Ek Ruh ki Aatmkatha - 30 in Hindi Human Science by Ranjana Jaiswal books and stories PDF | एक रूह की आत्मकथा - 30

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एक रूह की आत्मकथा - 30

कामिनी की हत्या से पूर्व उसका रेप हुआ। उसके अंगूठे का निशान लिया गया फिर उसकी हत्या की गई-यह खबर समर के लिए घातक सिद्ध हुआ।उसे दिल का दौरा पड़ गया।तत्काल उसे बड़े हॉस्पिटल ले जाया गया।यह तो संयोग अच्छा था कि उस समय ड्यूटी पर मौजूद सिपाही जाग रहा था और उसने समर के धड़ाम से नीचे गिरने की आवाज़ सुन ली थी।आनन- फानन में एम्बूलेंस आ गया और उसमें समर को बड़े हॉस्पिटल पहुँचा दिया गया।हार्ट सर्जन आनंद ने तुरत ही उसे ओटी में ले आने का आदेश दिया और फिर जल्द ही उसका ऑपरेशन हो गया।
ऑपरेशन सफल हुआ था। समर को अभी होश नहीं आया था।अब उसे जेल की असुविधा में रखना वाज़िब नहीं था।इससे उसके जीवन को खतरा हो सकता था।लीला को जब समर के दिल के दौरे की खबर लगी वह अपने बेटे अमन के साथ भागती हुई हॉस्पिटल पहुँची।वह समर के पास जाने की ज़िद कर रही थी,पर पुलिस इसकी इजाज़त नहीं दे रही थी।खबर पाकर दिलावर सिंह भी हॉस्पिटल पहुँचे।उन्होंने जब रोती -बिलखती लीला को देखा तो उन्हें उस पर बहुत दया आई।उन्होंने उसे दूर से ही समर को देखने की व्यवस्था करा दी।समर की हालत देखकर लीला तड़प उठी।उसे समर से लाख शिकायतें थीं,पर वह उसका बुरा नहीं चाहती थी।कामिनी की हत्या से उसके कलेजे में धधकती बदले की आग ठंडी हो चुकी थी।अब वह समर की वापसी चाहती थी। उसे पूरा विश्वास था कि समर हत्यारा नहीं है और वह जरूर छूट जाएगा।उसने शहर के एक बड़े वकील को हायर किया था।वह समर की जमानत के लिए प्रयास कर रही थी।
अमन ने जब अपने पिता की यह हालत देखी तो उसे बहुत दुःख हुआ।उसके आदर्श,उसके पथप्रदर्शक,उसके हीरो डैड आज किस हालत में पड़े हैं ।यह सब कामिनी आंटी की वज़ह से हुआ।अच्छा हुआ कि वे मर गईं।पर बुरा ये है कि उनकी हत्या के केस में डैड फंस गए हैं।अगर असली हत्यारा नहीं पकड़ा गया तो उसके डैड का जाने क्या होगा?उसकी मॉम तो अपनी सुध -बुध खो बैठी हैं।वह उन्हें और अपनी छोटी बहन को संभाल रहा है। अभी वो इतना बड़ा भी तो नहीं हुआ है।अभी कुछ दिन पहले ही तो उसकी स्कूली शिक्षा पूरी हुई है।अब वह शहर के बड़े कॉलेज में दाखिला लेना चाहता था,ताकि अपने पैरेंट्स के पास रह सके।पर वह क्या जानता था कि घर आते ही ये सब हो जाएगा। घर लौटने के कुछ दिन पहले ही उसे अपने डैड और कामिनी आंटी के अफ़ेयर का पता चला था।यह खबर सुनते ही वह गुस्से से भर गया था। अमृता स्कूल के दिनों की उसकी सबसे अच्छी दोस्त थी।
वह दोस्ती प्यार में कब बदली,उन्हें इसका पता ही नहीं चला था।बचपन से ही वे एक दूसरे के घर आते -जाते रहे थे,पर तब उनमें सिर्फ दोस्ती थी।
एक वर्ष पूर्व
अमन उन दिनों को याद कर आज भी रोमांच से भर जाता है।फरवरी का महीना था।जब उनका स्कूल टूर शिमला गया था।वे उस दिन कुफ़री में थे।
कुफरी शिमला से 20 किलोमीटर दूर हिमालय श्रृंखला में स्थित है। यह 1819 में अंग्रेजों द्वारा विकसित किया गया था और हाल के दशकों में इसकी लोकप्रियता में वृद्धि हुई है। यह हाइकर्स के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य है। यहां से फागू, शिमला, मनाली और रिवालसर के लिए ट्रेक निकलते हैं। कुफरी, चैल और शिमला के साथ, हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध स्वर्ण त्रिभुज में शामिल है। फरवरी में, यहाँ एक वार्षिक शीतकालीन खेल उत्सव आयोजित किया जाता है, जो पर्यटकों के लिए एक बड़ा आकर्षण है। ट्रेकिंग के अलावा, टोबोगनिंग जैसे अन्य साहसिक खेल भी उपलब्ध हैं (पहाड़ी पर स्लेज पर नीचे की ओर खिसकना)। कुफरी में राज्य की सबसे पुरानी स्कीइंग हिल्स भी हैं।
शिमला से अपनी निकटता के कारण, कुफरी अधिक परिष्कृत अनुभव प्रदान करता है। कुफरी में उन्हें
पूरा वीकेंड बिताना था।
सबसे पहले वे महासू चोटी पर गए।
कुफरी के केंद्र में और शिमला से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित महासू चोटी का शिखर बिंदु, बद्रीनाथ और केदारनाथ पर्वतमाला का शानदार दृश्य प्रदान करता है और कुफरी में घूमने के लिए सबसे बड़ी जगहों में से एक है। कुफरी में घूमने के लिए सबसे अच्छे स्थलों में से वह एक था।उस चोटी से उन लोगों ने पूरे क्षेत्र के शानदार और विचित्र परिदृश्य को देखे। सुबह से शाम तक वे महासू चोटी के वैभव में खुद को खोये रहे।
शिमला महासू चोटी से तेरह किलोमीटर दूर है।
दूसरे दिन वे ग्रीन वैली गए।ग्रीन वैली कुफरी में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक है। यह आलीशान घाटी चीड़ और देवदारों से लदी हुई है।वहां सबने चरने वाले याक और सुंदर वृक्षारोपण देखे। यह ग्रीन वैली, अपने नाम के अनुसार भटकन को शांत करने का अचूक उपाय है। इस स्थान पर कुफरी में बहुत सारे होमस्टे और कॉटेज भी थे।उस दिन हम वहीं ठहरे और प्रकृति की ताजगी के बीच रहने का एक अलग -सा अनुभव लिया।
तीसरे दिन हमने रूपिन दर्रा देखा।
देहरादून के निकट 'रूपिन दर्रा' यात्रियों को पारंपरिक ट्रेकिंग का आनंद देता है। रुपिन दर्रा उत्तराखंड में धौला से हिमाचल प्रदेश में सांगला तक फैला है,।विशेष रूप से जनवरी और दिसंबर के सर्दियों के महीनों के दौरान एक ट्रेकर का स्वर्ग है। रूपिन दर्रा,एक बड़ी ऊर्ध्वाधर दूरी तक फैला है और विभिन्न जैविक प्रजातियों का घर है।
उसने हमें चकाचौंध कर दिया। रूपिन दर्रे के झरने, नदियाँ और घास के मैदान चलते समय देखने में शानदार लगे। कुछ और भी उल्लेखनीय स्थान देखने योग्य थे,पर समय की कमी के कारण हम उसे नहीं देख पाए। जैसे किन्नौर मंदिर, किन्नर कैलाश, झाका गांव-
वहाँ का ट्रेकिंग रूट धौला, देहरादून से शुरू होकर सांगला, हिमाचल प्रदेश में समाप्त होता है।
फिर हमने कुफ़री का 'चीनी बंगला' देखा।जो अपनी स्थापत्य सुंदरता के लिए जाना जाता है।यह कुफरी के दर्शनीय स्थलों में से एक है। ब्रिटिश शैली में बना चीनी बंगला देश-विदेश के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यह एक प्यारा विस्टा है क्योंकि लॉन घर के सामने फैला हुआ था। पृष्ठभूमि में पहाड़ और पहाड़ियां होने से चीनी बंगला देखने रहस्यमय लगता है।
हमने 'रिट्रीट बिल्डिंग' भी देखी।यह बिल्डिंग भारत के राष्ट्रपति के आधिकारिक निवास के रूप में कार्य करती है।गर्मियों के दौरान आधिकारिक कामकाज करने के लिए राष्ट्रपति दो सप्ताह के लिए यहां आते हैं, जिससे यह कुफरी में यात्रा करने के लिए राजसी और शाही स्थलों में से एक बन जाता है। संरचना का निर्माण 1850 में किया गया था, और इसकी वास्तुकला को वर्षों से व्यापक प्रशंसा मिली है। इस इमारत की उत्कृष्ट विशेषता पूरी तरह से लकड़ी से बनी है और इसमें एक धज्जी दीवार का निर्माण है।