Towards the Light – Memoirs in Hindi Motivational Stories by Pranava Bharti books and stories PDF | उजाले की ओर –संस्मरण

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उजाले की ओर –संस्मरण

स्नेही मित्रों

स्नेहिल नमस्कार

कभी कभी हमारे शांत जीवन में उतार-चढ़ाव ऐसे आ जाते हैं कि हम सोचते रह जाते हैं | कभी-कभी बात कुछ नहीं होती और हम परेशान रहते हैं |

मैंने नीचे लिखा हुआ लेख कहीं पढ़ था और मुझे महसूस हुआ कि मित्रों के साथ इसे साझा करना चाहिए |

मैं नहीं जानती किसने किसको यह घटना सुनाई ?यह किसी की कहानी, किसी की ज़ुबानी है ----

आप पढ़ें और आनंद लें ---

मेरे एक दोस्त ने मुझसे कहा कि उसकी पत्नी की तबियत ठीक नहीं रहती। हमेशा सिर दर्द की शिकायत करती है, चिडचिड़ी सी रहती है।

सिर में दर्द या चिड़चिड़ापन वैसे तो सुनने में कोई बीमारी नहीं, पर मैं जानता हूं कि जो इस दर्द से गुज़रता है, वही इसकी तकलीफ समझता है। मेरे मित्र ने मुझे यह भी बताया कि वो कई डॉक्टरों को दिखा चुका है, पर पत्नी की तकलीफ दूर नहीं हो रही ।मैं डॉक्टर नहीं हूं। स्कूल में जीवविज्ञान पढ़ने का मौका मिला था, पर कॉलेज पहुंचते-पहुंचते पता नहीं कैसे अर्थशास्त्र पढ़ने लगे और फिर इतिहास।

मैं अपने मित्र की बात सुन रहा था। सोच रहा था कि क्या सलाह दूं?

मेरा मित्र मुझे अपनी पत्नी के विषय में इसलिए बता रहा था ताकि मैं उसे किसी अच्छे डॉक्टर का पता दे सकूं।

मैंने उसे किसी डॉक्टर का पता नहीं बताया। मैंने उससे पूछा कि तु्म्हारे घर में कौन-कौन है?

“कौन-कौन मतलब? किसी के घर में अब कितने लोग होते हैं? जो सभी के घर में होते हैं, वही मेरे घर में भी हैं। मतलब मैं, मेरी पत्नी और हमारी बिटिया।”

मेरा दोस्त कितनी बड़ी वास्तविकता बयान कर गया था।

आज का समय ही ऐसा है कि यह बात सहज ही मन में उठ जाती है कि--

“किसी के घर में अब कितने लोग होते हैं?”*

अब घर का मतलब तीन कमरे। एक ड्राइंग रूम। एक रसोई। तीन टॉयलेट। एक कमरे में पति-पत्नी सोते हैं। एक में बिटिया। एक उम्मीदों का कमरा है कि कोई आएगा तो रहेगा। न कोई आता है, न कोई रहता है। ड्राइंग रूम में एक टीवी है, जिसे पहले पूरा परिवार साथ बैठ कर देखता था। अब न परिवार है, न साथ। टीवी दीवार पर लटका हुआ एक डिब्बा है, जिसका बटन दबाने से उस पर कुछ तस्वीरें उभर आती हैं। पर जिस घर में पत्नी को लगातार सिरदर्द हो, उस घर में टीवी भी कितनी बार ऑन होगा?

मैंने अपने मित्र से इतना ही कहा कि तुम घर में समय नहीं देते होगे।

मेरा मित्र हैरान होकर मेरी ओर देख रहा था। मन ही मन सोच रहा होगा कि मेरे जैसे मित्र किसी के भी नहीं होने चाहिए। समस्या पत्नी की है, आरोप दोस्त पर लगा रहा है ।

वह चुप रहा फिर उसने धीरे से कहा कि माना कि मैं नौकरी के चक्कर में बहुत बाहर रहता हूँ । ये भी माना कि मैं पिछले कुछ दिनों से घर में समय नहीं दे रहा। पर इससे पत्नी को सिर में दर्द क्यों होगा?

मैंने कहा कि प्यार की कमी से सिर में दर्द होता है। आपके लिए संसार में प्यार और रिश्ते से बढ़ कर कुछ भी नहीं। न नौकरी, न पैसे। सारी बीमारियाँ बस प्यार की कमी से ही होती हैं।

वाह! ऐसा करो कि शाम को मेरे घर चलो। मेरी पत्नी से मिलो। उससे पूछ लो कि प्यार में कहां कमी है?” दोस्त बोला ।

दो हफ्ते पुरानी बात है। उसी शाम मैं मित्र के साथ उसके घर चला गया। बहुत दिनों बाद गया था, भाभी जी मुझसे मिल कर खुश हुईं।

मैं इधर-उधर की बातें करता रहा। चाय पीने के बाद मैं रात के खाने के लिए भी बैठ गया।

आलू-गोभी की सब्जी, तड़के वाली दाल, रोटी और चटनी।

मेरे मित्र ने बताया कि बहुत दिनों के बाद रात में खाना बना है। उसकी पत्नी ने भी कहा कि भैया, आजकल तबियत ठीक नहीं रहती। रात में खाना बनाने का मन ही नहीं करता। बिटिया मैगी-ब्रेड खा लेती है। मैं भी कुछ-कुछ खा लेती हूं। ये रात में देर से घर आते हैं। अक्सर कुछ खाकर ही आते हैं।

मैंने कहा कि कल से ये रात में देर से घर नहीं आएंगे। जल्दी आएंगे। खाना रोज़ बनेगा। कभी-कभी मैं भी खाने आऊंगा।

मेरी इस बात पर दोनों हँस पड़े।

मैंने दोस्त की पत्नी से थोड़ी बातें कीं। ये भी कहा कि आपके सिर का दर्द दो दिनों में चला जाएगा। पर शर्त ये है कि सुबह नाश्ता आप बनाएंगी, दोपहर का खाना भी आप ही बनाएंगी। रात के खाने की बात तो हो ही चुकी है।

दोस्त की पत्नी बता रही थी कि सुबह भागा-दौड़ी होती है, किसी के पास नाश्ते का समय ही नहीं। दोपहर में मैं अकेली होती हूं, तो अकेले के लिए क्या खाना बनाऊं। और रात की कहानी आप सुन ही चुके हैं। ऊपर से सिर में दर्द ने बहुत परेशान कर रखा है।

मैंने पूछा कि भाभी, सच-सच बताना, आज मैं आपके घर आया। आपने मुझे चाय पिलाई। खाना खिलाया। क्या आपके सिर में अभी दर्द है?

भाभी सोच में पड़ गईं। फिर उन्होंने कहा, “हां, मैंने सोचा ही नहीं कि अभी मेरे सिर में दर्द नहीं।”

बस ये खाने का जादू है। सिर का दर्द जाता रहेगा।

मैं वहाँ से निकला तो मेरे दोस्त ने मुझसे कहा कि ये क्या फंडा तुमने दे दिया? मैं रात में जल्दी कैसे आऊंगा?

चाहे जब आओ। खाना घर में खाना। पत्नी से दिन में चार बार फोन पर बात करना। उससे पूछना कि तुमने खाना खाया कि नहीं? नाश्ता साथ करके ऑफिस के लिए निकलो। रात में खाने की फरमाइश करना। मनपंसद खाना बनवाना। देखना वो बिल्कुल ठीक हो जाएगीं।

मेरे मित्र ने मेरी बात मान ली।

दो हफ्ते बाद उसका फोन आया था।

वो कह रहा था कि यार, कमाल हो गया। पत्नी का सिर दर्द ठीक हो गया। वो अब चिड़-चिड़ भी नहीं करती। ये क्या जादू है?

मैंने कहा कि ये जादू नहीं, विज्ञान है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में शोध हुआ है कि जब आप प्यार में होते हैं तो दिमाग के बारह हिस्से एक साथ काम करते हैं। शोध में पाया गया है कि जब आप प्यार में होते हैं तो मस्तिष्क में डोपामाइन और ऑक्सीटॉक्सीन का स्राव अधिक होता है। इससे रक्तचाप और दर्द में आराम मिलता है। प्यार को इसीलिए जादू कहा गया है। तुम्हारी पत्नी को पिछले काफी दिनों से अकेलापन लग रहा था। उसे लग रहा था कि कोई उससे प्यार नहीं करता। हालांकि उसे ये बात पता भी नहीं थी कि ऐसा कुछ हो रहा है, पर जब तुमने उससे प्यार को जताना शुरू कर दिया, तो उसकी समस्या चुपचाप गायब हो गई।

प्यार में बहुत ताकत होती है। इससे तो पत्थर तक पिघल जाता है। इंसान क्या चीज़ है?

मेरा दोस्त सुनता रहा। फिर उसने कहा कि सही बात कही है तुमने। *हम जीने की तैयारी में जीना भूल गए थे। अब हम जीने लगे हैं। दो हफ्तों से ऐसा लग रहा है कि मेरा भी घर है। पहले सिर्फ एक फ्लैट था। अब मेरे पास घर है। पूरा घर।*

प्यार से बड़ी कोई दवा नही मुझे उम्मीद है कि आप भी इस सच को समझते होंगे।

*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, वो पर्याप्त है*

 

उस ब्रह्मांड के प्रति नतमस्तक होना बहुत आवश्यक है जिसने हमें सब कुछ दिया है लेकिन अपनी अनभिज्ञता के कारण हम उन सब आशीर्वादों से वंचित रह जाते हैं |

तो आइए ,हम इस दृष्टांत से कुछ सीखने का प्रयास करें |

 

आप सबकी मित्र

डॉ . प्रणव भारती