Pyari Duniya - 31 in Hindi Love Stories by Deeksha Vohra books and stories PDF | प्यारी दुनिया... - 31 - अनंत या शुरुवात ?

Featured Books
  • THIEF BECOME A PRESEDENT - PART 5

    भाग 5 (मजेदार मोड़): एक सनकी हसीना का आगमन टिमडेबिट ने सब सच...

  • बेवफा - 44

    ### एपिसोड 44: नई सुबह की ओरसमीरा की ज़िन्दगी में सबकुछ बदल...

  • सर्वथा मौलिक चिंतन

    भूमिका मित्रों उपनिषद कहता है सर्व खल्विदं बृम्ह,सबकुछ परमात...

  • Zom-Bai - 1

    EPISODE #1Episode#1 First Blood"लेफ्ट राईट, लेफ्ट राईट लेफ्ट...

  • शोहरत का घमंड - 155

    सोमवार का दिन........अरुण वकील को जेल ले कर आ जाता है और सार...

Categories
Share

प्यारी दुनिया... - 31 - अनंत या शुरुवात ?

एपिसोड 31 ( अनंत या शुरुवात ?)
कनिका अभी सोच ही रही थी.. की वो यहाँ कैसे आई ... .... की अचानक से उस कमरे में लाइट आ गई | उसने अपनी आँखों को ढका | क्यूंकि वो तेज़ रौशनी कनिका की आँखों में चुभ रही थी | पर जैसे ही उसने अपना हाथ हटाया .... उसने अपने सामने जो देख .. उसे देख ... कनिका के पैरों तले जमीन तो किसी नदी के पानी की तरह बह सी गई हो |
वो अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं कर पा रही थी ... की जो वो देख रही है | वो सच है |
उसके मुह से सिर्फ एक शव्द निकला |
कनिका :: “माँ ?”
कनिका ये सोच रही थी ... की माँ यहाँ कैसे हो सकती हैं | जब कनिका धीरे से आगे बढ़ी | ओर कनिका की माँ बोलीं |
“नहीं बेटा .... मैं तुम्हारी माँ नहीं हूँ | मैं तो सिर्फ तुम्हारी माँ की छाया हूँ |”
कनिका :: “छाया ? क्या मतलब ?”
“मतलब की ये ... मुझे तुम्हे बताना था की ....” वो छाया आगे कुछ ओर बोल पाती ... उससे पहले ही वहां कुछ ऐसा हुआ ... जो किसी ने अभी सोचा नहीं था | जो ज़हर अभी तक कनिका पर कोई असर नहीं कर रहा था .... उस ज़हर का असर उस पर होने लगा था | कनिका को अचानक से उसके पेरों में दर्द होने लगा | ओर वो दर्द में कहराते हुए चिलात्ति है |
कनिका :: “आह !” जिसके बाद जब कनिका अपने सामने देखती है ... उसे उसकी माँ की वो परछाई कहीं दिखाई ही नहीं दे रही थी | कनिका को ये तो समझ आ गया था .. की उसे उसकी माँ की परछाई का दिखना कोई उसका वेह्म नहीं था |पर वो आगे कुछ ओर सोच पाती ... उससे पहले की उसकी पीठ में तेज़ दर्द हुआ | कनिका ने पीछे मुड़ कर देखा तो ... पलक ने उसे एक खंजर से मारा था | पर कनिका को समझ नहीं आ रहा था ... की अचानक से ये सब क्या हो रहा था | अभी तो सब ठीक था |
पलक ने जो खंजर कनिका को मारा था उस में एक विशेष तरह का ज़हर था | जिसकी वजह से कनिका अब धेरे धेरे बेहोश होती जा रही थी | कनिका की आँखें अचानक से लाल रंग की हो गईं थी | जिसे देख पलक के चेहरे पर एक डेविल स्माइल आ गई | ओर पलक बोली |
पलक :: “अब तुम कभी भी अपनी ज़िन्दगी की ये सचाई नहीं जान पायोगी कनिका ... हा हा हा हा ..”
कनिका को समझ ही नहीं आ रहा था की ... पलक उससे क्या कहने की कोशिश कर रही थी | पर न जाने क्यूँ कनिका को ऐसा लगा की उस्सने पलक के सेठ किसी ओर को बही वहां पर देखा था | पर किसको ... ये देखने से पहले ही कनिका की आँखें बंद हो चुकी थी |
जब तक कनिका के पास अबीर पहुंचा ... तो उसने जो देख ... उसे देखने के बाद अबीर तो मानो टूट ही गया था | पर अबीर को नहीं पता था ... की कायर्व भी वहां आ जायेगा | कायर्व ने जब अपनी माँ को देखा ... तो वो ज़ोर से चिलाया |
कायर्व :: “ममा ....”
कायर्व की आँखें नाम हो चुकीं थी | आज काले चाँद की कालिऊ रात थी | वो रात जिस रात नाग नागिनों की शक्तियां बहुत कम हो जाती थी | ओर आज ही के दिन किसी ने कनिका को दिव्या खंजर से मारा था |
अबीर कनिका न कनिं ये जान चूका था की ... की उसकी कनिका अब उसे छोड़कर जा चुकी थी | अभी अभी तो कनिका उसे मिली थी | अभी तो वो दोनों एक दुसरे के साथ समय भी अच्छा से बिता नहीं पाए थे |
ओर कायर्व ... वो ये सोच रहा था की कायरा को वो क्या बतायेगा | की उसकी ममा कहाँ हैं | कायर्व जब वहां कनिका के पास पहुंचा | तो उसने कनिका की आँखों में देखा | जिसमे उसे पलक , कनिका की माँ ओर एक ओर अनजान परछाई दिखी | पर किसकी कायर्व ये जान न सका |
सब ख़तम हो चूका था | अबीर ने जो ज़िन्दगी का खाब देखा था .... अब उस ज़िन्दगी में कनिका नहीं थी | पर कायर्व ने खुद से उस दिन एक वादा किया था .... की चाहे जो भी हो जाए ... वो अपनी माँ की मौत का बदला जरूर लेगा | वो अपना इंतकाम जरूर लेगा | चुन चुन कर अपनी माँ के कातिलों को सज़ा देगा | क्यूंकि एक नाग का काटा .... कभी पानी नहीं मांगता |
क्या लगता है ... क्या अबीर , कायर्व अपना बदला ले पाएंगे ? ओर कायरा को जब पता चलेगा ... तो क्या होगा ?
क्या कनिका की मौत ... इस कहानी का अंत था ? या किसी तूफ़ान के आने की शुरुवात ?
पर अभी नहीं .... आपके सभी सवालों के जवाब आपको इस भाग में नहीं ... बल्कि अगले भाग में मिलेंगे | तब तक के लिए ....
अलविदा ....