Mulakat - 1 in Hindi Short Stories by Anju Kumari books and stories PDF | मुलाकात - 1

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मुलाकात - 1

आनन्द और जया मिलने वाले थे, आनंद सुबह से बेचैन अधीर सा यहां वहां घूम रहा था,पता नही क्यों इतनी जल्दी थी उसे ,नाश्ता भी नही किया उसने बस कैसे भी आफिस पहुँचना था उसे ,कितने बाद आज जया से मिलेगा, मिलते ही शिकायत शुरू कर देगी, क्या पहना होगा यही सब सोच कर ही वो खुश था ,आफिस भी टाइम से पहले पहुँच गया,
पर जया आई ही नही, क्या हुआ होगा उसे उसकी तो सारी खुशियाँ धरी रह गई, कुछ समझ नही आ रहा था, आनन्द बेचैन हो गया उसका दिल ही नही लग रहा था किसी काम मे , बार बार जया को फोन मिलाता पर जया का फोन लगा ही नही ,अनगिनत बार फोन किया,
दिन के एक बज गये थे न उसका मन किसी से बात करने का था न ल॔च करने का , सब कुछ सही था फिर क्या हुआ है जो जया फोन नही उठा रही है,
तभी उसके फोन की घंटी घनघना गई आवाज भी पूरी खोल रखी थी आनन्द ने ,जैसे ही घ॔टी बजी सारा स्टाफ आनन्द को देखने लगा, और आनन्द शर्मसार हो गया ,
फोन उठाया तो उधर से जया की आवाज सुनाई दी,
आनन्द गुस्से मे था और चिढ़कर बोला ,बोलाआनन्द और जया मिलने वाले थे, आनंद सुबह से बेचैन अधीर सा यहां वहां घूम रहा था,पता नही क्यों इतनी जल्दी थी उसे ,नाश्ता भी नही किया उसने बस कैसे भी आफिस पहुँचना था उसे ,कितने बाद आज जया से मिलेगा, मिलते ही शिकायत शुरू कर देगी, क्या पहना होगा यही सब सोच कर ही वो खुश था ,आफिस भी टाइम से पहले पहुँच गया,पर जया आई ही नही, क्या हुआ होगा उसे उसकी तो सारी खुशियाँ धरी रह गई, कुछ समझ नही आ रहा था, आनन्द बेचैन हो गया उसका दिल ही नही लग रहा था किसी काम मे , बार बार जया को फोन मिलाता पर जया का फोन लगा ही नही ,अनगिनत बार फोन किया,
दिन के एक बज गये थे न उसका मन किसी से बात करने का था न ल॔च करने का , सब कुछ सही था फिर क्या हुआ है जो जया फोन नही उठा रही है,
तभी उसके फोन की घंटी घनघना गई आवाज भी पूरी खोल रखी थी आनन्द ने ,जैसे ही घ॔टी बजी सारा स्टाफ आनन्द को देखने लगा, और आनन्द शर्मसार हो गया ,
फोन उठाया तो उधर से जया की आवाज सुनाई दी,
आनन्द गुस्से मे था और चिढ़कर बोला ,बोलाआनन्द और जया मिलने वाले थे, आनंद सुबह से बेचैन अधीर सा यहां वहां घूम रहा था,पता नही क्यों इतनी जल्दी थी उसे ,नाश्ता भी नही किया उसने बस कैसे भी आफिस पहुँचना था उसे ,कितने बाद आज जया से मिलेगा, मिलते ही शिकायत शुरू कर देगी, क्या पहना होगा यही सब सोच कर ही वो खुश था ,आफिस भी टाइम से पहले पहुँच गया,
पर जया आई ही नही, क्या हुआ होगा उसे उसकी तो सारी खुशियाँ धरी रह गई, कुछ समझ नही आ रहा था, आनन्द बेचैन हो गया उसका दिल ही नही लग रहा था किसी काम मे , बार बार जया को फोन मिलाता पर जया का फोन लगा ही नही ,अनगिनत बार फोन किया,
दिन के एक बज गये थे न उसका मन किसी से बात करने का था न ल॔च करने का , सब कुछ सही था फिर क्या हुआ है जो जया फोन नही उठा रही है,
तभी उसके फोन की घंटी घनघना गई आवाज भी पूरी खोल रखी थी आनन्द ने ,जैसे ही घ॔टी बजी सारा स्टाफ आनन्द को देखने लगा, और आनन्द शर्मसार हो गया ,
फोन उठाया तो उधर से जया की आवाज सुनाई दी,
आनन्द गुस्से मे था और चिढ़कर बोला ,बोलाआनन्द और जया मिलने वाले थे, आनंद सुबह से बेचैन अधीर सा यहां वहां घूम रहा था,पता नही क्यों इतनी जल्दी थी उसे ,नाश्ता भी नही किया उसने बस कैसे भी आफिस पहुँचना था उसे ,कितने बाद आज जया से मिलेगा, मिलते ही शिकायत शुरू कर देगी, क्या पहना होगा यही सब सोच कर ही वो खुश था ,आफिस भी टाइम से पहले पहुँच गया,
पर जया आई ही नही, क्या हुआ होगा उसे उसकी तो सारी खुशियाँ धरी रह गई, कुछ समझ नही आ रहा था, आनन्द बेचैन हो गया उसका दिल ही नही लग रहा था किसी काम मे , बार बार जया को फोन मिलाता पर जया का फोन लगा ही नही ,अनगिनत बार फोन किया,
दिन के एक बज गये थे न उसका मन किसी से बात करने का था न ल॔च करने का , सब कुछ सही था फिर क्या हुआ है जो जया फोन नही उठा रही है,
तभी उसके फोन की घंटी घनघना गई आवाज भी पूरी खोल रखी थी आनन्द ने ,जैसे ही घ॔टी बजी सारा स्टाफ आनन्द को देखने लगा, और आनन्द शर्मसार हो गया ,
फोन उठाया तो उधर से जया की आवाज सुनाई दी,
आनन्द गुस्से मे था और चिढ़कर बोला ,बोला क्याआनन्द और जया मिलने वाले थे पर जया आई ही नही, क्या हुआ होगा उसे उसकी तो सारी खुशियाँ धरी रह गई, कुछ समझ नही आ रहा था, आनन्द बेचैन हो गया उसका दिल ही नही लग रहा था किसी काम मे , बार बार जया को फोन मिलाता पर जया का फोन लगा ही नही ,अनगिनत बार फोन किया,
दिन के एक बज गये थे न उसका मन किसी से बात करने का था न ल॔च करने का , सब कुछ सही था फिर क्या हुआ है जो जया फोन नही उठा रही है,
तभी उसके फोन की घंटी घनघना गई आवाज भी पूरी खोल रखी थी आनन्द ने ,जैसे ही घ॔टी बजी सारा स्टाफ आनन्द को देखने लगा, और आनन्द शर्मसार हो गया ,
फोन उठाया तो उधर से जया की आवाज सुनाई दी,
आनन्द गुस्से मे था और चिढ़कर बोला ,बोलाआनन्द और जया मिलने वाले थे, आनंद सुबह से बेचैन अधीर सा यहां वहां घूम रहा था,पता नही क्यों इतनी जल्दी थी उसे ,नाश्ता भी नही किया उसने बस कैसे भी आफिस पहुँचना था उसे ,कितने बाद आज जया से मिलेगा, मिलते ही शिकायत शुरू कर देगी, क्या पहना होगा यही सब सोच कर ही वो खुश था ,आफिस भी टाइम से पहले पहुँच गया,
पर जया आई ही नही, क्या हुआ होगा उसे उसकी तो सारी खुशियाँ धरी रह गई, कुछ समझ नही आ रहा था, आनन्द बेचैन हो गया उसका दिल ही नही लग रहा था किसी काम मे , बार बार जया को फोन मिलाता पर जया का फोन लगा ही नही ,अनगिनत बार फोन किया,
दिन के एक बज गये थे न उसका मन किसी से बात करने का था न ल॔च करने का , सब कुछ सही था फिर क्या हुआ है जो जया फोन नही उठा रही है,
तभी उसके फोन की घंटी घनघना गई आवाज भी पूरी खोल रखी थी आनन्द ने ,जैसे ही घ॔टी बजी सारा स्टाफ आनन्द को देखने लगा, और आनन्द शर्मसार हो गया ,
फोन उठाया तो उधर से जया की आवाज सुनाई दी,
आनन्द गुस्से मे था और चिढ़कर बोला ,बोला क्याआनन्द और जया मिलने वाले थे, आनंद सुबह से बेचैन अधीर सा यहां वहां घूम रहा था,पता नही क्यों इतनी जल्दी थी उसे ,नाश्ता भी नही किया उसने बस कैसे भी आफिस पहुँचना था उसे ,कितने बाद आज जया से मिलेगा, मिलते ही शिकायत शुरू कर देगी, क्या पहना होगा यही सब सोच कर ही वो खुश था ,आफिस भी टाइम से पहले पहुँच गया,
पर जया आई ही नही, क्या हुआ होगा उसे उसकी तो सारी खुशियाँ धरी रह गई, कुछ समझ नही आ रहा था, आनन्द बेचैन हो गया उसका दिल ही नही लग रहा था किसी काम मे , बार बार जया को फोन मिलाता पर जया का फोन लगा ही नही ,अनगिनत बार फोन किया,
दिन के एक बज गये थे न उसका मन किसी से बात करने का था न ल॔च करने का , सब कुछ सही था फिर क्या हुआ है जो जया फोन नही उठा रही है,
तभी उसके फोन की घंटी घनघना गई आवाज भी पूरी खोल रखी थी आनन्द ने ,जैसे ही घ॔टी बजी सारा स्टाफ आनन्द को देखने लगा, और आनन्द शर्मसार हो गया ,
फोन उठाया तो उधर से जया की आवाज सुनाई दी,
आनन्द गुस्से मे था और चिढ़कर बोला ,बोला क्या चिल्लाने लगा ।वो सुन ही नही रहा था कि जया क्या बोल रही थी,थोड़ी देर बाद आनन्द शान्त हुआ, तब उसने
जया को सुना ,जया ने उसे शाम को एक काॅफी हाउस मे बुलाया, वो बस हां हां करता रहा,वो समझ ही नहीं पा रहा था क्या हुआ है जया को ,आफिस है ,उसका घर है मेरा घर फिर भी उसने काॅफी हाउस मे क्यो बुलाया,
आज तो टाइम जैसे रूक गया,बढ ही नही रहा है,
आज तो जया से सारी बात साफ कर के ही रहेगा ,क्यो कर रही है ऐसा ,बात तक बन्द कर दी थी उसने आनन्द से,
चार बजे से ही वो जाने की तैयारी करने लगा , एक एक पल काटना मुश्किल होरहा था आनन्द के लिए,
साढे चार बजे वो सब कुछ खत्म कर के आफिस से निकल भागा, काफी हाउस मे पहले पहुंच गया और जया का इन्तजार करने लगा , इन्तज़ार इतना लम्बा होता है उसे आज ही पता चला, काफी देर इन्तज़ार के बाद ज्यादातर आई, उसे तो आनन्द पहचान भी न पाया
बिल्कुल मुरझाए न वो खुशी न वो चमक चेहरे पर ,वो तो कोई और है जो उसके सामने थी, वो तो कितने सपने सजाये बैठा था कि जया आयेगी तो उसके गले लग जायेगी,कितना बोलगी क्या क्या कहेगीआनन्द और जया मिलने वाले थे, आनंद सुबह से बेचैन अधीर सा यहां वहां घूम रहा था,पता नही क्यों इतनी जल्दी थी उसे ,नाश्ता भी नही किया उसने बस कैसे भी आफिस पहुँचना था उसे ,कितने बाद आज जया से मिलेगा, मिलते ही शिकायत शुरू कर देगी, क्या पहना होगा यही सब सोच कर ही वो खुश था ,आफिस भी टाइम से पहले पहुँच गया,
पर जया आई ही नही, क्या हुआ होगा उसे उसकी तो सारी खुशियाँ धरी रह गई, कुछ समझ नही आ रहा था, आनन्द बेचैन हो गया उसका दिल ही नही लग रहा था किसी काम मे , बार बार जया को फोन मिलाता पर जया का फोन लगा ही नही ,अनगिनत बार फोन किया,
दिन के एक बज गये थे न उसका मन किसी से बात करने का था न ल॔च करने का , सब कुछ सही था फिर क्या हुआ है जो जया फोन नही उठा रही है,
तभी उसके फोन की घंटी घनघना गई आवाज भी पूरी खोल रखी थी आनन्द ने ,जैसे ही घ॔टी बजी सारा स्टाफ आनन्द को देखने लगा, और आनन्द शर्मसार हो गया ,
फोन उठाया तो उधर से जया की आवाज सुनाई दी,
आनन्द गुस्से मे था और चिढ़कर बोला ,बोला क्या चिल्लाने लगा ।वो सुन ही नही रहा था कि जया क्या बोल रही थी,थोड़ी देर बाद आनन्द शान्त हुआ, तब उसने
जया को सुना ,जया ने उसे शाम को एक काॅफी हाउस मे बुलाया, वो बस हां हां करता रहा,वो समझ ही नहीं पा रहा था क्या हुआ है जया को ,आफिस है ,उसका घर है मेरा घर फिर भी उसने काॅफी हाउस मे क्यो बुलाया,
आज तो टाइम जैसे रूक गया,बढ ही नही रहा है,
आज तो जया से सारी बात साफ कर के ही रहेगा ,क्यो कर रही है ऐसा ,बात तक बन्द कर दी थी उसने आनन्द से,
चार बजे से ही वो जाने की तैयारी करने लगा , एक एक पल काटना मुश्किल होरहा था आनन्द के लिए,
साढे चार बजे वो सब कुछ खत्म कर के आफिस से निकल भागा, काफी हाउस मे पहले पहुंच गया और जया का इन्तजार करने लगा , इन्तज़ार इतना लम्बा होता है उसे आज ही पता चला, काफी देर इन्तज़ार के बाद ज्यादातर आई, उसे तो आनन्द पहचान भी न पाया
बिल्कुल मुरझाए न वो खुशी न वो चमक चेहरे पर ,वो तो कोई और है जो उसके सामने थी, वो तो कितने सपने सजाये बैठा था कि जया आयेगी तो उसके गले लग जायेगी,कितना बोलगी क्या क्या कहेगीआनन्द और जया मिलने वाले थे, आनंद सुबह से बेचैन अधीर सा यहां वहां घूम रहा था,पता नही क्यों इतनी जल्दी थी उसे ,नाश्ता भी नही किया उसने बस कैसे भी आफिस पहुँचना था उसे ,कितने बाद आज जया से मिलेगा, मिलते ही शिकायत शुरू कर देगी, क्या पहना होगा यही सब सोच कर ही वो खुश था ,आफिस भी टाइम से पहले पहुँच गया,
पर जया आई ही नही, क्या हुआ होगा उसे उसकी तो सारी खुशियाँ धरी रह गई, कुछ समझ नही आ रहा था, आनन्द बेचैन हो गया उसका दिल ही नही लग रहा था किसी काम मे , बार बार जया को फोन मिलाता पर जया का फोन लगा ही नही ,अनगिनत बार फोन किया,
दिन के एक बज गये थे न उसका मन किसी से बात करने का था न ल॔च करने का , सब कुछ सही था फिर क्या हुआ है जो जया फोन नही उठा रही है,
तभी उसके फोन की घंटी घनघना गई आवाज भी पूरी खोल रखी थी आनन्द ने ,जैसे ही घ॔टी बजी सारा स्टाफ आनन्द को देखने लगा, और आनन्द शर्मसार हो गया ,
फोन उठाया तो उधर से जया की आवाज सुनाई दी,
आनन्द गुस्से मे था और चिढ़कर बोला ,बोला क्या चिल्लाने लगा ।वो सुन ही नही रहा था कि जया क्या बोल रही थी,थोड़ी देर बाद आनन्द शान्त हुआ, तब उसने
जया को सुना ,जया ने उसे शाम को एक काॅफी हाउस मे बुलाया, वो बस हां हां करता रहा,वो समझ ही नहीं पा रहा था क्या हुआ है जया को ,आफिस है ,उसका घर है मेरा घर फिर भी उसने काॅफी हाउस मे क्यो बुलाया,
आज तो टाइम जैसे रूक गया,बढ ही नही रहा है,
आज तो जया से सारी बात साफ कर के ही रहेगा ,क्यो कर रही है ऐसा ,बात तक बन्द कर दी थी उसने आनन्द से,
चार बजे से ही वो जाने की तैयारी करने लगा , एक एक पल काटना मुश्किल होरहा था आनन्द के लिए,
साढे चार बजे वो सब कुछ खत्म कर के आफिस से निकल भागा, काफी हाउस मे पहले पहुंच गया और जया का इन्तजार करने लगा , इन्तज़ार इतना लम्बा होता है उसे आज ही पता चला, काफी देर इन्तज़ार के बाद ज्यादातर आई, उसे तो आनन्द पहचान भी न पाया
बिल्कुल मुरझाए न वो खुशी न वो चमक चेहरे पर ,वो तो कोई और है जो उसके सामने थी, वो तो कितने सपने सजाये बैठा था कि जया आयेगी तो उसके गले लग जायेगी,कितना बोलगी क्या क्या कहेगी, पर वो न तो
कुछ बोली न उसके पास आई,दूर रूक गई और न मुसकुराई न कोई खुशी जाहिर की,आनन्द तो सकपका गया जया को देखकर,
दोनो एक दूसरे के आमने सामने बैठकर गये,आनन्द तो जया को ही देख रहा था और बात कर रहा था पर जया ने आँख उठा कर एक बार भी आनन्द को नही देखा और जवाब भी हा हूं नही मे ही दे रही थी जो बेचैन आनन्द को और भी व्याकुल कर गया ,
क्या हुआ है जया को बस यही सोचता रहा ,कुछ दिन क्या से क्या हो गया कितना कुछ बदल हो,

जया क्या हुआ है बोलो तो कुछ क्या हुआ है तुमको ,आनन्द बस जया को देखकर बस यही पूछे जा रहा था और जया पत्थर की जड मूर्ति सी बैठी रही जैसे वो न कुछ सुन रही थी न कुछ बोल रही थी
आनन्द और जया मिलने वाले थे, आनंद सुबह से बेचैन अधीर सा यहां वहां घूम रहा था,पता नही क्यों इतनी जल्दी थी उसे ,नाश्ता भी नही किया उसने बस कैसे भी आफिस पहुँचना था उसे ,कितने बाद आज जया से मिलेगा, मिलते ही शिकायत शुरू कर देगी, क्या पहना होगा यही सब सोच कर ही वो खुश था ,आफिस भी टाइम से पहले पहुँच गया,
पर जया आई ही नही, क्या हुआ होगा उसे उसकी तो सारी खुशियाँ धरी रह गई, कुछ समझ नही आ रहा था, आनन्द बेचैन हो गया उसका दिल ही नही लग रहा था किसी काम मे , बार बार जया को फोन मिलाता पर जया का फोन लगा ही नही ,अनगिनत बार फोन किया,
दिन के एक बज गये थे न उसका मन किसी से बात करने का था न ल॔च करने का , सब कुछ सही था फिर क्या हुआ है जो जया फोन नही उठा रही है,
तभी उसके फोन की घंटी घनघना गई आवाज भी पूरी खोल रखी थी आनन्द ने ,जैसे ही घ॔टी बजी सारा स्टाफ आनन्द को देखने लगा, और आनन्द शर्मसार हो गया ,
फोन उठाया तो उधर से जया की आवाज सुनाई दी,
आनन्द गुस्से मे था और चिढ़कर बोला ,बोला क्या चिल्लाने लगा ।वो सुन ही नही रहा था कि जया क्या बोल रही थी,थोड़ी देर बाद आनन्द शान्त हुआ, तब उसने
जया को सुना ,जया ने उसे शाम को एक काॅफी हाउस मे बुलाया, वो बस हां हां करता रहा,वो समझ ही नहीं पा रहा था क्या हुआ है जया को ,आफिस है ,उसका घर है मेरा घर फिर भी उसने काॅफी हाउस मे क्यो बुलाया,
आज तो टाइम जैसे रूक गया,बढ ही नही रहा है,
आज तो जया से सारी बात साफ कर के ही रहेगा ,क्यो कर रही है ऐसा ,बात तक बन्द कर दी थी उसने आनन्द से,
चार बजे से ही वो जाने की तैयारी करने लगा , एक एक पल काटना मुश्किल होरहा था आनन्द के लिए,
साढे चार बजे वो सब कुछ खत्म कर के आफिस से निकल भागा, काफी हाउस मे पहले पहुंच गया और जया का इन्तजार करने लगा , इन्तज़ार इतना लम्बा होता है उसे आज ही पता चला, काफी देर इन्तज़ार के बाद ज्यादातर आई, उसे तो आनन्द पहचान भी न पाया
बिल्कुल मुरझाए न वो खुशी न वो चमक चेहरे पर ,वो तो कोई और है जो उसके सामने थी, वो तो कितने सपने सजाये बैठा था कि जया आयेगी तो उसके गले लग जायेगी,कितना बोलगी क्या क्या कहेगी, पर वो न तो
कुछ बोली न उसके पास आई,दूर रूक गई और न मुसकुराई न कोई खुशी जाहिर की,आनन्द तो सकपका गया जया को देखकर,
दोनो एक दूसरे के आमने सामने बैठकर गये,आनन्द तो जया को ही देख रहा था और बात कर रहा था पर जया ने आँख उठा कर एक बार भी आनन्द को नही देखा और जवाब भी हा हूं नही मे ही दे रही थी जो बेचैन आनन्द को और भी व्याकुल कर गया ,
क्या हुआ है जया को बस यही सोचता रहा ,कुछ दिन क्या से क्या हो गया कितना कुछ बदल हो,

जया क्या हुआ है बोलो तो कुछ क्या हुआ है तुमको ,आनन्द बस जया को देखकर बस यही पूछे जा रहा था और जया पत्थर की जड मूर्ति सी बैठी रही जैसे वो न कुछ सुन रही थी न कुछ बोल रही थी

इसके बाद क्या हुआ जानगे आगे,,---------तो बने रहे हमारे साथ,.........



(2)



जया न जाने किन ख्यालो मे गुम थी जैसे उसे अपने आस पास क्या हो रहा था उसे कुछ खबर ही न थी

जब आनन्द से रहा नही गया तो गुस्से से बोला जया क्या हुआ है तुमको एक इतने दिन बाद मिली हो उस पर भी बात नही करोगी क्या, आनन्द का चीखना सुन कर जया की चेतना लौटी वो होश मे आते ही फूट फूट कर रोने लगी
उसे रोता देख तो आनन्द को जैसे शासक ही लग गया हो
कभी जया को पानी देता कभी चुप करता,उसे लगा जया के ऊपर चिल्लाने की वजह से जया परेशान है और रो पड़ी है जया को शान्त कराके आनन्द ने उसे अपनी बांहो को खोला जया चाहती थी जया उन मे समा जाये और सब कुछ भूल जाये पर वो ऐसा कुछ न कर सकी,
आनन्द ने जया का हाथ अपने हाथो मे लेकर पूछा
क्या हुआ बताओ मुझे सब जानना है अच्छा इसलिए नाराज हो कि तब तुम्हारे घर नही आ पाया तुम्हारे घर वालो से मिलने जब तुमने बुलाया था मुझे माफ करना जया अगर तब तुम्हारे घर आता तो तुम्हारे घर वाले मुझ पर शादी का प्रशैर बनाते और मै पहले अपने कैरियर पर फोकस चाहता था अब देखो लगभग साल होने को आया और मेरा प्रमोशन भी हो गया और विदेश मे नौकरी भी तुम जब चाहो मै तुम्हारे घर चल कर तुम्हारा हाथ मांग सकता हूं,


आगे जानने के लिए बने रहे हमारे साथ,,
---अन्जू