Yakshini ek dayan - 7 in Hindi Fiction Stories by Makvana Bhavek books and stories PDF | यक्षिणी एक डायन - 7

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यक्षिणी एक डायन - 7

 

कछुआ युग के सवाल का कुछ जवाब नहीं दे रहा था उसकी नजरें मरे हुए कौओं पर गड़ी हुई थी जिसे देखकर उसके मन का ख़ौफ़ बढ़ते जा रहा था।

 

युग कछुए को हिलाते हुए कहता है – "अरे क्‍या हुआ, तू चुप क्‍यों हो गया, बता ना ग्रेव्‍यार्ड कोठी का दरवाजा लगाने के लिए लोगों ने अपनी जान क्‍यों दी?"

 

कछुआ डरते हुए कहता है – "लोगों ने अपनी जान दी नहीं बल्कि यक्षिणी ने उनकी जान ली थी, युग।"

 

युग हैरानी के साथ कहता है – "क्‍या! पर एक बाबा ने तो बताया था कि पापा को मारने के बाद यक्षिणी की हवस खत्म हो गयी थी फिर उसने लोगों की जान क्यों ली, वो तो शांत हो गयी थी ना?"

 

अभिमन्‍यु हैरानी के साथ पूछता है – "ये बात किसने बताई तुझे?"

 

"यार ट्रेन में एक बाबा मिले थे उन्होंने बताई थी।"

 

कछुआ युग के कंधों पर हाथ रखते हुए कहता है – "युग उस बाबा ने तुझे बेवकूफ बनाया था, यक्षिणी एक डायन है और डायनो की हवस खत्‍म नहीं होती बल्कि दिन-ब-दिन बढ़ते जाती है समझा।"

 

अभिमन्‍यु भी युग को समझाते हुए कहता है – "देख युग गाँवों में ना हजारों मुंह लाखों बाते होती है समझा, पर सच उनमें से बस दस बाते ही होती है, यक्षिणी शांत नहीं हुई थी बल्कि उसे कैद किया गया था ग्रेव्‍यार्ड कोठी में।"

 

युग अपना मुँह फाड़ते हुए कहता है – "क्‍या कहा कैद किया गया था ग्रेव्‍यार्ड कोठी में!"

 

कछुआ युग को पूरी बात बताते हुए कहता है – "हाँ युग, दादी ने बताया था कि तेरह साल पहले तेरे पापा की मौत के बाद गाँव वालों ने फैसला किया था कि ग्रेव्‍यार्ड कोठी को बंद कर दिया जाए क्योंकि सबका यही कहना था कि अंग्रेजों के जमाने से ग्रेव्‍यार्ड कोठी यक्षिणी का दूसरा ठिकाना है, तुझे पता है जब तेरे पापा की मौत हुई थी तो तेरे बड़े पापा क्‍या नाम है यार तेरे बड़े पापा का।"

 

युग मुँह बनाते हुए कहता है – "दिलीप।"

 

युग का चेहरा देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे उसके बड़े पापा के नाम लेने से भी नफ़रत थी।

 

कछुआ खुश होते हुए कहता है – "हाँ सही कहा, तेरे पापा की मौत के बाद दिलीप अंकल अपने कुछ आदमियों को लेकर ग्रेव्‍यार्ड कोठी गये थे तेरे पापा का शव लेने पर उन्हें पूरी कोठी में कहीं भी तेरे पापा का शव नहीं मिला था, हाँ तेरे पापा का जो राईटिंग वाला कमरा था ना जहाँ पर वो बैठकर कहानी लिखा करते थे वो पूरा खून से सना हुआ था हर जगह खून ही खून था।"

 

युग गुस्‍सा करते हुए कहता है – "ये सब पता है मुझे, तू ये बता तू क्‍या बताना चाहता है?"

 

कछुआ युग को समझाते हुए कहता है – "अरे बता रहा हूँ ना तू गुस्सा क्यों कर रहा है, दिलीप अंकल भी ग्रेव्‍यार्ड कोठी बंद करवाना चाहते थे पर जब भी वो अपने आदमियों को ग्रेव्‍यार्ड कोठी में भेजते थे ताला लगाने तो वो ताला नहीं लगा पाते थे, उल्टा अपनी जान से हाथ धो बैठते थे।"

 

कछुऐ की बाते सुनते-सुनते युग और अभिमन्‍यु दोनों के माथे पर पसीना आ गया था।

 

कुछआ अपनी बात को आगे जारी रखते हुए कहता है – "तुझे पता है उन आदमियों के शव का पूरा खून चूसा हुआ होता था, एक बूँद भी नहीं होती थी उनके शव में खून की और ऊपर से शव पर एक भी खरोंच के घाव नहीं पर उनका दिल गायब होता था, अब तू ही बता किसी इंसान का काम ये हो सकता था क्‍या यक्षिणी ही उन्हें मारा करती थी जो भी ग्रेव्‍यार्ड कोठी में ताला लगाने जाता था।"

 

युग कछुए को घूरते हुए कहता है – "फिर क्‍या हुआ ग्रेव्‍यार्ड कोठी में ताला कैसे लगाया गया।"

 

"दादी ने बताया था कि ये जो अपना मेंदीपथार है ना वहाँ पर एक जगह है, जगह का नाम मैं भूल गया पर उस जगह पर मंदिर मस्जिद और चर्च तीनों एक ही साथ है, वहीं के पंडित, फादर और मौलाना को बुलाया गया था ग्रेव्‍यार्ड कोठी का दरवाजा बंद करने के लिए।"

 

"फिर क्‍या हुआ?"

 

"होना क्‍या था उन तीनों ने अपने मंत्रो की शक्ति से ग्रेव्‍यार्ड कोठी में ताला लगा दिया और उसे बंद भी कर दिया पर........"

 

कछुआ बोलते-बोलते रूक जाता है।

 

युग अपने माथे का पसीना पोंछते हुए कहता है – "पर क्‍या, आगे बता?"

 

कछुआ लम्बी साँस लेते हुए कहता है – "उन तीनों को अपनी जान से हाथ गवाना पड़ा।"

 

"क्‍या पर क्‍यों?"

 

"यक्षिणी को ग्रेव्‍यार्ड कोठी में कैद करने के लिए, कहते है कि किसी आत्‍मा को किसी जगह पर कैद करने के लिए उसकी पसंदीदा चीज की बली देनी पड़ती है और यक्षिणी को मर्द बहुत पसंद थे इसलिए गाँव वालो को यक्षिणी की दहशत से बचाने के लिए उन तीनों धर्म गुरुओं ने ग्रेव्‍यार्ड कोठी में ताला लगाने के बाद अपने हाथों स्वयं की बली दे दी।"

 

युग हैरानी के साथ कहता है – "पर यक्षिणी ऐसा कैसे कर सकती है, पापा तो कहते थे कि यक्षिणी बहुत अच्‍छी औरत थी।"

 

कछुआ युग को टोकते हुए कहता है – "क्‍या कहा यक्षिणी वो भी अच्‍छी तू ही बता कभी कोई डायन अच्‍छी हो सकती है क्‍या, डायने कभी किसी का अच्‍छा नहीं चाह सकती समझा।"

 

"यार पर पापा ने कहा था यक्षिणी बहुत अच्‍छी थी पर उसे कोई सा अभिशाप मिला था जिसके कारण वो डायन बन गयी।"

 

अभिमन्‍यु भी युग का साथ देते हुए कहता है – "हाँ यार युग ठीक कह रहा है, मैंने भी किसी किताब में पढ़ा है ये जो यक्षिणी होती है दूसरे लोक से आती है ये अप्सराएँ की तरह होती है और इन्हें भी देवी की तरह पूजा जाता है पर पता नहीं यह यक्षिणी बुरी कैसे बन गयी।"

 

कछुआ चिढ़ते हुए कहता है – "यार मुझे ना तुम दोनों की बकवास बाते नहीं सुननी, मैं तो वही कहूँगा जो पूरा गाँव कहता है कि यक्षिणी एक बुरी डायन है समझे और तुम दोनों मुद्दा चेंज मत करो, मुद्दा ये नहीं है कि यक्षिणी अच्‍छी है या बूरी, मुद्दा यह है कि तुम दोनो ने ग्रेव्‍यार्ड कोठी का दरवाजा खोलकर ठीक नहीं किया ‍समझे, अब यक्षिणी आजाद हो गयी है और अब वो फिर से नदी पार करने वाले मर्दों के साथ संभोग करके उन्हें अपना शिकार बनाना शुरू कर देगी।"

 

युग अपना बचाव करते हुए कहता है – "कछुए तेरी बातों से ऐसा लगता है कि तेरे कहने का सीधा-सीधा मतलब यह था कि वो यक्षिणी ग्रेव्‍यार्ड कोठी में कैद थी और ग्रेव्‍यार्ड कोठी का दरवाजा खोलकर हमने उसे आजाद कर दिया है ना, आई एम राईट।"

 

"हाँ।"

 

"तो एक बात बता अगर यक्षिणी ग्रेव्‍यार्ड कोठी में कैद थी और हमने उसे आजाद कर दिया तो कल रात तो मैंने और अभिमन्‍यु ने उस ग्रेव्‍यार्ड कोठी में ही बिताई थी हम दोनों सुकून की नींद सोए थे, उस यक्षिणी ने हम दोनों को कुछ क्‍यों नहीं किया?"

 

कछुआ झट से कहता है जैसे उसके पास इस सवाल का जवाब पहले से ही हो – "क्‍योंकि कल रात अमावस्या या पूर्णिमा नहीं थी युग, यक्षिणी अमावस्‍या और पूर्णिमा को ही अपना शिकार बनाती है।"

 

"तो ये बता बड़े पापा के आदमी जो ग्रेव्‍यार्ड कोठी में ताला लगाने जाते थे और मौत के घाट उतर जाते थे क्‍या वो पूर्णिमा और अमावस्या के दिन जाते थे, वो भी तो रैंडम दिन में जाते होगे ना।"

 

युग का जवाब सुनकर कछुआ चुप हो जाता है क्योंकि अब उसके पास कोई जवाब नहीं बचा था।

 

अभिमन्‍यु युग और कछुए के बीच की बहस को खत्‍म करते हुए कहता है – "यार बस करो तुम दोनों झगड़ना समझे, यक्षिणी है या नहीं वो सात दिन बाद आने वाली पूर्णिमा को पता चल जाएगा समझे तुम दोनों, अभी जिस काम के लिए आऐ थे वो कर ले पहले।"

 

कछुआ हैरानी के साथ कहता है – "किस काम के लिए आए थे तुम दोनों?"

 

अभिमन्‍यु हँसते हुए कहता है ताकि कछुआ उसकी बात मान जाए। – "यार देख कछुआ तुझे तो पता ही है अपना ये युग दोस्त कितनी दूर से आया है वो भी कितने सालो बाद इसे ना अपनी एक हेल्‍प चाहिए थी।"

 

कछुआ अभिमन्‍यु को उंगली दिखाते हुए कहता है – "यार देख अभिमन्‍यु तू ना ये घुमा फिर कर बात मत कर जो भी कहना है सीधे-सीधे बोल, मैं ना तेरी ये चने के झाड़ पर चढ़ाने की आदत बचपन से जानता हूँ जरूर तुझे मुझसे कुछ ना कुछ काम होगा, तभी तेरे मुंह से मेरे लिए मीठे बोल फूट रहे है, बोल क्‍या काम है?"

 

अभिमन्‍यु हँसते हुए कहता है – "वो क्‍या है ना कछुआ अब ये अपना दोस्‍त युग यहीं पर रहेगा अपने साथ ये सब कुछ छोड़कर अपने पास आ गया है पर वो ग्रेव्‍यार्ड कोठी है ना वहाँ पर धूल जमी है तो ये चाहता था कि हम वहाँ की सफाई कर दे ताकी ये वहाँ पर अच्‍छे से रह पाये।"

 

कछुआ गुस्‍सा होते हुए कहता है – "तु पागल हो रहा है क्‍या, अभिमन्‍यु तुझे पता है ना वहाँ पर यक्षिणी है फिर भी तु ऐसी बात कर रहा है।"

 

"यार कछुआ हमने कहा ना हम दोनों वहाँ पर रात गुजार के आये है वहाँ पर कुछ नहीं है समझा, और देख भूल मत युग ने बचपन में तुझे टीचर से मार खाने से बचाया था।"

 

कछुआ मुँह बनाते हुए कहता है – "यक्षिणी के हाथों मरने से अच्‍छा होता कि ये युग मुझे बचपन में टीचर के हाथों मार खाने देता।"

 

"यार कछुआ ऐसा मत बोल हम बहुत उम्‍मीद से आए है।"

 

अभिमन्‍यु युग के हाथ पर हाथ मारने लग जाता है। युग उसका इशारा समझ जाता है और प्यार से कहता है – "प्‍लीज कछुए, चलना भाई भूल मत मैंने तुझे टीचर से मार खाने से बचाया था।"

 

युग का उदास चेहरा देखकर कछुआ उसकी बात मान लेता है और कहता है – "हाँ ठीक है, मैं चलूँगा पर मेरी एक शर्त है।" 

 

युग झट से पूछता है – "क्‍या शर्त है तेरी, बोल?"

 

कछुआ अपनी शर्त बताते हुए कहता है – "तुम्हें कायर को भी अपने साथ ले जाना पड़ेगा, अब तुम्हें तो पता ही है उसके बिना मेरा किसी चीज में मन नहीं लगता।"

 

अभिमन्‍यु खुश होते हुए कहता है – "अरे मैं तो भूल ही गया था कि हम बचपन के चार यार में से कायर भी तो एक यार था, वैसे कहाँ पर मिलेगा वो?"

 

कछुआ कहता है – "और कहाँ मिलेगा बिन्‍दु की दुकान पर, मेरा कायर के बिना मन नहीं लगता और कायर का बिन्‍दु के बिना।"

 

युग अपना सिर खुजाते हुए कहता है – "यार ये कायर तो मुझे याद है पर ये बिन्‍दु कौन है याद नहीं आ रहा इसके बारे में कुछ?"

 

अभिमन्‍यु कहता है – "क्‍या कहा तू बिन्‍दु को भूल गया, तू भी ना यार।"

 

"यार भूला नहीं पर बिन्‍दु के बारे में कुछ याद नहीं आ रहा, पता नहीं क्‍यों।"

 

कछुआ कहता है – "तो चल अभी हम याद दिलवा देते है, जब बिन्‍दु को देखेगा ना तो सब याद आ जाएगा।"

 

युग, कछुआ और अभिमन्‍यु ने बिन्‍दु की दुकान जाने के लिए अपना पहला ही कदम बढ़ाया था कि तभी बारिश होने लग जाती है।

 

युग बादलों को देखते हुए कहता है – "अरे ये क्‍या, बारिश कैसे चालू हो गयी जब घर से निकले थे तब तो मौसम खुला हुआ था?"

 

अभिमन्‍यु छाता खोलते हुए कहता है – "बेटा ये मेघालय है तेरा बैंगलोर शहर नहीं, यहाँ पर बारिश होते रहती है समझा तभी तो मैंने तुझे घर पर ही छाता लेने के लिए कहा था।"

 

जैसे ही अभिमन्‍यु छाता खोलता है कछुआ अभिमन्‍यु के छाते के अंदर आ जाता है। युग भी अपना छाता खोल लेता है।

 

अभिमन्‍यु अपने कदम आगे बढ़ाते हुए कहता है – "युग तुझे पता है मेघालय को मेघालय क्‍यों कहा जाता है?"

 

युग हैरानी के साथ कहता है – "क्‍यों कहा जाता है?"

 

"क्‍योंकि मेघालय शब्‍द का शाब्दिक अर्थ होता है मेघ का आलय यानी बादलों का घर इसके नाम से ही हम समझ सकते है कि ये अत्‍याधिक वर्षा वाला इलाका है, यहाँ पर दूसरे राज्‍यों के मुकाबले ज्‍यादा वर्षा होती थी इसलिए इसे मेघालय कहा जाता है।"

 

"अच्‍छा तो ऐसी बात है।"

 

इसी तरह बाते करते-करते युग, अभिमन्‍यु और कछुआ बिन्‍दु की दुकान की ओर जाने लग जाते है।

 

इस तरफ बिन्‍दु की दुकान के पास हल्‍की-हल्‍की बारिश की बुन्‍दे गिर रही थी, यह कह सकते है बारिश ना के बराबर हो रही थी, हवाएँ तेज-तेज चल रही थी जिस कारण वो बादलों को बहा ले गयी थी। बिन्‍दु की छोटी सी चाय और खाने की दुकान थी। बिन्‍दु की दुकान के बाहर ही तीन चार चौकोर टेबल और कुर्सियाँ लगी हुई थी जिस पर कुछ कस्‍टमर बैठकर चाय पी रहे थे तो कुछ खाना खा रहे थे।

 

उन्हीं टेबल के बीच एक टेबल लगी हुई थी जिस पर एक सफेद कुर्ता पहनकर एक नौजवान लड़का बैठा हुआ था जिसने सिर पर टोपी पहनी हुई थी। उसके हाथ में कलम थी और एक डायरी जिसमें वो कुछ लिखे जा रहा था। उस लड़के को ही घेर के कुछ बच्चे खड़े हुऐ थे जिन्होंने स्कूल ड्रेस पहनी हुई थी। उन बच्चों को देखकर लग रहा था कि वो नौवी-दशवी क्‍लाश में होंगे।

 

वह लड़का किताब में लिखते हुए कहता है

 

"दिखता हूँ मैं सुपर कूल

 

तुम्‍हारे लिये लाया हूँ गुलाब का फूल

 

अगर जाने मन तुम्‍हे भी हूँ मैं पसंद

 

तो बोलो तुम भी तीन बार कबूल"

 

"तुम्‍हारा प्‍यारा........क्‍या नाम है बे तेरा"

 

उस लड़के ने वहाँ पर खड़े एक बच्‍चे से पूछा

 

वो बच्‍चा कहता है – "बंटी, भैया।"

 

वो लड़का किताब पर लिखते हुए कहता है – "तुम्‍हार प्‍यारा आशिक बंटी।"

 

इतना कहकर वो लड़का पेज फाड़ता है और उसकी चिट्टी बनाकर उस छोटे बच्चे को दे देता है और बदले में वो छोटा बच्चा उसे दस रुपए देते हुए कहता है – "अब तो वो पट जाएगी ना।"

 

वो लड़का कहता है – "पट क्‍या जाएगी बेटा सीधे तुम्‍हारी बाहो में लोट जाएगी समझे।"

 

वहीं पर खड़े बच्चा के बीच में से एक छोटा बच्चा जिसकी उम्र करीब दस साल होगी कहता है – "भैया मेरे लिए भी लिख एक प्रेम पत्र दीजिए ना।"

 

"अरे तेरी इतनी सी जान पर फिर भी तू किससे प्‍यार कर बैठा?"

 

"भैया प्‍यार की कोई उम्र थोड़ी होती है।"

 

"चल ठीक है बोल, क्‍या नाम है तेरी वाली का?"

 

"भैया, बिन्दीया।"

 

"क्‍या कहा बिन्‍दीया!"

 

बिन्‍दीया का नाम आते ही वो लड़का बड़बड़ाते हुए कहता है 

 

"रात में लगती नहीं है हमको निंदीया

 

जबसे हमने तुझको देखा है बिन्‍दीया"

 

उस लड़के ने इतना ही कहा था कि तभी वहाँ पर चाय का ट्रे लेकर एक लड़की आ जाती है। जिसकी छोटी सी हाईट थी। रेड कुर्ता पहने हुए गोल सा चेहरा और उस गोल से चेहरे पर छोटी सी गोल सी लाल बिन्‍दी।

 

वो लड़की उस लड़के को घूरते हुए बंगाली में कहती है – "तुमी की बोलबे कायर।"

 

कायर घबराते हुए कहता है – "कुछ नहीं बिन्‍दू, मैं तो बस ये बच्‍चे के लिए उसकी प्रेमिका के लिए प्रेम पत्र लिख दे रहे थे, तो उसकी वाली का नाम भी गलती से बिन्‍दीया निकला।"

 

"उसकी वाली से क्‍या मतलब है तौमारा, तुम्‍हारे पास प्रेम पत्र लिखने के अलावा कोई काम नहीं है क्‍या, दिन भर यहीं पर बैठे रहते हो, कोई काम क्‍यों नहीं करते?"

 

"काम ही तो कर रहा हूँ बिन्‍दु, तुम्हें नहीं पता कितना बड़ा शायर बनने वाला हूँ मैं,बस एक बार मेरी ये शायरी की किताब पब्लिश हो जाए फिर देखना तुम।"

 

"तुम और तुम्‍हारी शायरी दोनों ही घटिया है कायर।"

 

बिन्‍दु कायर से झगड़ा कर ही रही थी कि तभी वहाँ पर युग कछुआ और अभिमन्‍यु आ जाते है।

 

युग कायर और बिन्‍दु को झगड़ा करते हुए देखता है तो उसे बिन्‍दु याद आ जाती है और वो कहता है – "तुम दोनों अभी तक नहीं बदले वैसे ही झगड़ते हो जैसे बचपन में झगड़ते थे, है ना।"

 

बिन्‍दु हैरानी के साथ युग को देखते हुए कहती है – "मुझे ऐसा क्‍यों लग रहा है जैसे मैंने तुम्‍हे कहीं देखा है, क्या मैं तुम्‍हें पहले से जानती हूँ?"