Towards the Light – Memoir in Hindi Moral Stories by Pranava Bharti books and stories PDF | उजाले की ओर –संस्मरण

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उजाले की ओर –संस्मरण

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नमस्कार प्रिय मित्रो

बहुत सी बार बातें होती छोटी होती हैं किंतु उनका प्रभाव अचानक, अजीब व नकारात्मक पड़ जाता है।

कहीं एक कहानी पढ़ी थी, वह आप सबके साथ साझा करती हूँ।

एक स्कूल में एक बच्चे ने अचानक ही सारे चित्र काले रंग से बनाने शुरू कर दिए। चाहे वो सूर्य हो, फूल, पत्ती, बादल, पृथ्वी, समुद्र या कुछ और। स्कूल के शिक्षक चिंतित हो गए। क्योंकि यह काला रंग उसकी किसी निराशा का या दुख का संकेत दे रहे थे। माता पिता से, दोस्तों से, उसके आस पड़ोस में पूछा  गया।

जानकारी इकट्ठी करके एक बड़ी सी रिपोर्ट बनाई गई और यह निश्चय किया गया कि बच्चे का इलाज एक उच्च कोटि के मनोवैज्ञानिक से करवाया जाए।

इससे पहले कि इलाज शुरू होता, मेडिकल रूम के बाहर बैठे बच्चे से वहाँ बैठे चपरासी ने पूछा,

''"बेटा आप सब कुछ काले रंग से क्यों बनाते हो?"

भोले बच्चे को मालूम ही नहीं था कुछ। उसने जो वास्तविकता थी, बता दी।

"अंकल ! मेरे कलर बॉक्स में सारे रंग ख़त्म हो गए थे, किसी ने निकाल लिए या खो गए हैं और मुझे ड्राइंग तो करनी ही थी इसलिए मैंने सारी चीजें काले रंग की बना दीं।"

बात बहुत छोटी सी थी, बच्चे का कलर बॉक्स ठीक कर दिया गया और वह सभी रंगों से अपनी कला को सजाने लगा। उसने केवल काले रंग का इस्तेमाल करना छोड़ दिया।

बात कुछ ऐसी थी कि उसके शुभचिंतक ने उसको छोड़ कर सभी से उसकी समस्या के बारे में पूछ लिया था । अगर एक बार उससे पूछते तो निदान बहुत आसान था।

ठीक इसी प्रकार हम किसी समस्या में होते हैं तो अपने अंदर झांकने की जगह सब जगह निदान तलाश रहे होते हैं जबकि समाधान बहुत ही आसान और हमारे पास होता है।

मनुष्य का सम्पूर्ण जीवन मन के संकल्पों से प्रभावित होता है। जैसे संकल्प मन में सृजित होते हैं मनुष्य वैसे ही कर्मों से जुड़ जाता है। इसलिए कर्म का आधार मनुष्य के मन में उठने वाले विचार हैं। यदि हमारे विचार और संकल्प नकारात्मक प्रवृत्ति के हैं तो वे हमें अंधकार व निराशा की ओर  ले जाते हैं। हम लोगों को दुखी और बेचारे से लगेंगे और अगर सकारात्मक हैँ तो लोगों के लिए हम आशा की किरण बनकर उनके मनों में सात रंग के इंद्रधनुष खिला सकेंगे। हमारे व्यवहार से हम अपने मित्रों, संबंधियों व अपने से जुड़े हुए सभी का जीवन खुशियों से भर सकेंगे । जीवन को सुंदर जीने के लिए और क्या चाहिए? कुछ रंगों भरी मुस्कान और हम आनंदित!

मन अनन्त ज्ञान का स्रोत है उन्नति और अवनति मन के विचारों की प्रवृत्ति पर निर्भर है। कुशल सारथी की तरह मन के घोड़ों के वेग और दिशा पर सही लगाम के नियंत्रण से गंतव्य पथ पर हम उसे मनचाही दिशा में ले जा सकते हैं ।

देखें मन में झाँककर

मुस्कानों के गीत

मन की देहरी पर खड़े

रंगों के संगीत!!

आइए, भर लें अपने मन व वातावरण को इन खूबसूरत नज़ारों से!!

 

आप सबकी मित्र

डॉ. प्रणव भारती