Love Life - Part 3 in Hindi Fiction Stories by Deeksha Vohra books and stories PDF | लव लाइफ - भाग 3

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लव लाइफ - भाग 3

उसका भाई सनी जिसको खाना बहुत पसंद है पार्टी के नाम पर सिर्फ रेस्टोरेंट में खाना खाने जाता था | खाना खाता , डेजर्ट लेता और उसके बाद घर आ जाता | और हमेशा की तरह इस बार भी उसने ऐसा ही किया।

वह खाना खाने के बाद घर आकर अपनी मां को कसकर गले लगा कर खुशी से झूमने लगा। ललिता जी जिनको सनी ने बहुत कस के गले लगा रखा था उसको प्यार से गालों पर चपत लगा कर कहने लगीं |

ललिता जी : "आज तू इतना खुश दिखाई दे रहा है? क्या हुआ तुझे?"

सनी : "आज मैं बहुत खुश हूं शायद पिछले 4 सालों में पहली बार इतना खुश हूँ मैं। पता है मॉम मैंने भाई को इतना खुश कभी नही देखा है। आज भाई बहुत खुश लग रहे थे। इतने खुश कि आज उन्होंने मुझे अपने आप ही हॉफ डे की छुट्टी दे दी।"

"और मैंने वह पूरा हाफ डे खूब एंजॉय किया। दोस्तों के साथ फन किया। खाना खाया पता है मैंने आज क्या-क्या खाया बटर चिकन पनीर टिक्का वो सब चीज़ें जो मुझे पसंद हैं और भाई मुझे खाने नही देते | ( उद्दास होने का नाटक करते हुए। ) आज तो मैंने अपनी सारी इच्छाएं पूरी की।"

बहुत मज़ा आया। काश भाई रोज ऐसे ही खुश रहें। और मुझे अच्छा-अच्छा खाने की ऑपर्चुनिटी रोज़ मिलती रहे। कितना अच्छा होगा ना।

सनी जब ये सब कह रहा था तो मानों वो सपना देख रहा हो। ऐसे एक्सप्रेशंस थे, उसके चहरे पर। ललिता जी ये सुनकर हस पड़ी। ललिता जी देख रही थी आज उनका छोटा सा शैतान बेटा इतना खुश लग रहा है। फिर वो मन ही मन खुद से कहने लगीं |

ललिता जी : और कह तो ऐसे रहा है कि में इसे कभी कुछ खाने को ही नहीं देती | (मन ही मन नरज़ होते हुए।)

हालांकि उनके घर पर वर्ल्ड के बेस्ट कुक थे। जो जब वह चाहते थे तब उन्हें उनकी पसंद का खाना बनाकर देते थे। प्रॉब्लम सिर्फ यह थी कि अक्षत थोड़ा डाइट कॉन्शियस था। ज्यादा ऑयली खाना घर पर बनने ही नहीं देता था। उसने कूकस को सख्त हिदायत दी थी इंस्ट्रक्शंस दिए थे कि घर पर ज्यादा ऑइली खाना नहीं बनेगा। हफ्ते में सिर्फ एक बार ऑयली खाना बनेगा। अक्षत इतना स्ट्रिक्ट इसलिए बिहेव करता था क्योंकि उसकी मॉम की काफी उमर हो चुकी थी वह लगभग 45 वर्ष की हो गई थी। इसलिए वह नहीं चाहता था कि ये सब ऑयली खाना खाने की वजह से उनकी मां की तबीयत खराब हो जाए और बाकी तो वह सिर्फ अपने छोटे भाई को परेशान करने के लिए करता था।

ललिता जी ये अच्छे से जानती थी। इसलिए सनी के सर पर हाथ रखते हुए कहने लगीं।

ललिता जी : तेरा भाई ये सब इतनी मेहनत हमारे लिए ही तो कर रहा है।

ललिता जी के चहरे पर बहुत प्यारी सी स्माइल थी। जिसे देख सानी के चहरे के ऊपर भी प्यारी सी मुस्कान आ गई।

आज तो अक्षत भी बहुत खुश था। उसका बस चलता तो तभी जाकर श्रेया को ढूंढ कर उसे कसकर गले लगाकर उसे कहता "उसने उसे बहुत मिस किया और उसे तभी शादी कर लेता | पर उसने ऐसा नहीं किया। वह पहले अच्छे से श्रेया के बारे में सब कुछ जानना चाहता था।

अगले दिन आज श्रेया का कॉलेज में पहला दिन था | वह थोड़ी नर्वस थी क्योंकि वह पहली बार घर से बाहर पढ़ने के लिए आई थी। क्योंकि श्रेया की बहन हिना भी उसी के साथ कॉलेज आई थी | तो श्रेया थोडा चौकन्ना थी। हिना के मुकाबले श्रेया बहुत खूबसूरत लग रही थी। कोई भी आदमी उसकी खूबसूरती पर फिदा हो जाता। और ऊपर से उसकी आंखें उसकी आंखें तो इतनी मासूम थी। और खुबसूरत थीं कि कोई उनसे अपनी नज़रें ही नहीं हटा पा रहा था। और हिना यह सब कुछ देख रही थी।उसे श्रेया से बहुत चिढ़ मच रही थी। मन ही मन हिना सोच रही थी |

हिना : इस लड़की को सबकी अटेंशन ग्रैब करने में बहुत मजा आता है ना | आज मैं कॉलेज में इसे ऐसा मजा चखायूंगी की इसका सारा का सारा फेमस होने का , मुझसे आगे निकलने का ,, सारा भूत एक झटके में उतर जाएगा।

हिना मन ही मन पूरा प्लान बना चुकी थी। बहुत चालाक थी हिना। यहां आने से पहले उसने इस कॉलेज के बारे में काफी रिसर्च की थी। उसे पता था कि यहां का कल्चर कैसा है। हिना थोड़ी मॉडर्न थी। पर वो छोटी छोटी सी बातों का सीन क्रिएट कर देती थी। वहीं दूसरी तरफ श्रेया जो एक सिंपल लड़की थी इन चीजों से उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था। जो मन करता था वह करती थी। जो मन करता था वह खाती थी। और इसी चीज का फायदा आज हीना उठाने वाली थी।

श्रेया बहुत खुश थी नए दोस्त बनाने के लिए। अपनी जिंदगी का एक नया दौर जीने के लिए। कॉलेज में आते ही उन्हें नोटिस बोर्ड पर सबसे पहले ही खबर मिली कि आज कुछ स्पेशल गेस्ट कॉलेज आने वाले हैं सभी फ्रेशर्स से मिलने के लिए फॉर वेलकम स्पीच।

वहीं दूसरी तरफ सनी खूबसूरत सपना देख रहा था जहां वह उसकी बीवी और उसके दो बच्चे एक रेस्टोरेंट में उसका फेवरेट खाना खा रहे थे। और वह अपनी वाइफ को सिर्फ ऑर्डर दे रहा था। कि मुझे यह खिलाओ नहीं वो और उसके बच्चे चुपचाप वहां बैठकर खाना खा रहे थे।

उसके बच्चे बिल्कुल उसके ऊपर गए थे। और अचानक से उसकी बीवी ने उसे थप्पड़ मार दिया और सनी अचानक से उठा। उसने देखा कि वो अपने रूम में हैं। और उसका भाई ठीक उसके सामने खड़ा है। वो भी बहुत गुस्से में उसे घूर रहा है। वह डर कर जल्दी से सीधा होकर बिस्तर पर बैठ गया। और मासूम सी शक्ल बनाकर रोते हुए अपने भाई से कहने लगा |

सनी : "क्या है भाई क्यों सुबहसुबह बच्चे को मारते फिर रहे हो।( पता लगा अपने बच्चों को भी ऐसे ही डराते और मरते फिरेंगे, तो इनके बच्चे तो इसने डरकर भाग ही जाएंगे।" सानी ये सब सिर्फ अपने मन में ही सोचे सकता था। )

तभी अक्षत ने अपनी आंखें छोटी करके उससे कहा |

अक्षत : "क्या कहा ?

तो सनी हकलाता हुआ कहने लगा |

सनी : "क्या क्या कुछ भी तो नहीं भाई मैं तो बस यह कह रहा था कि आपको कोई इंपॉर्टेंट काम होगा तभी तो आपने इतनी जल्दी उठाया है। कहिए क्या काम था। (" सानी गहरी सांस लेकर खुद को शांत करते हुए खाने लगा। )

तो अक्षत ने उससे कहा |

अक्षत : "आज तुम्हें कॉलेज जाना है। फ्रेशर्स की वेलकम स्पीच देने के लिए।

सनी : क्या? यही काम था ? इसके लिए तो आप मुझे कल भी कह सकते थे आज कहना जरूरी था क्या सनी नाराज़ होकर कहने लगा।

"पता है भाई मैं बहुत प्यारा सा सपना देख रहा था।" सनी आगे कुछ बोल पाता अक्षत ने गुस्से में सनी को रोकते हुए कहा

अक्षत : "अपना मुंह बंद रखो और जल्दी से तैयार हो जाओ। टाइम हो गया है कालेज जाने का।

बेचारा सनी। अक्षत के आगे कुछ नहीं कह पाया।"

उसके बाद अक्षत वहां से चला जाता है। थोड़ी देर बाद अक्षत ने देखा की सनी डाइनिंग टेबल की तरफ आ रहा है। सानी ने देखा कि उसकी मां और भाई दोनो उसका खाने के लिए वेट कर रहे हैं। वो जल्दी से अपनी मां के पास गया उनके पैर छुए और दोनो के साथ खाना खाने बैठ गया।

खाने में आज सनी का फेवरेट नाश्ता बना था। आलू के पराठे। सानी ये देखकर बहुत खुश हुआ। जब वो प्रान्ता उठाने लगा तभी उसके दिमाग मैं आएक बात आई। आज तो सैटरडे है ही नहीं तो आज पराठे कैसे बने हैं?

सनी सोचते हुए : जहां तक उसे याद था आज तो ट्यूसडे था। उसने अपने भाई को शक की निगाहों से देखा और फिर उसने अक्षत से पूछा |

सनी : भाई आज नाश्ते में पराठे कैसे बन गए? आज तो ट्यूजडे भी नही है।

अक्षत ने सानी को अपनी गहरी नजरों से देखा और इशारों इशारों में कहने लगा। |

अक्षत : चुपचाप खा लो वरना ....

तो सनी चुपचाप खाना खाने लगा। ये सुनकर ललिता जी को हसी आ गई। उन्हें पता था की आज परांठे क्यूँ बने हैं। पर उन्होंने सनी को कुछ नही बताया। अक्षत ने ललिता जी को मना किया था, की सनी से कोई बात न करे।

फिर अक्षत ने सानी से अपनी सर्द आवाज में कहा ताकि उसे शक ना हो |

अक्षत : मुझे तुमसे एक काम है |

सनी की ये सुनकर हंसी निकल गई | वो हस्ते हुए कहने लगा |

सनी : हा हा हा हा | क्या ? हंसता हुआ। सनी अपना पेट पकड़कर कहने लगा | क्या कहा आपने ? सानी को आपने कानों पर विश्वास नही हो रहा था।

सनी : "क्या मने ये सुना की आपको मेरी हेल्प की जरूरत है? आपको? और किसी की हेल्प की जरूरत |

सानी को यूं हस्ते देख अक्षत ने सानी को गुस्से में कहा |

अक्षत : तुम यूं ही हस्ते रहे ,, तो मैं तुम्हारी छुट्टी कैंसिल कर सकता हूं।

" ये सुन सनी झेंप गया। और अक्षत से कहने लगा |

सनी : "ऐसा थोड़ी ना होता है भाई | कहिए क्या कर सकता हूं मैं आपके लिए |

सनी को अभी भी हंसी आ रही थी | वो खुद को कण्ट्रोल ही नही कर पा रहा था।" अक्षत ने सानी को आर्डर देते हुए कहा |

अक्षत : "यहां नही ऑफिस में बताता हूं।"

फिर उन दोनों ने जल्दी से आपना नाश्ता खत्म किया और ऑफिस के लिए निकल गये।

ऑफिस में अक्षत ने सनी को श्रेया के बारे में बताया। सनी श्रेया के बारे में जनता था। उसे अच्छे से ये बात मालूम थी की उसका भाई बचपन से श्रेया को ढून्ढ रहा था।

सनी को भी श्रेया की कुछ धुंदली धुंदली यादें याद थी उसे याद था की जब श्रेया छोटी थी तो वो कितनी नटखट हुआ करती थी। वो हमेशा सनी को बहुत परेशान किया करती थी। पर हाँ ,, उन दोनों की बहुत बनती थी। श्रेया हमेशा सनी को अक्षत की डान्त से बचाती भी थी। जब सानी को श्रेया के बारे में पता चला तो वो अक्षत को परेशान करते हुए कहने लगा।

सनी : तो ये बात है। आपको आपकी ड्रीम गर्ल मिल ही गई। वेसे भाई आपको नही लगता की आपको मोम को ये बता देना चाहिए। की आपको श्रेया मिल गई है। सोचो मोम कितनी खुश होंगी। श्रेया के बारे में जानकर।

उसके बाद अक्षत कहने लगा |

अक्षत : "मेने मोम को बता दिया है। तुम्हे उस बात की फ़िक्र करने की जरूरत नही है। बस कॉलेज जयो और जो काम मेने तुम्हे दिया है उस पैर ध्यान दो। और हाँ एक बात का ध्यान रखना उसे कुछ भी पता न चले और कॉलेज में कोई दिक्कत न हो। आगर कुछ भी हुआ ? तो मैं तुम्हे नही छोडूगा।"

सनी हकलाते हुए कहने लगा |

सनी : "ठीक है ठीक है मैं कौन सा उसे परेशान करूंगा मैं तो बस उसे जाकर गले लगा लूंगा और उससे कहूंगा कि मैंने तुम्हें बहुत याद किया।"

मजाक मैं कहते हुए सनी | अक्षत ये सुनकर सनी को घूर कर देखने लगा | तो सनी कहने लगा |

सनी : ठीक है बाबा | मैं उसे परेशान नहीं करूंगा |

अक्षत : नो हग | नथिंग | ओके ? अक्षत ने गुस्से में कहा |

"ये सुनकर सनी की हसी छूट गई | अक्षत ने आगे कहा |

अक्षत : श्रेया को पता ना लगे कि तुम कौन हो। क्यूंकि मैं अभी देखना चाहता हूं ,, कि श्रेया कैसी लड़की है।" "जैसे उसकी मॉम थी? वेसे तो मुझे पता है की श्रेया बिल्कुल अपनी मॉम पर की गई होगी।

ये कहते हुए अक्षत के फेस पर एक छोटी सी स्माइल देख सनी दंग रह गया। उसने आपने भाई को जिंदगी में पहली बार यूँ स्माइल करते देखा होगा। सनी को ये देखकर बहुत खुशी हुई।

वहीं दूसरी तरफ हिना ने श्रेया को सबके सामने एंबैरेस करने का पूरा प्लान बना रखा था | उसने सोच लिया था कि फर्स्ट डे पर ही वो श्रेया कि इतनी इंसल्ट करवाएगी कि श्रेया हमेशा याद रखेगी। और इस कॉलेज से भाग ही जाएगी। ये सोचते हुए हिना के चहरे पर एक डेविल स्माइल थी।

जब श्रेया बास्केटबॉल कोर्ट में गई वेलकम स्पीच के लिए जहां गेस्ट आने वाले थे श्रेया ने देखा कि वहां पर बहुत भीड़ है और श्रेया को भीड़ बिल्कुल भी पसंद नहीं थी।

उसे भीड़ वाली जगह पर थोड़ी सफोकेशन होती थी | कभी कभी तो इतनी सफोकेशन हो जाती थी ,, कि उसे सांस लेने में दिक्कत होती थी | और वह बेहोश हो जाती थी | और यह चीज तब शुरू हुई थी ,, जब से उसकी मॉम उसे छोड़ कर गई थी।

पर उसे यह पता नहीं था ,, कि यह सब ऐसा क्यों है। अभी तक गेस्ट आए नहीं थे। तो श्रेया ने मन में सोचा |

श्रेया : अभी तक तो गेस्ट आए नहीं है। तो एक काम करती हूं यहां से थोड़ी देर के लिए बाहर चली जाती हूं। वरना मुझे यहां पर सफोकेशन होना शुरू हो जाएगा। और मेरी तबीयत खराब हो जाएगी। और इस वक्त तो मैं तबीयत खराब होना अफ्फोर्ड नहीं कर सकती। ( श्नरेया सोचते हुए ) हीं-नहीं मुझे बास्केटबॉल कोर्ट से बाहर चले जाने चाहिए।

ये सोचते ही श्रेया वहां से चली गई। उसका ध्यान कहीं और था ,, तो वह चलते-चलते कुछ लड़कों से टकरा गई। वो लड़के श्रेया की खूबसूरती को देखकर चकाचौंध रह गए | और उनमें से एक तो श्रेया को बहुत बुरी तरह घूर रहा था। जो श्रेया ने महसूस कर लिया था।

श्रेया थोड़ी असहज हो गई थी | वह वहां से जाने लगी तो उनमें से एक लड़के ने श्रेया का हाथ पकड़ लिया और कहने लगा |

एक लड़का : एक्सक्यूज मी ,,, क्या आप यहां नई है ?

तो श्रेया थोड़ा हकलाते हुए कहने लगी।

श्रेया : हां। हां। मैं यहां नई हूं ।

तो वो लड़का उसे अपना इंट्रोडक्शन देने लगा ।

राहुल ओबेरॉय : "मैं राहुल । राहुल ओबरॉय और आप?

श्रेया उनसे बात नही करना चाहती थी। पर फिर वो कुछ सोच कर कहने लगी

श्रेया : "मैं मैं श्रेया।"

राहुल ओबेरॉय : वाह ! कितना प्यारा नाम है। श्रेया ,,,, ह्म्म्म (राहुल मन ही मन सोचने लगा)।

फिर श्रेया से बोला |

राहुल : पहला दिन?

श्रेया ने कहा

श्रेया : "हाँ मैं यहाँ पर न्यू हूँ और आज पहला दिन है।"

जब राहुल और श्रेया दोनों बातें कर रहे थे तो राहुल के साथ खड़ा एक लड़का श्रेया को बहुत बुरी तरह घूर रहा था। तो श्रेया जल्दी से वहां से चली गई। पर राहुल वहां ही खड़ा रह गया। राहुल ने इस बात पर ध्यान नही दिया की उसके दोस्त श्रेया को किन नजरों से देख रहे थे।

उसके एक दोस्त ने कहा |

एल लड़का : यार राहुल "मुझे अभी याद आया की मैं अपना कुछ सामन गेट पर भूल गया तुम लोग चलो मैं बस थोड़ी देर में आता हूँ।"

सब वहां से चले गये। और वो लड़का वहां से झूठ बोलकर श्रेया जहाँ गई थी वहां उसके पीछे चला गया। श्रेया हवा लेना के लिए कॉलेज के गार्डन में आई थी। गार्डन में ठंडी ठंडी हवा चल रही थी। और श्रेया बहुत अच्छा फील कर रही थी।

श्रेया ने अपनी आंखें बंद की और अपने हाथों को हवा में लाकर लंबी लंबी सांस लेकर अपने सराउंड के एनवायरनमेंट को फील करने लगी | तभी उसने अपनी कमर पर किसी का हाथ महसूस किया | और श्रेया घबराकर ज़ोर से चलाई |

श्नरेया : नहीं ,,,

श्रेया ने देखा कि अभी वह जिन लड़कों से टकराई थी। उनमें से ही एक लड़के ने उसे पकडा था।

श्रेया ने कहा |

श्रेया : "ये आप क्या कर रहे हैं?"

तो वह लड़का हस्ते हुए श्रेया से कहता है |

लड़का : "तुम जितनी खूबसूरत हो उतनी ही अच्छी तुम्हेरी आवाज है | क्या तुम मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी?"

श्रेया तो शौक हो कर अपनी आंखें बड़ी करके उस लड़के को देखती ही रह गई। और जोर से चीखते हुए ,, उससे कहती है |

श्रेया : क्या ?

लड़का फिर हस्ते हुए कहता है |

लड़का : क्या क्या ? तुम तभी मुझ से टकराई थी ना ,,, क्योंकि तुम्हें मैं बहुत हैंडसम लगा था?"

श्रेया मन ही मन उसे गालियां दे रही थी | और सोचने लगी |

श्रेया : मन ही मन ,, आजकल के लड़के पता नहीं क्या क्या सोच लेते हैं | हे भगवान ! अब मैं इस आफत से कैसे अपना पीछा छुड़वायुं।"

फिर श्रेया ने उसे मना किया और वहां से जाने लगी | श्रेया इस वक्त किसी से भी लड़ना नही चाहती थी। वो भी कॉलेज के पहले दिन ही। जेसे ही श्रेया वहां से जाने लगी उस लडके ने श्रेया का हाथ पकड़ लिया। तो श्रेया अपना हाथ उसके हाथ से छुडवा कर वहां से जाने लगी। तो उस लडके ने उसे दुबारा पकड़ लिया। और उसे खिंच कर पेड के शेयर खड़ा करके श्रेया को किस करने लगा।

श्रेया ज़ोर से चीलाई।

श्रेया : हेल्प । कोई मेरी मद्दत करो।

तभी वहां पर कोई आया और उसने उस लडके को ज़ोर से लात माकर श्रेया से दूर किया। श्रेया ये देखकर डर गई। उसने घबरा कर अपने मुह पर हाथ रखा और अपने सामने जो हो रहा था वो देखने लगी।

श्रेया की आँखें घबराहट की वजह से लाल हो गईं थी। मानो वो अभी रो देगी | श्रेया की हेल्प करने वाला और कोई नही बल्कि सनी ही था। सनी ने उस लड़के को जिस तरह मारा था। वह लड़का जमीन पर बहुत बुरी तरह गिरा था | जिसकी वजह से उसके हाथ में बहुत चोट आई थी | उस लड़के को तो लग रहा था । कि उसकी तो हड्डीयां ही टूट गई है | वह लड़का चीख कर जोर से कहने लगा |

लड़का : हे भगवान ! मेरा हाथ तोड़ दिया | मुझे बहुत दर्द हो रहा है। मुझे हॉस्पिटल लेकर जाओ और तुम तुमने मुझे मारने की हिम्मत भी कैसे कि तुम्हें पता है मैं कौन हूं ?

तभी सनी ने उसे दोबारा मारा और वह दुबारा जोर से चिल्लाने लगा |

लड़का : बस बस | क्यों मार रहे हो मुझे ? मैंने क्या बिगड़ा है तुम्हारा ? ( गुस्से में )

वो लड़का सानी से कहता है | तभी सनी गुस्से में कहता है |

सनी : "एक लड़की के साथ बतमीजी करते हुए तुम्हें शर्म नहीं आती।"

तो वो लड़का सानी से कहने लगा |

लड़का : "तुम्हे क्या?"

तो सनी ने उसे जोर से पंच मारा | फिर वह लड़का गुस्से में वहां से उठा और वहां से चला गया। पर जाते-जाते उसने सनी को वॉर्न करना सही समझा |

लड़का : ( गुस्से में ) तुम्हें तो मैं देख लूंगा। ( और फिर वो वहां से चला जाता है | )

फिर सनी का ध्यान श्रेया के उपर गया। जो बहुत घबराई हुई थी। श्रेया को देखकर ही सनी बता सकता था की ,, वो कितना अन्कोम्फ्र्टएबले थी। श्रेया जल्दी से वहां से जाना चाहती थी। पर क्योंकी सनी ने उसकी हेल्प की थी। तो वो उसे बिना शुक्रिया बोले केसे वहां से जा सकती थी। श्रेया ने कहा |

श्रेया : " शुक्रिया सर। मेरी हेल्प करने के लिए। एंड सॉरी मेरी वजह से आपको इतनी प्रॉब्लम हुई |

सनी श्रेया को देख कर चौक गया।"