Sapne - 51 in Hindi Fiction Stories by सीमा बी. books and stories PDF | सपने - (भाग-51)

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सपने - (भाग-51)

सपने......(भाग-51)

आस्था बिल्कुल आदित्य के सामने बैठी थी, दोनो ही चुप थे, एक दूसरे के बोलने के इंतजार में थे। नचिकेत वहाँ से चला गया था। "कैसी हो आस्था"? आखिर आदित्य ने अपनी चुप्पी तोड़ी....! "मैं ठीक हूँ तुम बताओ"... आस्था ने भी नार्मली जवाब दिया।
आदित्य -- "मैं भी ठीक हूँ, बस तुमसे माफी माँगना चाहता था, चाहता तो काफी सालों से था पर हिम्मत नहीं कर पाया। नवीन से तुम्हारे बारे में पता चलता रहता था, मुझे बेबी को एबोर्ट करने की बात नहीं करनी चाहिए थी। तुम्हारी बात माननी चाहिए थी पर उस वक्त बेबी की जगह मैं अपने बचपन को देख रहा था और नहीं चाहता था कि जिस दर्द से मैं निकला हूँ, वो मेरा बच्चा भी सहे।पूरे 3 साल लग गए काम को खड़ा करने में, तब तक तुम मुझसे दूर जा चुकी थी"।
आस्था ने आदित्य को बीच में टोकना चाहा पर कुछ सोच कर चुप रही और उसकी बात सुनती रही और जब उसकी बात खत्म हुई तो वो बोली," आदित्य जो हुआ उसे भूल जाओ और तुम मुझसे माफी मत माँगो क्योंकि जो हुआ था उसमें हम दोनो की ही गलती थी, तो फिर माफी जैसी कोई बात नहीं, मैं बच्चा पैदा करना चाहती थी क्योंकि हमने फिजीकल रिलेशन बनाने से पहले एक बार भी कहाँ सोचा था, अगर सोचा होता तो ये सिचुएशन आती ही नही। फिर भी मुझे हमारे प्यार की निशानी को खत्म करना गलत लग रहा था,इसलिए मैंने भी जिद की और हमारे रास्ते अलग हो गए"।
आदित्य- "तुमने ठीक किया आस्था, मैंने ही मैच्योरिटी से हमारे रिश्ते को नहीं संभाला, इस बात का एहसास है और मैं खुश हूँ कि नचिकेत ने सब कुछ कितना अच्छे से संभाल लिया"।
आस्था--- "हाँ ठीक कहा, मैं अकेली अनिका की परवरिश तो कर सकती थी , शायद अपने पैरेंटस से भी लड़ लेती, पर मुझे अपने बच्चे की फिक्र थी, कि कहीं उसको आगे चल कर तकलीफ न हो क्योंकि हमारी सोसाइटी तो मेल डोमिनेटिग है ही, फिर हम औरते कितना ही कुछ पढ लिख ना लें पर जब बात समाज की आती है तो आज भी झुकना पड़ता है औरत को ही.... ये सब सोच कर ही नचिकेत के साथ जिंदगी में आगे बढने का फैसला लिया और ये मेरा फैसला सही साबित हुआ। हम तीनो ही बहुत खुश हैॆ अपनी छोटी सी दुनिया में.....तुम भी आगे बढ़ो अपनी लाइफ में कब तक गर्लफ्रैंडस बना कर छोड़ते रहोगे"?
आदित्य--- "जब तुम्हारी शादी का सुना तो मैंने भी यही सोचा था कि मूव ऑन कर लूँ, पर मैं हर लड़की में तुम्हें ही ढूँढता रहा, जब तुम कहीं नहीं दिखती तो बस छोड़ता रहा और अब तो वो सब भी बंद कर दिया है। पहले मॉम डैड पीछे पड़े रहते थे, पर अब वो दोनो ही नहीं हैं तो मैं जैसा हूँ, ठीक हूँ....जबरदस्ती मुस्कुराने की कोशिश करते हुए वो बोला"। आस्था की आँखो में नमी तैर गयी, जिसे उसने जल्दी से पलकों में छिपा ली और बोली," आदित्य शायद हमारे रिलेशन में ठहराव नहीं था या हम दोनो ही मैच्योर नहीं थे, अगर होते तो हम दोनों में से एक तो दूसरे की बात मान लेता। इसलिए अब किसी लड़की में मुझे ढूँढना बंद करो और जो जैसी है उसको वैसे ही एक्सेप्ट करोगे तो अच्छा रहेगा"!
आदित्य-- "तुम खुश हो न आस्था"?
आस्था-- मैं बहुत खुश हूँ, नचिकेत एक अच्छे दोस्त, पति और डैड हैं, तभी मैं थियेटर, घर और अनिका सब को संभाले हूँ। मैं अपने सपनों के लिए मम्मी पापा से जिद करके इस प्रोफेशन में आयी, कुछ करना चाहती थी। तुमने मेरी बहुत हेल्प की इस शहर में सर्वाइव करने के लिए। तुमने सिर्फ मेरी ही नहीं अपने सभी दोस्तों की हमेशा हेल्प की है जो हम में से कोई नहीं भूल सकता। तुम बहुत अच्छे इंसान हो, इसमें कोई शक नहीं है, क्या हुआ अगर हमारा रिश्ता नहीं पाया, पर इसका मतलब ये नहीं कि तुम्हारी अच्छाई भुलायी जा सकती है"!
आदित्य चुप था और सुन रहा था आस्था के मन की बातें और सोच रहा था कि कोहिनूर मेरे पास था और मैंने अपनी बेवकूफी की वजह से खो दिया। आदित्य को चुप देख आस्था बोली, "क्या हुआ आदित्य चुप क्यों हो"?
आदित्य-- "कुछ नहीं आस्था, बस तुम्हें सुन रहा था। तुमसे बातें करके मन हल्का हो गया है। दिल पर एक बोझ लिए चल रहा था ,अब थोड़ी राहत मिली है। मैंने इतने सालों से तुमसे बात नहीं कि, ये गलती है मेरी पर अब लग रहा है कि सही किया, नहीं तो तुम ये फैसला नहीं ले पाती जो तुमने लिया है"!
आस्था--- "सही कहा आदित्य तुमने, चलो अब तुम आराम करो, टाइम काफी हो गया है"।
आदित्य-- "हाँ बस निकल रहा हूँ"!
आस्था-- "अगर कंफर्टेबल हो तो यहीं रूक जाओ, देर काफी हो गयी है"।
आदित्य-- "नहीं मैं चलूँगा, सुबह मुझे किसी काम से जाना है कहीं, अभी 2-3 दिन यहीं हूँ मैं, फिर मिलते हैं"।
आस्था--" ठीक है, जैसे तुम्हें ठीक लगे.... कह कर दोनो ही बाहर आ गए और एक दूसरे को गुडनाइट विश करके अपने अपने रास्ते चल दिए, आस्था अपने कमरे में और आदित्य होटल की तरफ"।
आदित्य पूरे रास्ते सोचता रहा अपने और आस्था के रिश्ते के बारे में। अनिका को देख कर उसे पुरानी आस्था की याद आ गयी और मुस्कुरा दिया। आस्था को देख कर और उससे बात करके उसी कहीं नहीं लगा कि उसके दिल में अभी भी वो कहीं है और होना भी यही चाहिए था। उधर आस्था कमरे में गयी तो नचिकेत कुछ पढ़ रहा था। आस्था ने कपडे़ चेंज किए और बेड में आ कर नचिकेत के कंधे पर अपना सिर टिका लिया और बोली, "थैंक्यू"!
नचिकेत बोला, " थैंक्यू की कोई बात ही नहीं आस्था। आदित्य और तुमने आपस में बात कर ली तो ये तुम दोनो के लिए ही अच्छा है। दिल और दिमाग मैं कोई बात नहीं रहनी चाहिए"। "हाँ नचिकेत आपने ठीक कहा, आदित्य अभी भी ऐसे ही अपनी लाइफ बिता रहा है, वो सबकी हेल्प तो कर सकता है पर पर्सनल लेवल पर कोई जिम्मेदारी उठाना नहीं चाहता ,इसलिए वो अब तक अकेला है। अब उसे समझाया तो है पर पता नहीं कितना समझ आया है उसको"!
नचिकेत उसके सिर को सहलाते हुए बोला," आस्था तुम मेरे साथ इस रिश्ते में खुश तो हो न? जानता हूँ ये सवाल मैं शादी के काफी सालों बाद पूछ रहा हूँ, पर इससे पहले तुम्हारा आदित्य से दोबारा सामना भी तो नहीं हुआ था"!" आपको क्या लगता है नचिकेत"? आस्था ने उसके सवाल का जवाब न देते हुए बदले में एक और सवाल कर दिया जिसे सुन नतिकेत ने कहा," मुझे तो लगता है तुम खुश हो, पर फिर भी अपनी तसल्ली के लिए पूछ लिया"!
आस्था--- "मैं खुश नहीं बहुत खुश हूँ। आपसे ही सही मायने में सीखा है कि प्यार क्या होता है? Unconditional प्यार ही तो सच्चा प्यार है..... जो आपने मुझसे और अपनी गुल्लो से किया है बिना किसी शर्त और एक्सपेक्टेशन के और आपने मुझे प्यार करना सीखा दिया है, शायद तभी आदित्य को दिल से माफ भी कर दिया और आगे बढ़ गयी"।
नचिकेत-- "आस्था मैं तो तुमसे बहुत पहले से प्यार करता ही था और तुम्हारी "न" ने भी मुझे तुमसे प्यार करने से रोका नहीं और तुम्हारी खुशी में खुश था और हमेशा रहूँगा", कह कर नचिकेत ने आस्था का माथा चूम लिया।
आस्था ने नचिकेत के गाल पर किस किया और उसके कंधे पर ही सिर रख लिया और अपनी आँखे बंद कर ली। आस्था को सुकून से सोता देख नचिकेत मुस्कुरा दिया और खुद ने भी किताब साइड में रख कर लाइट बंद करके बैठे बैठे ही सो गया। आस्था की नींद खराब न हो इसका जो उसे ध्यान था।
उधर आदित्य भी होटल पहुँच कर बेड में लेट गया और जितनी बातें आस्था से हुई उन बातों के बारे में सोचते हुए सो गया।
क्रमश: