Secret of universe - 1 in Hindi Science by Rajveer Kotadiya । रावण । books and stories PDF | Secret of universe - 1

Featured Books
  • वो पहली बारिश का वादा - 3

    कॉलेज कैंपस की सुबहबारिश के बाद की सुबह कुछ खास होती है। नमी...

  • The Risky Love - 1

    पुराने किले में हलचल.....गामाक्ष के जाते ही सब तरफ सन्नाटा छ...

  • इश्क़ बेनाम - 17

    17 देह का यथार्थ कुछ महीने बाद, मंजीत और राघवी की एक अनपेक्ष...

  • Mahatma Gandhi

    महात्मा गांधी – जीवनीपूरा नाम: मोहनदास करमचंद गांधीजन्म: 2 अ...

  • महाभारत की कहानी - भाग 121

    महाभारत की कहानी - भाग-१२२ शरशय्या में भीष्मका के पास कर्ण क...

Categories
Share

Secret of universe - 1

बिग बैंग थ्योरी

जार्ज लेमैत्रे (1927) ने ही ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के संदर्भ में एक सिद्धांत का प्रतिपादन किया था जिसे बिग बैंग सिद्धांत कहा जाता है. बिग बैंग सिद्धांत के द्वारा ही ब्रह्मांड की उत्पत्ति और ब्रह्मांड के विस्तार की परिकल्पना प्रमाणित है.

अतीत में, ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मांड सघन और गर्म था. पुरा ब्रह्मांड एक छोटे से बिंदु के अन्दर समाहित था और इसी से पूरे ब्रह्मांड का उदभव माना जाता है. ब्रह्मांड के प्रारंभिक विस्तार के बाद, ब्रहमांड के ज़मने की प्रक्रिया की शुरुआत हुई. जिसकी वजह से सुब-एटोमिक कणों की रचना हुई. ये सब-एटोमिक कण इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन से मिलकर बने हुए थे. कणों की बहुलता के कारण ही बाद में हाइड्रोजन का निर्माण हुआ और बाद में हीलियम और लिथियम का निर्माण भी संभव हुआ. इन्ही कणों के बाद में संगठित होने की वजह से तारों और ग्रहों का निर्माण संभव हुआ. इनमें मौजूद भारी पदार्थों का इन तारों या सुपरनोवा के अन्दर विश्लेषण हुआ और इनके बनने में भी इन प्रक्रियायों की भारी भूमिका रही. इसलिए, बिग बैंग सिद्धांत ब्रह्मांड की प्रारंभिक स्थिति की व्याख्या नहीं करता, लेकिन इसके यह ब्रह्मांड के सामान्य विकास का वर्णन करता है.


आइन्स्टीन की जनरल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी (General Theory of Relativity) विज्ञान के चमत्कारिक सिद्धांतों में से एक है, और चीजों को देखने का हमारा नज़रिया पूरी तरह बदल देती है. इस थ्योरी को समझना हालांकि अत्यन्त मुश्किल है लेकिन फिर भी इससे ब्रहमांड की उत्पत्ति के संदर्भ में अनेक सुराख़ मिलते हैं.

यह एडविन हब्बल थे जिन्होंने वर्ष 1929 में यह बताया कि सभी गैलेक्सी एक दूसरे से सिकुड़ रहे हैं. उन्होंने इस बात को भी बताया कि दूरस्थ की आकाशगंगाओं के मध्य आपसी सम्बन्ध होता है. और वे रेड्शिफ्ट के माध्यम से एक-दूसरे से सम्बंधित होती हैं. यद्यपि ब्रहमांड की उत्पत्ति के सन्दर्भ में दो सिद्धांतों बिंग-बैंग सिद्धांत और स्टेडी स्टेट थ्योरी मौजूद थें. लेकिन वर्ष 1964 में, कॉस्मिक माइक्रोवेव पृष्ठभूमि विकिरण की खोज के साथ ही बिग बैंग सिद्धांत की पुष्टि की गयी थी. 1992 में, कॉस्मिक बैकग्राउंड एक्स्प्लोरर के लांचिंग के बाद यह पता चला कि ब्रहमांड की उत्पत्ति के प्रथम अवधि में ही इसकी कुल ऊर्जा का 99.7% ऊर्जा उन्मुक्त हो चूका था. इससे यह प्रमाणित होता है कि ब्रहमांड की उत्पत्ति सिर्फ एक विस्फोट का परिणाम थी. जिसकी वजह से इसका नाम बिग-बैंग पड़ा. और इस विस्फोट होने वाले पदार्थ का घनत्व,तापमान और भार काफी अधिक था. यह तथ्य बिग बैंग सिद्धांत की पुष्टि करता है.



अरबों साल पहले ब्रह्मांड नहीं था, सिर्फ अंधकार था। अचानक एक बिंदु की उत्पत्ति हुई। फिर वह बिंदु मचलने लगा। फिर उसके अंदर भयानक परिवर्तन आने लगे। इस बिंदु के अंदर ही होने लगे विस्फोट। शिव पुराण मानता है कि नाद और बिंदु के मिलन से ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई।
नाद अर्थात ध्वनि और बिंदु अर्थात प्रकाश। इसे अनाहत या अनहद (जो किसी आहत या टकराहट से पैदा नहीं) की ध्वनि कहते हैं जो आज भी सतत जारी है इसी ध्वनि को हिंदुओं ने ॐ के रूप में व्यक्त किया है। ब्रह्म प्रकाश स्वयं प्रकाशित है। परमेश्वर का प्रकाश।
'सृष्टि के आदिकाल में न सत् था न असत्, न वायु थी न आकाश, न मृत्यु थी न अमरता, न रात थी न दिन, उस समय केवल वही था जो वायुरहित स्थिति में भी अपनी शक्ति से साँस ले रहा था। उसके अतिरिक्त कुछ भी नहीं था।' -ऋग्वेद