The Six Sense - 16 in Hindi Thriller by रितेश एम. भटनागर... शब्दकार books and stories PDF | द सिक्स्थ सेंस... - 16

Featured Books
  • રહસ્ય,રહસ્ય અને રહસ્ય

    આપણને હંમેશા રહસ્ય ગમતું હોય છે કારણકે તેમાં એવું તત્વ હોય છ...

  • હાસ્યના લાભ

    હાસ્યના લાભ- રાકેશ ઠક્કર હાસ્યના લાભ જ લાભ છે. તેનાથી ક્યારે...

  • સંઘર્ષ જિંદગીનો

                સંઘર્ષ જિંદગીનો        પાત્ર અજય, અમિત, અર્ચના,...

  • સોલમેટસ - 3

    આરવ રુશીના હાથમાં અદિતિની ડાયરી જુએ છે અને એને એની અદિતિ સાથ...

  • તલાશ 3 - ભાગ 21

     ડિસ્ક્લેમર: આ એક કાલ્પનિક વાર્તા છે. તથા તમામ પાત્રો અને તે...

Categories
Share

द सिक्स्थ सेंस... - 16

कोई उस क्लास में था जिसे राजवीर और सुहासी का बातचीत करना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था और वो थे... मिस्टर प्रिंसिपल!!

राजवीर और सुहासी एक दूसरे से रस्सा कशी के लहजे में बात कर ही रहे थे कि तभी सामने पोडियम पर खड़े कॉलेज के प्रिंसिपल की आवाज आयी "Dear students may i know that what is that major issue which is more important than this orientation!! Please come here and tell all of us about the biggest problem of the universe which is much more necessary to discuss than my presentation!! Pls come forward!! "

अचानक से आयी प्रिंसिपल की आवाज सुनकर राजवीर और सुहासी दोनों चौंक गये, इसके बाद सुहासी हड़बड़ाती हुयी सी अपनी जगह पर खड़ी हुयी और सकपकाते हुये बोली- Na.. No sir there is nothing more important than your speech actually sir i know this fellow from India and when i saw him here than i got surprised that's it sir!! Otherwise there is nothing important!!

सुहासी के ये बात बोलने पर राजवीर ने भी खड़े होकर कहा- yes sir she is telling right, we know each other from India that's why we have got surprised she is telling right sir!!

प्रिंसिपल बोले- OK.. You both have met with each other.. now stay calm and listen to what i am saying!!

इसके बाद राजवीर और सुहासी दोनों चुपचाप बैठकर प्रिंसिपल की स्पीच सुनने लगे और सुहासी के दूसरी तरफ बैठा जुबैर बार बार नजर घुमाकर राजवीर को घूरे जा रहा था शायद उसे बुरा लगा था ये सोचकर कि राजवीर की वजह से उसकी बेस्ट फ्रेंड को कॉलेज के पहले ही दिन इस तरह से डांट खाते हुये सबने नोटिस किया, किसी अच्छे रीज़न की वजह से नहीं..!!

ओरियेंटेशन खत्म होने के बाद जब कॉलेज की छुट्टी हुयी तो जुबैर, सुहासी और राजवीर तीनों आगे पीछे ही क्लास से बाहर आने लगे, सुहासी और जुबैर के पीछे चल रहे राजवीर ने जब सुहासी को आवाज लगाते हुये कहा "Amm... Excuse me Suhasi!!" तो उसकी इस बात का जवाब देते हुये सुहासी के साथ ही क्लास से बाहर आ चुका गोलू मोलू सा चश्मिश जुबैर पलट के बोला- वो तुमसे बात नहीं करेगी, आज तुम्हारी वजह से कॉलेज के पहले दिन ही मेरी बेस्ट फ्रैंड को डांट सुननी पड़ गयी... Just get lost!!

जुबैर की ये बात सुनकर हल्का सा हंसते हुये राजवीर बोला- पर मैंने क्या किया यार.. एक मिनट सुन तो लो!!

राजवीर की इस बात को सुनकर सुहासी पलटी और बड़े तल्ख लहजे में उससे बोली- सुना नहीं मिस्टर चीपो जुबैर ने क्या कहा.. Just get lost!!

सुहासी की ये बात सुनकर राजवीर हंसने लगा और पीछे से बड़े शायराना अंदाज में बोला-

अजी एक बार सुनिये तो सही,
क्यूं हैं नाराज एक बार कहिये तो सही,
अजी आज पहली बार ही तो हम मिले हैं,
दूर क्यूं जा रहे हैं जरा पास आइये तो सही,
पास आकर कुछ हमारे बारे में पूछिये और कुछ अपने बारे में बताइये तो सही..!!

राजवीर की शायराना अंदाज में करी गयी इस बात को सुनकर सुहासी चलते चलते रुकी और पलट के उसकी तरफ देखते हुये धीरे धीरे एक एक कदम चलकर उसके पास गयी और बोली-

आज पहली बार ही तो मिले हो सब कुछ जान जाओगे क्या?
मना करने पर भी पीछे पीछे आते हो... प्रिंसिपल को बताऊं क्या??

अपनी बात कहकर सुहासी और उसके बगल में खड़ा जुबैर जोर से हंसे और हवा में एक दूसरे के हाथ में ताली मारकर वहां से जाने लगे और जाते जाते सुहासी ने फिर से राजवीर को देखकर "चीपो..!!" कहा और अपनी उंगली को नाक पर फेरकर हुंह करते हुये वहां से चली गयी और राजवीर... राजवीर उन दोनों को जाते देख वहीं खड़ा रह गया, उसे सुहासी का ये बेबाक अंदाज बहुत अच्छा लगा, पता नहीं क्यो उसे सुहासी की अभी तक कोई बात बुरी क्यों नहीं लग रही थी!!

तो ये थी राजवीर और सुहासी की पहली मुलाकात जिसमें कुछ भी मीठा नहीं था लेकिन कड़वा भी नहीं था बस... हल्का सा खट्टा खट्टा जरूर था!!

क्रमशः