Hewaan se Mohabbat - 9 in Hindi Drama by Alam Ansari books and stories PDF | हैवान से मोहब्बत - 9

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हैवान से मोहब्बत - 9

Ch 9 नोक झोंक और केयर

तानिया भी यह देखना चाहती थी कि आर्य का रिएक्शन कैसा होगा, जब वह अपने क्यूट से बेटे को स्माइल करते हुए देखेगा।।

अब आगे

समर्थ और तेजस तानिया के हाथों की खीर खा कर उंगलियां चाटते रह गए। तेजस : " यममम...खीर बहुत ही टेस्टी बनायी थी मैडम ने। बाॅस कितने लकी हैं न कि उन्हें मैडम के हाथों का खाना रोज - रोज खाने को मिलता है।। "

समर्थ : " हाँ बात तो तू सही कह रहा है भाई। दादा जी ने कहा था कि ये मैडम की पहली रसोई है। इट मिन्स कि हमें मैडम को कुछ गिफ्ट में देना चाहिए।। "

तेजस : " पर देंगे क्या...?? हमें तो ये भी नहीं पता कि मैडम को क्या पसंद है और क्या पसंद नहीं है...?? "

समर्थ : " हम्म... सोचते हैं इसके बारे में कुछ।। "

वहीं आर्य भी अपनी कैबिन में बैठ कर यही सोच रहा था कि वह तानिया को ऐसा क्या गिफ्ट दे। क्योंकि आज तक उसने किसी भी लड़की को कोई गिफ्ट नहीं दिया था। इसलिए उसे कोई आइडिया नहीं था कि लड़कियों को क्या पसंद आती है और क्या नहीं।।

आर्य को कोई आइडिया नहीं था कि तानिया आज उसे वेदांश की क्यूट स्माइल का गिफ्ट देने वाली है।।

शाम के वक्त

सभी लिविंग रूम के सोफे पर बैठे होते हैं और अपनी चाय - काॅफी इंजोय कर रहे होते हैं। सब घर आ गए थे, पर आर्य नहीं आया था। तानिया बेताबी से उसका इंतज़ार कर रही थी। वह आर्य के फेस का रिएक्शन देखना चाहती थी। जब वह अपने क्यूट बेबी को स्माइल करते हुए देखेगा।

तानिया, युवान और वेदांश हाॅल में ही थे। युवान अपने मोबाइल पर कुछ देख रहा था। वहीं वेदांश अपने एक टाॅय के साथ बैठा खेल रहा था। तभी मेन डोर की डोर बेल बजी। एक मेड ने दरवाजा खोला।।

बाहर आर्य ही था। जैसे ही वेदांश ने अपने डैडी को देखा। वह खेलना भूल कर, उनकी तरफ मुस्कुराते हुए दौड़ लगा देता है। आर्य तो हैरान ही रह गया और साथ में बहुत खुश भी। उसने अपना लैपटॉप बैग साइड में रख कर घुटने के बल बैठ जाता है और अपने प्यारे बेबी को गोद में ले लेता है।।

आर्य के चेहरे की खुशी छिपाए नहीं छिप रही थी। तानिया ने भी आज पहली बार आर्य को खुश होते और मुस्कुराते हुए देखा था। वरना वो तो उसे खड़ूस ही लगता था। शायद जिसके सीने में दिल ही न हो। पर वेदांश से मिलने के बाद तानिया समझ चुकी थी कि आर्य किन - किन सिच्वेशन्स से गुजर चुका है। पर अभी भी बहुत कुछ था, जिसके बारे में तानिया आर्य के बारे में नहीं जानती थी।।

युवान तानिया के पास आकर आर्य और वेदांश की तरफ इशारा करते हुए धीरे से बोला : " देखा भाभी, मैंने कहा था न। भाई कितने ज्यादा खुश लग रहे हैं। और ये आपकी ही वजह से हुआ है। So thank you so much...!! "

तानिया मुस्कुराते हुए बोली : " युवान, वेदांश सिर्फ़ तुम्हारे भाई का बेटा नहीं मेरा भी बेटा है...!! "

युवान : " That's so sweet of you...भाभी कभी - कभी तो ऐसा लगता है कि आप मेरी भाभी नहीं बल्कि माँ हो।। "

यह सुन कर तानिया मुस्कुराती है और युवान के गालों पर प्यार से हाथ फेरती है। फिर वहाँ से जाने लगती है, ये देखने के लिए कि दादा जी और बाकियों को कुछ चाहिए तो नहीं।।

युवान, आर्य और वेदांश के पास जाता है। आर्य वेदांश के छोटे - छोटे गालों पर किस करते हुए बोला : " बेटा आपको नहीं पता लेकिन आपके चेहरे पर ये क्यूट सी स्माइल देखने के लिए आपके डैडी तरस गए थे।। " यह कहते हुए वह दुबारा उसके गालों को चूम लेता है।।

युवान दोनों की तरफ मुस्कुराते हुए देख कर बोला : " भाई, आप जानना नहीं चाहोगे कि हमारे क्यूट से वेद के चेहरे पर स्माइल वापस लाने वाला शख्स कौन है...?? "

" Off course I want to know...मैं उस शख्स को थैंक्यू बोलना चाहूंगा, जिसने आज मुझे इतनी बड़ी खुशी दी है...!! "

यह सुन कर युवान स्माइल करने लगा और बोला : " भाई, भाभी हमारे लिए कितनी लकी हैं। देखो न, उनके आने से हमारे वेद के चेहरे पर स्माइल आ गई।। "

युवान की बातें सुन कर आर्य तानिया के बारे में सोचने लगा। उस दिन उसने सिर्फ़ अवनी को मुंह - तोड़ जवाब देने के लिए तानिया से शादी करने का फैसला लिया था। हाँ उसे वेदांश के लिए एक माँ भी चाहिए थी। पर आर्य ने सोचा था कि उसे अवनी के अलावा कोई भी लड़की वेदांश की माँ के लिए एक्सेप्ट होगी। पर उसे ये नहीं पता था कि उसकी जल्दबाजी में ली गई चोइस इतनी अच्छी साबित होगी। उसे नहीं पता था कि वन्या, वेदांश की माँ ही बन जाएगी।।

कहीं न कहीं आज आर्य को अपने डिसीजन पर प्राउड फील हो रहा था। आज तानिया की वजह से हमेशा सख्त रहने वाले आर्य के फेस पर भी एक स्वीट स्माइल थी। आर्य भी फ्रैश होकर लिविंग रूम में आ गया। युवान भी अपने गोद में वेदांश को लेकर लिविंग रूम में आ गया।

वेदांश का मुस्कुराता हुआ चेहरा देख विवेक और अनय के साथ बाकियों के फेस पर भी एक स्माइल आ गई। अनय वेदांश को अपनी गोद में लेकर बोला : " क्या बात है, आज हमारा छोटा आर्य और भी क्यूट लग रहा है।। " यह कहते हुए वह वेदांश के गाल पर किस कर लेता है।

" लेट मी गेस...जरूर ये मैजिक हमारी भाभी ने किया है।।" अनय ने मुस्कुराते हुए कहा।।

युवान : " क्या बात है, भाई। आप दिन ब दिन अंतर्यामी होते जा रहे हो... ( फिर अनय को चने की झाड़ से उतारते हुए तानिया के पास गया और उसके कंधे को प्यार से पकड़ते हुए बोला ) मेरी भाभी हैं ही इतनी स्वीट की... वो रोते हुए इंसान के फेस पर भी स्माइल ला सकती हैं।। "

दादा जी तानिया की तरफ देखते हुए बोले : " Thank you so much beta... आज आपकी वजह से सिंघानिया मैंशन में फिर से एक बच्चे की हँसी गूंज उठी है।। "

तानिया दादा जी की तरफ देख कर स्माइल कर देती है और बोलती है : " दादा जी आज वेदांश को मुस्कुराता हुआ देख मुझे भी बहुत खुशी हो रही है।। "

युवान : " चलो, चलो...अब बहुत हो गई ये सैंटी - सैंटी बातें अब गिफ्ट की बारी है।। "

यह कहते हुए वह अपना गिफ्ट बाॅक्स सामने की तरफ करता है। सबके चेहरे के एक्सप्रैशन देख कर वह बोला : " अब ये मत बोलना कि आप सब गिफ्ट लेना ही भूल गए। देख रही हैं भाभी... मतलब यहाँ पर सिर्फ़ मैं ही हूं जो आपका इतना ख्याल रखता हूँ।। " यह कहते हुए वह अपने आप पर प्राउड फील करने लगा।।

आस्तिक : " ओ देवर जी... चने के झाड़ से नीचे उतरो। क्योंकि तुम अकेले नहीं हो जो मैडम के लिए गिफ्ट लाए हो। हम सब भी लाइन में हैं। सो आप अपनी झूठी तारीफ करना बंद कर सकते हैं।। "

सभी युवान पर हँसने लगे। और बारी - बारी से सब तानिया को उसकी पहली रसोई का गिफ्ट देने लगे। आर्य ने भी अपना गिफ्ट दिया। साथ में एक और गिफ्ट बाॅक्स देते हुए बोला : " ये तेजस और समर्थ की तरफ से। उन्होंने कहा है कि उन्हें तुम्हारे हाथ की बनी खीर बहुत पसंद आयी।। "

तानिया स्माइल करती है और यक्षित की तरफ देखते हुए बोली : " उन्हें इस गिफ्ट के लिए थैंक्यू कहिएगा।। "

पूरा टेबल गिफ्ट से भर गया था। वन्या को आज तक पूरी जिंदगी में इतने गिफ्ट नहीं मिले थे। उसके बर्थडे में भी उसे सिर्फ दृष्टि और जीविका से ही गिफ्ट मिलते थे। वो तो गिफ्ट देख कर हैरान ही रह गई। उसे लगा नहीं था कि उसके हाथों की बनी खीर सबको इतनी पसंद आ जाएगी।।

सबके गिफ्ट बाॅक्स पर देने वाले का नाम भी लिखा हुआ था। सबने अपना गिफ्ट दे दिया था। तभी छोटू वेदांश भी सामने आया। वह भी अपनी मम्मा को गिफ्ट देना चाहता था, क्योंकि उसे भी तानिया के हाथों की बनी खीर बहुत पसंद आयी थी।

वह तानिया के पास आया। जिससे तानिया अपने घुटने के बल बैठ गई और वेदांश को अपनी बाहों में भर लिया। वेदांश अपनी मम्मा की तरफ देखते हुए अपनी प्यारी आवाज़ में बोला : " मम्मा... ये आपके लिए...!! " यह बोलते हुए वह तानिया की तरफ एक की - रिंग देने लगा, जिसमें एक माँ और बेटे का सिंबल बना हुआ था।

आर्य को याद आ गया कि वेदांश ने उसे खरीदवाने के लिए कितनी जिद की थी। आर्य ने उसे डैड और सन वाला सिंबल खरीद कर दिया था। पर वह मम्मा और सन वाला भी खरीदना चाहता था। इसलिए आर्य को उसे वह खरीद कर देना पड़ा था।।

तानिया उसके क्यूट से चेहरे को देखते हुए बोली : " बेबी... दिस इज़ सो क्यूट... मम्मा को यह बहुत पसंद आया।। " यह कहते हुए वह वेदांश के गालों को चूम लेती है।।

सभी वेदांश और तानिया को देख कर स्माइल करने लग जाते हैं। क्योंकि उन्हें देख कर कोई नहीं कह सकता था कि वेदांश उसका सगा बेटा नहीं है। दोनों बिलकुल माँ - बेटे की तरह लगते थे।।

रात को डिनर के बाद सभी अपने-अपने कमरे में आ गए। तानिया भी रूम में आकर अपने कपड़े चेंज करके नाइट गाउन पहन लेती है। वह आर्य के मुलायम बैड की तरफ देखते हुए सोचने लगती है कि आज तो उसे बहुत अच्छी नींद आने वाली है।।

आर्य भी रूम में ही मौजूद था। वह बाल्कनी में एक इंपोर्टेंट बिज़नैस काॅल अटैंड कर रहा था। थोड़ी देर बाद जब वह काॅल डिस्कनेक्ट करके आया तो तानिया को बैड की तरफ बड़े प्यार से देखते हुए देखा। आर्य ने तानिया के कंधे पर हाथ रखा, जिससे तानिया चौंक गई। वह हड़बड़ा कर इधर - उधर देखने लगी।।

" कौन है...!! "

" तुम इतना डरती क्यों हो... आॅफ कोर्स ये मेरा रूम है तो मैं ही होऊंगा न...!! " आर्य ने यह टीस करते हुए कहा।।

" मैं किसी से नहीं डरती।। " तानिया ने बहादुरी दिखाते हुए कहा।

" अच्छा..!! " आर्य मन ही मन बोला।

आर्य उसके दोनों कंधों को पकड़ कर बैड पर बैठाते हुए बोला : " बैठो यहां...!! "

तानिया बैठ गई। पर उसे समझ नहीं आ रहा था कि आर्य क्या करने वाला है। तानिया की घबराहट बढ़ाते हुए वह उसकी प्रिंसेस नाइट गाउन की नोट को खोलने लगा। यह देख कर तानिया की जान हलक में अटक गई। वह एक मिनट में बैड से उठ गई और हकलाते हुए बोली : " ये... ये... ये क्या कर रहे थे आप...?? "

तानिया का डरा हुआ चेहरा देख कर आर्य को बड़ा मजा आ रहा था।

वह तानिया के पास जाकर बोला : " अभी तुमने ही तो कहा था कि तुम किसी से नहीं डरती। पर मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि तुम डर रही हो।। " यह कहते हुए वह तानिया के चेहरे पर अपनी उंगली चलाने लगा।।

तानिया ने अपनी आँखें बंद कर रखी थी। वह ऐसे ही आँखें बंद किए हुए ही बोली : " पहले तो आप यूं हाथ चलाना बंद कीजिए।। "

आर्य उसे टीस करते हुए बोला : " पर क्यों...?? "

तानिया अपनी आँखें बंद किए हुए बोली : " और अभी आप बैड पर क्या कर रहे थे...?? "

आर्य : " अपने पति होने का फर्ज निभा रहा था...!! "

तानिया अब क्या ही बोलती। आर्य अपने हर एक्ट से उसकी बोलती बंद किए जा रहा था।

आर्य उसके डर को और बढ़ाते हुए सख्ती से बोला : " चुपचाप बैठो, वरना मुझे जबर्दस्ती करनी भी आती है।। "

तानिया तो डर ही गयी। पर उसने ज्यादा सवाल न करते हुए बैड पर बैठ गई। आर्य उसके करीब आकर दुबारा उसके नोट की तरफ हाथ बढ़ाने लगा। तानिया अपनी आँखें कस कर बंद कर चुकी थी। आर्य ने उसके गाउन के नोट को खोल कर उसके ऊपर वाले पार्ट को तानिया के कंधे से सरका दिया। और उसे उसकी बाॅडी से अलग कर दिया।।

तानिया का डर बहुत ज्यादा बढ़ चुका था। यह उसकी दिल की तेज धड़कनों से पता चल रहा था। आर्य उसके पीछे गया और अपने हाथों में मलहम लेकर तानिया के चोट वाले निशानों पर लगाने लगा। तानिया ने जब यह फील किया तो उसने अपनी आँखें खोल दी। थोड़ी देर बाद आर्य ने उसकी पीठ पर अच्छी तरह मल्हम लगा दिया।।

फिर उसके सामने आकर उसके बगल में बैठ गया और उसके हाथों में भी मलहम लगाने लगा। इस वक्त आर्य के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। तानिया तो बस उसे देखती ही रह गई। उसकी इतनी केयर तो उसके डैड ने भी नहीं की थी। वह आर्य को देखती ही रह गई।।

To be continued...

तो तानिया को पहली रसोई के गिफ्ट में क्या - क्या मिला है...?? जानने के लिए पढ़ते रहिए "हैवान की मोहब्बत" और बने रहिए कहानी पर।।

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See you in the next chapter till then take care..