Is Pyaar ko kya naam dun - 20 in Hindi Fiction Stories by Vaidehi Vaishnav books and stories PDF | इस प्यार को क्या नाम दूं ? - 20

Featured Books
  • Operation Mirror - 4

    अभी तक आपने पढ़ा दोनों क्लोन में से असली कौन है पहचान मुश्कि...

  • The Devil (2025) - Comprehensive Explanation Analysis

     The Devil 11 दिसंबर 2025 को रिलीज़ हुई एक कन्नड़-भाषा की पॉ...

  • बेमिसाल यारी

    बेमिसाल यारी लेखक: विजय शर्मा एरीशब्द संख्या: लगभग १५००१गाँव...

  • दिल का रिश्ता - 2

    (Raj & Anushka)बारिश थम चुकी थी,लेकिन उनके दिलों की कशिश अभी...

  • Shadows Of Love - 15

    माँ ने दोनों को देखा और मुस्कुरा कर कहा—“करन बेटा, सच्ची मोह...

Categories
Share

इस प्यार को क्या नाम दूं ? - 20

(20)

अर्नव मन्दिर को आज बहुत गौर से देख रहा था, उसे आज मन्दिर अलग और नया सा लग रहा था।

सभी लोग शिवमन्दिर के अंदर थे। अर्नव सीढ़ियों पर चढ़ता हुआ हर एक बढ़ते कदम पर ख़ुशी को याद करता है। उधर मन्दिर में ख़ुशी को अहसास होता है कि अर्नव उसके आसपास ही है।

ख़ुशी- हम भी कितने पागल है। वो और यहाँ मन्दिर आएंगे हो ही नहीं सकता।

ख़ुशी अपने ही मन को झिड़क रही थी कि तभी अर्नव मन्दिर के मुख्य द्वार की चौखट में पैर रखते हुए दिखता है।

मन कहता है- देख लो नवाबजादे या तुम्हारे दिल के शहज़ादे यहाँ मन्दिर के अंदर ही चले आ रहे हैं, जैसे बिना कोई दस्तक दिए तुम्हारे दिल में चले आए थे।

खुशी अपने मन में बुलबुलों से उठ रहे विचारों का खंडन करते हुए कहती है- दिल में बसने वाले तो हलचल मचाकर आते हैं, ऐसे गुपचुप नहीं आते की खबर ही न हो।

अर्नव को मन्दिर में आया देखकर देवयानी कहती है- आज तो पक्का सूर्य भी पश्चिम दिशा से निकला होगा, नदियों ने अपना रास्ता बदल लिया होगा और पर्वत भी पंछी से उड़ रहे होंगे।

अर्नव- बस भी कीजिये नानीजी मेरा मन्दिर में आ जाना इतने अजूबे वाली बात भी नहीं है। मैं पहले भी यहाँ आ चुका हूँ।

मनोरमा- हमका तो यकीन ही नाही होवत है कि आकाश बिटवा की सगाई होई गई और अब ई अर्नव बिटवा का मंदिर में आना तो अईसन है जईसन हम सपना देख रहे हैं।

अर्नव- आप सब इतना ओवर रिएक्ट क्यों कर रहें हैं। आप सब यहाँ है, आज आकाश की सगाई हुई है तो मैं यहाँ नहीं होता तो कहाँ होता? मैं भले ही भगवान को नहीं मानता हूँ पर आप सबको तो मानता हूँ न?

अंतिम वाक्य अर्नव ने जोर देकर खुशी को देखते हुए कहा जैसे वह वाक्य विशेष तौर पर खुशी के लिए ही कहा गया हो।

मैं यहाँ पहले भी आ चुका हूँ । ख़ुशी इस बात की गवाह हैं। सही कहा न ख़ुशी- अर्नव ने ख़ुशी को देखते हुए कहा।

सभी लोग ख़ुशी को सवालिया नज़रों से हैरान होकर देखते हैं।

मनोरमा- ई कब हुआ ? ख़ुशी अर्नव बिटवा को मन्दिर मा कब ले आई? चमत्कार ही हुई गवा।

ख़ुशी- हम पहली बार अर्नवजी से यहीं मिले थे फिर तो हम बार-बार उनसे टकराते ही रह, और आज उनके रिश्तेदार भी बन गए।

देवयानी- सब शिवजी की लीला है।

सभी लोग शिवजी के दर्शन करने के बाद एक-दूसरे से विदा लेकर अपने-अपने घर लौट जाते हैं।

ख़ुशी पायल के कमरे में आती है। पायल अपने लहंगे की तह कर रहीं होती है। ख़ुशी को देखकर पायल कहती है...

पायल- ये क्या ख़ुशी, अब तक तुमने कपड़े नहीं बदले?

ख़ुशी (पायल से लिपटकर)- आज हम इतने ज़्यादा ख़ुश है कि बता नहीं सकते, कपड़े हम बदल भी लेंगे न तब भी मन तो आज पूरे समय उत्सव मनाएगा जीजी।

पायल (चुटकी लेते हुए)- तुम्हारे मन के मयूर हमारी सगाई होने के पहले से ही नाच रहे थे ख़ुशी। लगता है शिवमन्दिर वाला सावन के बादल सा तुम्हारे मन पर छा गया है।

ख़ुशी (सकपकाकर)- न.. नहीं जीजी... ये आ..आप क्या कह रही है, हमारी तो कुछ समझ नहीं आ रहा।

हम तो इसलिए ख़ुश है कि आपको आकाशजी जैसा जीवनसाथी मिला।

पायल (मज़ाकिया लहज़े में)- अच्छा बच्चू, हमसें ही लुकाछुपी और चालाकी। हम सब समझते हैं। आकाशजी के भैया, तुम्हारे शिवमन्दिर वाले, नवाबजादे, हमारे जेठजी और लंकापति कही तुम्हारे पति तो नहीं बनने वाले हैं।

पायल की बात सुनकर ख़ुशी बात को बदलने के लिए पायल को गुमराह करने की कोशिश करते हुए कहती है..

ख़ुशी- जीजी, हमने सुना तो था कि लोग अनायास मिली प्रसन्नता से पागल हो जाते हैं। अब असलियत में भी देख लिया है। आप भी इतने बड़े खानदान की बहू बनकर पगला गई है, तभी ऐसी बहक़ी हुई सी बातें कर रहीं हैं। और आप जिनको हमारा पति बनाने का कह रही हो वह सिर्फ़ लखपति, करोड़पति, अरबपति या खरबपति ही बन सकते हैं किसी लड़कीं के पति नहीं।

पायल (मुस्कुराते हुए)- बहक़ी हुई खुद हो किसी के प्यार में, और इल्जाम हमारे सिर मढ़ रहीं हो।

अच्छा तुम ये बताओ.. जो अरबपति होगा वह ख़ुश भी होगा न ?

ख़ुशी- ख़ुश तो होगा ही, इतने रुपये होने के बाद दुःखी कौन रहेगा..?

पायल (हँसते हुए)- तो हुए न वो ख़ुशीपति भी..

ख़ुशी (खीझते हुए)- क्या जीजी, अजीब सी बातें कर रहीं हो। कुछ भी अनाप शनाप कहती चली जा रही हो।

पायल - हम तो सिर्फ़ अजीब बातें ही कर रहें है, तुम तो अजीब हरकमें कर रही हो।

ख़ुशी अचरज़ से पायल को निहारती है। पायल उठकर अलमारी की ओर जाती है। वह अलमारी से कुछ कार्ड्स निकालकर लाती है और उन्हें ख़ुशी को देते हुए कहती है- ये कार्ड्स जो बुआजी ने तुम्हें दिए थे ज़रा उनके नाम पढ़कर बताना...

ख़ुशी पायल से कार्ड्स लेती है और हर एक कार्ड का नाम पढ़ती है तो दंग रह जाती है। सभी कॉर्ड्स पर अर्नव का नाम लिखा हुआ था।

ख़ुशी शर्माते हुए टेढ़ी नज़रों से पायल को देखती है तो हाथ बांधे खड़ी हुई पायल भौहें उचकाकर इशारों में ही पूछती है- माजरा क्या है खुशी?

ख़ुशी बात बनाते हुए- गलती से लिख गए होंगे जीजी। कौन सी बड़ी बात है।

ख़ुशी की बात सुनकर पायल दूसरा सबूत पेश करती है और अपनी मेहंदी रची कलाई ख़ुशी को दिखाते हुए कहती है- ये जो मेहंदी तुमने बनाई थी अब ज़रा इसमें हमारे होने वाले पति का नाम पढ़कर बताना...

ख़ुशी पायल की हथेली पर मेंहदी से बने दिल के अंदर नाम पड़ती है तो चीख़ पड़ती है- हे शिवजी! हमने यहाँ भी अर्नवजी लिख दिया।

पायल- शुक्र मनाओ की उस लल्लूलाल जितेंद्र के परिवार वालों की वजह से हमारी सगाई उससे नहीं हुई।

अगर हो जाती तो तुम्हारी यह ग़लती सगाई टूटवा देती।

ख़ुशी (शर्मिंदा होते हुए)- हमें माफ़ कर दो जीजी, हमें सच में याद नहीं है कि हमसे इतनी बड़ी भूल कैसे हो गई।

पर आप जो सोच रही है वह सही नहीं है।

ख़ुशी के दिल की बात अब भी बाहर नहीं आती है। पायल अगला सबूत पेश करते हुए कहती है- तुमने आज मेहमानों के स्वागत के लिए आँगन में जो रंगोल बनाई थीं अब जरा उसका फ़ोटो भी देख ही लो..

पायल अपना मोबाइल ख़ुशी को देती है। ख़ुशी ज़ूम करके रंगोली देखती है तो उसमें भी सुस्वागतम के स्थान पर अर्नवजी लिखा हुआ होता है।

ख़ुशी की तो सिटीपिट्टी गुम हो जाती है। उसे तो यही लगता है कि उसने यह सब नहीं किया हैं। यह तो उस हलवे का असर है जो ख़ुशी ने अर्नव को दिया था। ख़ुशी को लगता है अर्नव से उतरकर काला जादू उस पर चढ़ गया है।

पायल कहती है, शुक्र है हमनें देख लिया था और सही समय पर रंगोली से नाम मिटाकर उसे सही कर दिया।

ख़ुशी- जीजी, हमें लगता है हम पर काला जादू कर दिया गया है।

पायल, खुशी की इस बात पर खिलखिलाकर हँसते हुए कहती है- सनकेश्वरी यह काला जादू नहीं प्यार का जादू है। तुम्हें अर्नवजी से प्यार हो गया है। तुम पर काला जादू नहीं इश्क का रंग चढ़ गया है। अबसे अर्नवजी को नवाबजादा नहीं इश्कज़ादा कहना।

ख़ुशी- क्या यही प्यार है ? अगर हाँ तो इस प्यार को क्या नाम दूँ ?

पायल- प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो... हमें तो दुगुनी ख़ुशी हो रही है, क्योंकि तुमसे अर्नवजी को भी प्यार हुआ तो हमारी सगाई की तरह ही तुम्हारी भी चट मंगनी पट ब्याह हो जाएगा। फिर हम दोनों बहनें एक ही घर में हमेशा एक साथ मिलजुलकर रहेंगी।

ख़ुशी- शिवजी के खेल भी निराले ही है जीजी..

पायल- सो तो है। हम उनके हर खेल से बहुत खुश हैं और आज तो इतना कि झूम-झूमकर नाचे, गाये और जश्न मनाए। हमारी खुशियों पर किसी की नजऱ न लगें। शिवजी की कृपा तो देखो उन्होंने तुम्हें शिवमन्दिर वाला, तुम्हारा राजकुमार अपने मन्दिर में ही दिखा दिया था।

पायल की बात सुनकर ख़ुशी को वह दिन याद आता है, जब गरिमा ने लड़के वालों के आने पर ख़ुशी से बाहर रहने का कहा था और ख़ुशी दुःखी होकर अपने दोस्त पीपल को आपबीती सुनाते हुए कह रही थी-

पता है हरि, जीजी कह रही थी कि हम दोनों हमेशा साथ रहेंगे। क्या सच में यह सम्भव है? क्या सच में आज लड़के का भाई भी साथ आया होगा? अगर आया होगा भी तो मुझसे कैसे मिलेगा?

ख़ुशी यादों के कारवाँ में मुसाफिर हो गई, वह सोचती है- वह लड़का तो उस दिन हमारे सामने शिव मंदिर में ही था और हम उसी के ख्यालों में गुम उसके बारे में सोच रहे थे। तब कहाँ पता था कि जिससे हम बहस कर रहें हैं कभी उसी से हमें प्यार हो जाएगा।

पायल- खुशी, कहाँ खो गई। अभी से अपने अर्नवजी के साथ कहीं लॉन्ग ड्राइव पर चली गई हो क्या ?

ख़ुशी- गाड़ी चली ही कहाँ जीजी। प्यार हमेशा अधूरा रह जाता है। हमारे प्यार का भी यहीं अंजाम होगा। हमारा और अर्नवजी का कोई मेल ही नहीं है।

वह ठहरें सक्सेसफूल बिजनेस मैन। वह अगर किसी से शादी करेंगे भी तो वह लड़कीं उनकी हैसियत की, उनकी बराबरी की ही होगी। हम उस पैमाने में फिट नहीं बैठते है। एक दिन उनकी ही असिस्टेंट ने हमें उनका सर्वेन्ट समझ लिया था। हम तो ऐसे सुनहरे सपने देखने की भी हैसियत नहीं रखते है जीजी। प्यार का क्या है, वो तो हमें रणबीर कपूर से भी हो गया था। तो क्या हमारी उनसे शादी हो गई।

पायल- यूँ दिल छोटा मत करो ख़ुशी। हमें ही देखों... क्या सुबह तक किसी को भी यह पता था कि आज हम रायजादा परिवार की बहू बन जाएंगे। हम तो वहाँ के किसी सदस्य से कभी मिले भी नहीं। तुम ही वहाँ आती-जाती रहीं। जब यह मुमकिन हो सकता है तो तुम्हारा प्यार मुक्कमल क्यो नहीं हो सकता। तुम्हें उसके अधूरे रह जाने का डर सिर्फ़ इसलिए है क्योंकि अर्नवजी बहुत अमीर है।

अगर अमीरी-गरीबी ही जीवनसाथी तय करती तो सिंड्रेला को कभी उसका खोया हुआ जूता और राजकुमार नहीं मिलता।

ख़ुशी- यह सब कहने की बातें है जीजी, जो सुनकर तो बहुत अच्छी लगती है पर कभी सच नहीं होती।

आपने कभी किसी लड़कीं को यह सपना देखते सुना है- मेरे सपनों का सब्जीवाला, दूधवाला..नहीं न

जैसे हर लड़की के सपनों का सिर्फ़ राजकुमार ही होता है न वैसे ही हर लड़के का सपना भी राजकुमारी ही होती है कोई गरीब लड़कीं नहीं।

वैसे भी, अर्नवजी की हर बात रुपयों से शुरू होती है और रुपयों पर ही खत्म हो जाती है।

प्यार, शादी, भावनाएं ये सब भी उन्हें डील ही लगती होगी जिसमें वह सिर्फ़ प्रॉफिट ही देखेंगे लॉस नहीं। एक बिजनेसमैन सिर्फ़ मुनाफ़ा कमाना जानता है। इसलिए अब इस विषय पर और अधिक बात करने से कोई लाभ नहीं होगा।

ख़ुशी यह तो स्वीकार कर लेती है कि उसे अर्नव से प्यार हो गया है, पर यह बात मानने को तैयार नहीं होती कि अर्नव के साथ उसका कोई भविष्य होगा।

पायल- ख़ुशी, कुछ बातें वक़्त पर छोड़ देना चाहिए। वक़्त भी जादूगर की तरह होता है। कब किस सपने को हमसें चुराकर उससे भी बेहतरीन कुछ और हमारी झोली में डाल दे यह सिर्फ़ वक़्त ही जानता है। अभी तो वक़्त हमसे सोने का कह रहा है। हम तो सो रहे है। तुम भी सो जाओ, थक गई होंगी।

ख़ुशी- जीजी, गुड नाईट ! हम कुछ वक्त चाँद तारों के साथ बिताएंगे।

पायल बत्ती बुझाकर सो जाती है।

ख़ुशी खिड़की से सटकर लगे सोफ़े पर बैठकर अनंत आकाश में बिखरे सितारों को देखती है।

दूसरे दृश्य में

अर्नव अपनी बालकनी में खड़ा हुआ तारों को एकटक देखता है। अर्नव सोचता है- अजीब बात है न कि अब तक चाँद-तारे, कसमें, वादे औऱ इमोशन ये सब मुझे फ़िल्मी लगा करते थे। अब जब इन चाँद सितारों को देखता हूँ तो यह सब कितने प्यारे लगते हैं। लगता है जैसे बहुत क़रीबी है, इनसे बहुत पुराना याराना रहा हो।

हर एक टिमटिमाता तारा शिकायत करके कुछ कह रहा हो। क्या प्यार में वाकई इतनी ताकत होती है कि इसमें पड़कर लड़का चाँद तारे तोड़कर लाने तक का वादा कर देता हैं। फ़िल्मी ही तो है ये सब की चाँद तारो से मांग सजाना, चाँद तारे तोड़ लाना... मैं खुशी से ऐसे कोई फिल्मी वादे नहीं करूंगा बल्कि मैं ख़ुशी के लिए हर वो चीज़ ले आऊंगा जो उसका सपना है। मैं उसके हर सपने को पूरा करूँगा।

अगले दृश्य में....

ख़ुशी आसमान को देखकर सोचती हैं- अजीब बात है न, जब मन ख़ुश होता है तब चाँद तारों से भरा आकाश मन को लुभाता है, औऱ जब मन उदास होता है तो यहीं तारे तिकोने लगते है और चुभने लगते है। काश कोई हमारे लिए भी चाँद तारे तोड़ लाने का वादा करता। जिस इंसान से हम दिल लगा बैठे वह तो इन सब बातों में यक़ीन ही नहीं करते। भगवान का शुक्र है कि ये चाँद-तारे इतने दूर है वर्ना वो तो इन पर भी अपनी कम्पनी खोल देते या इन्हें खरीदकर आशिक़मिजाज लोगों पर जुर्माना लगा देते इन्हें तोड़कर लाने की बात पर।

जुर्माना तो हम पर भी लग ही गया है उनके प्यार में पड़ने से। पहले हम कितना बोलते थे अब ख़ामोशी अच्छी लगती है। महफ़िल में रहने वाले हम अब तन्हाई ढूंढते है। कभी टूटते तारे को देखकर चेहरा चमक उठता था इच्छा पूरी होने के लिए अब दिल टूट रहा है और सारी इच्छा मर गई। अच्छी सौग़ात मिली इस प्यार में।

अर्नव और ख़ुशी दोनों ही कुछ देर बाद सोने चले जाते हैं।

अगली सुबह....

अर्नव को सुबह का सूरज मद्धम लग रहा था, धूप भी चाँदनी सी शीतल लग रही थी। हवाएं रेशम सी मुलायम लग रही थी। सुबह गुलाबी, समां शराबी सा लग रहा था। अर्नव को इश्क़ का बुख़ार चढ़ गया था जिसकी दवा किसी भी हक़ीम के पास नहीं थी।

अर्नव गाना गुनगुनाते हुए डायनिंग टेबल तक जाता है। सीटी बजाते हुए वह कुर्सी खिंचता है। सीट पर बैठने के बाद वह सबके हैरान चेहरों को देखकर पूछता है जो उसे ही घूर रहे थे- आप सब मुझे ऐसे क्यों देख रहे है?

अंजली- अर्नव आज व्हाइट, ब्लैक और ब्लू कलर छुट्टी पर है क्या ? तुमने रेड शर्ट पहनी है। ये वहीं शर्ट है न जो हम तुम्हारे लिए राखी पर लाए थे।

अर्नव- हां दी, ये वही है।