Hotel Haunted - 37 in Hindi Horror Stories by Prem Rathod books and stories PDF | हॉंटेल होन्टेड - भाग - 37

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 37

"आंशिका बार-बार किसको देख रही हो?" प्रिया ने आख़िर आंशिका से सवाल कर ही लिया क्योंकि जबसे आंशिका कैंटीन में आई थी तबसे वो बार - बार कैंटीन के गेट की तरफ देख रही थी।
"कुछ नहीं बस...." आंशिका ने इतना ही कहा कि तभी कैंटीन में अभिनव अपने दोस्तों के साथ एंटर हुआ , दोनों की नजरें आपस में मिली, कुछ सेकेंड के लिए आंशिका ने उसकी तरफ देखा और फिर अपनी नजरें हटा ली, अभिनव जान बुझ के उनके पास वाली टेबल पर जाकर बैठ गया, उसके साथ साथ अनमोल और समीर भी जाकर बैठ गए।
“तू अपने भाई को समझती क्यों नहीं, कब तक वो अभी की चमचा गिरी करता रहेगा।"प्राची ने प्रिया की तरफ देखते हुए कहा।

"पता नहीं यार, कितना समझाया मैंने उसे लेकिन मानता ही नहीं।" प्रिया ने समीर की तरफ देखते हुए कहा, समीर की नजर जैसे ही प्रिया से टकराई वो समझ गया कि उसकी बहन उसे क्यों ऐसे देख रही है इसलिए उसने अपनी नजरें वहां से हटा ली प्राची और प्रिया आपस में इसी बात को लेकर बेहस कर रहे थे, दोनों में से किसी ने आंशिका पे ध्यान नहीं दिया जो गुमसुम सी किसी सोच में बैठी थी लेकिन उसकी इस हालत को निधि ने बखूबी समझ गई और उसने अपना हाथ बढ़ाकर आंशिका के हाथों के ऊपर रखा, हाथों का स्पर्श पड़ते ही आंशिका ने निधि की तरफ देखा तो निधि ने आंखों ही आंखों में पूछा 'ठीक तो है ना?' बात को समझे हुए आंशिका ने अपनी पलकें झुकाई मानो कह रही हो हां बिल्कुल।'


जैसे ही प्राची और प्रिया को एहसास हुआ कि उन दोनों की बातों से important कुछ ओर है तो दोनो ने आंशिका की तरफ देखा " हम कहीं और चले आंशिका" प्रिया ने बेहद आराम से कहा "नहीं प्रिया, इसकी कोई ज़रूरत नहीं है, मैं ठीक हूँ" आंशिका ने मुस्कुराते हुए कहा, तो तीन उसे हेरानी भर्री नज़रों से देखने लगी।


दुसरी तरफ.....


अभिनव और अनमोल आपस में बात कर रहे थे, तभी पीछे से एक हाथ ने अभी के कंधे को हल्का सा थप - थपाया जिसे मेहसुस करते हुए अभी ने अपनी गर्दन घुमाई और जैसी ही उसने पीछे देखा तभी "चटाककक....." थप्पड़ की ज़ोरदार आवाज़ पूरे केंटीन मैं गूंज उठी, जो कैंटीन में बैठे सभी के कानो पर पड़ी,जिसे देखते ही सभी की आँखें खुली रह गयी.....सब ये देखकर आपस में बातें करने लगें,वहीं अनमोल और समीर भी हैरान थे,इधर अभिनव को थप्पड़ पड़ते ही उसने अपनी नज़रें उठाकर देखा तो सामने खड़ी ट्रिश को देखा जो गुस्से में उसकी तरफ देख रही थी।


अभिनव कुछ कहता है उसे पहले Trish ने अपनी उंगली दिखाते हुए कहा " ये थप्पड़ तुम्हारे इस so called attitude के लिए ' इतना कहकर वो चुप हो गई, अभिनव उसकी बात सुनकर गुस्से मैं भड़कते हुए कुछ कहने के लिए मुहं खोलता ही है कि उससे पहले ट्रिश ने दूसरी बार अभिनव के चेहरे पर एक और थप्पड़ मार दिया और इस बार कैंटीन में जितने लोग मौजूद थे वो सभी खड़े हो गए "और ये थप्पड़ मेरे दोस्त,उस इंसान के ऊपर हाथ उठाने के लिए जो तुझसे और यहां बैठे हर एक इंसान से कहीं ज्यादा अच्छा है,जिसकी कोई गलती न होने के बावजूद तूने उसे इतना मारा और फिर भी उसने कुछ नहीं किया तो अगली बार उससे परेशान करने से पहले ये थप्पड़ याद रखना।"इतना कहने के बाद ट्रिश वापस जाने लगी....मैं भागता हुआ कैंटीन में पहुंच गया तो देखा कि ट्रिश कैंटीन से बाहर ही आ रही थी, मैने सबकी तरफ देखा तो सब सहमे हुए आपस में बात कर रहे थे, मैं समझ चुका था की जो होना था वो हो चूका है और ट्रिश मेरी तरफ देखते हुए मेरे पास आ ही रही थी की तभी.....
"How dare you to slap me like this, You Bi*ch"अभिनव गुस्से मैं चिल्लाते हुए ट्रिश की ओर दौड़ते हुए आया जैसे ही वो ट्रिश को पंच मारने वाला था की तभी मैने आगे बढ़ते हुए उसका हाथ कसकर पकड लिया।यह पकड़ इतनी मजबूत थी की अभी अपने आप को छुड़ाने की पूरी कोशीश कर रहा था फिर भी वो अपना हाथ नही छुड़ा सकता था। ट्रिश श्रेयस के पीछे एक दम से शांत होकर खड़ी थी,उसके चेहरे पर डर की एक भी लकीर नही दिख रही थी जैसे उसे पता हो की श्रेयस के होते हुए उसे कुछ नही हो सकता।


मैने ट्रिश की ओर देखा तो वो मेरी ओर ही देख रही थी उसकी आंखो मैं गुस्सा साफ दिख रहा था, जिसे मैं भी अच्छी तरह से समझ सकता था।कुछ सेकेंड्स तक वो मुझे ऐसे ही देखती रही।उसके बाद वो वहा से चली गई।मैने अपनी नज़र अभी की तरफ घुमाई, जिसे देखकर मेरा गुस्सा और भी बढ़ गया अब उसके attitude के जवाब देने का वक्त आ गया था इसलिए मैने उसके हाथों पर अपनी पकड़ और मजबूत कर ली,जिसकी वजह से वो कराहने लगा।
"तूने मुझे मारा मैंने कुछ नहीं कहा,मेरे भाई को मारा मैं तब भी कुछ चुप रहा लेकिन अगर तूने ट्रिश या किसी और लड़की पर दोबारा हाथ उठाने की कोशिश की तो मैं तेरा हाल इससे भी बुरा कर दूंगा,यह बात याद रखना "मेने अभी की आँखों में घूरते हुए गुस्से से लेकिन बेहद धीमी आवाज़ में कहा।इतना कहकर मैंने उसका हाथ छोड़ दिया।


"तेरी तो" कहते हुए अनमोल आगे बढ़ा पर अभी ने उसे हाथ का इशारा करके रोक दिया, मेने अनमोल की ओर घूरते हुए देखा फिर अभिनव की तरफ देखते हुए मैं भी वहा से जाने लगा की तभी मेरी नज़र आंशिका पे पड़ी, जो मुझे ही देख रही थी,जिसकी ओर देखकर मेरा गुस्सा थोड़ा कम हुआ लेकिन वो मेरी ओर हैरानी भरी नजरो से देख रही थी, उसकी नजरों को ज्यादा देर तक नहीं देखा पाया और मैं वहां से निकल गया। कैंटीन से निकलते ही में ट्रिश को ढूंढने के लिए निकल गया, लेकिन वो कही नहीं मिली, मैंने उसे कॉल किया पर कवरेज से बाहर आ रहा था, जिसकी वजह से मुझे थोड़ी tension होने लगी, मै तेज़ी से चलते हुए उसे हर जगह ढूंढ रहा था पर जब मैं अपनी क्लास के सामने से निकला तब जाके मुझे शांति मिली।ट्रिश सामने टेबल पर आंखें बैंड करके बैठी कान में ईयरफोन लगा के गाने सुन रही थी, मैं धीरे से चलते हुए उसके पास जा पहुचा और उसके पास जाकर बैठ गया,मैं उसके चेहरे को देखने लगा, कुछ सेकंड बाद जब उसे मेहसूस हुआ कि उसके पास कोई बैठा है तो उसने अपनी आंखें खोली और मेरी तरफ़ नज़रें घुमाई।


मेने इशारों मैं उससे "सॉरी" कहा,उसने अपने कान से ईयरफोन निकाले और अपना हाथ उठाया, "तुझे भी खाना है क्या?"उसने थप्पड़ का इशारा करते हुए कहा, उसकी इस हरकत को देखकर में हंस पड़ा।
"तेरा फोन क्यों नहीं लग रहा" मैने अपनी नजरें उस पर से हटाकर कहा।
" क्यूं?? तू मुझे क्यों call कर रहा था?" ट्रिश ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने हाथो मैं पहनी चीजे उतरकर अरे हाथ मैं रखने लगी, कुछ सेकंड तो में उन सभी चीजों को देखने लगा, मुझे तो इन सबका नाम भी नहीं पता था, अजीब अजीब स्टाइल के bracelets, bangles और ना जाने क्या - क्या हाथ में पहनकर घुमती है।
"बोलता क्यों नहीं..." उसके कहते ही में उसकी तरफ देखने लगा तो वो अपने बाल खोल के बांध रही थी।
" वो....वो मुझे तेरी tension हो रही थी इसलिए...." मैने इतना ही कहा कि उसने मुझे रोक दिया और अपने बालों को अच्छी तरह से बांधकर कहा।

"तुझे क्या लगा की उसके कुछ कह देने से मैं दूसरी लड़कियों की तरह एक कोने मैं छिपकर रोती रहूंगी " कहते हुए उसने मुझे हल्का सा पीछे की तरफ़ धक्का दिया और seat से निकलकर उसने tshirt के उपर पहनी हुई mini jacket उतारने लगी, जिसे देखकर मेने फ़ौरन अपनी नजरें वहां से हटा ली।
"हां... लेकिन फिर भी ट्रिश मेरी वजह से तुझे इतना सुनना कहा, उसके लिए I'm really sorry मुझे बिलकुल भी.....। " मैने इतना कहा कि उसने फिर मुझे रोक दिया.. " shut up अब अगर फिर से सॉरी कहा ना तो उस अभी को मेने 2 थप्पड़ मारे पर तुझे 4 मारुंगी समझा "ट्रिश ने मेरी तरफ नजर घुमाई और मेरे हाथ से अपनी सारी चीजें ले ली।
"पर.. "मैंने इतना ही कहा कि मेरा फोन बजने लगा, मैंने फोन पिक किया" हेलो आंटी नमस्ते.....हां यही बैठी है.....जी अभी देता हूं।"कहते हुए मैंने फोन कान से हटा के ट्रिश की तरफ़ बढ़ाया “आंटी का फ़ोन है।"
"मोम का... तेरे फोन पे!!" इतना कहकर उसने मेरे हाथ से फ़ोन ले लिया।
"हां मॉम बोलो.... क्या...इस वक्त??नहीं....मैं इस वक्त नहीं आ सकती, ये कैसी जिद है, मुझे एक बात बताओ जब बार - बार मुझे लेके कहीं जाना होता है तो मुझे कॉलेज में एडमिशन ही क्यों दिलवाया? , मैं नहीं आ सकती है मुझे आज मेरा प्रोजेक्ट सबमिट करना है, आप अकेले जाओ में नहीं आ रही।“कहते हुए उसने एक झटके में फोन काटा और मेरी तरफ उछाल दिया। मैने फोन को पकड़ा और अपना चश्मा ठीक करते हुए उसकी तरफ देखने लगेगा, "क्या हुआ इतना गुस्से में क्यों बात कर रही थी?"

"Nothing....यार मोम को हमेशा कहीं न कही जाना होता है और वो सिर्फ मेरे साथ ही जाती है,पिछले 3 दिन से मुझे घुमा रही है और आज उनको एक नया Restro पता किया है तो वो मुझे वहां ले जाना चाहती है, हर समय उनको अपनी बेटी के साथ ही जाना है, पता नहीं कब बड़ी होंगी बच्चों जैसी हरकतें करती है" उसने जैकेट पहनते हुए कहा और वहा से जाने लगी,उसकी बात सुनकर मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ गई, मैं अपनी जगह से खड़ा हुआ “मां है क्योंकी वो...वो कभी बड़ी नहीं होती क्योंकि उसकी नजर मैं हम हमेशा एक बच्चे रहते है तो फिर अपने बच्चे की हर खुशी क्या ध्यान वो कैसे नही रखेगी? "मैंने इतना कहा तो।" ट्रिश रुक गई और मुड़कर मेरी तरफ देखने लगी, मैं उसके करीब पहुंचा।

"क्योंकि वो जानती है कि उसके बच्चे को प्यार की कितनी ज़रूरत है, उन्हे पता है ट्रिश की तू कभी खुद से नहीं बोलेगी लेकिन वो समझती है, तू उनके साथ जा में तेरा प्रोजेक्ट complete करके सबमिट कर दूंगा" मेने मस्कुराते हुए उसकी तरफ देखते हुए कहा, मेरी बात सुनने के बाद कुछ पल वो मुझे यूं ही देखती रही "You know?you are the worst guy i ever meet in my life...... seriously" उसने उसी अंदाज़ से कहा कि मैं जोरो से हँसने लगा, मुझे ऐसे हंसता हुआ देखकर वो कुछ देर मुझे यूं ही देखती रही और फिर आगे बढ़कर उसने मुझे अपने गले लगा लिया, उसका ऐसे अचानक से गले लग जाना कोई आम बात नहीं थी लेकिन जब भी वो ऐसा करती थी तो मुझे बहुत शर्म आती थी।


"Thank you Shreyas..... you're the sweetest worst guy ever" उसने मेरे बालो पे हाथ घुमाते हुए कहा और मुझसे अलग हो गई।
"थैंक यू मत बोल, अब जा घर पे आंटी वेट कर रही होंगी।" मैने उससे इतना ही कहा कि वो आगे बढ़ी और उसने अपने होठों पर मेरे गालों पे रख दिया।" bye "मुस्कुराते हुए उसने कहा, उसको हंसता देख मैने जूठे गुस्से से उसकी तरफ देखा तो वो हंसते हुए क्लास से बाहर निकल गया गई, उसको क्लास रूम के गेट से निकलता देख जैसा ही मेरी नज़र दूसरी तरफ गई मेरी तो सांसें रुक गई,सामने गेट पर खड़ी आंशिका मुझे देख रही थी, मेने अपनी नजरें फ़ौरन हटाई और घूम गया "ohhh....shit कही आंशिका ने यह सब देख तो नहीं लिया??!.....पता नही वो मेरे और ट्रिश के बार मैं क्या सोचेगी? "आंखें बंद करते ही दिल में सवालों की उथल-पुथल मच गई।


To be continued......