Saat fere Hum tere - 47 in Hindi Love Stories by RACHNA ROY books and stories PDF | सात फेरे हम तेरे - भाग 47

Featured Books
  • નિતુ - પ્રકરણ 52

    નિતુ : ૫૨ (ધ ગેમ ઇજ ઓન)નિતુ અને કરુણા બંને મળેલા છે કે નહિ એ...

  • ભીતરમન - 57

    પૂજાની વાત સાંભળીને ત્યાં ઉપસ્થિત બધા જ લોકોએ તાળીઓના ગગડાટથ...

  • વિશ્વની ઉત્તમ પ્રેતકથાઓ

    બ્રિટનના એક ગ્રાઉન્ડમાં પ્રતિવર્ષ મૃત સૈનિકો પ્રેત રૂપે પ્રક...

  • ઈર્ષા

    ईर्ष्यी   घृणि  न  संतुष्टः  क्रोधिनो  नित्यशङ्कितः  | परभाग...

  • સિટાડેલ : હની બની

    સિટાડેલ : હની બની- રાકેશ ઠક્કર         નિર્દેશક રાજ એન્ડ ડિક...

Categories
Share

सात फेरे हम तेरे - भाग 47

फिर मजाक मस्ती में समय भी निकल गया।
ग्यारह बजे तक कानपुर पहुंच गए।
नैना ने पहले ही कोकिला को बोल दिया था कि रात का डिनर बना कर रखें।

फिर घर पहुंच कर सब नहा धोकर सीधे कोकिला के घर पहुंच गए।
कोकिला ने कहा आओ दोस्तों।
विक्की ने पैर छुए और कहा कि सब कैसे हैं।
कोकिला ने कहा हां ठीक है। चलो खाना लग चुका है।

फिर सब जाकर खाना खाने बैठ गए।
विक्की ने प्लेट में अपनी पसंद का खाना देखकर हैरान हो गया और फिर वो पुछा कि आंटी आपको कैसे पता कि आज मुझे ये सब पसंद है?
कोकिला ने कहा अरे बाबा ये सब नैना ने बताया था।
विक्की ने नैना की तरफ देखा तो नैना ने कहा नहीं नहीं मैंने कुछ भी नहीं कहा।बुई तो ये सब बनाती है।

फिर सब मिलकर खाना खाने लगे। और फिर बातचीत करने के बाद सब घर पहुंच कर जल्दी से सो गए।
नैना को नींद नहीं आ रही थी उसे कोई बात बहुत परेशान कर रही थी।
उसे एक बात परेशान कर रही थी कि विक्की की जिंदगी में और कोई है।


ये सब सोचते सोचते कब सो गई पता नहीं चल पाया।


सुबह जल्दी उठकर तैयार हो गई दोनों।


विक्की अतुल और बिमल तीनों एक साथ बैठ कर एक दूसरे का मुंह देखने लगें।
विक्की ने कहा अरे दीदी अब आओगे।
माया ने कहा मुझे लेट हो जाएगा। नैना दो बजे तक आएंगी।
फिर दोनों चली गई।
विक्की ने कहा अतुल और बिमल तुम लोग दो दिन रुक कर जाना।
बिमल ने कहा हां ठीक है पर फिर अब होली में आऊंगा।
विक्की ने कहा अरे वाह मैं तो भुल ही गया था होली आने वाला है।
अतुल ने कहा परसों ही चले जाएंगे भाई।

फिर सब मिलकर चाय नाश्ता करने लगे। फिर सब नहाकर तैयार हो गए।
कुछ देर बाद ही नैना आ गई और फिर नैना फेश् होकर किचन में जाकर चावल चढ़ा कर पापड़ तलने लगी।
विक्की ने कहा अरे वाह क्या खुशबू है।
नैना ने कहा पर मैंने तो कुछ बनाया नहीं।
विक्की किचन में जाकर धीरे से बोला कि मेरी जान ये तो सैम के आने की खुशबू है वो अगले महीने आ रही है।

नैना ने कहा अच्छा ये बात है तो फिर इतनी धीमी आवाज में क्यों कहा।
विक्की ने कहा क्या मैं डरता हूं क्या।।
नैना ने कहा नहीं, नहीं मैंने कब कहा।
अच्छा चलो खाना परोसती हुं मैं।
सब बैठ गए खाना खाने।
दाल, चावल, गोभी की सब्जी, रायता, पापड़, चटनी बना था।
सबका थाली लगा कर लें आईं।

सब खाना खाने लगे और फिर अचानक विक्की को हिचकी के साथ खांसी आने लगी और नैना एकाएक उठकर विक्की के पास जाकर उसके पीठ को सहलाने लगी और सर पर हाथ रख के बोलने लगी कि हमेशा ऐसा करते हो खाना खाते समय कभी बात नहीं करनी चाहिए ये तुम्हारे आर्मी में नहीं सिखाया गया हां कितनी तकलीफ़ तो तुमको हुईं।
इतने में विक्की बिल्कुल ठीक हो गया उसकी आंख भी लाल हो गई थी। विक्की धीरे से बोला ये क्या हो गया इसे।
तभी जैसे होश में आ गई नैना और फिर खुद को विक्की के इतने करीब देख कर बोली कि अरे ओह मैं मैं आती हूं अभी।बोल कर सीधे कमरे में जाकर एक दम से बैठ जाती है और फिर सोचने लगी कि ये क्या हो गया मुझे मैंने ऐसा क्यों किया। विक्की क्या सोचा मेरे बारे में।

और तभी बाहर से आवाज़ आई अरे नैना देखो तुम्हारा सपना आया है। नैना आवाज सुनकर बाहर निकल आई तो देखा कि विक्की दरवाजे पर किसी से बात कर रहा था।
विक्की ने कहा देखो तुम्हारा बचपन क्यों खेलोगी नहीं? नैना ने देखा कि दिल्ली के डाॅल मियुजियम में जो आॅडर किया था वो सब आ गया था।
विक्की ने इशारे से उन तमाम गुड़िया और गुडा उनकी टोलियां और बाकी सारे सामान को नैना के रूप में ले जाने को कहा।
नैना मन ही मन बहुत खुश हो गई थी कि आखिर कोई तो है जो उसका सपना पूरा कर दिया था।

फिर सारे सामान को रखने के बाद वो आदमी चला गया।
नैना देखती रह गई और फिर माया भी आ गई और वो भी खूब खुश हो कर देख रही थी।
नैना ने कहा इतना कुछ ‌।
विक्की ने कहा तुम चिंता मत करो कल ही आकर वो लोग सजा कर जाएंगे।
फिर तुम उसके साथ खेल भी सकती हो। नैना क्या तुम मुझे भी खिलाओगी।
ये सुनकर सब हंसने लगे और फिर विक्की बोला मैं मजाक नहीं कर रहा हूं यारों।।
माया ने कहा चलो मुझे कोई चाय पिलाओ।
विक्की ने कहा अदरक वाली चाय मैं बनाता हूं।
माया ने कहा सच्चा प्यार करने वाले बहुत कम मिलते हैं ये साथ छोड़ कर कभी नहीं जाएगा हां।
निलेश ने तुम्हें प्यार करना सिखाया था पर प्यार निभाना तो विक्की ने ही सिखाया है।


नैना बस खामोश सी थी।
विक्की ने डाइनिंग टेबल पर चाय रख कर बोला आओ सब चाय तैयार है।
फिर सब मिलकर चाय पीने लगे।
विक्की ने कहा दीदी कुछ दिनों बाद ही होली है।
माया ने कहा निलेश के जाने के बाद हमारी जिंदगी बेरंग सी हो गई थी पर अब जब तू है हम जरूर मनाएंगे होली और खेलेंगे भी ‌पता है निलेश को रंग बहुत पसंद था और वो नैना को रंग लगाना चाहता था पर उसकी चाहत अधूरी रह गई।
विक्की ने मन में कहा मैं नैना की चाहत जरूर पुरी करुंगा।जो निलेश न कर सका मैं जरूर करुंगा। होली के दिन ही मैं अपने प्यार का इजहार करुंगा।मेरा वादा है।

कुछ देर बाद माया के सारे टुयशन वाले बच्चे आ गए।

विक्की ने कहा माया दी एक खुशखबरी है होली में सागर जी आ रहें हैं।उनका टिकट बुक हो गया।
माया ने कहा हां ठीक है देखते हैं।

नैना पौधे को पानी देने बालकनी पहुंच गई।
विक्की भी नैना के साथ पानी देने लगा और फिर विक्की ने कहा नैना क्या एक बात पुछु? नैना ने कहा हां।
विक्की ने कहा तुम्हें कौन सा रंग पसंद है। नैना ने कहा मुझे सब रंग पसंद है क्योंकि हर एक रंग का अपना अलग महत्व है वजूद है।
विक्की ने कहा हां ठीक कहा तुमने।
पर कोई एक रंग बताओ जो सबसे ज्यादा पसंद हो।
नैना ने कहा लाल।।
विक्की ने कहा अच्छा लाल। मुझे भी लाल रंग ही पसंद है।

नैना ने कहा अच्छा पर तुम्हें लाल रंग क्यों पसंद है? विक्की ने कहा समय आने पर बता दुंगा कि मुझे लाल रंग क्यों पसंद है।
नैना ने कहा हां ठीक है पर पता है निलेश को लाल रंग बहुत पसंद था मैंने पुछा था तो उसने ये कह कर टाल दिया कि समय आने पर बता दुंगा और आज देखो समय है पर निलेश नहीं।
विक्की ने कहा जानती हो क्यों निलेश नहीं बताया उस समय? नैना ने कहा नहीं तो।
विक्की ने कहा क्योंकि निलेश के पास समय कम था और वो समझ गया था कि कभी नहीं बता पाएगा मौत उसे लेने आ गई थी।
पर मैं जानता हूं कि निलेश को क्या बोलना था।
वो एक सच्चा इंसान और एक देशभक्त था तो वह कहीं ना कहीं अपने आप को देश के नाम करके चला गया और फिर देखा जाए तो मैं भी एक सिपाही हुं जो सैकड़ों बार देश के लिए ही जीता है देश के लिए ही मरता है।
नैना ने कहा प्लीज़ विक्की ये सब मत बोलो।
विक्की ने कहा नहीं तुम्हें तो सुनना चाहिए कब तक डर डर के जीना चाहती हों।

क्रमशः