Shyambabu And SeX - 37 in Hindi Drama by Swati books and stories PDF | Shyambabu And SeX - 37

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Shyambabu And SeX - 37

37

तुम्हारी तान्या??

 

 

अब श्याम को किसी के कदमों  की आहट सुनाई दी। “मेरी तनु आ गई!!”  वह  ख़ुशी से बोला।  अब उसे  किसी के नज़दीक आने का एहसास हुआ,  वह और  और उत्तजित हो गया, मगर उसने आँख नहीं खोली, क्योंकि वह चाहता था कि तान्या उसकी आँखे खुद खोले।  वह समझ चुका  था कि  तान्या बहुत नज़दीक आ चुकी है। अब एक हाथ उसके बॉक्सर में  गए  तो वह सिरहरते हुए बोला,  “तनु तुमने तो आते ही सही  दिशा पकड़ ली,  पहले मेरे पास तो आओ और मुझसे लिपट जाओ, तभी उसने झटाक से अपनी दोनों आँखें खोल ली,  अपने सामने खड़ी तनु को देखकर वह उसे देखता ही रह गया, यह तो अपनी तस्वीर से कहीं  अलग है।

 

 

मनोहर ने अब इमरती का हाथ पकड़कर पूछा,  “तुम  खुश तो हो?”

 

उसका  चेहरा उतर गया,  मगर उसके मुँह से निकला, “ बिल्कुल हूँ।“

 

तुम्हारी आँखे और नज़रे तो कुछ और ही कह रही  है।

 

उसने अब  मनोहर के मुँह में पिज़्ज़ा डालते हुए कहा,  “ज़्यादा पढ़ाई कर ली क्या!!!” वह हँसने लग गया फिर उसने पहले  इमरती के हाथ चूमे और फिर उसके गालों तक पहुँच  गया।  इससे पहले की वो उसके होंठों को छूता,  उसने अपनी बीमारी के बारे में बता दिया। उसे उसकी चिंता हो गई।

 

यह कैसे हो गया?

 

बचपन में कमज़ोरी  की वजह  से एक-दो बोतल गलत  खून चढ़ा था,  उसी की वजह से इस बीमारी की चपेट में आ गए।

 

इमरती! उसने अब उसका हाथ कसकर पकड़ लिया। यह बीमारी कब तक ठीक हो जाएगी।

 

डॉक्टर ने दो-तीन महीने बोले थें पर हम उस दिन खुद डॉक्टर के पास दोबारा अपनी जाँच करवाए तो उन्होंने कहा कि अब तो सिर्फ पंद्रह दिन का परहेज़ काफी है।

 

तुम अकेले क्यों डॉक्टर के पास गई?  अब उसने शरमाते हुए ज़वाब  दिया,  “जबसे हम तुमसे मिले हैं, तब से हमारा दिल बहुत बेचैन हो रहा है।“

 

 

उसने उसे शरारती नज़रों से देखा और कहा,  “वाह !! मेरी प्यारी इमरती इसका मतलब आग दोनों  तरफ बराबर लगी हुई है।

 

बिल्कुल,  उसने इतराते हुए ज़वाब दिया।

 

अपने उस मोटू को बताया?

 

उसे क्यों बतायेगे,  वह हमारी बीमारी के भ्रम में ही रहें तो अच्छा है।  उसने चिढ़कर कहा तो मनोहर ने खुश होते हुए उसके गाल चूम लिए।

 

गायत्री भी विकास और सदीप के साथ उसी मॉल में घूम रही है,  विकास संदीप के साथ हँसी मज़ाक कर  रहा है। संदीप भी बहुत ख़ुश  नज़र  आ  रहा है। गायत्री को भी लगने लगा है कि उसके पापा ने उसके लिए कोई गलत फैसला नहीं लिया है। पहले तीनों ने थोड़ी शॉपिंग की,  अब संदीप ने कुछ खाने के लिए कहा तो वह भी पिज़ा हट की ओर चल पड़े। इमरती और मनोहर भी खाकर बाहर की तरफ जा रहें हैं । संदीप और विकास दोनों साथ है और गायत्री उनके पीछे हैं। वे दोनों तो साथ में अंदर चले जाते हैं और जैसे ही गायत्री अंदर घुसने लगती है तभी वह किसी से टकरा जाती है। सॉरी !! अब उसकी  नज़रे  मिली तो वह यह देखकर बड़ी हैरान हुई कि वो इमरती है और उसके पीछे मनोहर हाथ में शॉपिंग बैग लिए खड़ा है।

 

श्याम ने दोबारा आँखें बंद की फिर खोली,  मगर बार बार यही तनु दिखती । अब उस तान्या ने भी अपने बॉक्सर उतारे तो वह उसके अंदर का दृश्य देखकर चिल्ला पड़ा,  “कौन हो तुम??  उसने उसे पीछे धकेला और खुद को संभालते हुए कहा,  “मेरी तान्या कहाँ है?” “जान मैं तुम्हारी तान्या ही हूँ, “ बकवास बंद करो,”  अब इससे पहले वो सोफे से उठता उसने उसको धर दबोचा। “कहाँ जा रहें हो? जो आये हो वो तो करो,” “ छोड़ो मुझे” “मैं तान्या के लिए आया था,  तुम्हारे लिए  नहीं।“ “अब अपनी तान्या से भाग क्यों रहें हो।“ उसने उसके गाल चूमते हुए कहा, “वह ज़ोर से चिल्लाया,  बचाओ !!”