Tanmay - In search of his Mother - 40 in Hindi Thriller by Swati books and stories PDF | Tanmay - In search of his Mother - 40

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Tanmay - In search of his Mother - 40

40

हमदर्दी

 

राघव की दादी ने उन दोनों के लिए उनका मनपसंद पुलाव और टमाटर की चटनी बनाई है । दोनों बच्चे एक दूसरे के साथ हँसी मज़ाक करते हुए खा रहें हैं। तभी उनके पास राघव के दादाजी आकर बैठ गए।

 

और मेरे नन्हे क्रिकटरों क्या चल रहा है ?

 

दादू अभी तो फोग चल रहा है। यह  सुनते ही दादू  हँसने लगें।

 

अरे ! तनु  और लो न, देख रहा हूँ कि तुम कितने कमज़ोर हो गए हों।

 

बस दादू और नहीं खाना। उसने अपनी प्लेट साइड रखते हुए कहा।

 

जबसे आंटी गई है, इसकी भूख आधी  हो गई है। राघव ने अपनी प्लेट का आखिरी निवाला खाते हुए कहा। उन्होंने प्यार से तन्मय  सिर पर हाथ फेरा, और उसे हिम्मत बंधाते हुए कहा, सब ठीक हो जायेगा। यह टाइम भी निकल जायेगा। अच्छा ! एक प्रोग्राम का टाइम हो गया है। यह कहकर वो जाने लगे, तभी  उन्हें कुछ याद आया , अच्छा  रघु तुंम्हें एक बात बतानी थीं

 

क्या दादू, वो कामवाली ममता आंटी को तुम्हारे कमरे  मैं..........  वह अपनी बात पूरी  करते की तभी  उनके फ़ोन की घण्टी बज गई और वह अपना फ़ोन सुनने चले गए।

 

रुद्राक्ष और शिवांगी  किशन बिश्नोई को गौर से देखते हुए बोले,

 

हमें भी हैरानी हो रहीं  है कि आपके भाई ने आपके नाम कुछ नहीं किया।

 

आपने मुझे यह कहने के लिए तो नहीं रोका।

 

रुद्राक्ष ने उसे एक नज़र देखा और कहा,

 

आपको क्या लगता है, उन्होंने ऐसा क्यों किया होगा?

 

यह तो भाईसाहब ही बता सकते हैं।

 

फिलहाल तो मैं ही बता देता हूँ , उन्हें पता चल गया होगा कि आपका  और उनकी बीवी का चक्कर चल रहा है।

 

किशन को ऐसे ज़वाब की उम्मीद नहीं थी, उसने घबराते हुए कहा, ऐसा कुछ नहीं है।

 

हमने आपकी और उमा की फार्महॉउस  पर हुई बातें सुन ली  थीं। अब उसने खुद को संयमित करते हुए कहा,

 

तो आपने मेरे फार्म पर माइक्रोफोन लगाए हुए हैं ।

 

अभी तो ऐसा कुछ नहीं  सोचा, इसलिए अभी आप सिर्फ़ हमारे सवालों का जवाब दीजिये।

 

मुझे उमा से हमदर्दी है और वो भी अकेली है, मैं भी अकेला हूँ तो साथ जीवन जीने में बुराई क्या है।

 

लेकिन यह हमदर्दी उनके मरने से पहले से ही है।

 

मतलब ???

 

मतलब, यह मिस्टर किशन आपके भाई को आपके और अपनी बीवी के अफेयर के बारे में  पता चल गया था, इसलिए आपने उनको मार दिया।

रुद्राक्ष की आवाज़ अब ऊँची हो गई थीं।

 

क्या बकवास है यह???

 

यहीं सच है, आपने उस दिन उन्हें अपने फार्म के पास वाले जंगल में बुलाकर उनका क़त्ल कर दिया ।

 

अब किशन खड़ा हो गया। आप कुछ भी बोले जा रहें हैं। ऐसा कुछ नहीं है और आपके पास कोई सबूत है ? मैं आपके बे बुनियाद के इल्जामों से नहीं डरने वाला। उसने भी चिल्लाकर जवाब दिया।

 

रुद्राक्ष की त्योरियाँ चढ़ गई। उसने उसे घूरते हुए कहा,

 

अगली बार हम सबूत के साथ आएंगे। अब दोनों किशन को ऐसे ही हैरान-परेशान छोड़कर चले गए।

 

सर, वो झूठ बोल रहा है। शिवांगी ने गाड़ी में  बैठते ही  कहा।

 

मुझे पता है, उसके वकील ने मुझे बताया था कि राजेन्द्र बिश्नोई ने अपने मरने से दस दिन पहले ही विल बदली थी, इसका मतलब उसे इनके अफेयर के बारे में  पता था। मगर उसका कत्ल इसने  किया है, इसका तो  मैंने सिर्फ़ अंदाजा ही लगाया है।

 

ज़ाहिर  सी बात है, उसके रहते तो यह दोनों मिल नहीं सकते थें इसलिए इसने उसे मार दिया । अब  शिवांगी ने भी अपनी बात कही।

 

यह तो पता  लगाना पड़ेगा कि उस रात बिश्नोई उस  जंगल में क्या करने आया था। रुद्राक्ष ने खिड़की से बाहर देखते हुए कहा।

 

दादू  फ़ोन रखते ही दोनों बच्चों के पास आकर बोले,

 

तनु! तुम्हारे पापा को चोट लग गई है। तुम्हें वह घर बुला  रहें हैं।

 

क्या ! यह सुनकर वह  फ़ौरन वहां से चला गया और उसके साथ राघव भी निकल गया।

 

मुंबई एयरपोर्ट पर पहुँचते ही प्रिया ने प्रतीक को कॉल किया। प्रतीक ने उसे वहाँ का अड्रेस बताया तो उसने वहीं से टैक्सी लीं और उसके बताए पत्ते जोकि होटल डिलाइट था, वहां पहुँच गई। प्रतीक एक गाड़ी में  बैठा हुआ है। वह भी उसके साथ आकर गाड़ी में बैठ गई।

 

मैडम दोनों इस होटल के कमरा न,216 में  है।

 

अभी तक इसी होटल में ही है?

 

पहले जतिन जी उनको  फ्लैट और ऑफिस दिखाकर आए,  उसके बाद दोनों ने एक रेस्ट्रा में  खाना खाया फिर बीच पर घूमने गए और अब होटल में आ गए है।

 

ठीक है, तुम यहीं रुको मैं  आती हूँ। मैं  खुद इन्हे एकसाथ पकड़ना चाहती हूँ। यह कहकर वह गाड़ी से निकली और होटल के अंदर चली गई। वहां पर बने रिसेप्शन से पता चला कि  कमरा न.216  आठवें माले पर है। उसने लिफ्ट का बटन दबा दिया और लिफ्ट ऊपर की और जाने लगी।

 

तन्मय भागता हुआ घर पहुँचा तो उसने देखा कि अभिमन्यु के पैर पर पट्टी बंधी हुई है। उसने घबराकर पूछा, पापा यह कैसे हुआ ?

 

कुछ नहीं बेटा बस छोटा सा  एक्सीडेंट हो गया था। सॉरी, मैंने तुम्हें घर बुला लिया पर मैं भी क्या करो, मेरा मन बहुत बेचैन हो रहा था।

 

उसने अपने पापा के गले लगते हुए कहा,  अच्छा किया, जो बुला लिया। मैं आपके लिए खाना लगाता हो। उसने राघव को घर जाने के लिए कह दिया।

 

अच्छा अंकल, कुछ चाहिए तो बताना न भूलना। उसने प्यार से राघव के सिर पर हाथ फेरा तो वह मुस्कुराते हुए गुडनाईट बोलकर वहाँ से चला गया।

 

होटल के कमरा नंबर 216 के पास पहुँचकर उसने गहरी सांस ली फिर  कुछ सोचते हुए उसने गुस्से से कमरे को नॉक किया। तीसरी बार नॉक करने के बाद जतिन ने  दरवाजा खोला और अपने सामने प्रिया को देखकर उसके होश उड़ गए। उसने हैरानी और गुस्से से पूछा कि तुम यहाँ क्या कर रही हो ?

 

प्रिया ने उसे नफरत से देखा और उसे एक तरफ धकलते हुए बोली, हटो यहाँ से।

 

क्या कर रही हो? वह चिल्लाया मगर प्रिया पूरे कमरे में इधर-उधर देखने लगी। फ़िर जतिन की तरफ मुँह करके बोली, कहाँ है वो ?

 

वो कौन?

 

तुम्हारी नैना?

 

इससे पहले वो कुछ बोलता कि तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और उसे हैरानी से देखते हुए प्रिया  के मुँह से निकला, 

 

तुम???