Hotel Haunted - 49 in Hindi Horror Stories by Prem Rathod books and stories PDF | हॉंटेल होन्टेड - भाग - 49

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 49

सब रिसॉर्ट को आंखें फाड़े देख रहे थे मानो ऐसी चीज़ अपनी ज़िंदगी मैं पहली बार देख रहे हो,सब लोग शांत होकर खड़े थे क्योंकि इस वक़्त महोल ही कुछ ऐसा था, रात के करीब 12 बजे सुनसान जगह पे चलती हवाओ के साथ जब कोई जंगल के बीचो-बीच बनी किसी अनजान जगह पे खड़ा हो और वहां किसी के होने का एहसास ही ना हो तो वहा खड़े रहने के लिए काफी हिम्मत चाहिए।

"यार यहाँ आकर मुझे कुछ अजीब सा लग रहा है" हर्ष अविनाश के कान में हल्का सा फुसफुसाया।
"अजीब से क्या मतलब है तुम्हारा?"
"पता नहीं यार वही समझ नहीं आ रहा।''
"अबे तू बावला हो गया है क्या?एक तो यहां इतनी ठंड लग रही है ऊपर से ये मिस. ना जाने कब से किसी को फ़ोन मिला रही है।"अविनाश ने ठिठुरते हुए कहा,अविनाश की बातें सुनकर हर्ष ने आगे कुछ नहीं कहा क्योंकि वो जानता था कि जो वो इस वक्त मेहसूस कर रहा है उसे समझाना बहुत मुश्किल है इसलिए वो बस सामने की तरफ देखने लगा। वहीं दूसरी तरफ मिलन के माथे पे शिकन थी मानो वो कुछ सोच में डूबा हुआ हो, तभी मिस ने अपनी चुप्पी तोडी।
"Damm....it शर्मा का फोन Not Reachable बता रहा है इसलिए मैने उससे कहा था कि सब तैयारी करके रखना"मिस ने दांत पीसते हुए कहा।
"क्या हुआ आंटी?Any Problem?"विवेक ने पूछा तो सब ने पहली बार उसकी आवाज सुनी।
“आंटी??!!अबे मुझे तो लगा कि ये भी स्टूडेंट है पर इनका तो अलग ही सीन चल रहा है यार."अविनाश ने प्रिया से कहा।
“हां तो इससे तुझे क्या Problem है? जो भी हो मिस खुद सब निपटा देगी।" कांपती हुई आवाज में प्रिया ने कहा क्योंकि वहां ठंडी हवाएं सबका हाल बुरा कर रही थी।
"मिस्टर शर्मा फोन नहीं उठा रहे, मैं कब से ट्राई कर रही हूं, उन्होंने कहा था पहुंचते ही फोन करना'' मिस ने अपनी उलझन बताई तो सब एक दूसरे की शकल देखने लगें।
"क्या पता शायद रास्ते में हो लेकिन हम सब कब तक बहार खड़े उनका इंतजार करते रहेंगे चलिए अंदर चलते है"विवेक के कहते ही सबके चेहरे पर हल्का सुकून आ गया।
"पर विवेक हम ऐसे कैसे अंदर जा सकते हैं?ऐसा करना सही नहीं है।"

"ये क्या पागल हो गई है, यहां इतनी ठंड है और इन्हे सही गलत की पड़ी हुई है।"अभिनव ने अपने हाथों को रगड़ते हुए कहा, उसकी बात जिनके कानो मैं पड़ी सबने उसकी बात को सही समझा, क्योंकी वाकाई में ठंड इतनी ज्यादा थी कि चलती हवा की वजह से सबकी नाक, कान,गाल, बर्फ से जैसे जम से गए थे,यहां तक कि जेनी का भी यहीं हाल था।
"आंटी, आपकी बात सही है, पर यहां तो कोई आता जाता भी नहीं है,यह रिजॉर्ट तो सालो से बंध पड़ा है, ऐसे मैं जब इस रिज़ॉर्ट के Owner का ही ठिकाना नहीं है तो फिर अंदर जाने मैं कैसी प्रॉबलम? यहां कोई ऐसा नही है जो हमें अंदर जाने से रोकेगा।"विवेक ने रिज़ॉर्ट को घूरते हुए बड़े ही सरल भाषा में अपना जवाब दिया। विवेक की बातें सुनकर मिस कुछ पल सोचती रही और फिर उन्हे भी ये बात सही लगी, वैसे उनसे भी इस ठंड मैं खड़े रह पाना मुश्किल लग रहा था,"Okay हम अंदर चलते है सब लोग अपना अपना सामान ले लो।" मिस की ये बात सुनते ही सबको चैन मिला इसलिए सबने जल्दी से अपना सामान उठाया और मिस के पीछे चल दिए।


सभी लोग मेरे आगे चल रहे थे पर मेरे दिल मैं एक अजीब सा डर मुझे सता रहा था,मैने सबकी ओर देखा तो उनकी भी शायद यहीं हालत थी क्योंकि यह जगह उस वक्त अपनी ही किसी अलग दहशत का एहसास करा रही थी,दूर-दूर तक फेला काला अंधेरा,उपर चांद की रोशनी तो थी पर वो भी इस अँधेरे को दूर नहीं कर पा रही थी,दोनो side सिर्फ जंगल और आसपास सूखे पेड़ थे,यह देखकर अजीब सा लग रहा था क्योंकि रिजॉर्ट से थोड़ी दूर पर जंगल बिलकुल हराभरा था पर रिजॉर्ट के पास जितने भी पेड़ थे सब सुख चुके थे,हवा की वजह से सुखी टहनीया हिल रही थी और जमीन पर गिरे पत्ते उड़ते हुए अजीब सी आवाज़ कर रहे थे,"ये इस जगह में कुछ अजीब है या फिर मैं खुद ही अपनी दुनिया मैं खोया हुआ हूं इसलिए मुझे ये सब ऐसा लग रहा है।" मन में खुद से सवाल करते हुए में मैं आगे बढ़ा तभी मेरे कानों में मिस की आवाज़ पडी।
"Try Hard Boys" सामने थोड़ी दूर पर बड़े से गेट को विवेक,आर्यन और अविनाश तीनो मिलकर खोलने की कोशिश कर रहे थे पर वो नाकाम रहे।


"मिस अब क्या करें?" अविनाश ने बुरी सी शक्ल बनाकर कहा।
"Relax,We will do something अंदर जाने का कोई और रास्ता तो जरूर होगा,हमे जल्द से जल्द पता लगाना होगा क्योंकि यहां ठंड पहले के मुकाबले ज्यादा बढ़ गई है।" मिस ने कांपते होठों से कहा, बोलते हुए उसके दांत किटकिटाने लगे थे,ठंड की वजह से आवाज के साथ-साथ उसके मुंह से सफेद धुआं भी बहार निकल रहा था और ये बात मिस के साथ सभी को मेहसुस हुई, सभी ने अपने हाथ अपनी पॉकेट के अंदर डाल दिए।"हम पीछे की तरफ देखते हैं.. " हर्ष की बात पे सहमती जताते हुए सभी boys दो group में divide होकर डोर को ढूंढने लगे,वहीं सारी लड़कियाँ main door के पास खड़ी होकर मिस से बातें करने लगी।

मैंने दूर से चलते हुए उनके पास से गुजर गया और सामने उसे डोर को देखने लगा, मेने मिस की तरफ देखा तो वो वहां खड़ी लड़कियों से बातें करने में busy थी,Door पे हाथ रखते ही मेरे कानो मैं आंशिका की आवाज पड़ी,"श्रेयस ये डोर नहीं खुलेगा,सब लोग कई देर से try कर रहे है।" पहले तो आंशिका की ये बात मुझे साफ सुनाई दी पर बात खतम होते हुए ऐसा लगा जिसे उसकी आवाज बिलकुल धीमी हो गई हो,मैने side की ओर देखा तो मेरी नजर एक उड़ते हुए पत्ते पर गई जो बिल्कुल धीरे से हवा मैं उड़ रहा था जैसे वक्त को किसी ने धीमा कर दिया हो तभी मेरे कानो मैं उन सभी लोगो की आवाजे पड़ी जो कुछ देर पहले यहां खड़े थे तभी मुझे लगा जैसे डोर को किसीने अंदर से जोर का धक्का दिया हो,जिससे मेरा शरीर पीछे हो गया,आंखो से सामने अंधेरा छाने लगा,मैं गिरने ही वाला था तभी आंशिका ने मेरा हाथ पकड़ लिया।
' कर्रररर....' बेहद अजीब सी आवाज करते हुए सामने का दरवाजा खुल गया और इतने सालो से कैद ठंडी हवाएं बाहर आने लगी।
"श्रेयस... क्या तुम ठीक हो?....मिस....मिस... "आंशिका मेरी इस अजीब सी हालत को देखते हुए चिल्लाने लगी,"श्रेयस Are you alright?"अबकी बार आंशिका के पुकारने से मैंने उसकी तरफ देखा तो मैने उसके चेहरे पर छाई हुई टेंशन को देखा, वो मेरा बाजू पकड़े खड़ी थी, मेरी सांसें अभी भी ज़ोरों से चल रही थी इसलिए मैने हा मैं सर हिलाया।आंशिका के ऐसे चिल्लाने की वजह से सभी लोग दौड़ते हुए हमारे पास पहुंच गए।


"क्या हुआ आंशिका तुम ऐसे क्यों चिल्लाई?"पर आंशिका कुछ कहती उससे पहले
"मिस....यह डोर तो खुला हुआ है।" अविनाश की नज़र सामने डोर पे पड़ी तो वो चिल्ला पड़ा,जिसे सुनकर सब सामने खुले हुए दूर की तरफ देखने लगें,जिसमे काले अंधेरे के अलावा कुछ दिखाई नही दे रहा था।
"पर ये ऐसे कैसे खुल गया और किसने खोला?"मिस ने बेहद हल्की आवाज मैं पूछा, अबकी बार कोई जवाब देता उससे पहले आंशिका बोल पड़ी," श्रेयस ने मिस" आंशिका के इतना कहते ही सब मुझे घूरने लगे, सबकी आंखो मैं एक ही सवाल था यहीं था कि मैंने ऐसा कैसे किया? लेकिन मैं किसी को क्या बताता क्योंकि में खुद उलझन मैं खड़ा था।
"अब गेट खुल गया है तो अंदर चले या फिर बहार ही खड़े रहने का इरादा है?"इस अजीब सी शांति को तोड़ते हुए ट्रिश ने मेरी तरफ देखे हुए अपनी बात कही और उसकी बात सुन के मिस ने भी सहमती दिखाई "Thank you Shreyas, Good Work" कहते हुए मिस ने अपना कदम अंदर रखा और उनके साथ मोबाइल में टॉर्च जलाये boys भी अंदर चले गए और मैं ना जाने क्यों पर वहां खड़ा सबको अंदर जाते हुए देख रहा था, तभी भाई आंशिका का हाथ पकड़कर मेरे सामने से गुजरा, उसने रुक के कुछ पल मुझे घूरा और अंदर चला गया।
“श्रेयस, इतनी ठंड में तुझे पसीना क्यों आ रहा है? तू ठीक तो है ना?"मिलन ने मुझे घूरते हुए कहा तो उसकी बात सुन मैंने अपने सर पर हाथ रखा तब मुझे पता चला कि मेरा चेहरा पसीना से तर-बतर है, मैंने मिलन को कोई जवाब नहीं दिया और फिर अपना बेग उठाकर रिजॉर्ट के अंदर चला गया।



मैं अपनी नजरें घुमाए इधर-उधर देख रहा था, जहां तक मेरी नज़र जाती थी वहाँ मुझे घने अँधेरा के अलावा कुछ नही दिखाई देता,बाकी सब भी Flash Light की मदद से जितना हो सकता था उतना देखकर आगे बढ़ रहे थे।"So Dark & Creepy" लड़कियो के खुसफुसाने की आवाज़ भी इस जगह में गूंज रही थी यानी जिस खामोशी में इस वक्त सब खड़े थे अगर वहां अगर सुई भी गिर जाती तब भी उसकी आवाज कानों में कुछ देर तक बजती रहती,खिड़की के से आती चांद की रोशनी इस जगह हो हल्की सी रोशनी दे रही थी पर आसमान मैं छाए बादलों ने उसे भी अपने पीछे ढक दिया ,बदलती हवाओ के साथ चारो तरफ हल्की सी धुंध फैलने लगी।

सब लोग खामोशी के साथ आगे बढ़ रहे थे सभी के चलने की वजह से कदमों की आवाज पूरे हॉल मैं गूंज रही थी तभी निशा के चिल्ला पड़ी,अचानक से चिल्लाने की वजह सबके दिल एक पल के लिए सहम गए और अविनाश के हाथ से चिप्स का पैकेट नीचे गिर गया।
"क्या हुआ निशा?" आर्यन ने उसके पास जाकर पूछा।
"I just felt something, जैसे कोई मुझे छूकर निकला हो, मुझे कुछ झटका सा मेहसूस हुआ जैसे किसी ने कंधे पर हाथ रखा हो।"
"मुझे मौका मिले तो यह काम मैं कर दू" निशा की बात सुनकर अभिनव धीरे से फुसफुसाया जिसे सुनकर अनमोल हल्का सा हंस पड़ा।
“उफ़फ तुमने मुझे डरा दिया यार, कौन छुएगा तुझे? कोई नहीं है यहाँ,शायद हवा होगी So,just chill"
"Come on Guys,We need to move on" मिस ने सबकी तरफ देखकर कहा जो सभी लोग निशा को घेरकर खड़े थे।
“पर मिस इस अँधेरे में कैसे बिना कुछ दिखे हम कहा तक जायेंगे?"
"I know that इसलिए मेने शर्मा से इन सबका इंतजाम करने को कहा था पर अब वो खुद ही गायब है, मुझे खुद भी कुछ सोचना चाहिए था तो आज हम इस मुसीबत मैं नही फसे होते।"
"मेरे पास एक टॉर्च है" मिस की बात ख़तम होते ही श्रुति बोली पड़ी जिससे सब लोग उसकी तरफ देखने लगे।उन्होंने torch on की तो वह पहले के मुकाबले ज्यादा रोशनी हो गई पर जेनी का चेहरा अभी भी मुरझाया हुआ लग रहा था।
"अभी भी हमें और रोशनी की जरूरत है,जिससे हम सब यहां adjust हो सके"
"यह रिजॉर्ट पिछले 12-13 से बंध पड़ा है टॉर्च तो क्या यहां एक माचिस भी नहीं मिलने वाली"विवेक ने थोड़ी रूखे टोन में कहा तो हर्ष ने उसकी बात काटते हुए कहा।
“अच्छा तो तुझे बड़ा पता है कि यहाँ क्या है और क्या नहीं, ऐसा लग रहा है जैसे तुम यहां रोज़ आते हो" कोई इसके आगे कुछ कहता उससे पहले ही मिस ने दोनों को शांत रहने के लीजिए कह दिया लेकिन मैंने किसी की भी बात पर ध्यान न देते हुए अपनी बात कही।


“क्या पता मिस्टर शर्मा ने हमारे आने से पहले ही इन सबका इंतजाम कर दिया हो?"
"पर वो कैसे?" विवेक ने इतना ही कहा कि मिस ने बिच मैं उसे रोक दिया, "हां शायद तुम सही कह रहे हो श्रेयस।"
"फिर हमें ढूंढना चाहिए शायद मिल जाए" आंशिका ने बात को पूरी करते हुए कहा।
"ठीक है तो फिर में और अवि ढूंढ कर आते है।" हर्ष ने फ़ौरन कहा और उसकी बात सुनकर "मैं?!पर....मैं क्यूं?"अविनाश ने डरते हुए कहा।
“अबे तो और कौन? चल जल्दी चल, वैसे भी हम सब काफी देर से यही पर खड़े हैं" श्रुति से हाथ से torch लेकर हर्ष थोड़ा आगे बढ़ा उसने पीछे मुडकर देखा तो अवि अभी भी वही पर खड़ा था,उसकी शकल ऐसी हो गई थी मानो वो अभी रो देगा,उसने डरते हुए आंशिका की तरफ देखा तो आंशिका ने उसे कंधे पे हाथ रखते हुए कहा,"जाओ, नहीं तो तुम्हे अँधेरे में अकेले जाना पड़ेगा।"
"नहीं...नही" कांपती आवाज़ में अविनाश कहते ही हर्ष के पिछे दौड़ पड़ा उसकी हालत देख सब लोग हंसने लगे पर आंशिका की नजर श्रेयस पर गई तो वो कही खोया हुआ था।
"ऐसे क्या देख रहे हो श्रेयस?" कानो मैं उसकी आवाज पड़ी तो मैंने ऊपर की तरफ इशारा किया,कुछ देर देखने के बाद आंशिका ने कहा,"अजीब सी बात है, इस झूमर में लगें कांच के टुकड़े आपस में टच हो रहे हैं पर इससे कोई आवाज़ नहीं हो रही?" उसके कहते ही मैंने उसकी तरफ देख तो वो अभी भी ऊपर देखते हुए कुछ सोच रहीं थी।



कुछ देर तक सब लोग ऐसे ही खड़े रहे कुछ लड़कियां जमीन पर बिछी मेट पर बैठ गई तो कुछ लोग बाहर जंगल की ओर देख रहे थे तभी दूर कॉरिडोर से तेज़ रोशनी दिखाई दी, जिसकी वजह से पूरे हॉल मैं उजाला हो गया, कदमों की आहट के साथ हर्ष सबके सामने आकर खड़ा हो गया,"अच्छी खबर है, हमें कुछ torches मिलीं है।" इतना कहकर उसने अपने हाथ मै रखी 4-5 टॉर्च सबके सामने रख दी"
"अवि कहां है?" प्रिया के पूछते ही अविनाश भी आता दिखा जिसके हाथ में भी 4 टॉर्च थी,"Oyy तुझे क्या हुआ?ऐसी शकल क्यों बना रखी है?" अविनाश की शकल देख प्रिया ने पूछा।
"कुछ नहीं,ये अँधेरे से डरता है इसलिए ऐसी शक्ल है इसकी" हर्ष ने अविनाश की जगह जवाब दे दिया।अब ज्यादातर सबके हाथो में torch थी इसलिए सब लोग साफ देख सकते थे,इस वक्त सभी reception वाले हॉल मैं खड़े थे।
"Okay Friends, चलिए कमरे कमरे की तरफ बढ़ते हैं, अभी जो भी कमरा है मिले उसमे Adjust हो जाना, कुछ देर सब आराम करेंगे फिर हम सब यहां मिलेंगे,यही पर dinner करेंगे और एन्जॉय करेंगे,Okay Guys?"

"Yess....मिस" सभी लोग चिल्लाये तो उनकी आवाज रिज़ॉर्ट के साथ बहार के वातावरण में भी गूंज उठि,मिस की बात सुनकर सब लोग उपर कमरे की ओर बढ़ते लगे, मैं रोशनी की मदद से इधर-उधर देखते हुए आगे बढ़ रहा था तभी torch की मदद से मेने दीवार पे टंगी एक बेहद बड़ी तस्वीर को देखा जिसे देखकर में वही रुक गया और बिना पलके झपकाये सामने लगी पेंटिंग को देखने लगा, तभी मेरे कानों में कुछ हल्की आवाज पडी, मैं आवाज की दिशा में मुड़ा तो मैंने पाया की ये आवाज किसी ओर की नहीं बल्की उपर झूमर में लगें कांच के टुकड़ों के टकराने की वजह से आ रही थी,जो हवा की वजह से हल्का सा हिल रहे थे।
"श्रेयस क्या हुआ? चल" मिलन की आवाज मेरे कानों मैं पड़ी तो होश में आया और फिर वहां से चल पड़ा, उपर पहुंचकर देखा तो वहा हल्ला मचा हुआ था,starting के कुछ कमरे pack हो चुके थे,मैं चलता हुआ आगे जाने लगा, जहां अलग से दो कमरे बने हुए थे,एक का गेट आधा खुला हुआ था,जिसे देख में समझ चुका था कि वहां पहले से ही कोई है तभी मेरे कानो मैं भाई और आंशिका के मुस्कुराने की आवाज पड़ी जिसे सुनकर मैं फ़ौरन अपने रूम मैं घुस गया।


मैने कमरा बंध कर दिया, मुझे मेरी किस्मत पे ही गुस्सा आ रहा था क्यूँकि जितना मैं उससे दूर जाना चाहता था,वो मेरे उतनी ही करीब आ रही थी, इन सब बातों को सोचते हुए में बेड पे जा बैठा,कंधे से उतारकर अपना बेग बेड पे रख दिया और उसमे से एक फ्रेम निकला, फ्रेम के अंदर सजी उस तसवीर को देखने लगा तभी मेरे कमरे का डोर खुला,"क्या में अंदर आ सकती हूं?"आवाज़ की तरफ़ मेरी नज़र गई तो देखा ट्रिश खड़ी थी, मेने फ्रेम को वहीं बेग के ऊपर रखकर कहा।
"तुम्हे पूछने की जरूरत नहीं है" कहते हुए में खड़ा हुआ तो ट्रिश मेरे पास आ गई और आते ही उसने अपना सवाल किया," श्रेयस तुम ठीक तो हो ना? "
"हां पर तू ये क्यों पूछ रही है?"
“नहीं वो अभी बहार तेरी हालत कुछ ठीक नहीं लग रही थी, तुम बहुत घबराए हुए लग रहे थे।"
"नही ऐसा कुछ नहीं है।" मेरा जवाब सुनकर कुछ देर तक ट्रिश मुझे देखती रही।
"असल में ये जगह कुछ अजीब सी है, जब से यहां आया हूं तब से दिमाग में ना जाने क्या क्या घूम रहा है शायद उसकी वजह से तुझे ऐसा लगा होगा पर मैं बिल्कुल ठीक हूं चिंता मत करो" मेने बेहद नॉर्मल आवाज़ में कहा।
"Okay फिर ठीक है" कहकर ट्रिश चुप हो गई।
"तू क्या यहीं पूछने आई थी?"
"Ohh....Shit एक बात तो कहना भूल गई ये ले माचिस रूम में कैंडल्स भी लगी हुई है तो उनको जला देना" मेने ट्रिश से कैंडल्स ली और ट्रिश रूम से चली गई।
कुछ पल कैंडल्स को ढूंढने के बाद मुझे वो मिल गई और जैसे ही कैंडल्स की रोशनी में उभरकर वो कमरा मेरे सामने आया मेरी आंखें रूम को बिना पलक झपकाए देखती रही, बेहद ही शानदार Design किया हुआ रूम था,कुछ देर तक मैं उसकी खूबसूरती मैं जैसे सब भूल ही गया,उस कमरे का बेहद ही unique Architecture था,मिस ने study tour के लिए यह जगह क्यों चुनी अब मुझे समझ आ रहा था,उसके बाद मैं फ्रेश होने चला गया, कुछ पल बाद बहार आया और सीधे बिस्तर पर जाकर बैठ गया,बेग पर रखी उस फ्रेम को मैने सीधा किया और फोटो मैं मां के चेहरे की उस मुस्कान को देखने लगा।

मिलन ने गेट पर आकर कहा,"श्रेयस मिस ने कहा है कि फ्रेश हो गए हो तो नीचे आ जाना"मैं कुछ पल ऐसे ही बैठने के बाद मैने उस। फ्रेम को टेबल पर रख दिया और रूम से निकल गया।फ्रेम में शिल्पा की फोटो थी, जिसका एक तरफ श्रेयस और दूसरी ओर हर्ष के बचपन की फोटो थी,शिल्पा दोनो को अपनी बाहों मैं लिए हुए मुस्कुरा रही थी।


To be Continued.....