Jaadui Mann - 15 in Hindi Human Science by Captain Dharnidhar books and stories PDF | जादुई मन - 15

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जादुई मन - 15


जैसे जाते हुए किसी व्यक्ति की गर्दन पर नजर जमाकर भावना करना कि वह पीछे मुड़कर देखे । ऐसा करते रहने से कुछ देर बाद वह पीछे मुड़कर देखने लग जाता है । ऐसे ही बैठे हुए को खड़े होने को कहना वह यदि खड़ा हो जाता है तो आप सही दिशा मे है । यह सब त्राटक का अभ्यास आधे घंटे तक ले जाने पर होने लगता है । यह सब इच्छा शक्ति के ही विकसित होने से होता है ।
अपनी इच्छा शक्ति से किसी को भी सम्मोहित भी किया जा सकता है । रोगी को रोग मुक्त भी किया जा सकता है ।
सम्मोहन करते समय रोगी की आंखो मे झांककर उसे नींद की भावना देकर उसके शरीर को शिथिल कर रोग से मुक्त करने हेतु अपनी प्राण ऊर्जा अपनी अंगुलियों के जरिए प्रेषित कर अंत मे उसके रोग मुक्त हो जाने की घौषणा करना । फिर चुटकी बजाकर उसकी नींद तोड़ना । जब रोगी जगेगा तो खुदको अच्छा महसूस करेगा ।
यहां एक बात ओर समझने की है । हमारे तीन शरीर होते हैं ।
स्थूल शरीर, सूक्ष्म शरीर, कारण शरीर ।
शरीर में रोगोत्पत्ति कारण शरीर के कारण शरीर से होता है । कारण शरीर में रोग का बीज स्थित होता है । वही रोग के उत्पन्न होने का कारण होता है । और वही रोग के रूप मे शरीर में प्रगट दिखाई देने लगता है ।
आज की चिकित्सा पद्धति रोग के लक्षणों के आधार पर रोगी की चिकित्सा करती है । स्थूल शरीर के रोग का उपचार चिकित्सक दवा से करता है या उस अंग को निकाल देता है या दूसरा कृत्रिम अंग का प्रत्यारोपण कर निदान करता है । एक उदाहरण से समझते हैं । आजकल सबको शीघ्र ठीक होने की लालसा मन में होती है, इसी लालसा को ध्यान मे रखकर दवा कंपनी दवा का निर्माण करती है । हमारे शरीर में प्राकृतिक रूप से निर्माण कार्य होता है । जैसे हम भोजन करते है तो उससे पहले शरीर मे रस बनेगा फिर रक्त फिर मांस मज्जा फिर अस्थि आदि । शरीर शास्त्री ( चिकित्सक ) इस प्रक्रिया को अधिक जानते हैं । वे अच्छे से समझा सकते है । एक सप्ताह के लग भग रस से रक्त, दो सप्ताह में मांस छ सप्ताह मे वीर्य फिर ओजादि गुण विकसित होते हैं । इन अवयवो तक दवा का प्रभाव शीघ्र हो इसके लिए दवा कंपनी शीघ्रता से दवा का प्रभाव रूग्ण अंग पर हो इसके लिए काम करती है ।
कोई दवा प्राकृतिक नियमो की अनदेखी करके शीघ्रता से उन अवयवो तक पहुंच कर प्राकृतिक नियमो की अनदेखी कर उसको ठीक करती है । जैसे किसी व्यक्ति को मधुमेह है और मधुमेह का कारण पेंक्रियाज मे इन्सुलिन कम बनना है । चिकित्सक दवा देकर इन्सुलिन का प्रबंध कर देता है । कुछ माह में पेंक्रियाज जो कम इन्सुलिन बना रहा था वह भी बनाना बंद कर देता है । अर्थात इन्सुलिन की फैक्ट्री बंद । किसी को भीड़ से नियत स्थान पर जल्दी पहुंचना होता है तो वह दखामुक्की करके ही पहुंचेगा। अर्थात वह दवा भी अन्य स्वस्थ अंगो पर आघात करके ही काम करेगी । एक तरफ लाभ हुआ और दूसरी तरफ नुकसान भी हुआ।
अतः हमारे मनीषियों ने रोग के कारण को खत्म करने पर ध्यान दिया । आध्यात्मिक सूक्ष्म ऊर्जा से व्यक्ति स्थूल शरीर के साथ उसके कारण शरीर पर ऊर्जा का प्रेषण करने की बात कही ।