Sapne - 52 - last part in Hindi Fiction Stories by सीमा बी. books and stories PDF | सपने - (भाग-52) - अंतिम भाग

Featured Books
  • خواہش

    محبت کی چادر جوان کلیاں محبت کی چادر میں لپٹی ہوئی نکلی ہیں۔...

  • Akhir Kun

                  Hello dear readers please follow me on Instagr...

  • وقت

    وقت برف کا گھنا بادل جلد ہی منتشر ہو جائے گا۔ سورج یہاں نہیں...

  • افسوس باب 1

    افسوسپیش لفظ:زندگی کے سفر میں بعض لمحے ایسے آتے ہیں جو ایک پ...

  • کیا آپ جھانک رہے ہیں؟

    مجھے نہیں معلوم کیوں   پتہ نہیں ان دنوں حکومت کیوں پریش...

Categories
Share

सपने - (भाग-52) - अंतिम भाग

सपने......(भाग-52)

अगली सुबह सब अपने अपने काम में थे। सभी दोस्त आस्था, अनिका और नचिकेत से मिल कर चले गए थे। अगले साल फिर से मिलने का प्रॉमिस करके। राजशेखर ,नवीन और श्रीकांत तो आदित्य से मिलने उसके होटल पहुँच गए। रश्मि और सोफिया को लता अपने घर ले कर चली गयी। आदित्य को पूरा यकीन था कि उसके दोस्त उसे मिलने जरूर आँएगे..... होटल के ही डायनिंग हॉल में सबने एक साथ लंच किया और फिर रूम मे आकर खूब बातें हुई। सब अपने करियर और फैमिली की बातें कर रहे थे....आदित्य सब को सुन रहा था। हालंकि आपस में सब एक दूसरे से फोन पर बातें कर लिया करते थे, पर फिर भी मिल कर बातों का मजा ही कुछ और होता है। "आदित्य भाई अगले साल भी टाइम निकाल लेना अनिका के बर्थ डे के लिए", नवीन ने आदित्य से कहा तो उसने कहा," हाँ कोशिश करूँगा"! आदित्य को किसी से मिलना था तो सब लोग जाने से पहले पार्टी करेंगे कह कर चल दिए और आदित्य अपने काम से निकल गया। नचिकेत और आस्था अभी भी थियेटर से जुड़े थे पर साथ ही नचिकेत और अरूणा का अपना प्रोडक्शन हाउस और म्यूजिक कंपनी है। अनिका के पैदा होने के बाद आस्था 2 साल थियेटर से दूर रही, पर उसके बाद वो लगातार सफलता की सीढियाँ चढ़ती गयी। कई एड फिल्मस में काम करके उसने खूब नाम कमा लिया। जब एक स्टेज वो आता है जब आप कईयों का रोल मॉडल बन जाते हैं तब आप सतर्क हो जाते हैं कि हमारे बारे में कोई कुछ गलत न कहे या न सोचे। सपने पूरे करने की कीमत अक्सर भारी चुकानी पड़ती ही है.... कुछ ऐसा ही आस्था के साथ हुआ, दिनभर बिजी रहती थियेटर, घर और सोशल वर्क में जिसकी वजह से नचिकेत ने ज्यादा से ज्यादा टाइम अनिका को दिया और अब अनिका अपने डैड के जितने नजदीक है उतना ही मॉम के सामने हिचकिचाती है। आदित्य ने 2 दिन के बाद नचिकेत को फोन करके पूछा," मैं जाने से पहले आप लोगो से मिलना चाहता हूँ, कब आ सकता हूँ"? नचिकेत ने उसे डिनर पर बुला लिया और आस्था को भी इंफार्म करना नहीं भूला। अनिका के अपनी फ्रैंड के साथ मूवी देखने जाना था, पर नचिकेत ने उसे रूकने को कहा तो उसे मानना ही पड़ा। आस्था सोच रही थी कि, "फिर से उसे इंवाइट करने की क्या जरूरत थी" पर नचिकेत ने बताया कि," वो वापिस जा रहा है, तो जाने से पहले उससे मिलना बनता ही है"। शाम के 7:30 बजे आदित्य आ गया। नचिकेत ने उसका वेलकम किया। आस्था किचन में थी। नचिकेत ने अनिका के भी बुला लिया। जन्मदिन पर तो आदित्य के साथ बस "हैलो" ही हुई थी! अब तक तो उसने अनिका के बारे में नवीन से जाना था पर अब वो उसके सामने थी। "हैलो" बोल कर वो नचिकेत के पास बैठ गयी। आदित्य उसके साथ बात करवे के लिए उसकी पढाई और शौक के बारे में बातें करने लगा। तब तक अनिका भी आदित्य से बात करने में झिझक नहीं रही थी। अनिका जो आदित्य से गुस्सा थी उसने अपने डैड का मान रखा और बहुत अच्छे ढंग से बात करके उसने अपनी मैच्योरिटी का उदाहरण दिया। आस्था डिनर सर्व करवा रही थी। नचिकेत ही आदित्य से उसके जाने का और अपने देश में वापिस आने का इरादा है या नहीं...वगैरह बातें कर रहा था। आदित्य ने अनिका को भी ऑफर दिया कि अगर आगे पढने का विचार हे तो आस्ट्रेलिया आ जाना सब हो जाएगा।जवाब में अनिका ने "थैंक्यू" कहा। आस्था इन सबके बीच चुपचाप डिनर कर रही थी और सबकी बातें सुन रही थी। डिनर करवे के बाद आदित्य ने कुछ पेपर्स अनिका को देते हुए कहा,"ये मेरी तरफ से तुम्हारे बर्थ डे का गिफ्ट है"! अनिका ने वो पेपर्स लेने से पहले अपने डैड की तरफ देखा तो उन्होंने लेने का इशारा किया। अनिका ने पेपर्स ले कर नचिकेत को दे दिए। नचिकेत ने देखा तो पेपर्स प्रॉप्रटी के हैं...."ये क्या है आदित्य"? "ये हमारे दिल्ली वाले घर के पेपर्स हैं जो मैंने अनिका के नाम कर दिया है"।आदित्य की बात सुन कर आस्था बोली," आदित्य हमें इसकी जरूरत नहीं है, ये तुम्हारा है तुम रखो और आगे तुम्हारे बच्चों के काम आएगा"। नचिकेत ने भी आस्था की "हाँ में हाँ" मिलायी। आदित्य बोला," ये अनिका के लिए है, तुम दोनो क्यों परेशान हो रहे हो"? "आदित्य अंकल थैंक्यू सो मच, पर मुझे भी नहीं चाहिए"! अनिका ने अपने मॉम डैड की तरफ देखते हुए कहा। आदित्य नहीं माना तो नचिकेत बोला, " आदित्य एक शर्त पर अनिका ये गिफ्ट लेगी, अगर तुम जल्दी ही शादी करके सैटल्ड होने का प्रॉमिस करो"! आस्था भी बोली, "नचिकेत ने बिल्कुल ठीक कहा आदित्य, अब तुमने पैसा और नाम बहुत कमा लिया अब सुकून से अपनी जिंदगी जीओ"! आदित्य पशोपेश में पड़ गया फिर उसने कहा," ठीक है, पक्का प्रॉमिस "! अनिका ने अपने डैड के कहने पर पेपर्स रख लिए।आदित्य जाने लगा तो नचिकेत ने कहा," आदित्य तुम अपने दिल पर कोई बोझ मत रखो न तो आस्था के मन में तुम्हारे लिए कुछ बुरा है और न ही मेरे दिल में"! आदित्य खुद को बहुत हल्का महसूस कर रहा था नचिकेत की बातें सुन कर। आस्था ने भी मुस्कुरा कर उसे फ्यूचर के लिए "विश" किया और "बॉय" कह दिया। आदित्य को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या कहे? उसे लग रहा था कि शायद उसने बहुत देर कर दी माफी माँगने में....."इतने साल यूँ हि गँवा दिए दिल पर बोझ रख कर"। आदित्य ने जाते जाते कहा," मैं जब शादी करूँगा तो तुम तीनों जरूर आना"! आस्था ने मुस्कुरा कर कहा," जरूर आएँगे"।
आदित्य वापिस चला गया उसने पहुँच कर नचिकेत को ठीक ठाक पहुँचने का फोन भी कर दिया।आदित्य का बहुत मन था कि वो अपनी बेटी अनिका को गले से लगाए और वो उसे कम से कम 1 बार पापा कह कर बुला ले, पर आदित्य ये बात कह नहीं पाया। आखिर किस मुँह से कहता? फिर नचिकेत को भी बुरा लग सकता था, यही सोच कर वो वापिस आ गया।
आदित्य के जाने के बाद नचिकेत ने आस्था के कहा, "आस्था मैं इतने सालों से इस दिन की वेट कर रहा था, तुम आदित्य से बात करो और अगर तुम आदित्य के साथ जाना चाहो तो तुम्हें जाने दूँगा"! नचिकेत कुछ कहता उससे पहले ही आस्था ने उसके होठों पर उँगली रख दी। नचिकेत, आदित्य नाम का चैप्टर बंद हो गया था बहुत पहले ही पर मैं फिर भी सोचती थी कि कभी वो सामने आएगा तो मैं कैसे रिएक्ट करूँगी पर देखो वो आया कर चला भी गया। मैं महान नहीं हूँ पर उसे माफ किया कह कर एक सुकून मिला है"! उधर अनिका अपने कमरे में लेटी सोच रही थी कि, "आदित्य अंकल मेरे पापा हैं, पर डैड जैसे कभी नहीं बन सकते"।
आस्था हमेशा की तरह नचिकेत के कंधे पर सिर रख कर आँखे बंद कर लेटी हुई थी और नचिकेत गहरी सोच में डूबा था," अगर अनिका और आस्था सच में चले जाते आदित्य के पास तो मैं कैसे जीता? आस्था की आँखो में अपने लिए इज्जत और प्यार तो काफी टाइम पहले ही देख चुका था, पर फिर भी डरता रहा कि कहीं आस्था चली न जाए, इसी वजह से उसने अध्यात्म के साथ जुडना चुन लिया। वो आस्था को फेवर करके नहीं पाना चाहता था और छीनना उसके स्वभाव में कभी था ही नहीं.....फिर भी उसने अपने डर को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया"। आदित्य के जाने के बाद आस्था को पूरी तरह पाने का अहसास हुआ था उसको। उसने आस्था के माथे पर नहीं उस दिन होठों पर किस कर लिया। आस्था की सहमति ने उसे आगे बढने की हिम्मत दी। नचिकेत और आस्था अपनी अपनी तपस्या में सफल हो गए थे और दोनों ने दोस्ती, इज्जत, और देखभाल का जो भाव था उससे ऊपर उठकर प्यार के भाव को चख लिया था एक दूसरे की बाहों मे आ कर। उधर आदित्य ने नचिकेत और आस्था से किए प्रॉमिस को पूरा करने के लिए एक अच्छी हमसफर की तलाश करनी शुरू कर दी थी। अनिका को न तो आस्था ने न ही नचिकेत के आदित्य से बात करने से रोका था। आदित्य बहुत खुश था कि नचिकेत ने उसके इमोशंस को भी समझा और अनिका से बात करने की परमिशन दे दी.......कहानियाँ या जिंदगी कभी पूरी तरह खत्म नहीं होती कुछ न कुछ बाकी रह ही जाता है। किसी की लाइफ परफेक्ट नहीं होती। सभी भावो का मिला जुला संगम ही हमारा व्यक्तित्व बनाता है.....

समाप्त
सीमा बी.