Tamas Jyoti - 3 in Hindi Classic Stories by Dr. Pruthvi Gohel books and stories PDF | तमस ज्योति - 3

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तमस ज्योति - 3

प्रकरण - ३

अमिता बोली, "तो आओ दोस्तों! मैं अमिता फिर से आ गई हूं इस शो की होस्ट और मेरे साथ हमारे स्टूडियो में मौजूद है प्रसिद्ध संगीतकार रोशन कुमार जी।" 

ब्रेक में जाने से पहले, हमने रोशनकुमार के भाई की बचपन की घटनाओं के बारे में जाना और अब हम उसकी बहन दर्शिनी के बारे में भी जानते हैं, जिसे उसके माता-पिता ने गोद लिया था। तो आइए जानते हैं कि दर्शिनीने रोशनजी के घर में कैसे प्रवेश किया? जानेंगे ये कहानी हम उन्हीं की जुबानी।

अमिता रोशन की और देखकर फिर बोली, "तो रोशनजी! अब आप हमें ये बताइए, दर्शिनी आपके घर में कैसे आई और कैसे वह आज आपके परिवार की सदस्य बन गई? उसके आपके घर में आने के बाद शुरुआत में आप दोनों भाइयों का उसके प्रति व्यवहार कैसा था? घर में एक नई सदस्य के आने की वजह से आप सभी के जीवन में क्या बदलाव आया?"

रोशनने उत्तर दिया, "अमिताजी! इसका जवाब तो बहुत लंबा है, लेकिन लंबा जवाब होते हुए भी मैं इसका जवाब जरूर दूंगा। क्योंकि, ये बात ही ऐसी है। मैं मानता हूं कि, मुझे इस बात का जवाब लोगों को जरूर देना चाहिए क्योंकि मेरी ये बात शायद किसी परिवार को प्रेरणा भी दे सकती है। अगर ये बात सुनकर कोई परिवार बेटी गोद लेने का फैसला करता है तो मैं समझूंगा कि मेरा ये कहना सार्थक है। और शायद किसी एक लड़की को तो कम से कम बेहतर जीवन मिले।"

अमिता बोली, "जी! बिलकुल रोशनजी! शायद आप सही कह रहे है। एक लड़की को अच्छा जीवन मिले, इससे अधिक विशेष बात क्या हो सकती है? और हमें और हमारे प्यारे दर्शकों को ये जानकर बहुत खुशी हुई होगी कि आपके इतने ऊंचे खयाल है। चलिए अब बात करते है दर्शिनी के बारे में। ये बताईए वह आपकी जिंदगी में कैसे आई और उसके आपकी जिंदगी में आने के बाद आपकी जिंदगी में क्या बदलाव आए?”

रोशनने कहा, "यू तो जब भी घर में कोई नया किरदार आता है तो घर के हर सदस्य की जिंदगी में कई न कई बदलाव तो आते ही है। घर की व्यवस्था भी कुछ हद तक बदल ही जाती है। इसी तरह दर्शिनी के आने से हमारी जिंदगी में भी कई सारे बदलाव आए। लेकिन मैं उस बदलाव के बारे में बाद में बात करूंगा। उससे पहले मैं दर्शिनी के हमारे घर में प्रवेश के बारे में बात करता हूं।

दर्शिनी जब हमारे जीवन में आई तब मैं लगभग सात साल का था और मेरा बड़ा भाई रईश नौ साल का था। दर्शिनी हमें कैसे मिली इसकी कहानी भी बहुत दिलचस्प है। तो चलिए मैं आपको अपनी बहन की यह रोमांचक कहानी विस्तार से बताता हूँ।

रोशन फिर बोला, "एक वक्त की बात है। जब मेरी माँ और पिताजी दोनों एक स्टेज शो खत्म करके घर वापस लौट रहे थे, तभी उन्हें सड़क पर एक औरत मिली, जिसकी गोद में एक छोटी सी बच्ची थी, जो करीब छह माह की उम्र की लग रही थी। उस औरतने बच्ची को मेरी माँ के हाथ में देते हुए कहा, "बहन! क्या तुम मेरी इस बेटी को कुछ देर के लिए अपने पास रखोगी? मैं अभी आ रही हूँ।" इतना कहने के बाद उसने उस छोटी बच्ची को मेरी माँ की गोद में छोड़ दिया और वो वहा से चलती बनी।

इससे पहले कि मेरी मां उसे हां या ना में जवाब दे पाती, वह महिला वहां से पलभर में ही गायब हो गई। मेरी माँ और पिताजी बहुत देर तक उस औरत के वापस आने का इंतज़ार करते रहे लेकिन वो वापस नहीं आई। वो अपनी बच्ची को मेरे माता-पिता के भरोसे ही छोड़कर चली गई थी। इस प्रकार जब एक अनजान बच्ची मेरे माता-पिता के हाथ आ गयी तो वे लोग भी मानो एकदम डर से गये। कुछ देर तक उन्हें समझ नहीं आया कि क्या किया जाए? इसलिए कुछ सोच विचार करके फिर उन दोनोंने लड़की को पुलिस स्टेशन ले जाने का फैसला किया।

वे दोनों लोग उस बच्ची को लेकर नजदीकी पुलिस स्टेशन में ले गए और जो कुछ भी उनके साथ हुआ था, वो सब पुलिस को विस्तार से बताया। पुलिसने उसकी कहानी सुनी और कहा कि, "हम इस लड़की के माता-पिता को ढूंढने की पूरी कोशिश करेंगे, लेकिन जब तक इसके असली माता-पिता नहीं मिल जाते, क्या आप लोग इस लड़की की जिम्मेदारी लेना चाहते है? यदि आप लोग इस बच्ची की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हैं तो हम एक कानूनी दस्तावेज तैयार कर सकते हैं कि इस बच्ची को आप दोनों ने गोद लिया है और इस बच्ची के नाम के पीछे आप अपना नाम लगा दें। आप लोग शांति से इस बारे में सोचे लीजिए और फिर जवाब देना। अगर आप लोग मना करोगे तो इस लड़की को तब तक अनाथालय में रहना पड़ेगा जब तक की इसके असली माता-पिता नहीं मिल जाते।”

पुलिस की यह बात सुनकर मेरे माता-पिता ने सोचा कि, अगर हमने इस लड़की को नहीं अपनाया तो यह लड़की अनाथालय में बड़ी होगी। इतनी छोटी बच्ची अगर अनाथाश्रम में पले बढ़े इससे अच्छा तो यही है न कि वो हमारे साथ रहे। वैसे भी हमारे जीवन में लक्ष्मी की कमी तो है ही इसलिए यदि हम इस बच्ची को गोद ले लेते है तो हमारे जीवन में लक्ष्मी की कमी भी नहीं रहेगी और इस बच्ची को भी अनाथालय से तो बेहतर ही जीवन मिलेगा। ये भी तो हो सकता है न कि इस लड़की के साथ हमारे पिछले जन्मों का कोई रिश्ता जुड़ा हो! क्या पता? ऐसा सोचकर वे दोनों उस बच्ची को अपनाने के लिए तैयार हो गये।

मेरे माता-पिताने जब पुलिस को ये बताया कि, वे इस लड़की को गोद लेने के लिए तैयार हैं तो फिर पुलिसवालों ने जो भी जरूरी था वो सभी कानूनी दस्तावेज तैयार किये गये। जिसमें लड़की की कस्टडी मेरे माता-पिता को सौंप दी गयी। कानूनी दस्तावेज में ये भी लिखा गया था कि यदि भविष्य में उसके जैविक माता-पिता यह दावा करते हैं कि ये लड़की उनकी है तो जब तक वह लड़की अठारह साल की नही हो जाती तब तक वो मेरे माता-पिता यानी अपने पालक माता-पिता के साथ ही रहेगी। अठारह साल के बाद वो लड़की अपना निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होगी। मेरे माता-पिताने ये शर्त स्वीकार कर ली और इस तरह दर्शिनी हमारे जीवन में आई।"

अमिता बोली, "वाह रोशनजी! ये तो आपने बहुत ही प्रेरणात्मक बात कही है। आपके माता-पिता ने इस लड़की को गोद लेने का फैसला करके बहुत ही नेक काम किया है। हमें आपके माता-पिता पर बहुत ही गर्व है। आज जब माता-पिता अपने बच्चों को भी नहीं संभाल पाते है तब आपके माता-पिता ने अपने दो-दो बच्चे होते हुए भी किसी और के बच्चे को अपनाकर उसकी जिंदगी सवारने का फैसला किया इससे अच्छी और क्या बात हो सकती है? मैं आपके माता पिता के इस कार्य के लिए शत शत नमन करती हूं।"

रोशनने भी अपने मातापिता पर गर्व महसूस करते हुए कहा, "बिलकुल अमिताजी! मुझे भी अपने माता-पिता पर बहुत ही गर्व है।"

ये सुनकर अमिता भी बोली, "बिल्कुल रोशनजी! ऐसा होना ही चाहिए ये बात तो मैं भी मानती हूं। अब हम ये तो जान ही चूके है कि, दर्शिनी आपकी जिंदगी में कैसे आई? लेकिन उसके आने के बाद आपके दोनों भाइयों की जिंदगी में क्या बदलाव आया? ये बाते भी हम जरुर जानेंगे लेकिन एक छोटे से ब्रेक के बाद। तो आइए दोस्तों! अब एक बार फिर से लेते हैं, एक छोटा सा ब्रेक। तो दोस्तों! एक छोटे से ब्रेक के बाद जल्द ही आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए नमस्कार।"

(क्रमश:)