Kahani Pyar ki - 51 in Hindi Fiction Stories by Dr Mehta Mansi books and stories PDF | कहानी प्यार कि - 51

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कहानी प्यार कि - 51

अनिरूद्ध की गाड़ी रात को नैनी लेक जाकर रुकी...
उसने गाड़ी एक जगह पार्क की और अंदर चला गया... लेक की चारो और सन्नाटा पसरा हुआ था.... अनिरूद्ध ने एक नजर लेक के पास बनी रेलिंग पर डाली....
और उसके चहेरे पर मुसकुराहट आ गई...

सौरभ लेक की तरफ मुड़कर वही खड़ा हुआ था...
और अपनी सोच में खोया हुआ था ... उसका ध्यान तब टूटा जब एक हाथ उसके कंधे पर आया...

सौरभ ने मुड़कर देखा तो वो अनिरुद्ध था...

" अनिरूद्ध तू यहां क्या कर रहा है ? "
सौरभ ने हैरानी से पूछा..

" पहले तू मुझे ये बता की इतनी रात को तू यहां क्या कर रहा है घर क्यों नही आया ? "

" बस आ ही रहा था...." सौरभ ने हल्की आवाज में कहा...

अनिरूद्ध को उसकी लाल आंखे बता रही थी की सौरभ रोया हुआ था.. पर अनिरुद्ध को यह बात टालना ही बेहतर लगा...

" चल सौरभ घर चल अब .. तुझे पता है संजू को कब से तेरी फिक्र हो रही थी... इसीलिए उसने मुझे भेज दिया तुम्हें लेने ..."

" ठीक है चलो..."
सौरभ ने कहा और दोनो वापस घर आने के लिए निकल गए..
गाड़ी में सौरभ कुछ बोल नहीं रहा था... अनिरूद्ध कब से उसे नोटिस कर रहा था...

" देख सौरभ.. तुझे किसिकी भी बात को सीरियसली लेने की जरूरत नहीं है ... तू जैसा है वैसा ही बेस्ट है..."

" सब कहने की बात है .. भाई... में वैसा ही हु जैसा तुम लोग मुझे कहते हो ... लोलीपॉप... और हा कार्टून..."
सौरभ एक फीकी हसी के साथ बोला..

" नहीं यार ऐसा कुछ नही है... वो तो सिर्फ मजाक की बाते थी... असल में तू बहुत ही ज्यादा कुल है... सबसे अलग .. सबसे बेस्ट..."
अनिरूद्ध मुस्कुराता हुआ बोला..

" पर सबको ऐसा नहीं लगता... "

" में जानता हु सौरभ की तू मीरा की बातो की वजह से ये सब बोल रहा है .. पर मीरा को अभी तेरे प्यार की समझ नही है... , ना ही वो तेरे बारे में इतना जानती है जितना हम जानते है... वो अभी नासमझी में यह सब कह रही है... जब उसे तुम्हारे सच्चे प्यार का एहसास होगा वो सामने से आकर तुमसे माफी मांगेगी देख लेना..."

अनिरूद्ध की बात सुनकर सौरभ सिर्फ मुस्कुराया और आगे कुछ बोला नहीं...
तभी घर आ गया...

इस तरफ करन के रूम में राघव जी खड़े हुए थे...

" करन ये क्या था ? तुम ऐसे चलकर क्यों आ गए ? किंजल तुम्हारी दोस्त है तुम उसके लिए इतना भी नहीं कर सकते ? "
राघव जी ने करन को समझाते हुए कहा..

" हा तो पापा मैं जा तो रहा हु उसके साथ... ! "

" पर तुम्हे देखकर तो लगता है की तुमने जबरदस्ती से जानें के लिए हा कहां है..."

" नही पापा ऐसा नहीं है .. "

" तो फिर कैसा है ? "

" यार में आपको कैसे समझाऊं ... किंजल बहुत अच्छी है उसने मेरी हर बात मदद की है पर उसके साथ बैंगलोर जाना और स्टे करना ...अभी में मोनाली के उस धोखे से बाहर नहीं आया हु और मुझे डर है की कही में अपनी इस परेशानी की वजह से किंजल को कही हर्ट ना करदू! "

" शायद ऐसा भी हो सकता है की किंजल के साथ जाकर तुम मोनाली का धोखा भी भूल जाओ ...! "

" क्या बोल रहे हो पापा ? "

" नही रहने दो... तुम्हे जो करना है वो करो... "
बोलकर राघव जी चले गए...

और करन सोच में पड़ गया...

" क्या में ये ठीक कर रहा हु ? बिचारी किंजल की क्या गलती है उसमे ? में उसके साथ क्यों ऐसा बर्ताव कर रहा हु.. ? उसके लिए यह बहुत बड़ा मौका है और मुझे पूरे मन से उसके साथ रहना चाहिए..."
सोचते हुए करन सो गया...

सौरभ के जैसा ही कुछ हाल मोहित का था.. वो देर रात तक ऑफिस में ही बैठा था... मोहित के ना आने पर रागिनी जी और राजेश जी भी परेशान हो चुके थे...मोहित का फोन भी बंध आ रहा था...

तो राजेश जी ने अनिरुद्ध को फोन लगाया...

" हा पापा बोलिए..." अनिरूद्ध ने फोन उठाते कहा..

" बेटा मोहित अब तक घर नहीं आया है क्या वो आपके यहां आया है ?"

" नही पापा यहां तो नही आए मोहित..."

" पता नही कहा चला गया अब तक घर नहीं आया है और ऊपर से फोन भी बंध आ रहा है..."
राजेश जी ने फिक्र भरी आवाज में कहा..

" आप फिक्र मत करिए पापा मैं अभी पता लगाता हु..."

बोलते हुए अनिरुद्ध ने तुरंत अपनी कंपनी के वॉचमैन को फोन लगाया..

" सुनील कंपनी में अंदर कोई है ? "

" जी सर मोहित सर है ... अब भी काम कर रहे है ...मैने कहा उनको की घर चले जाए पर वे मान ही नहीं रहे .. और परेशान भी बहुत लग रहे है...."

" ठीक है " इतना कहकर अनिरुद्ध ने फोन काट दिया..

" कुछ तो अजीब है ... आज मोहित और अंजली के बीच कुछ तो ऐसी बात हुई हैं जिसकी वजह से मोहित परेशान है अब ये गुत्थी तो मुझे सुलझानी ही होगी.. संजू को इस हालत में में और परेशान भी नहीं कर सकता..अब जो करना होगा वो मुझे अकेले ही करना होगा"
अनिरूद्ध सोच ही रहा था की संजना वहा आ गई..

" किस से बात कर रहे थे..? "

" में ... में अपनी गर्लफ्रेंड से बात कर रहा था.. "
अनिरूद्ध ने मस्ती करते हुए कहा..

" अच्छा तो कौन है तुम्हारी गर्लफ्रेंड...? "

" टोप सीक्रेट है ...! " अनिरूद्ध ने आंख मारते हुए कहा..

" यू....! में तुम्हे मार दूंगी समझे ..." संजू ने जूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा...

" आपकी अदाओं ने हमे पहले से ही मार डाला है अब और कितना मारेगी....आप "

" अनिरूद्ध ... इतने मक्खन भी मत लगाओ...."
संजना ने हस्ते हुए कहा...

" हा हा अब थोड़ी देर मजाक भी नही करने देती...! "

" अब मजाक की उम्र नही है अब तुम पापा बनने वाले हो..."

" व्हाट यू मीन उम्र नही है हा ? में अब भी बहुत यंग हु.. और आगे जाते ऐसे ही यंग और हेंडसम ही दिखने वाला हु..." अनिरूद्ध ने अपने बालो पर हाथ फेरते हुए कहा..

" पर संजू तुम ना एक दम मोटी सी हो जाओगी... गोलुमोलू... "

" हा ? तो तुम कहना चाहते हो की में मोटी हो जाऊंगी ...! रुको तुम ... अभी बताती हु..."
बोलकर संजना ने पिलो लेकर जोर से अनिरुद्ध पर फेंका..

" घिस इस नोट फेयर संजू... इस हालत में तो में तुम पर पिलो भी नही फेंक सकता... तुम एक निहत्थे लाचार आदमी पर वार कर रही हो...! "

" अच्छा ? आई डोंट केयर... ये लो... " संजना और जोर से पिलो फेंकने लगी...

अगला दिन कुछ खास नहीं था... सब अपने काम में व्यस्त थे रात को किंजल ने बैंगलोर जाने के लिए अपना सारा सामान पैक कर लिया था उसने करन के घर से आने के बाद एक बार भी करन को फोन नही किया था...
सुबह सात बजे की फ्लाइट से किंजल बैंगलोर जाने वाली थी... उसने कैब मंगवाई ... वो चाहती तो थीं की करन उसके साथ आए पर करन के बर्ताव से उसे लगा था की करन उसके साथ नही आना चाहता इस लिए वो करन को बिना बताए ही कैब से एयरपोर्ट जाने के लिए निकल गई...

करन अपने सामान के साथ तैयार था...
वो कबसे किंजल के फोन की राह देख रहा था पर किंजल का कोई फोन या मेसेज नही आया था..

" ये लड़की कर क्या रही है ? थोड़ी देर में हमे बैंगलोर की फ्लाइट पकड़नी है और अब तक कोई फोन और मेसेज भी नही किया...."
करन गुस्से में सोफे पर बैठा बोल रहा था..

" तो बेटा तू उसको फोन करले..." प्रीता ने करन के पास आकर कहा..

"मोम आपको लगता है की मैने फोन नही किया ? "

" नही "

" मोम....! मैने कितनी बार फोन किया उसे पर वो फोन ही नही उठा रही है...."

" तो एक बार उसके घर जाकर देख ले ना...! "

" यार ये मेरे दिमाग में क्यों नहीं आया..."
बोलकर करन तुरंत खड़ा हुआ और समान लेकर भागता हुआ किंजल के घर चला गया..

करन किंजल के घर आकर बैल बजाने लगा...

" हा हा आ रही हू थोड़ी देर रुको तो सही..."
रीमा जी ने दरवाजे के पास आते हुए कहा और दरवाजा खोला...

" अरे ! बेटा करन ... तुम यहां ? "

" आंटी किंजल कहा है ? "

" वो तो चली गई..."

" चली गई पर कहा ? "

" बैंगलोर... उसकी सात बजे की फ्लाइट थी ना..."

" व्हाट ? मुझे कहे बिना चली गई...?."

कहते हुए करन जाने लगा..
" क्या हुआ ये तो बताते जाव...."

" आंटी बाद में बताता हु... "
बोलते हुए करन गाड़ी में बैठा और तेजी से अपनी गाड़ी दौड़ा दी...

बार बार वो घड़ी में टाइम देख रहा था... साढ़े छह बज गए थे... करन कुछ ही देर में एयरपोर्ट पहुंच गया...

प्लेन लैंड हो चुका था और किंजल अपनी सीट पर बैठ चुकी थी...
करन ने बोर्डिंग पर जाकर किंजल के पास वाली सीट देने के लिए कहा ....

किंजल अपनी विंडो सीट पर आंख बंध करके बैठी हुई थी...
करन किंजल के पास आकर बैठ गया...

" में वहां इतना परेशान हो रहा था और मेडम यहां पर सो रही है... ! "

" कौन बकबक कर रहा है सोने दो ना..." किंजल ने अंगड़ाई लेते हुए कहा..

" वाह! अब मेरी बात इसको बकबक लग रही है ? "

" शी...." किंजल ने अनजाने में अपनी उंगली करन के मुंह पर रख दी थी...
करन किंजल की इस हरकत से खामोश हो गया ...

किंजल की उड़ती हुई एक लट करन के चहेरे पर आ रही थी... किंजल नींद में बहुत ही प्यारी लग रही थी...करन बस खामोश सा उसके चहेरे को देख रहा था ...

तभी किंजल ने धीरे से अपनी आंखे खोली ... और सामने करन को देखकर वो डर गई...और अपनी उंगली करन के होठ पर से हटा दी.

" क्या हुआ कोई भूत देख लिया क्या ? " करन ने गुस्से में उसे घूरते हुए कहा

" तुम यहां... क्या कर रहे हो ? "

" पहले तुम ये बताओ की तुम मुझे बिना बताए अकेली क्यों आ गई ? हम तो साथ जाने वाले थे ना ? "

" वो वो...." किंजल करन के गुस्से को देखकर घबरा गई थी...

" वो वो क्या ? "

" मुझे लगा की तुम मेरे साथ चलना नही चाहते थे इसीलिए...."

" मैने तुम्हे ऐसा कहा था ? "

" नही ...पर "

" तो फिर ... हा उस वक्त मेरा मूड खराब हो चुका था पर उसकी वजह तुम नही थी... "

" सोरी...." किंजल ने कान पकड़ते हुए कहा..

करन ने नाराजगी के साथ मुंह फेर लिया...

" प्लीज करन सोरी ... " किंजल ने करन का मुंह अपनी तरफ करते हुए कहा..

" यार तुम भी अजीब हो... मेरी इतनी हेल्प की और अब मेरी बारी आई तो खुद ही मुझे छोड़कर ऐसे जा रही थी.. सिली गर्ल..."

" अब सोरी कहा ना अब कितना बोलोगे... और मेरी कोई गलती नही थी तुमने उस वक्त गुब्बारे जैसा मुंह फुलाया था तो तुम्हे देखकर कोई भी यही समझता ..."

" गुब्बारे जैसा? सिरियासली ? "

" हा नही तो क्या ? "

"वाटेवर फॉरगेट ईट..."

यह सुनकर किंजल मुस्कुराई...

" थैंक यू भगवान करन को आपने मेरे साथ भेज दिया... " किंजल ने आंख बंध करते हुए मुस्कुराकर कहा..

🥰 क्रमश : 🥰