Before the trip - 4 in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | सफर से पहले ही - 4

Featured Books
  • ભીતરમન - 58

    અમારો આખો પરિવાર પોતપોતાના રૂમમાં ઊંઘવા માટે જતો રહ્યો હતો....

  • ખજાનો - 86

    " હા, તેને જોઈ શકાય છે. સામાન્ય રીતે રેડ કોલંબસ મંકી માનવ જા...

  • ફરે તે ફરફરે - 41

      "આજ ફિર જીનેકી તમન્ના હૈ ,આજ ફિર મરનેકા ઇરાદા હૈ "ખબર...

  • ભાગવત રહસ્ય - 119

    ભાગવત રહસ્ય-૧૧૯   વીરભદ્ર દક્ષના યજ્ઞ સ્થાને આવ્યો છે. મોટો...

  • પ્રેમ થાય કે કરાય? ભાગ - 21

    સગાઈ"મમ્મી હું મારા મિત્રો સાથે મોલમાં જાવ છું. તારે કંઈ લાવ...

Categories
Share

सफर से पहले ही - 4

दोनो बेटे की नौकरी लगने पर खुश थे।उन्हें तो मानो मुह मांगी मुराद मिल गयी थी।नौकरी लगते ही दीपक के लिए रिश्ते आने लगे थे।हमारे यहाँ आज भी बेटा बेटी की शादी मा बाप ही करते है।दीपक के माता पिता भी चाहते थे कि वह शादी कर ले।दीपक को अपने साथ कालेज में पढ़ने वाली रेखा से प्यार हो गया।दीपक ने अपने प्यार के बारे में मा बाप को बताया मा बाप बेटे का दिल तोड़ने नही चाहते थे।उन्होंने बेटे की पसंद का ख्याल रखते हुए उसकी शादी रेखा से कर दी।
शादी के बाद दीपक ने गांव आना छोड़ दिया।शादी से पहले वह गांव आता तो कई दिनों तक रुकता भी था।पहले उसने रुकना कम किया और फिर बिल्कुल बन्द कर दिया।सरला जब भी कहती,"बेटा बहु बच्ची के साथ कुछ दिनों के लिए गांव आ जा।"
दीपक कोई न कोई बहाना बनाकर गांव आने के लिए मना कर देता।सरला दो बार बेटे के पास शहर गयी थी।जब बहु मा बनने वाली थी।
एक दिन अचानक ह्र्दयगति रुक जाने से दीना नाथ की मौत हो गयी।सरला ने बेटे को सूचना दी थी।सूचना मिलते ही दीपक बहु बच्चों के साथ गांव आ गया था।अपने पिता के सभी अंतिम कार्य करने के बाद गांव से लौटते समय वह सरला से बोला,"माँ अब तू गांव में अकेली क्या करेगी।अब हमारे साथ चल।"
"अभी साल भर तो रहना पड़ेगा"
"और एक साल बाद दीपक फिर गांव आया था।सरला गांवमें ब्याह कर आई थी।वह शहर जाना नही चाहती थी।पर पति के न रहने पर कोई सहारा नही रहा था।अकेली वह गांव में क्या करेगी।बहु बेटे के साथ रहने के लिए वह तैयार हो गयी।
चलने से पहले बेटे ने उसे समझया था कि जब शहर में ही रहना है तो गांव के दुकान मकान का क्या करेगी?
बात बेटे की सरला को सही लगी।उसने गांव की दुकान और मकान बेच दिया और बेटे के साथ शहर चली आयी।वह बहु बेटे के साथ रहने लगी।
शहर में बेटा किराए के मकान में रहता था।उसमें अनेक झंझट थे।आये दिन किसी ने किसी बात को लेकर मकान मालिक से झन्झट होता रहता था।सरला से रोज रोज के झंझट नही देखे जाते थे।इसलिय वह एक दिन बेटे से बोली,"कोई मकान देख ले।खरीद लेते है।"
गांव से मकान और दुकान बेचकर सरला आयी थी।उन पेसो से सरला ने बेटे को दो कमरों का फ्लैट दिलवा दिया।एक कमरा बेटे बहु ने ले लिया।एक कमरे में पोते पोती के साथ सरला रहने लगी।
जब तक बच्चे छोटे थे।तब तक तो बच्चों को कोई परेशानी नही थी लेकिन जब बच्चे बड़े हो गए तब दादी से उन्हें परेशानी होने लगी।जब उनके दोस्त आते थे तो वे दादी के सामने खुलकर बात नही कर पाते थे।उन्होंने अपनी परेशानी अपने मम्मी पापा को बताई थी।इसका हल यह निकाला गया कि सरला का बिस्तर बाहर बालकोनी में लगा दिया गया।शहर के छोटे फलेट मे बालकोनी होती ही कितनी बडी हैः
घर अपना था तो जरूरते के साथ सामान भी बढ़ने लगा।वासिंग मशीन बालकोनी में आ जाने पर सरला के लिए जगह नही बची।सरला ने सब कुछ बेचकर घर खरीदा था।उसी घर मे उसके लिए जगह कम पड़ने लगी।