The Six Sense - 34 in Hindi Thriller by रितेश एम. भटनागर... शब्दकार books and stories PDF | द सिक्स्थ सेंस... - 34

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द सिक्स्थ सेंस... - 34

सुहासी के साथ फार्म हाउस के अंदर चलते चलते राजवीर फार्म हाउस में बने एक कॉटेज के पास पंहुच गया लेकिन वहां भी उसे कोई नहीं दिखाई दिया, वो सोचने लगा कि "सुहासी ने तो कहा था कि यहां तीन लोग परमानेंट रह रहे हैं तो क्या रात में यहां कोई ड्यूटी नहीं देता, सब सोते रहते हैं!!"

यही बात सोचकर सुहासी के साथ चलते चलते राजवीर कॉटेज पार करके एक ऐसी जगह पर पंहुच गया जहां पर एक सूखा हुआ स्वीमिंग पूल था!

इधर अपने साथी पुलिस वालों के साथ राजवीर का पीछा कर रहा उदय भी ये सोच रहा था कि " ये राजवीर इतनी अंदर क्यों जा रहा है?" ये सोचते हुये राजवीर को कॉटेज के आगे खड़ा देख उदय भी बाकि पुलिस वालों के साथ कॉटेज की दीवार की आड़ लेकर खड़ा हो गया और राजवीर पर वहीं से नजर रखने लगा!!

इधर सूखे हुये स्वीमिंग पूल के पास पंहुचकर राजवीर ने सुहासी से पूछा - सुहासी.. कहां है जुबैर?

सुहासी से ये बात पूछते हुये राजवीर ने जब उसकी तरफ देखा तो उसके एक्सप्रेशन राजवीर को बहुत अजीब लगे, पता नहीं क्यों उसे ऐसा लगा जैसे सुहासी के चेहरे पर अजीब सी सूजन और व्हाइटनेस आ रही है लेकिन इससे पहले कि वो कुछ समझ पाता सुहासी स्वीमिंग पूल की तरफ अपनी उंगली से इशारा करते हुये बोली- राजवीर... वो जुबैर!!

सुहासी के ऐसा इशारा करके अपनी बात कहने पर राजवीर हैरान सा हुआ चारों तरफ देखने लगा लेकिन उसे जुबैर कहीं दिखा ही नहीं कि तभी सुहासी फिर से वैसे ही स्वीमिंग पूल की तरफ इशारा करते हुये बोली - राजवीर... वो जुबैर!!

सुहासी के फिर से वही बात बोलने पर राजवीर को कुछ तो बहुत अजीब सा लगा और वो धीरे धीरे कदमों से चलकल सूखे हुये स्वीमिंग पूल के पास चला गया, वहां जाकर उसने देखा कि बड़े से स्वीमिंग पूल में एक जगह पर कुछ टाइल्स ऐसी लगी हैं जैसे उनको उखाड़कर फिर से लगाया हो पर जिसने भी लगाया वो ठीक से ना लगा पाया हो!!

स्वीमिंग पूल में उखड़ी हुयी टाइल्स और सुहासी का उसी तरफ बार बार इशारा... राजवीर को अजीब सी दहशत वाली बेचैनी दे रहा था, वो टाइल्स देखने के बाद थोड़ा इरिटेट सा हुआ राजवीर थोड़ी तेज आवाज में बोला- सुहासी ठीक से बताओ ना कि तुम क्या कहना चाहती हो और कहां है जुबैर!!

राजवीर के मुंह से तेज आवाज में बोला गया सुहासी का नाम सुनकर जाने कितने दिनों से उसे ढूंढ रहा इंस्पेक्टर उदय एकदम भौचक्का सा रह गया और सोचने लगा कि "सुहासी... यहां है, वो भी इतने सूनसान फार्म हाउस में!!" ये बात सोचते हुये उदय को पता नहीं क्या सूझा उसने राजवीर के उसी नौकर को फिर से फोन मिला दिया और उसके फोन उठाने के बाद उससे बोला- यार ये बताओ कि आज वहां घर पर कोई आया था क्या?

वो नौकर बोला- नहीं साहब कोई नहीं आया..!! लेकिन हां साहब घर से निकलने से पहले बाबा के कमरे से उनकी आवाज आ रही थी और ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी से बात कर रहे हों!!

उदय बोला- फोन पर??

नौकर बोला- नहीं साहब बाबा को तो डॉक्टर ने फोन पर बात करने से मना किया है ना इसलिये उनके पास फोन नहीं है और ऐसा लग भी नहीं रहा था कि वो फोन पर बात कर रहे हैं बल्कि ऐसा लग रहा था जैसे कोई उनके साथ बैठा है और वो उसी से बात कर रहे हैं!!

उदय बोला- तुम्हारे बड़े साहब या मेमसाहब में से तो कोई नहीं था उसके कमरे में?

नौकर बोला- वो लोग तो घर पर हैं ही नहीं साहब और साहब मैंने राजवीर बाबा के जाने के बाद गार्ड से पूछा भी था तो उसने भी यही कहा था कि राजवीर बाबा अकेले ही कहीं गये हैं..!!

उदय... सिंघानिया के नौकर से बात कर ही रहा था कि तभी राजवीर फिर से तेज आवाज में बोला- सुहासी मेरी कुछ समझ में नही आ रहा है कि तुम कहना क्या चाहती हो!!

राजवीर इरिटेट होकर सुहासी से अपनी बात कहे जा रहा था और सुहासी वैसे ही अपनी जगह पर खड़ी हुयी अपनी उंगली से स्वीमिंग पूल की तरफ वैसे ही इशारा करके "राजवीर... वो जुबैर, राजवीर.. वो जुबैर!!" कहे जा रही थी!!

सुहासी की इस बात से हद से जादा इरिटेट होकर राजवीर सूखे स्वीमिंग पूल में चला गया और टाइल्स को जोर लगाकर खींचते हुये सुहासी से बोला- कहां है जुबैर बोलो कहां है जुबैर!!
लेकिन ये क्या राजवीर ने जरा सी ताकत लगायी और वो टाइल एक ही झटके में अपनी जगह से उखड़ गयी और उसके नीचे देखकर साफ ऐसा लगा जैसे किसी ने उसके अंदर कुछ गाड़ कर मिट्टी से उस चीज को दबाकर ऊपर से ऐसे ही टाइल्स फिट कर दी है!!

राजवीर हैरान सा हुआ कभी सुहासी की तरफ देखता तो उस जगह की तरफ जहां से वो टाइल्स उखड़ी थी और सुहासी लगातार बार बार बस एक ही बात बोले जा रही थी "राजवीर... वो जुबैर, राजवीर... वो जुबैर!!"

सुहासी के एक्सप्रेशन अब और जादा अजीब होने लगे थे वो धीरे धीरे जैसे सफेद पड़ती जा रही थी और उसके होंठ बिल्कुल जैसे सूख से रहे थे, सुहासी की ये हालत देखकर राजवीर बौखलाते हुये चिल्लाया - सुहासी.. ये क्या हो रहा है तुम्हे, हे भगवान ये क्या हो रहा है और इसके नीचे क्या है सुहासी??

राजवीर की ये बात कि "इसके नीचे क्या है" सुनकर उदय की समझ में आ गया कि हो ना हो कुछ तो गड़बड़ है, "वहां कुछ दबा है.. कहीं ऐसा तो नहीं कि जिस लड़के जुबैर का नाम राजवीर बार बार ले रहा है उस जगह उसकी ल.. लाश दबी हो!!" ये सोचकर उदय ने अपने साथ फार्म हाउस के अंदर आये अमित से कहा - अमित जल्दी जाओ और बाहर से डॉग स्कवायड वालों को लेकर आओ!!

इधर राजवीर सुहासी के बदल रहे चेहरे को देखकर बौखलाया हुआ सा उस जगह को अपने हाथों से ही खोदने लगा जिसकी तरफ सुहासी बार बार इशारा कर रही थी, इधर अमित को बाहर भेजने के बाद उदय अपनी जगह से उठा और राजवीर के पास ये सोचकर जाने लगा कि पहले सुहासी को अरेस्ट करूंगा और बाद में इस रईसजादे को देखुंगा लेकिन ये क्या उदय जब स्वीमिंग पूल के पास पंहुचा तो उसे वहां सुहासी तो क्या... राजवीर के अलावा कोई नहीं दिखा !!

सुहासी कहां गयी??

भले उदय को सुहासी कहीं नहीं दिख रही थी लेकिन राजवीर अभी भी बार बार "सुहासी प्लीज बताओ क्या है यहां, सुहासी प्लीज ठीक से बताओ" बोले जा रहा था कि तभी डॉग स्क्वायड वहां आ गया और उनके साथ आये दोनों कुत्ते उस जगह को सूंघते हुये अपने पैरों से बेतहाशा खोदने लगे जहां राजवीर अपने हाथों से खोद रहा था कि तभी डॉग स्क्वायड के साथ आये सिपाही अपने साथ जो फावड़ा और कुदाल लेकर आये थे वो भी उस जगह को खोदने लगे!!

राजवीर कभी खोदी जा रही जगह को देखता तो कभी अजीब सी हो रही सुहासी की शक्ल को देखता उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा है!!

तभी करीब दो फीट खोदने के बाद फावड़े से जैसे कोई चीज टकरायी हो ऐसी आवाज आयी, जब पुलिस वालो ने संभलकर ठीक से थोड़ा और खोदा तो उस जगह से बड़ी गंदी बदबू आने लगी बिल्कुल ऐसी जैसे कोई लाश अंदर सड़ रही हो कि तभी खुदाई कर रहा एक हवलदार उदय से बोला- साहब यहां तो बड़ा सा सूटकेस है!!

इसके बाद उदय के कहने पर जब उसने वो सूटकेस खोला तो राजवीर और उदय समेत वहां खड़े सारे लोग उस सूटकेस के अंदर का सीन देखकर बुरी तरह चौंक गये!!

सूटकेस के अंदर किसी लड़की की नंगी लाश पड़ी थी!!

ऐसा लग रहा था मानो उस लड़की की एक एक हड्डी तोड़़ने के बाद उसे बुरी तरह मरोड़ कर किसी तरह से सूटकेस में फिट किया गया हो!! उस लाश की गर्दन तोड़कर उसका मुंह उल्टा करके रखा गया था!!

वो लाश देखने के बाद हद से जादा घबराये हुये राजवीर ने सुहासी की तरफ देखा तो उसका मुंह बिल्कुल अजीब सा हो चुका था और.. और ये क्या सुहासी जैसे बहुत तेज चमकने सी लगी थी और धीरे धीरे... धीरे धीरे ऊपर की तरफ उठ रही थी और अभी भी उस जगह की तरफ इशारा करते हुये बस एक ही बात कह रही थी "राजवीर... वो जुबैर, राजवीर.. वो जुबैर!!"

सुहासी को ऐसे हवा में ऊपर जाते देख राजवीर जैसे जम सा गया था कि तभी उसे पता नही क्या सूझा वो झटके से सूटकेस की तरफ लपका और जैसे ही उसने उस लाश के मुंह को पलटा तो उसने देखा कि उस लाश का मुंह बिल्कुल वैसा ही था जैसा सुहासी का हो गया था... ये देखकर वो जोर से चीखा "सुहासीssssssss, सुहासीsssssss!!" और चीखते हुये दहाड़े मारकर रोने लगा और रोते हुये बोला- मार दिया.... मेरी सुहासी को मार दिया... जुबैर ने मेरी सुहासी को मार दिया...!!

रोते हुये राजवीर ने जब उस जगह पर देखा जहां सुहासी खड़ी थी तो... सुहासी जा चुकी थी!! हमेशा के लिये सुहासी जा चुकी थी...!! राजवीर की जिंदगी का मकसद उसकी सुहासी... जा चुकी थी!!

सुहासी की लाश को उसी प्यार से पकड़े जिस प्यार से वो उसे हमेशा पकड़ता था राजवीर जैसे जम सा गया था, वो जैसे शून्य सा हुआ ये सोच रहा था कि "इतनी देर से जो मेरे साथ थी वो सुहासी नहीं उसकी आत्मा थी!! इसीलिये उसने मुझे हग नही करने दिया, इसीलिये दरवाजे का लॉक खोलने से पहले ही वो घर से बाहर चली गयी और.. और इसीलिये गाड़ी बिना अनलॉक हुये वो उसमें जाकर बैठ गयी और सबसे बड़ी बात कि सुहासी को तो तूफान से और बिजली की गड़गड़ाहट से डर लगता था फिर भी वो आज इतने खराब मौसम में मुझसे मिलने आ गयी..!! "

राजवीर जहां ये सब सोच कर रोये जा रहा था वहीं दूसरी तरफ उदय और बाकि के पुलिस वाले इस हत्या की विभत्सता देखकर हैरान थे कि तभी डॉग स्क्वायड का एक डॉग स्वीमिंग पूल के सामने एक मलबा पड़ी जगह पर जाकर फिर से कुछ सूंघते हुये खोजने लगा, उसे ऐसा करते देख उदय और बाकि के पुलिस वाले एक दूसरे का मुंह ताकने लगे कि तभी डॉग स्क्वायड का सिपाही बोला- साहब लगता है कि वहां भी कुछ है!!

इसके बाद जब उस जगह पर भी खुदाई शुरू करी गयी तो वहां भी थोड़ा खोदने के बाद वैसे ही कोई चीज टकरायी जैसे पहले टकरायी थी और वहां से भी वैसी ही लाश सड़ने जैसी बदबू आने लगी, वहां भी दो सूटकेस दबे हुये थे जब उन्हे खोलकर देखा गया तो पुलिस वालों के होश उड़ गये, उन दो सूटकेसों में भी दो लाशें थीं.. एक किसी आदमी की और एक किसी औरत की!!

आदमी ने शर्ट पैंट पहनी हुयी थी, जब उसकी जेबों को तलाशा गया तो उसमें से एक आई कार्ड निकला जिसमें लिखा था - - - अशोक वर्धन!! यानि सुहासी के पापा और दूसरी लाश किसी औरत की थी तो जाहिर सी बात थी कि हो ना हो ये सुहासी की मां यानि मधु वर्धन की लाश थी!!

क्रमशः