Rak add Aurat - 2 in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | रक अदद औरत - 2

Featured Books
  • ঝরাপাতা - 1

    ///ঝরাপাতাপর্ব - ১সন্ধ্যা নামার ঠিক আগের এই সময়টা খুব প্রিয়...

  • Ms Dhoni

    রাঁচির ছোট্ট শহর। স্টেশন রোডের পাশে এক সরকারি কোয়ার্টারে থা...

  • মহাভারতের কাহিনি – পর্ব 118

    মহাভারতের কাহিনি – পর্ব-১১৮ যুদ্ধের নবম দিনে ভীষ্মের পরাক্রম...

  • তিন নামের চিঠি..

    স্নেহা, অর্জুন আর অভিরূপ — ওরা তিনজন।কলেজের এক ক্লাসে প্রথম...

  • জঙ্গলের প্রহরী - 3

    জঙ্গলের প্রহরী / ৩পর্ব - ৩জঙ্গলের হাতার বাইরে কাঁটাতারের বেড...

Categories
Share

रक अदद औरत - 2

इसलिये वह बात बात पर ताने मारती और कोसती,"खुद तो मर गए लेकिन मेरी जान को इसे छोड़ गए।"
चाची के घर मे कमला नौकरानी की तरह दिन रात पिसती रहती।सुबह अंधेरे ही चाची उसे आकर झिंझोड़ती,"उठना नही है क्या?महारानी की तरह पड़ी रहेगी तो घर का काम कौन करेगा?तेरा बाप?"
कमला की रोज सुबह गाली गलौज से शुरू होती।उसे बिस्तर से नीचे उतरते ही काम मे लगना पड़ता और वह रात देर तक काम मे ही लगी रहती।दिन भर काम करने पर भी चाची उसे हरामखोर,कामचोर,मक्कार और न जाने क्या क्या कहने से न चूकती।
चाचा का स्वभाव चाची से बिल्कुल उल्टा था।एकदम विपरीत।चाचा उससे बहुत प्यार करते थे।कभी भी उसे डांटते फटकारते नही थे।उसे बहुत चाहते थे।उसके चाचा जिंदा रहे तब तक तो सब सही रहा।लेकिन चाचा की एक दिन दिल का दौरा पड़ने से अचानक मौत हो गयी।लेकिन उनके गुजरते ही चाची का एक छत्र राज हो गया।
और चाची के जुल्म सितम,कड़वे बोल और बद्दुआए सुनते हुए कमला जवानी की दहलीज पर आ गयी।
और चाची ने उसकी शादी का नाटक रचकर उसे मोटे पैसे लेकर एक आदमी को बेच दिया।
उसकी शादी एक नाटक थी।एक ड्रामा।एक सुनियोजित षड्यंत्र।इस बात का पता उसे तब चला जब वह दुल्हन के रूप में विदा होकर मुम्बई शहर में आ गयी।
सुहागरात।एक सुखद एहसास।प्रथम मिलन की बेला।इस रात को दो अजनबी मर्द और औरत जो एक सूत्र में बंधकर पति पत्नी बन चुके है।पहली बार सुहागकक्ष मे मिलते है।एक दूसरे को देखते है।प्यारी और मीठी बाते करते है और पहली बार दो शरीर मिलकर एक हो जाते है।इस रात के सपने हर कुंवारी लड़की देखती है।कमला ने भी देखा था।यह रात हर औरत की जिंदगी में आती है और एक ही बार आती है।
कमला का सुहागकक्ष बेहतरीन रंग के फूलों से सजा हुआ था।कमला पलंग पर सिकुड़ी हुई शर्माकर पलंग पर बैठी पति के आने का ििइंतजआरतजत कर रही थी।काफी देर बाद आहट हुई और उसके अंदर आते ही दरवाजा बंद हो गया था।और अंदर आनेवाले आदमी पर उसकी नजर पड़ी तो वह चोंक गयी थी
"तुम कौन हो?"
"आज रात तुम्हारा पति।"
"क्या बकते हो
"बक नही रहा,"वह बोला,"तुम्हारे साथ सुहागरात मनाने के लिए मोटा पैसा दिया है
कमला ने उस रात हर सम्भव प्रयास अपने को बचाने का किया था।पर व्यर्थ।दरवाजा बाहर से बन्द था।चाची ने पैसे लेकर उसे भेड़िये को बेच दिया था।वह भेड़िये की मानद में आ पहुंची थी।उस आदमी ने उसे नही छोड़ा था।उसके तन से रात भर खेलता रहा और वह अपनी अस्मत को लूटते हुए बेबस पड़ी देखती रही।
उस रात के बाद रोज रात को उसकी अस्मत का सौदा होने लगा।जो भी ज्यादा बोली लगता उस रात के लिए उसका पति बन जाता।उसके शरीर को नोचता,रोंद्ता और जो चाहता करता।जो भी आता अपने पैसे की पूरी कीमत वसूल कर सुबह होते ही चला जाता।
कमला के साथ अग्नि के सात फेरे का नाटक करने वाला औरतों का दलाल था।जिसे वह पति समझ रही थी,वह न जाने कितनी औरतों को इस तरह पत्नी बनाकर धंधा कर रहा था।न जाने कितनी B भोली भाली लड़कियों को शादी के नाटक से पत्नी बनाकर उनसे धंधा करा रहा था