Sath Zindgi Bhar ka - 42 in Hindi Love Stories by Khushbu Pal books and stories PDF | साथ जिंदगी भर का - भाग 42

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साथ जिंदगी भर का - भाग 42

कुंवर जी कौन 🤔🤔कहां जा रहा है

कैसा फैसला आस्था जो जल्दी से दौड़कर आई थी

उसने कहा सब उसके और देखने लगे सॉरी सॉरी हम लेट हो गए

लेकिन पता नहीं हमें कैसे इतनी नींद आ गई

आस्था को बुरा लग रहा था वह इतनी देर से जो सो रही थी उसने होंठों का पाउट बनाते हुए सबकी तरफ देखा

आस्था चलिए डिनर करते हैं आपको भूख लगी है ना एकांश उसे फिलहाल कुछ बताना नहीं चाहता था

हां ........ बहुत भूख लगी है कुंवर जी लेकिन पहले बताइए कौन🤔🤔🤔 कहां जा रहा है ? ? ?

आस्था ओह नो दादा आप मुंबई वापस कब जा रहे हैं पिल्लू आज ही

क्या ................ लेकिन आज ही आए हैं और आज ही जा रहे हैं

मत जाइए ना कुंवर जी आप कहिए ना उन्हें आस्था पिल्लू सिर्फ हम नहीं तुम भी आ रही हो हमारे साथ वरद...... आस्था खुश हो गई सच में लेकिन फिर कुछ सोचकर नहीं दादा हम नहीं आ रहे हैं मुंबई

हम सब से दूर नहीं रह सकते इससे अच्छा है आप है यहां सेटल हो जाइए कितना मजा आएगा ना आस्था.........

आस्था आप मुंबई नहीं लंदन जा रही हैं आगे की पढ़ाई के लिए एकांश जी आस्था को कुछ समझ ही नहीं आया आप लंदन जा रही हैं एकांश ने किसी तरह से कहा......

क्यों क्यों कुंवर जी आस्था की आंखें बाहर आ गई पढ़ाई के लिए आस्था अब चलिए डिनर करते हैं

आपको तो भूख लगी है ना......... एकांश ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा हमें नहीं जाना आस्था ने अपना हाथ उसके हाथों से छुड़ाया आप जा रही हैं

एंड इट्स फाइनल अब चलिए खाना खाइए का इसने थोड़ा सख्त लहजे में कहा

नहीं खाना है हमें खाना और हम नहीं जा रहे हैं हमें नहीं जाना आस्था जोर से चीख पड़ी ...... दा....... भाई सा आप कहिए ना आस्था रुद्र और स्वप्न के पास गई लेकिन उन्होंने खामोशी से अपनी नजर फेर ली .........

दी .........मां ..........आप तो उनसे कहिए ना आस्था ने उनकी और देखा लेकिन उनके और उसे खामोशी के अलावा उसे कोई जवाब नहीं मिला ........

दादा ...... दादीसा......... बाबा सा .......... काका सा ........ आप बोलिए ना कुंवर जी को आस्था ने अजिंक्य जी का हाथ थाम ते हुए आंसू भरी नजरों से उनकी और देखा एकांश सही है

आस्था आपको जाना होगा अजिंक्य जी ने उसके सर पर प्यार से हाथ रखते हुए कही नहीं जाना हमें

आस्था ने गुस्से से उनके हाथ को एक और झिड़क दीया और चीख कर कहा आस्था बिहेव आप जा रही हैं

वह भी कल तो रोना बंद कीजिए और खाना खाकर पैकिंग कीजिए

एकांश ने थोड़ा सख्त लहजे में गुस्से से कहा नहीं जाना हमें आस्था रोते हुए उम्मीद भरी नजरों से उसकी और देख रही थी

एकांश को वहां एक पल भी रुकना मुश्किल लग रहा था

आस्था के आंसू उसके दिल को छलनी कर रहे थे

वह वहां से चला गया कुंवरजी सॉरी बाबा साहब ने जानबूझकर आपका हाथ नहीं हटाया कुंवर जी को कहिए ना हमें नहीं जाना

आस्था फिर से अजिंक्य जी के पास आ गई उसकी वैसी हालत किसी से भी नहीं देखी जा रही थी

प्लीज कहिए ना ........कोई तो रूद्र दा आस्था रोते हुए नीचे बैठ गई आप जा रही हैं

आस्था और यह फैसला नहीं बदलेगा एकांश ने उसके सिर पर हाथ रखते हुए कहा वह वैसे ही उनसे लिपट कर रो रही थी

और लगातार नहीं जाने की जिद कर रही थी आस्था बस कीजिए

एकांश अपना फैसला नहीं बद लेंगे दादीसा ने उसे समझाया नहीं दादीसा वह बदलेंगे हम कहते हैं उन्हें

आस्था ने अपने आंसू साथ किए और एकांश के कमरे की ओर जल्दी-जल्दी जाने लगे कुंवर जी कुंवर जी दरवाजा खोलिए

आस्था ने बंध दरवाजा देख कर उस पर दस्तक देते हुए कहा एकांश को आवाज लगाई

लेकिन एकांश ने कोई जवाब नहीं दिया

और देते भी कैसे उसकी ऐसी हालत ही नहीं थी कि वह कुछ भी बोल पाए ठीक है मत खोलिए हम यही बैठेंगे जब तक आप हमसे बात नहीं करते

आस्था वही दीवार से टिक कर बैठ गई उसके आंखों से आंसू अभी भी भर रहे थे उसने अपना सर घुटनों के पास रखा और सिसकियां देती रही

एकांश ने भी अपने घुटनों पर बैठे अपने आंसू रोकने की नाकाम कोशिश कर रहा था

आस्था की निकलती हर एक सिसकी उसे अंदर तक जी... ते .....जी.... मार रही थी

कितना वक्त बिता दोनों को ही नहीं पता आखिर आस्था के Zidd की आगे एकांश ने हार मान ली और अपने आप को नार्मल कर उसने दरवाजा खोला

हमें नहीं जाना आस्था ने बैठे हुए हैं उसकी तरफ उम्मीद भरी निगाहों से देखा उसकी वह सूजी हुई आंखें रो-रोकर लाल हुई थी चेहरा देख

एकांश का दिल भर आया उसने आस्था को अपनी गोद में उठाया और अंदर कमरे में ले आया

पानी पीजिए आस्था को ठीक से सोफे पर बिठाकर एकांश ने पानी का ग्लास उसकी और बढ़ाया

आस्था ने ना में सर हिलाया नहीं जाना कुंवर जी आस्था ने रोते हुए कहा

आस्था आप जा रही हैं पानी पीजिए आपको भूख भी लगी है ना एकाश खुद इतने दर्द से गुजर रहा था

फिर भी उसे अपनी जान( मतलब आस्था की फिक्र थी ) उसने कॉल करके खाना मंगवाने के लिए अपना फोन उठाया

कुंवर जी प्लीज हमें दूर मत कीजिए आस्था ने उसके हाथों से मोबाइल फेंक दिया

वो आंखों से बेशुमार आंसू लिए उसके हाथ को थामे हुए कह रही थी

आपको जाना होगा आस्था और यह हमारा लास्ट डिसीजन है एकांश ने बिना कोई एक्सप्रेशन अपने चेहरे पर लाते हुए कहा नहीं जाना है हमें कहीं नहीं जाना समझे आप कहते हुए आस्था ने अपने हाथ को उसकी बाहों में छुपा लिया और वैसे ही सिसकियां लेती रहीं

एकांश खामोश सा खड़ा रहा कुछ पल खामोशी के बाद उसने कहा कल सुबह 11:00 बजे की फ्लाइट है ड्राइवर आपको और वरद को एयरपोर्ट छोड़ आएगा

एकांश कुंवर जी आस्था ने सिर्फ उसकी ओर देखा.....

Pack your bags आपके डाक्यूमेंट्स हम पहले ही कॉलेज से कलेक्ट कर चुके हैं

अपना सारा जरूरी सामान ले लीजिए मिक्सर की कुछ रहे ना

एकांश हम आपके बिना नहीं रह सकते हमें ......रो.......... रोक लीजिए ना आस्था का रो...... रो कर बुरा हाल हो चुका था

लेकिन उस पर कोई असर नहीं हो रहा था वह बिना किसी एक्सप्रेशन के खड़ा था

जैसे उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता हो लेकिन सिर्फ उसका दिल ही जानता था

कि वह कितने दर्द से गुजर रहा है अपने प्यार से अपनी जान से अपनी साथी से यह सब कहते हुए वह झूठ हमने जाना जानबूझकर नहीं बोला था

हमारी मजबूरी थी मां ने कहा था अपना रंग किसी को भी नहीं दिखाना और कुणाल पता नहीं हम हमने कैसे कैसे मारा उन्हें हम माफी माफी मांग लेंगे कुंवरजी

आस्था ने किसी तरह से सिसकते हुए कहा उसे लग रहा था कि एकांश उसी वजह से अपने आप से दूर कर रहा है

आपको सच में लगता है हम उस बात की वजह से आपको दूर भेज रहे हैं आस्था आप के रंग से हमें कोई भी फर्क नहीं पढ़ता और रहा सवाल कुणाल का अगर आपने उसे जान से भी मारा होता ना फिर भी हमें आप पर नाज होता एकांश तो फिर क्यों क्यों भेज रहे हैं हमें हमें नहीं जाना आस्था

आस्था क्या आप हमारी इज्जत करती हैं हमसे क्या आप प्यार करती हैं हमसे

एकांश ने उसकी आंखों में देखते हुए कहा अपने आप से भी ज्यादा आस्था ने बिना एक पल गवाह उसे जवाब दे दिया

तो ......... तो आस्था आपको उस प्यार का वास्ता है मान लीजिए हमारी यह बात एकांश के कहने पर वह खामोश खाली रहे उसे कुछ समझ ही नहीं रहा था कि वह क्या कहे जहां वह उसके साथ रहने के लिए उससे प्यार करने के मीठे ख्वाब सजा रही थी वही उसने उसी प्यार का वास्ता दे दिया था

ठीक है हम जाएंगे आप चाहते हैं ना तो हम जाएंगे लेकिन उससे पहले l want to be yours........

हम आपकी होना चाहते हैं कुंवर जी आस्था व्हाट एकांश हैरान हो गया उसे बिल्कुल भी नहीं हो रहा था विश्वास की आस्था ऐसा कुछ कहेगी

वह बहुत ज्यादा रोएगी ना जाने की जिद करेगी इसका एकांश को अंदाजा था

लेकिन ऐसा कुछ उसने सोचा भी नहीं था मुझे अपना बना लीजिए

आपने मुझे शादी का मतलब समझाया कुंवर जी पति पत्नी का रिश्ता कैसे होना चाहिए यह सिखाया उस रिश्ते की पवित्रता समझाई याद है

आपको जब मैंने पूछा था कि हम एक कमरे में क्यों नहीं रहते तो आपने कहा था कि मैं छोटी हूं इस रिश्ते को निभाने के लिए उस वक्त समझ नहीं आया आप क्या कहना चाह रहे हैं लेकिन अब इतनी बड़ी तो हो चुकी हूं कि आपकी बात का मतलब समझ पाओ एंड नाउ आई वांट यू ........ आई वांट टू बी योर.........

आस्था ने उसकी आंखों में देखते हुए कहा आस्था एकांश जोर से सीखा आपको समझ आ रहा है आप क्या कह रही हैं इतनी बड़ी भी नहीं हुई है आप इस तरह की बातें आप करे जा रही हैं

एकांश आगे कुछ बोल नहीं पाया आस्था ने अपने कुंवर जी के होठों को अपने होठों से बंद कर दिया

आस्था उसे बेतहाशा चूमे जा रही थी आस्था की उसके बालों पर की पकड़ उसके बेताबी को बयां कर रही थी

उसके होंठ अपनी सीमाओं को तोड़कर उसके होठों को छू में जा रहे थे अपनी मर्यादा को लांग कर वह उसमें समा जाने के लिए बेताब हो रही थी

एकांश उसके इस रवैया से हैरान था एक पल उसे भी लगा छोड़ते यह सिद्ध और थाम ले उसके हाथों को भरे हुए उसे अपनी बांहों में समा जाए

उसके अंदर और इतना प्यार करें कि वह अपने सारे गम भूल जाए उसे हुई हर एक तकलीफ भूल जाए

लेकिन वह मजबूर था इस एक पल अगर वह कमजोर हो गया तो आस्था को अपने साथी बना लेता

आस्था को जिंदगी भर के लिए अपना लेता हूं लेकिन उसे सम्मान नहीं दिला पाएगा उसे उसकी पहचान नहीं दिला पाएगा उसे मजबूत नहीं बना पाएगा

एकांश ने उसे अपने से दूर किया उन दोनों की नजरें टकराई और हमेशा की तरह एकांश उसके ग्रीनीश आंखों में कुछ पलों के लिए खो गया

लेकिन फिर अगले ही पल होश में आकर उसने आस्था को दूर किया आज नही कुवर जी हम आपकी बात मान रहे हैं ना तो आप भी हमारी बात मान लीजिए

.... आस्था कहते हुये वो फिर से उसके करीब हो गयी ..... और उसके गले को बेतहाशा चूमने लगी .....

उसने एकाँश के गर्दन पर अपने दोनों हाथों की पकड़ बनाई हुई थी और अपने गुलाबी लबो से उसे चूमे जा रही थी ....

एकाँश ने उसे गुस्से से अलग किया और अगले ही पल एक जोरदार चाँटा उसके चेहरे पर पड़ा .....

जिस कुँवर्जी ने कभी उससे उँची आवाज मे बात नही की ..... हमेशा प्यार से सबकुछ समझाया था आज उन्होने ही उसे थप्पड मार दिया आस्था ....

अपने कमरे मे जाईये .... और जाने की तयारी किजीये ..... अभी के अभी .... एकाँश गुस्से से चीख पड़ा उसकी आँखें लाल हो चुकी .... थी .....

हम वापस नही आएंगे कुँवरजी बुलाया .... फिर भी नही आएंगे .... कभी भी नही ....

आस्था अपने गाल पर हाथ रखे रोते हुये अपने कमरे मे चली गयी .....

उस कमरे के बाहर खडे उस साये के चेहरे पर मुसकान आ गयी .......

जो काफी देर से एकाँश और आस्था की बातें सुन रहा था ...... ....

आपने एकाँश ने भले ही गुस्से में उसपर हाथ उठाया लेकिन अब उसे इस बात का पछतावा हो रहा .... था

आस्था ना समझ थी .... इस वजह से ऐसी हरकत कर बैठी ..... लेकिन हम ....

हम तो समझदार थे . कैसे मार सकते है उन्हें ....एकाँश बहोत रोना चाहता था ...... लेकिन रो नही सकता था .....

उसने अपने कमरे मे मौजुद दिये की आग पर अपना हाथ रख दिया ..... जिस हाथ ने उसे मारा था ..... थक कर वो दिया तक बुझ गया ..... लेकिन उसका हाथ वैसा ही रहा .....

आस्था की रात भी रोते हुए बित गयी .... अगले दिन ना वो एकाँश से मिली और ना ही किसी .... और से बात की . चली गयी वो अपनी ..... .... असली पहचान खोकर

एक नयी पहचान बनाने ..... अपना अस्तित्व खोकर एक नया अस्तित्व बनाने ..... अपने साथी को खोकर दुनिया के साथ कदम मिलाने ..... अपने कुँवरजी से दूर .. शायद अपनी अलग एक दुनिया बनाने ....

उफ्फ ये पार्ट लिखना ..... सच मे बहोत मुश्किल हो रहा था मेरे लिए ..... फिर भी लिखा .... .... आज में आपसे कमेंट की मांग नही करूँगी ....फिर भी .... मुझे यकीन है .... आप खुद ही बहोत सारे कमेंट करेंगे ... और शायद सिर्फ इतना ही कहूंगी Stay connected .... Until next part