Hotel Haunted - 48 in Hindi Horror Stories by Prem Rathod books and stories PDF | हॉंटेल होन्टेड - भाग - 48

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 48

दोपहर का वक्त था पर मौसम कुछ इस कदर ख़राब था जैसा वो भी किसी के जाने का शोक मना रहा हो,आसमान मैं घने बादल छाए हुए थे, सर्ज हवाएं बह रही थीं,चारो तरफ धुंध की चादर बिछी हुई थी पर एक जगह कॉलेज के compound मैं हलचल मची हुई थी।
"साले मुझे अभी तक ये समझ नहीं आया कि तू select कैसे हुआ?तेरा प्रोजेक्ट तो महा वाहियाद बना था।" हर्ष ने आंशिका के गले में हाथ डालते हुए सामने चॉकलेट खा रहे अविनाश से पूछा।
"अबे तुझे क्या लगता है ऐसा प्रोजेक्ट में कभी बना सकता हूं, ये प्रोजेक्ट तो निधि का है।''
"क्या??!" प्रिया चौंकते हुए बोली।
"इसमें इतना हैरान क्यों हो रही है? पहले कुछ juniors को भी इस trip मैं शामिल करने का मिस का प्लान था इसलिए उन सभी को भी हमारी तरह project prepare करने को कहा था पर बाद मैं उन्होंने वो idea drop कर दिया और उस project के base पर उन सभी को Final presentation के मार्क्स दे दिए तो निधि का project मैने ले लिया।"
"अजीब है यार अवि,अचानक से निधि को क्या हुआ वो बिना बताए अपने uncle के यह चली गई,उसने एक बार भी बताना जरूरी नहीं समझा।'' हर्ष ने थोड़ा गंभीर होते हुए कहा तो अविनाश ने ऐसे सर हिलाया मानो उसे कुछ नहीं पता,ये सब आपस में बात कर ही रहे थे तभी..'' Come on On Guys, All Of You Come Here "Jenny की आवाज़ सुन सब उसके पास चले गए,"okay,so all of you here पर उससे पहले कुछ बातें हैं जो आप सब पहले से ही समझ ले,मुझे आप सब से यही उम्मीद है कि आप सब वहा properly behave करेंगे & No Fights, Understand?"मिस का point अभिनव, अनमोल और हर्ष की तरफ था।



"Yess Miss." सबका जवाब पाकर जेनी ने Okay कहा और घड़ी में टाइम देखकर कॉलेज के gate कि तरफ़ देखने लगी तभी उसकी नज़र उन लोगो पर पड़ी जिसका वो इंतजार कर रही थी, बाकी सब आपस में बात कर रहे थे पर आंशिका कही खोयी हुई सी थी,जैसे वो यहां होकर भी सबके साथ नहीं थी, हर्ष उसे देख के समझ गया कि कुछ तो बात है पर इससे पहले वो कुछ पूछ पाता उसके कानों में फिर जेनी की आवाज पड़ी।
"Guys Meet Them,They Are Also Coming With Us Meet विवेक, आर्यन और निशा।" मिस की आवाज सुनते ही सबकी नज़र उनके सामने खड़े तीन लोगो पर पड़ी, कंधे पे ट्रैवलिंग बैग, कूल डूड की तरह खड़े दो लड़के और साइड में शॉर्ट्स पहली हुई एक लड़की, जिसने अपने शॉर्ट्स के ऊपर स्वेटर बांधा हुआ था।
"Hot है यार" निशा की टांगों को देखते हुए अभिनव बड़बड़ाया।
"अबे यार इन लड़कियाँ को ठंड नहीं लगती क्या?" अविनाश ने प्रिया के कानो में फुसफुसाया।
"तू नीचे देखना बंध कर" प्रिया ने उसे कहा तो अविनाश समझ गया और हल्का सा पीछे हो गया।
"Hello, Everyone" Chawing Gum चबाते हुए निशा ने सबको हेलो कहा पर विवेक और आर्यन बिना कुछ बोले इधर उधर देख रहे थे।"यार इन दोनो में कुछ ज्यादा ही Attitude लग रहा है पता नहीं अपने आप को क्या समझते है?'' मिलन ने असमंजस में कहा।
"Who Cares? Come on Let's go" कहते हुए श्रुति ने एक नजर उन पर डाली और बस मैं चढ़ गई,यह देखकर मिलन भी उसके पीछे चला गया।
"Common Guys , We Have A Journey Ahead,Lets Move"Jenny के कहती ही सब लोग बस में चढ़ने लगे, आखिर मैं आंशिका बची थी वो कॉलेज के गेट की तरफ देखते हुई बस की सीढ़ियों पर जाकर रुक गई और कुछ देर वो बस वही देखती रही।

"आंशिका??! Any Problem?" हर्ष की आवाज से उसका ध्यान टूटा तो वो हर्ष की तरफ देखने लगी," नही कुछ नहीं"आंशिका के लफ्जों में झूठ साफ झलक रहा था।
“देखो अगर कुछ बात है तो मुझे बता सकती हो तुम काफी देर से खोई हुई लग रही हो।" हर्ष के पुछते ही आंशिका ने दिल में चल रही परेशानी को कह दिया।
"हर्ष, श्रेयस नहीं आया??" आंशिका की आवाज़ में साफ था कि वो परेशान है पर वही उसकी बात सुनकर हर्ष का mood off हो गया,"आंशिका He is out of the world Now पागल हो गया है वो,उसका कुछ नहीं होगा तो उसके बारे मैं ज्यादा ना सोचकर You Just Come in "कहते हुए हर्ष ने आंशिका का हाथ पकड़ा और उसे अंदर आने को कहा,हर्ष का यह reaction देखकर उसने कुछ नहीं कहा और वो दोनो अपनी seat पर जाकर बैठ गए,आंशिका के कानो बस में सभी की बातों का शोर गूंजने लगा।


"Guys Are You All Ready To Go?" जेनी ने Excitement मैं कहा तो सब लोग चिल्ला पड़े,"Yesss"
"हम लोग study tour के लिए का रहे है तो इसका मतलब यह भी नही है की हम वहा मस्ती नही करेंगे So Guys,Are you ready to have some fun? "जेनी भी स्टूडेंट्स के साथ मस्ती वाले मूड में खो चुकी थी, सभी स्टूडेंट्स एक बार फिर चिल्लाये,"मैम धमाल मचा देंगे वहा।"सब खुश थे पर लड़की अभी भी उसकी नज़र बस के उस दरवाज़े पर गढ़ाए किसी का इंतज़ार कर रही थी,सब अपनी अपनी मस्ती मैं खोए हुए थे यह देखकर आंशिका सोच रही थी कि आज के टाइम मैं किसी को किसी की परवा नहीं है बस अपनी ख़ुशी सबसे बढ़कर है। Engine start होने की आवाज के साथ आंशिका की हर वो उम्मीद टूट गई जो वो सुबह से लगायी बैठी थी।


कहते हैं कि विश्वास और उम्मीद ही इंसान को हर मुसीबत मैं जीत दिलाती है। बस अभी धीरे से चलती हुई आगे बढ़ी ही थी तभी बस के दरवाजे पर नोक हुआं और बस रुक गई।दरवाजा खुलते ही श्रेयस ट्रिश के साथ बेग लेकर अंदर आ गया।उसके अंदर आते ही सबसे पहली नज़र मिस पर गई,"Thank You, It Means A Lot To Me , Glad To See You Here" मिस ने मेरे गाल पे हाथ रखते हुए कहा तो में हल्का सा मुस्कुरा दिया।
बाकी सब से मिलते हुए मैं बस के अंदर जाने लगा तभी मेरी नजर आंशिका पर गई तो वो मेरी तरफ ही देख रही थी,मैने एक पल उसकी तरफ देखा और फिर अपनी नजर घुमाकर आगे बढ़ने लगा,मैं ट्रिश के साथ चलते हुए पीछे की तरफ चला गया हम दोनो ने अपना बेग रखा और वही पर बैठ गए।
"कहा था ना कोई फालतू का ड्रामा दिया तो घर आकर घसीटकर ले जाऊंगी।" ट्रिश ने अपने बैग से earphones निकाले और मेरी बगल वाली सीट पर जाकर बैठ गई।मैने साइड पर देखा तो आंशिका मुड़कर मेरी ओर ही देख रही थी,मेरे आने से जो खुशी उसे हुई थी वो उसके चेहरे पर साफ जलक रही थी तभी भाई ने उसके कंधे को पकड़ा और अपनी तरफ खीच लिया,जिसकी वजह से मैने अपनी नजर हटाई और खिड़की के बाहर देखने लगा।




कुछ घंटों बाद


शाम हो गई थी,ढलते सूरज के साथ बस के इस शोर में बैठे सभी को भुलाकर में बस खिड़की से बाहर देख रहा था।चलती हुई इस बस से साथ सब कुछ पीछे छूट रहा था,रास्ते मैं आए पेड़,पहाड़,घर,गांव और कस्बों से गुजरते हुए हम बहती हवाओं के साथ आगे बढ़ रहे थे।बाहर देखकर में सोच में डूबा हुआ था की अचानक बस में काफी शोर मचाने लगा, जिसने मेरा ध्यान बहार से अंदर कर दिया और जैसा ही मेने सामने देखा मेरा दिल तड़प उठा।हर्ष और अंशिका दोनों एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे, देखते ही देखते हर्ष ने आंशिका की कमर मैंने हाथ डाला और उसने अपने ऊपर बिठा लिया और उसके चेहरे पर आए बालो को उसने चेहरे से हटाया, सब ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लग्गे... "Kiss Her....Kiss her....kiss....kiss."दोनो के चेहरे एक दूसरे के करीब पहोचते जा रहे थे।मैने फ़ौरन अपनी नज़र अनपर से हटा ली, मैं ज़ोर - जोर से सांसें लेने लगा, हाथ से सीट कवर को पकड़कर सारा गुस्सा उस पर निचोड़ने में लगा लेकिन उससे भी ये गुस्सा ख़तम नही हो रहा था। भारी आंखो के साथ दिल से कुछ अल्फाज निकलने लगे


"चंद पलो में मिली मोहब्बत हो तुम मेरी"
पर अब तो हम चोट खा बैठे,
मुझ पर तरस खाने की भूल ना करना,
तुम नही तो तुम्हारी याद ही सही।"


अभी दिमाग मैं यह सब सोच ही रहा था कि बस में एक दम से जोर का ब्रेक लगा जिससे मेरा सर हल्के से सामने की सीट पर टकराया आंशिका और हर्ष के साथ सभी लोग हड़बड़ा गए,इस झटके को पाकर सभी लोग गिरते हुए बचे," ड्राइवर.. ध्यान से...क्या कर रहे हो?"इतना तेज़ झटका पाकर मिस चिल्लाते हुए बोली,मिस की बात सुनकर ड्राइवर ने फौरन engine बंद कर दिया," Ssshh....सब शांत हो जाओ।"ड्राइवर के अचानक इस तरह से कहने से सब शांत हो गए और ध्यान से बाहर की तरह देखने लगे।


ड्राइवर ने अपनी उंगली सामने की तरफ की तो सामने एक भेड़ जैसा जानवर खड़ा था,पर रात के इस अंधेरे में उसे पहचान पाना मुश्किल था,अंधेरे में चमकती हुई आंखें बहुत ही खौफनाक लग रही थी, मिस के साथ पीछे खड़े सभी Students की धड़कने तेज़ हो गई,बस मैं कुछ पल कोई हलचल नहीं हुई,वो जानवर कुछ देर तक यूं ही देखता रहा और फिर जंगल के अंदर चला गया।''जंगली जानवरो का इलाका है मैडम इसलिए अचनाक से बस को रोकना पड़ा, किसी को चोट तो नहीं आई ना?" ड्राइवर की आवाज़ से ही मिस को डर लग रहा था, "No... No Problem" बैठी हुई आवाज के साथ मिस ने कहा।
"वैसे हम कितनी देर में पहुंच जाएंगे?" मिस ने हिम्मत करके सवाल किया।
"जंगल आ गया है मैडम इसलिए समझ लीजिए हम पहुच ही गए।"ड्राइवर ने इतना ही कहा और एक बार फिर बस अपनी मंजिल की और चल पड़ी।
" कौन सा जानवर था मैडम?"मिस की पिछली सीट पर बैठी श्रुति ने हकलाते हुए पूछा, उसके चेहरे से लग रहा था कि वो बहुत डरी हुई है।
"होगा कोई, तुम Tension मत लो अब वो चला गया है।" मिस ने समझाते हुए कहा तो वो तो शांत हो गई लेकिन अब आगे जहा वो पहुंचने वाले थे उससे अच्छा किसी जानवर के हाथो मरना अच्छा होगा,ये सब वक्त के उस जाल मैं फंसने वाले थे जहा से निकलने का एक ही रास्ता होगा वो होगी 'मौत'।


धीरे-धीरे चलती हुई बस सड़क के कंकड़ पत्थरों को कुचलते हुए शांति भरे माहोल में घुस गई,ठंड के इस मौसम मैं बस का engine अजीब की आवाज़ करते हुए बंद हो गया,ड्राइवर ने चाबी को 2-3 बार घुमाया पर इसी के साथ इंजन ने दम तोड़ दिया और सन्नाटे ने उस जगह को फिर अपनी चपेट मैं ले लिया। ड्राइवर अपनी आंखें खोले बस की जलती हेडलाइट से बाहर देखने की कोशिश कर रहा था,बस मैं पीछे पूरी तरह शांति थी क्योंकी सब आंखें बंद करके सफर की थकान की वजह से हल्की नींद में खोए हुए थे इसलिए किसी को पता नहीं चला की बस रुक चुकी है।बाहर से आती हुई हल्की हवा का ठंडा एहसास Jenny के चेहरे पर पड़ा तो उसकी आंखें अचानक खुल गईं और आँखें खुलते ही वो फ़ौरन अपनी जगह से खड़ी हुई और बहार देखकर उसके चेहरे पे मुस्कान आ गयी।


"Come On Guys,We reached" कहते हुए सबसे पहले मिस उतरी और एक ठंडी हवा उसके चेहरे पे पड़ी, जिससे उसका पूरा शरीर कप-कपा गया, कुछ कदम वो आगे चली और उसकी आँखों के सामने वो चीज आ गई जहां पहुंचने के लिए वो कबसे बेकरार थी,जिसे देखते ही उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई, देखते ही देखते बाकी सब अंगड़ाई लेकर ऊबासी मारते हुए बस से उतरते लगे लेकिन जब वहां चल रही हवा सबके शरीर के आरपार हुई तो सबके शरीर कपकपा गए। सब उतरे और सामने देखने लगे, सबकी आंखें ऐसी खुल गई थी मानो वो चीज़ उनकी आँखों में नही समा रहीं हो। कुछ पल में बस के अंदर ऐसे ही अकेले बैठा रहा फिर खड़े होकर बस के दरवाजे से सामने जंगल की तरफ़ देखने लगा, मुझे लगा शायद उस जंगल मैं खड़ा कोई हमे देख रह था पर अँधेरे में ज्यादा कुछ दिखाई नहीं दिया इसलिए मेने अपने कदम आगे बढ़ाए और बस के बाहर आ गया।
जैसे ही वहा पर कदम रखा तो ऐसा लगा मानो वह की ठंडी हवाएं शरीर मैं शरीर कई सुइयां चुभो रही हो।कुछ अजीब सा लग रहा था तभी मेरी नज़र सामने की स्ट्रीट लाइट पर पड़ी जिसे देख मुझे बेहद अजीब लगा, अजीब इसलिए क्योंकि आसपास जितनी भी लाईट्स लगी थी सभी बंद पड़ी थी पर सिर्फ ये एक ही लाइट थी जो जलने की कोशिश कर रही थी, उसपर लगा बल्ब 'जर्र---जर्र' की अजीब सी आवाजें कर रहा था लेकिन रोशनी नहीं फ़ैला पा रहा था, में वहां से जाने के लिए अभी मुड़ा ही था तभी मेरी नज़र एक बोर्ड पर पड़ी जो बिल्कुल स्ट्रीट लाइट के साइड में लगा हुआ था,मैं चलते हुए उस तरफ बढ़ा और उस लाइट की हल्की सी रोशनी मैं उस पर लिखे हुए शब्दों को पढ़ने की कोशिश करने लगा लेकिन अक्षरो के ऊपर इतनी मिट्टी जमी हुई थी की कुछ साफ नहीं दिख रहा था, मैंने कई बार कोशिश की पर नही पढ़ पाया,आखिरकार उसे मैने नजरअंदाज किया और आगे बढ़ गया,श्रेयस के जाते ही वो बल्ब पूरी तरह से जल उठा,उस बल्ब की तेज़ रोशनी उस बोर्ड पर पड़ी जिससे वो शब्द साफ नजर आने लगे,'Haunted Place : Stay Away' मैं वहा से जाकर सबके साथ खड़ा हो गया और सामने रिजॉर्ट को देखने लगा तभी मेरी नज़र सामने गई जिस पर बड़े अक्षरो से लिखा हुआ था
"डार्क हॉन्टेड नाइट रिज़ॉर्ट"

वक्त ने अपना खेल खेलना शुरू कर दिया है और ये थी वक्त की सबसे बड़ी चाल जिसे शायद कोई नही समझ पाया, वक़्त आ गया है अब एक बार फिर अतीत के उन पन्नों में जाने का जहां जाने के लिए जिंदगी को बहुत कुछ कुर्बान करना पड़ेगा। अतीत का अब वो दरवाजा खोलने पहुंच चुके हैं,जहा कुछ ऐसी बाते गड़ी हुई है जिन्हे जान कर हर किसी की जिंदगी की बदल जाएगी।



To be Continued......