Yakshini ek dayan - 4 in Hindi Fiction Stories by Makvana Bhavek books and stories PDF | यक्षिणी एक डायन - 4

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यक्षिणी एक डायन - 4

 

अभिमन्‍यु के हाथ में जो इलेक्‍ट्रोमैग्नेटिक फील्‍ड मीटर था वो लगातार बजते जा रहा था। उसकी आवाज धीरे-धीरे तेज होते जा रही थी। 

युग इलेक्‍ट्रोमैग्नेटिक फील्‍ड मीटर को देखते हुए कहता है – "यार ये इतना आवाज क्‍यों कर रहा है, तु इसे बंद क्‍यों नहीं करता वरना जंगली जानवर जाग जाऐगें और यदि वो जाग गये तो भूत प्रेत हमे मारे या ना मारे लेकिन वो हमे जरूर मार डालेगें।"

अभिमन्‍यु चिढ़ते हुए युग से कहता है – "युग तु तो ऐसे बोल रहा है जैसे मैं यह सब जान बूझकर कर रहा हूँ, ये डिवाईस अपने आप ही बजता है और वो भी तब जब आपके आस पास कोई पैरानॉर्मल एक्‍टीवीटि हो रही हो, मतलब यह है कि हमारे आस-पास जरूर कोई ना कोई अदृश्‍य शक्ति है।"

अभिमन्‍यु उस इलेक्‍ट्रोमैग्नेटिक फील्‍ड मीटर को चारों तरफ घुमाने लग जाता है और जिस डाईरेक्‍सन में इलेक्‍ट्रोमैग्नेटिक फील्‍ड मीटर से ज्‍यादा आवाज आ रही थी उस ओर जाने लग जाता है।

युग अभिमन्‍यु को रोकते हुए कहता है – "कहाँ जा रहा है तू?"

अभिमन्‍यु बाँस के पेड़ से निकलते हुए कहता है – "भूत को पकडने, चल जल्‍दी से मेरे पीछे आ जा, बहुत हँस रहा था ना तु मुझ पर चल आ आज तुझे भूत दिखाता हूँ।"

"अरे मैं तो म.........."

युग अपनी बात पूरी कर पाता उससे पहले ही अभिमन्‍यु वहाँ से चले जाता है। युग भी अपना सामान उठाता है और अभिमन्‍यु के पीछे-पीछे जाने लग जाता है।

इलेक्‍ट्रोमैग्नेटिक फील्‍ड मीटर से आ रही आवाज का पीछा करते-करते युग और अभिमन्‍यु दोनों ने काला झाड़ी जंगल पार कर लिया था और वो किशनोई नदी के पास पहुँच गये थे।

अभिमन्‍यु इलेक्‍ट्रोमैग्नेटिक फील्‍ड मीटर को हवा में लेफ्ट राईट करते हुए कहता है – "आवाज तो यहीं से आ रही है मतलब भूत यहीं कहीं है हमारे आस-पास।"

युग चिढ़ते हुए कहता है – "ये क्‍या बोल रहा है अभिमन्‍यु तू, ये भूत-वूत कुछ नहीं होते छोड़ ये तेरी मशीन।"

"युग तु दो मिनट चुप रहेगा मुझे अपना काम करने दे समझा, डिस्‍टर्ब मत कर हम लोग भूत के बहुत करीब है देखना आज मैं उसे पकड़ ही लूँगा।"

अभिमन्‍यु इलेक्‍ट्रोमैग्नेटिक फील्‍ड मीटर को लेकर किशनोई नदी के शुरूआती किनारे तक पहुँच गया था। नदी शांत लहरो के साथ बह रह थी जिसमें घूटनो तक पानी था। चाँद की चाँदनी नदी के पानी पर छायी हुई थी। 

जैसे ही अभिमन्‍यु इलेक्‍ट्रोमैग्नेटिक फील्‍ड मीटर लेकर नदी में अपना पहला कदम रखता है इलेक्‍ट्रोमैग्नेटिक फील्‍ड मीटर बजना अपने आप बंद हो जाता है। 

अभिमन्‍यु और युग दोनों शौक्‍ड हो जाते है और सोचने लग जाते है कि अचानक से इलेक्‍ट्रोमैग्नेटिक फील्‍ड बंद कैसे हो गया। वातावरण में अचानक से शांती छा गयी थी।

अभिमन्‍यु इलेक्‍ट्रोमैग्नेटिक फील्‍ड मीटर को अपने हाथ से ठोकते हुए कहता है – "अरे ये क्‍या, इसमें से आवाज क्‍यों नहीं आ रही है कहीं ये खराब तो नहीं हो गया?"

युग नदी के बाहर ही खड़ा हुआ था वो वहीं से अभिमन्‍यु को ताना मारते हुए कहता है – "खराब तो तब होगा ना जब ये सही होगा, इतना घटिया तो है तेरा ये डिवाईस क्‍या नाम बताया था तुने हाँ इलेक्‍ट्रोमैग्नेटिक फील्‍ड मीटर, तुझे पता है इसने आवाज करना बंद क्‍यों कर दी।"

अभिमन्‍यु उदासी के साथ पूछता है – "क्‍यों?"

"क्‍योंकि शायद तुझे पता नहीं है इलक्‍ट्रोमैग्नेटिक फिल्‍ड का ऐटमोसफेयर पर फर्क पड़ता है, मतलब यह कि जब वातावरण चेंज होता है तो मैंग्नेटिक फिल्‍ड भी चेंज होता है जिस कारण जब हम जंगल से यहाँ तक आए तो इसने यहाँ पर आकर आवाज करनी बंद कर दी क्‍योंकि जंगल के अंदर के ऐटमोसफेयर में और नदी के पास के ऐटमोसफेयर में बहुत डिफरेंस है।"

"तुझे कैसे पता ये सब?"

"इलेक्‍ट्रोनिक एंड इलेक्‍ट्रिकल इंजीनियर हूँ बेटा इतना तो पता ही होगा, तेरी तरह झोला छाप पैरानॉर्मल एक्‍टीवीटी एक्‍सपर्ट नहीं हूँ।"

"मैं नहीं मानता, मुझे तो लगता है कि मेरा यह डिवाईस हमें बिल्‍कुल सही जगह पर लाया है।"

युग अभिमन्‍यु को घूरते हुए कहता है – "और तुझे ऐसा क्‍यों लगता है?"

"इसके दो कारण है पहला कारण यह कि जब हम जंगल से यहाँ नदी तक आऐ तो उस बीच भी ऐटमोसफेयर चेंज हुआ होगा तब ये बंद क्‍यों नहीं हुआ, यहाँ नदी पर आकर ही बंद क्‍यों हुआ?"

युग हैरानी के साथ पूछता है – "और दूसरा कारण?"

"दूसरा कारण यह है कि आज से तैरह साल पहले यक्षिणी हर पूर्णिमा और अमावस्‍या की रात किशनोई नदी पार करने वाले मर्दो के साथ संभोग करके उनके दिल का खून पीकर उन्‍हे मार देती थी।"

युग शोक्‍ड होते हुए कहता है – "तो ये कहानी तुझे भी पता है।"

"ये कहानी नहीं है, हक्कित है और ये बात बंगलामुडा और रौंगकामुचा गाँव के बच्‍चे-बच्‍चे को पता है समझा, छोड़ ये सब; तो हाँ क्‍या बता रहा था मैं कि देख यक्षिणी मर्दो के साथ संभोग करके उन्‍हे मार देती थी यहीं पर इसी नदी के पास तो उनकी आत्मा भी यहाँ पर भटक ही रही होगी ना समझा इसलिए तो मेरा ये डिवाईस यहाँ पर आकर बंद हो गया।"

युग घूरते हुए अभिमन्‍यु से पूछता है – "तु ये यक्षिणी भूत प्रेत डायन पर भरोसा करता है?"

"हाँ करता हूँ, क्‍यों तु नहीं करता?"

"नहीं।"

अभिमन्‍यु युग के पास जाते हुए कहता है – "तो फिर गले में ये काली माँ का लॉकेट क्‍यों पहना हुआ है?"

युग के गले में काली माँ का लॉकेट था जिसमें उन्होंने रौद्र रूप धारण किया हुआ था और उनके पैरो पर भगवान शिव थे।

युग उस लॉकेट को हाथ लगाते हुए कहता है – "ये लॉकेट माँ ने मुझे दिया था उन्‍ही की याद में पहनता हूँ, अब वो तो है नहीं इसलिए।"

युग अपनी बात पूरी करता उससे पहले ही अभिमन्‍यु कहता है – "कुछ भी हो पर भरोसा तो करता है ना भले ही माँ के कारण क्‍यों ना, तो फिर भूतों पर भी भरोसा करना सीख जा।"

"पर जो चीज दिखाई नहीं देती उस पर विश्‍वास कैसे करूं?"

"दिखते तो हमें भगवान भी नहीं है पर फिर भी हम उन पर विश्‍वास करते है ना, तुझे पता है यह जो भूत होते है यह हर वक्त हमारे साथ रहते है, हमारे साथ खाते है, सोते है, उठते है, बैठते है, सब काम करते है पर ये हमें दिखाई नहीं देते पता है क्यों।”

“क्यों?”

“क्योंकि इनके पास भी भगवानों की तरह शक्तियाँ होती है, शैतानी शक्तियाँ। भगवान और भूत दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू है, देख दोनों के हिन्दी और इंग्लिश के शुरूआती अक्षर भ और जी से ही स्‍टार्ट होते है चाहे फिर वो इंग्लिश का घोस्‍ट और गॉड हो या फिर हिन्दी का भूत और भगवान।”

"तु तो सही में इंटेलिजेंट वाली बाते करने लग गया यार, तुझे यह सब बाते कैसे पता।"

"तेरे पापा ने बताई।"

युग हैरानी के साथ पूछता है – "क्‍या कहा मेरे पापा ने बताईए! पर कब?"

"यार उनकी किताबों में लिखा है ये सब, तुने उनकी किताबे नहीं पढ़ा क्‍या; क्‍या तो लिखते थे यार वो रौंगटे खड़े हो जाते थे पढ़ते-पढते।"

युग उदास होते हुए कहता है – "नहीं मैंने नहीं पढ़ी, वैसे भी वो सब बस कहानियाँ है और कुछ नहीं।"

"वो कहानी नहीं है युग, तुझे पता है एक लेखक वही लिखता है जो उसकी जिंदगी में घटीत होता है, हो सकता है यह सब तेरे पापा के साथ हुआ हो।"

"यार देख मुझे ना मेरे पापा के बारे में बाते नहीं करनी, मैं बहुत थक गया हूँ मुझे अभी आराम करना है इसलिए मैं अपने घर ग्रेव्‍यार्ड कोठी जाना चाहता हूँ।"

"पर तु इतनी रात में ग्रेव्‍यार्ड कोठी क्‍यों जा रहा है, तु तेरे रिश्‍तेदारो के घर रौंगकामुचा गाँव जाना।"

"मुझे उनके पास नहीं जाना।"

"क्‍यों?"

युग अभिमन्‍यु के सवाल का कुछ जवाब नहीं देता है। 

अभिमन्‍यु युग के कंधो पर हाथ रखते हुए कहता है – "तु अभी भी उनसे नाराज़ है क्‍या?"

"नाराज़गी किस बात की, नाराज़ तो हम उनसे होते है जो हमारे अपने होते है और वो मेरे अपने थोड़ी है।"

"यार ऐसा मत बोल।"

"यार अभिमन्‍यु छोड़ ना तु ये सब और जाने दे मुझ।"

"अरे ऐसे कैसे, एक काम करता हूँ मैं भी तेरे साथ चलता हूँ, सुना है यक्षिणी के दो ठीकाने थे पहला किशनोई नदी और दूसरा ग्रेव्‍यार्ड कोठी।"

"तुझे कैसे पता ये बात?"

"मुझे तो बहुत कुछ पता है यक्षिणी के बारे में, आखिर ऐसे ही थोडी सर्टिफाइड पैरानॉर्मल एक्टिविटी एक्‍सपर्ट बना हूँ मैं।"

"यार बाते करना छोड़ और चल जल्‍दी, अब जाकर सीधे सोना है मुझे, वैसे अच्‍छा हुआ तू मिल गया मुझे मैं तो रास्‍ता ही भूल गया था।"

"रास्‍ता ही तो दिखाने आया हूँ मैं तुझे।"

"क्‍या बोला?"

"कुछ नहीं, वो देख वो रही तेरी ग्रेव्‍यार्ड कोठी।"

अभिमन्‍यु ने अपने हाथ से राईट साईड की ओर इशारा करते हुए कहा।

जिस ओर अभिमन्‍यु ने इशारा किया था जब युग उस तरफ देखता है तो वो देखता है कि ग्रेव्‍यार्ड कोठी का ऊपरी सिरा नदी से साफ-साफ दिख रहा था। ग्रेव्‍यार्ड कोठी ऊपरी सतह पर बनी थी जिस कारण उसका गुम्‍बंद देखा जा सकता था। ग्रेव्‍यार्ड कोठी नदी से करीब 600-700 मीटर दूर थी। ग्रेव्‍यार्ड कोठी के ऊपर काले-काले बादल मंडरा रहे थे जिन्‍हें देखकर ऐसा लग रहा था कि वो काली शक्तियाँ थी जो युग के वहाँ पर आने का इंतजार कर रही थी।

युग और अभिमन्‍यु पैदल-पैदल ग्रेव्‍यार्ड कोठी की तरफ जाने लग जाता है।

कुछ ही देर चलने के बाद वह दोनों ग्रेव्‍यार्ड कोठी के पास पहुँच जाते है। ग्रेव्‍यार्ड कोठी खेतो के एक दम बीच में बनी हुई थी। आस-पास दूर-दूर तक कोई घर नहीं था। ग्रेव्‍यार्ड कोठी के पास करीब दो हेक्‍टेयर जमीन थी जो खाली पड़ी हुई थी। ग्रेव्‍यार्ड कोठी दो मंजिला थी जिसमें बाहर से खिड़कियाँ देखने से लग रहा था कि करीब पचास से साठ कमरे होगें। कोठी में ग्रे कलर किया गया था।

अभिमन्‍यु ग्रेव्‍यार्ड कोठी को देखते हुए कहता है – "यार ये तो किसी फिल्‍म की हॉरर कोठी जैसे लग रही है, देख कोठी के ऊपर काले बादल भी कैसे मंडरा रहे है।"

युग चिढ़ते हुए कहता है – "यार ये फिल्‍मो की नहीं मेरे पूर्वजो की कोठी है जो उन्‍होनें अंग्रेजो से खरीदी थी।"

"हाँ पता है, मुझे मैंने डिटेलस निकाली थी इस कोठी की, ये अग्रेंज लोग भी ना बढ़े कमाल के थे।"

"कैसे?"

"तुझे पता है ये कोठी कब और क्‍यों बनाई गयी थी।"

"नहीं।"

"आज से दो सौ साल पहले 24 अगस्‍त 1608 में अंग्रेज अपने इंडिया में आये थे उस वक्‍त उनका भारत में शासन नहीं था और ना ही उनके रहने के लिए कोई ठीकाना था, जब वो मेघालय में आये तो उन्‍हें अपने बंगलामुडा गाँव में भी रहने नहीं दिया क्‍योंकि ये अंग्रेज गाय सूअर सब खाते थे और हमारे हिन्‍दु धर्म में गाय को देवी माँ की तरह पूजा जाता है। उस वक्‍त अंग्रेजो के एक जर्नल ने मोटी रकम देखकर जमीन खरीदनी चाही पर गाँव वालो ने मना कर दिया।"

"फिर क्‍या हुआ?"

"होना क्‍या था हम सब को पता है किं इंडिया में लालची लोग भरे हुए है उस वक्‍त बंगलामुडा के राजा अंग्रेजो से मोटी रकम भी हथियाना चाहते थे और प्रजा को निराश भी नहीं करना चाहते थे इसलिए उन्‍होने बंगलामुडा गाँव के बाहर जो कब्रिस्‍तान वाली जमीन थी वो उन्‍हें बेच दी, गाँव वाले तो दिन में भी वहाँ पर जाने से डरते थे पर ये अंग्रेज कहाँ किसी से डरने वाले थे उन्‍हें भारत का खजाना जो लूटना था; उन्‍होने कब्रिस्‍तान के ऊपर ही कोठी बना दी गाँव वाले शुरू-शुरू में इसे लाशों वाली कोठी कहते थे, फिर अंग्रेजो ने ही इसे ग्रेव्‍यार्ड कोठी नाम दे दिया।"

"अच्‍छा।"

"जब भी दूसरे गाँव से अंग्रेज सैनिक आते थे तो उन्‍हें यहीं पर ठकराया जाता था यहीं पर खातिरदारी की जाती थी, उनकी अइयासियों का सारा सामान था, यहाँ पर रात-रात भर मुजरा चलता था, तवायफे नाचा करती थी, और तु कह रहा था ना कि ये यक्षिणी नहीं होती तुझे पता है यहाँ के अंग्रेज अफसरो ने अपनी डायरी में यक्षिणी का जिक्र किया है।"

यक्षिणी का नाम सुनकर युग चिढ़ जाता है और चिढ़ते हुए कहता है – "तेरी ये कहानी खत्‍म हो गयी हो तो क्‍या अब हम कोठी के अंदर चले या रात भर यहीं पर बैठकर कहानी सुनाने वाला है।"

"हाँ चल, मैंने रोका है तुझे ही कहानी सुनने में मजा आ रहा था इसलिए मैं सुना रहा था।"

ग्रेव्‍यार्ड कोठी का दरवाजा करीब दस फुट ऊँचा था। जब युग और अभिमन्‍यु दरवाजे के पास पहुँचते है तो अभिमन्‍यु देखता है कि दरवाजे पर एक बड़ा सा ताला लगा हुआ था जिस पर जंग लग गया था।

अभिमन्‍यु ताले को हाथ लगाते हुए कहता है – "अरे इस पर तो ताला लगा हुआ है तेरे पास ताले की चाभी है क्‍या?"

युग अपना बैग टटोलने लग जाता है और कहता है – "रखी तो थी इसकी चाभी मेरे पास...कहाँ गयी दिख क्‍यों नहीं रही...हाँ ये रही।"

युग अपने बैग से ताले की बड़ी सी चाभी निकाल लेता है। 

एक औरत की आवाज सुनाई देती है – "खोल जल्‍दी, खोल जल्‍दी दरवाजा।"

युग हैरानी के साथ कहता है – "यार तुने आवाज सुनी?"

अभिमन्‍यु पूछता है – "कैसी आवाज?"

"औरत की आवाज, यार वो कह रही थी खोल जल्‍दी दरवाजा।"

"क्‍या कहा औरत की आवाज! लगता है तेरे कान बज रहे है अभी तो मुझे कह रहा था कि मैं कहानी सुना रहा हूँ अब तू क्‍या कर रहा है, चल जल्‍दी ओपन कर कोठी, मैं भी तो देखू इसमे क्‍या-क्‍या राज़ बंद है।"

युग चाभी को ताले के अंदर डाल देता है जैसे ही चाभी ताले के अंदर जाती है आसमान में तेज बिजली चमकती है। बिजली इतनी तेज चमकी थी कि ऐसा लग रहा था आधी रात में उजाला हो गया हो।

युग चाभी को ताले के अंदर घुमाने लग जाता है पर जंग लगे होने के कारण चाभी घूम नहीं रही थी। 

युग चाभी घूमाते हुए कहता है – "अरे ये क्‍या, ये घूम क्‍यों नहीं रही..घूम जा, घूम जा, अब खुल भी जा...शिट।"

अभिमन्‍यु हैरानी के साथ पूछता है – "क्‍या हुआ?"

"यार चाभी अंदर ही टूट गयी।"

"क्‍या कहा चाभी टूट गयी! पर कैसे?"

"यार इतनी पुरानी चाभी है ऊपर से जंग लगी हुई थी तो टूटेगी ही ना।"

अभिमन्‍यु अपने सिर पर हाथ रखते हुए कहता है – "तो फिर अब क्‍या करे?"

युग कुछ कहता उससे पहले ही एक औरत की आवाज सुनाई देती है – "पत्‍थर उठा और तोड़ दे ताला।"

युग कहता है – "अच्‍छा आईडिया है पर तु लड़की की आवाज में क्‍यों बोल रहा है?"

अभिमन्‍यु हैरानी के साथ कहता है – "मैंने क्‍या कुछ बोला मैं तो जब से चुप हूँ।"

युग अभिमन्‍यु की बात पर ध्‍यान नहीं देता है। वह पास में ही जमीन पर रखा बड़ा सा पत्‍थर उठाता है और उसकी मदद से दरवाजे पर लगा ताला तोड़ने लग जाता है।

तीन बार पत्थर से ताले पर वार करने पर ही खट से ताला टूट जाता है।

जैसे ताला टूटता है औरत की चीखने की आवाज सुनाई देती है "अअअअअअअअअअअअअ।"

युग कुंडी खोलकर दरवाजे को अपने हाथो से धक्‍का देने लग जाता है पर दरवाजा इतना भारी था कि उस अकेले से धक्‍का नहीं दिया जा रहा था इसलिए अभिमन्‍यु भी उसकी मदद करने लग जाता है। अभिमन्‍यु और युग अपनी पूरी ताकत लगाकर दरवाजा खोल देते है।

(दरवाजा खुलने की आवाज आती है।)

जैसे ही दरवाजा खुलता है धड़धड़ाते हुए जोरो से बारिश होने लग जाती है।

दरवाजा खुलते ही एक औरत की फिर चीखने की आवाज सुनाई देती है "आअअअअ।"

युग डरते हुए कहता है – "कौन है?"

कोठी के अंदर से औरत की आवाज सुनाई देती है – "मैं यक्षिणी, तेरी मौत"