History of India - 10 in Hindi Human Science by Rajveer Kotadiya । रावण । books and stories PDF | प्राचीन भारतीय इतिहास - 10 - इस्लाम धर्म

Featured Books
  • સંઘર્ષ - પ્રકરણ 20

    સિંહાસન સિરીઝ સિદ્ધાર્થ છાયા Disclaimer: સિંહાસન સિરીઝની તમા...

  • પિતા

    માઁ આપણને જન્મ આપે છે,આપણુ જતન કરે છે,પરિવાર નું ધ્યાન રાખે...

  • રહસ્ય,રહસ્ય અને રહસ્ય

    આપણને હંમેશા રહસ્ય ગમતું હોય છે કારણકે તેમાં એવું તત્વ હોય છ...

  • હાસ્યના લાભ

    હાસ્યના લાભ- રાકેશ ઠક્કર હાસ્યના લાભ જ લાભ છે. તેનાથી ક્યારે...

  • સંઘર્ષ જિંદગીનો

                સંઘર્ષ જિંદગીનો        પાત્ર અજય, અમિત, અર્ચના,...

Categories
Share

प्राचीन भारतीय इतिहास - 10 - इस्लाम धर्म


क्या है इस्लाम?

इस्लाम अरबी का शब्द है। इसका मतलब है शांति को अपनाना या उसमें प्रवेश करना। इस लिहाज से मुसलमान होने का मतलब उस व्यक्ति से है जो इंसान से लेकर परमात्मा तक, सभी के साथ पूरी तरह शांति व सुकूनभरा रिश्ता रखता हो। इस तरह इस्लाम धर्म का मूल स्वरूप यही है कि एक ऐसा धर्म, जिसके जरिए एक इंसान दूसरे इंसान के साथ प्रेम और अहिंसा से भरा व्यवहार कर ईश्वर की पनाह लेता है।

इस्लाम धर्म के प्रवर्तक कौन थे?

इस्लाम धर्म के प्रवर्तक हजरत मुहम्मद साहब थे। उनका जन्म सन् 570 ई. में हुआ माना जाता है। भारतीय इतिहास की नजर से जब भारत में हर्षवर्धन और पुलकेशियन का शासन था, तब हजरत मुहम्मद अरब देशों में इस्लाम धर्म का प्रचार-प्रसार कर रहे थे।

  • इस्लाम धर्म की बुनियाद कुरान, सुन्नत और हदीस हैं।
  • कुरान वह पवित्र ग्रंथ है, जिसमें हजरत मुहम्मद के पास ईश्वर के जरिए भेजे संदेश शामिल हैं।
  • सुन्नत में मुहम्मद साहब द्वारा किए गए कार्य बताए हैं। वहीं, हदीस ऐसा ग्रंथ है जिसमें मुहम्मद साहब के उपदेश शामिल हैं। यानी इस पवित्र ग्रंथ में मुहम्मद साहब के जीवन की बातों के अलावा सुन्नत भी शुमार है।
  • इस्लाम धर्म की एक खासियत यह भी है कि इसे मुहम्मद साहब ने सोच-विचार कर नहीं बनाया, बल्कि इसका इलहाम हुआ यानी समाधि की स्थिति में दर्शन हुआ। कुरान का मतलब भी बोली गई या पढ़ी हुई चीज या बात है।

इस्लाम धर्म का मूल मंत्र
इस्लाम का मूल मंत्र है- ला इलाह इल्लल्लाह मुहम्मदुर्रसूलल्लाह। इसका मतलब है अल्लाह के अलावा कोई और पूजनीय नहीं है और मुहम्मद साहब ही उनके रसूल हैं। यानी सच्चा मुसलमान वही होता है, जो न केवल अल्लाह को माने, बल्कि साथ-साथ यह भी माने कि मुहम्मद साहब ही अल्लाह के पैगम्बर, नबी और रसूल हैं।

कु्रान
कुरान में वे आयतें यानी पद शुमार हैं, जो मुहम्मद साहब के मुंह से उस वक्त निकले जब वे पूरी तरह ईश्वरीय प्रेरणा में डूबे हुए थे। इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक ईश्वर, ये आयतें देवदूतों के जरिए मुहम्मद साहब तक पहुंचाते थे। इन पवित्र आयतों का संकलन ही कुरान है। कुरान की आयतें पैगम्बर को 23 सालों तक वक्त-वक्त पर हासिल हुईं, जिनको उन्होंने कभी लकड़ियों तो कभी तालपत्रों पर संकलित किया। इन 23 सालों के दौरान पैगम्बर 13 साल पवित्र मक्का और 10 साल मदीने में रहे। उनके बाद पहले खलीफा अबूबक्र ने मुहम्मद साहब की संकलित इन सारी आयतों का संपादन किया व पवित्र कुरान तैयार की, जो प्रामाणिक मानी जाती है।

पैगम्बर, नबी और रसूल
समाधि की अवस्था में इस्लाम धर्म के दर्शन होने से मुहम्मद साहब को पैगम्बर, नबी और रसूल भी पुकारा जाता है।

  • पैगम्बर का मतलब होता है पैगाम दे जाने वाला। चूंकि मुहम्मद साहब के मार्फत ईश्वर के संदेश धरती पर पहुंचे। इसलिए वे पैगम्बर माने गए।
  • दिव्य ज्ञान को उजागर करने वाला नबी होता है, पैगम्बर के भी ऐसा ही करने से वे नबी हुए।
  • रसूल का मतलब भी भेजा हुआ या दूत होता है। मुहम्मद साहब भी ईश्वर और इंसानों के बीच धर्म के दूत बने।

इस्लाम धर्म के 5 कर्तव्य
इस्लाम धर्म मानने वाले को 5 धार्मिक कर्तव्य पूरे करना जरूरी हैं।

  1. कलमा पढ़ना-ला इलाह इल्लललाह मुहम्मदुर्ररसूलल्लाह। इस मूल मंत्र के जरिए यह मानना, स्मरण करना और बोलना कि अल्लाह एक है और मुहम्मद साहब उनके रसूल हैं। एक ही ईश्वर को मानने का सिद्धांत यानी तौहिद की बुनियाद यही मूल सूत्र है।
  2. नमाज- हर रोज 5 बार अल्लाह से प्रार्थना करना। इसे सलात भी पुकारा जाता है।
  3. रोजा रखना- इस्लाम धर्म का पवित्र महीना होता है रमजान। इसमें महीने भर केवल सूर्यास्त के बाद 1 बार खाना खाने का नियम पूरा करना। इस पवित्र महीने में ही कुराने के उतरने की मान्यता है।
  4. जकात- सालाना आमदनी का एक नियत हिस्सा (तकरीबन ढाई प्रतिशत तक) दान करना।
  5. रहज- इस्लाम धर्म के पवित्र तीर्थ स्थानों मक्का और मदीना की यात्रा।