग तीन के बाद डॉक्टर शर्मा गए थे| दीना इंजेक्शन के प्रभाव से सो चुके थे, ये दोनों भी न जाने कब निद्रा के आगोश में पहुँच गए| जब मनु की आँखें खुलीं, दीना अंकल अब भी सोए हुए थे| वह चुपचाप अपने कमरे में फ़्रेश होने आ गया| जब वापिस उनके कमरे में गए तब माधो जाग गया था और दीना अंकल भी करवटें बदल रहे थे|
मनु को देखते ही उन्होंने ‘गुड मॉर्निंग’ कहा और उठकर बैठ गए| वे बिलकुल सामान्य लग रहे थे|
“माधो ! आज चाय नहीं पिलाएगा?”उन्होंने पूछा|
“जी, बस अभी लाया , आपको ब्रश करवा दूँ---”
“क्यों, तू क्यों करवाएगा ब्रश?मैं करके आता हूँ न !”वे उठने को हुए लेकिन अभी उनमें नींद की खुमारी बाकी थी, यह इंजेक्शन का असर था|
“और यहाँ नीचे क्यों सोया है?मनु तुम भी इतनी सवेरे मेरे कमरे में----”उन्होंने अपने सिर पर हाथ रखा, उनका माथा घूम रहा था|
“कुछ नहीं डैडी, आपने शायद कोई सपना देख लिया था, थोड़े परेशान से हो गए थे आप, इसीलिए हम यहीं आ गए थे---”
“अच्छा ! ”उनसे उठा नहीं गया और वे फिर से लेट गए, उनकी आँखें बंद हो गईं थीं| उन्हें शायद फिर से नींद का झटोका आ गया था| उनके सामने गडमड करती खूब सारी गुड़ियाँ नाचने-कूदने लगीं| फिर उनके सामने से एक-एक करके दूर जाने लगीं| रह गईं दो गुड़ियाँ और एक गुड्डा ! एक गुड़िया ने दूसरी गुड़िया को धक्का दिया और गुड्डे से चिपटकर रोने लगी|
दीना फिर से उठकर बैठ गए और पसीने से भरे हुए माथे पर अपना काँपता हाथ फिराने लगे, ’क्या मतलब है इस सबका?’उन्होंने मन ही मन सोचा| अब तक माधो कमरे में से निकलकर चाय लेने जा चुका था| मनु उनके चेहरे के भावों को पढ़ रहा था| ’ओह!कल रात भी ऐसा ही कुछ हुआ था, वे चीख मारकर बैठ गए थे, फिर हाँ---डॉक्टर शर्मा भी आए थे—‘ उन्हें रात की बातें याद आने लगीं|
‘ओह! इसीलिए ये दोनों मेरे कमरे में हैं’उनके सामने जैसे कोई परछाई सी तैरने लगी|
“अंकल ! ठीक हैं न ?’मनु उनके हाव-भाव देख रहा था|
“हाँ-कुछ कहना चाहता हूँ---”उन्होंने बैठकर कहा| उन्हें उठते हुए देखकर मनु ने उन्हें सहारा दे दिया था|
“बोलिए अंकल----”मनु उनके पास बैठ गया|
दीना उसे अपना सपना सुनाने लगे---
“आपको सब कुछ याद आ गया अंकल?”
“नहीं, अंकल मत कहो, डैडी कहते हो फिर अंकल पर आ जाते हो !”उनके चेहरे पर फीकी सी हँसी पसर गई|
“जी----” मनु ने सिर झुकाकर कहा|
“हाँ, मुझे सब याद आ गया---तुमसे एक बात कहना चाहता हूँ, पहले भी कहा तो है लेकिन अब अधिक समय नहीं है| ऑफ़िस और घर तो संभल ही रहा है, मेरी तरफ़ से अनन्या से प्रार्थना करो कि वह यहाँ आ जाए। मुझे उसकी बहुत ज़रूरत है| ”उनका स्वर कितना निरीह लग रहा था!मनु की आँखों में आँसु आ गए| क्या करे वह भी!
“मैंने बहुत कोशिश की है पर----”मनु हिचकिचा रहा था|
“तुम मेरा नाम लेना, मेरी तरफ़ से रिक्वेस्ट करना| मैं जब तक तुम लोगों को साथ में हँसते, खेलते नहीं देखूँगा, मुझे चैन नहीं मिलेगा| ”मनु दीना जी के टूटे हुए स्वरों से जैसे काँप गया|
“मैं पूरी कोशिश करूँगा---आप चिंता न करें प्लीज़---”उसने उनके हाथ पकड़कर अपने सिर पर लगा लिए| आखिर इन्होंने पूरे परिवार के लिए क्या नहीं किया?मनु के मन में न जाने कितने सवाल उभरते रहते थे| कैसे वह आशी के साथ शादी के लिए मना कर पाता, दीना जी के मन में एक आस का बीज तो था ही, अगर भाग्य में होता तो शायद सब ठीक भी हो जाता|
दीना ने उसके सिर को प्यार से सहला दिया| मनु को ऑफ़िस जाना था, वह उनसे कहकर तैयार होने चला गया|