Mahila Purusho me takraav kyo ? - 55 in Hindi Human Science by Captain Dharnidhar books and stories PDF | महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 55 - केतकी का सच आया सामने

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महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 55 - केतकी का सच आया सामने

बद्री काका अपने मोबाइल में फोटो दिखा रहा है । उसकी नजरे केतकी के मम्मी पापा के चेहरे पर जमी है । केतकी के पापा व उसकी मम्मी फोटो देखकर आश्चर्य कर रहे हैं ..केतकी का पापा मोबाइल से अपनी नजरे हटाकर अपनी गर्दन को ना मे हिलाकर बोला - भाईजी मै नही मानता यह फोटो कुछ दिन पहले की है । यह फोटो है तो केतकी की ही पर ..यह दो साल पहले की हो सकती है । बद्री काका बोला एक मिनट रूको , आपको कुछ ओर दिखाता हूँ । बद्री काका ने मोबाइल लिया और एक विडियो क्लीप दिखाने लगा ... यह देखो ..दोनों विडियो देखने लगे ..संतोष बड़ी गौर से विडियो देख रही है ..केतकी के पापा अपनी पत्नी संतोष की ओर देखते हुए बोला ..संतोष तुम्हें क्या लगता है , यह केतकी है ? संतोष ने ना' मे सिर हिलाया बोली .. शक्ल सूरत तो केतकी की है पर इसके हावभाव केतकी के नही है , यह थोड़ी शर्मीली लग रही है । आप इसके हाथों के नाखून देखो ! इसने नेलपालिश लगा रखी है । हमारी केतकी कभी भी नेलपालिश नही लगाती थी । उसे नेलपालिश की स्मेल से ही घृणा थी । यह केतकी नही है , उसकी हमशक्ल है । आपने तो केतकी की अंत्येष्टि अपने हाथों से की है । लेकिन एक बात कहूं , चाहे यह केतकी नही हो फिर भी मुझे यह अपनी बेटी ही लगती है । इसे देखकर पता नही मेरी ममता क्यों जाग रही है ?
केतकी के पापा ने लंबी गहरी श्वास ली और छत की ओर देखने लगा ..उसने आंखे बंद करली । उसकी आंखो मे अश्रु भर आये । अब वह अपनी पत्नी को देखकर अपने आंसू पौंछकर बोला ..तुम ठीक कह रही हो यह केतकी नही है उसकी हमशक्ल है । बद्री काका शान्तभाव से उन्हें देखे जा रहा है । वह असमंजस मे है ..फिर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए बोला ..भाई जी ! मैने गलत टॉपिक छेड़कर गलती कर दी । केतकी के पापा ने कहा ..नहीं नहीं आपने कोई गलती नही की , आपने तो जो देखा वह कह दिया ..आप तो यह बताओ ..इससे कोई बातचीत हुई थी ? ये कहां रहती है ? देखो भाई जी मेरी तो कोई बात नही हुई पर ..मेरे बेटे ने शायद इनसे कोई बात की हो । लेकिन आप इसमे क्यों इंट्रेस्ट ले रहे हो । छोड़ो हमशक्ल है तो ' इसके बारे मे जानकर आपको अपनी बेटी केतकी की याद ज्यादा आयेगी । अब केतकी का पापा थोड़ा गम्भीर होकर बोला .. आप यह तो बताओ इसके साथ यह महिला कौन है ?
बद्रीकाका ने कहा ..शायद इसकी सास होगी ..हां मैने ..कुछ उनसे सुना था कि वे पहले मुंबई मे रहते थे .. केतकी के पापा ने जैसे ही मुंबई का नाम सुना .. उसने अपनी पत्नी की ओर देखते हुए कहा .. संतोष ! यह लड़की केतकी की हमशक्ल नही है केतकी की जुड़वा बहिन है .. मैने तुमसे एक बात छुपाई थी । तुमने एक बेटी को नही दो बेटियों को जन्म दिया था । जिन डॉक्टर साहब ने डिलेवरी करवाई थी । उनके कोई संतान नही थी । उन्होने मुझे अंदर बुलाया और कहा ..तुम्हारी एक बेटी तो स्वस्थ है किन्तु दूसरी बहुत कमजोर है ..वह शायद आज की रात भी न निकाल पाये । उसके लिए इसे आईसीयू वार्ड मे सिफ्ट करना पड़ेगा । इसमें आपका खर्चा बढ जायेगा । फिर भी कह नही सकते कुछ भी हो सकता है । तब मैने पूछा था कितना खर्चा लग जायेगा ? तब डाक्टर साहब ने कहा कि ये ही कोई 50- 60 हजार । इतनी बड़ी रकम का नाम सुनकर मेरे होश उड़ गये ..मै घबरा गया और बोला डाक्टर साहब मै तो गरीब आदमी हूँ इतना खर्चा कैसे उठाऊगा। तब डाक्टर साहब ने कहा देखो तुम अपनी बेटी का इलाज नही करवा सकते , लेकिन मै इसके इलाज का पूरा खर्चा उठा सकता हूँ । लेकिन यह बेटी तुम्हे मुझे देनी होगी । यदि बच गयी तो मेरी नही तो भगवान की । तुम सोच समझकर फेसला करो ..बेटी बच गयी तो इसे मै अपनी बेटी बनाकर पालूंगा। मै कुछ देर सोचता रहा ..फिर सोचा कि बेटी मेरे पास से तो वैसे ही चली जायेगी तो मैने उनसे हां कह दिया ..मै बोला ठीक है डाक्टर साहब ,मेरी एक बेटी की तो कम-से-कम अच्छी परवरिश हो जायेगी । मुझे यकीन है यह बच भी जायेगी । डाक्टर साहब ने मेरे कंधे पर हाथ रखकर कहा ..देखो विजय ! तुम्हारी दूसरी बेटी के लिए भी मै व्यवस्था कर दूंगा लेकिन करूंगा तब जब यह बच्ची बच जायेगी .. हां आप अपनी पत्नी से भी पूछ लीजिए। मैने कहा डाक्टर साहब मेरी पत्नी नही मानेगी ..डाक्टर साहब ने कहा ठीक है आपको व आपकी पत्नी को कुछ कानूनी कागजात पर साइन करने होंगे । मैने हां कर दी .. फिर उन कागजात पर तुम से साइन करवाकर डाक्टर साहब को दे दिये थे । मै फिर भी बेटी के हालचाल जानने हास्पिटल जाता रहा । बच्ची ठीक हो गयी थी । फिर एकदिन डाक्टर साहब ने मुझे बुलाया और कहा कि देखो विजय तुम्हारी दूसरी बेटी भी हमारे लिए अजीज है इस लिए आज से मेरा यह मकान और यह फेक्ट्री जो बंद पड़ी है यह तुम्हारे नाम करता हूँ । तुम मेहनत करो और इस फेक्ट्री को वापस चालू करो । प्लास्टिक की फेक्ट्री को चालू करने के लिए 20 हजार रूपये भी देता हूँ । मै कल यहां से अपने दूसरे मकान मे सिफ्ट हो जाऊंगा ... संतोष फिर मै उनसे कभी नही मिला ..आज हम है तो उस डाक्टर साहब की मेहरबानी की वजह से हैं ?