Love Life - 9 in Hindi Fiction Stories by Deeksha Vohra books and stories PDF | लव लाइफ - भाग 9 - exited Shreya

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लव लाइफ - भाग 9 - exited Shreya

श्रेया को इस तरह नर्वस देखकर अक्षत उसके पास गया। श्रेया हडबडा गई और बेड पर बैठ गई। अक्षत श्रेया के पास आया वो श्रेया को जानबूझ कर परेशान कर रहा था।

वो श्रेया के करीब गया। फिर धीरे से अपनी सूट जैकेट खोलने लगा। श्रेया अपनी आंखें फ़ाड़ फाड़ कर अक्षत को देख रही थी। ऐसा नहीं की कहीं और देखे।

फिर धीरे से अक्षत ने अपनी शर्ट के बटन्स खोलना शुरू किये। श्रेया तो अक्षत को बेशर्मों की तरह बस ताड़ रही थी। तो श्रेया होश मैं आते हुए हकलाते हुए बोली।

श्रेया " ये ये आप क्या कर रहे हैं ?

अक्षत "क्या मतलब क्या कर रहा हूं। अपने कपड़े खोल रहा हूं।"

श्रेया घबरा के कहने लगी।

श्रेया "तो यहां क्यों खोल रहे हैं। बाथरूम में जाकर खोलिए।"

अक्षत श्रेया को परेशान करते हुए कहने लगा।

अक्षत " क्यों तुम्हें कोई दिक्कत है क्या? अब तो तुम मेरी वाइफ हो। मैं तुम्हारे सामने कपड़े खोलूँ या तुम्हारे साथ कुछ करूं। कोई प्रॉब्लम है क्या ?

अक्षत श्रेया को जानबूझकर परेशान करने के लिए यह सब बातें कर रहा था। अक्षत की बातें सुन , श्रेया ब्लश करने लगी। उसका चेहरा टमाटर की तरह लाल हो चुका था। और अक्षत को ये देख कर श्रेया पर बहुत प्यार आ रहा था।

उसका तो मन कर रहा था , की उसे देखता ही रहे | फिर वो धीरे से , श्रेया के करीब आया , और उसे किस कर लिया | श्रेया तो दंग रह गई | और अपनी बड़ी बड़ी आंखों से , वो अक्षत को घूर रही थी | पहले तो श्रेया उसे रोकने की कोशिश कर रही थी | पर बेचारी अक्षत की ताकत के सामने तो वह कुछ नहीं कर पा रही थी | अक्षत धीरे से श्रेया के होटों से हटा , ओर फिर धीरे से पेट पर किस करने लगा | अक्षत को पता था , की वो आपना कंट्रोल खो रहा था। अक्षत बिना श्रेया की हाँ के कुछ नहीं करना चाहता था |

श्रेया : अक्षत प्लीज़ , नहीं ,,,,

अक्षत : श.... ( उसने श्रेया की गर्दन मैं आपना सर रखा | ) हिलो मत |

फिर कुछ डियर यूँ रहने के बाद , अक्षत श्रेया से दूर हुआ | और उठ कर बाथरूम मैं चला गया | जब तक वो वापिस आया , उसने देखा की श्रेया सो चुकी है | हालांकि श्रेया , सोई नहीं थी , कैसे सो सकती थी भला वो | अभी जो कुछ भी हुआ था , उसके बाद तो श्रेया को तो कभी भी नींद ही नहीं आने वाली थी | अक्षत शायद ये भंप गया था , की श्रेया अभी तक सोई नहीं थी | वो धीरे से श्रेया के पास गया , ओर उसके पास जाकर लेट गया | जैसे ही श्रेया को फील हुआ , की अक्षत उसके ही पास है , ओर जब श्रेया को अक्षत का हाथ अपनी कमर पर फील हुआ | तो श्रेया कांप उठी | अक्षत बोला |

अक्षत : डोंट वरी श्रेया | मैं तुम्हे तब तक हाथ नहीं लगाऊंगा , जब तक तुम मुझे अल्लो नहीं करोगी |

श्रेया को यह सब सुनकर थोड़ी राहत महसूस हुई | और फिर उसने आराम से अपनी आंखें बंद की | ओर सो गई | श्रेया बिल्कुल बच्चों की तरह सोई हुई थी | कुछ डियर यूँ ही श्रेया को निहारने के बाद , अक्षत भी सो गया |

आधी रात को ,

अक्षत को अपने ऊपर कुछ महसूस हुआ | उसने अपनी आंखें खोली , तो उसने देखा कि एक हाथ और एक पैर उसकी कमर के उपर है | वह तो श्रेया के सोने के तरीकों को देखकर दंग रह गया | उसका मन कर रहा था कि श्रेया को उठाकर बाहर फेंक दें | क्योंकि जिस तरह वह सो रही थी।

ऐसे तो अक्षत को सोने की जगह नहीं मिलती | फिर खुद को शांत करके , उसने उसका हाथ हटाया , टांग हटाई , और उसे थोड़ा सा आगे किया | फिर सो गया | थोड़ी देर बाद अक्षत के मुंह पर किसी ने थप्पड़ मारा | गुस्से में अक्षत उठा और उसने देखा कि वह थप्पड़ और किसीने नही , बल्माकि था श्रेया ने मारा था ।

अक्षत ये देखकर दंग रह गया | वो सोचने लगा |

अक्षत : यह लड़की ,,, ( गुस्ऐसे मैं ) वैसे तो किसी के सामने इस लडकी की आवाज नहीं निकलती | और सोते समय इस लड़की को कोई देखे | ऐसे सोती है | जैसे राक्षस सोते हैं |

उसने श्रेया को ठीक से वापिस लेटाया और उसकी कमर में हाथ डाल कर सो गया | कुछ दिन ऐसे ही बीत गए | श्रेया के कॉलेज फिर से शुरू हो रहे थे | वो बहुत एक्साइटेड थी | क्योंकि अब उसका लास्ट ईयर था | इस लास्ट ईयर में श्रेया बहुत बिजी रहने वाली थी |

लगभग 2 महीने हो गए थे। अक्षत और श्रेया की शादी को हुए | पर अभी तक अक्षत ने श्रेया को बिना उसकी परमिशन से छुआ भी नहीं था | श्रेया अब अक्षत को जानने लगी थी | उसे अक्षत की पसंद नापसंद के बारे में पता लग गया था। उसे यह भी पता था , कि सनी को क्या पसंद है और क्या नहीं पसंद | उनके परिवार के बारे में सनी ने श्रेया को बहुत कुछ बता रखा था , |









हलानी अब तो श्रेया , अक्षत पर कभी-कभी गुस्सा भी करने लगी थी | एक बार तो जब , श्रेया ने अक्षत पर गुस्सा किया | जिससे अक्षत ओर श्रेया , दोनों दंग रह गये | पर फिर भी , अक्षत , श्रेया को हमेशा परेशान करता था |

आज कॉलेज का फिर से पहला दिन था और उसकी डिग्री का आखिरी साल | ये टाइम श्रेया के लिए बहुत इंपोर्टेंट था | क्योंकि इसके बाद , श्रेया अपना सपना पूरा करने के बारे मैं सोच रही थी |

सुशीला जी ( श्रेया की सगी माँ ) का सपना था , अपना ही एक रिस्टोन खोलने का | उसने अक्षत को अपनी मॉम के बारे में बहुत कुछ बताया था | हालांकि अक्षत सब जानता था | पर क्योंकि आज बहुत एक्साइटेड होकर उसे सब बता रही थी। तो अक्षत ने चुपचाप सब सुना |

कॉलेज के बाद अक्षत श्रेया को कॉलेज के पास पिक करने आया | श्रेया बोली |

श्रेया : आपको आने की क्या जरूरत थी। मैं खुद आ जाती | मैं घर आ जाती | आपको ऑफिस में बहुत सारा काम होगा |

श्रेया की बात सुन , अक्षत बोला |

अक्षत :"तुम उन सब की चिंता मत करो | अभी चलते हैं |

अक्षत श्रेया को पिक करने यूँ ही नहीं आया था | अक्षत को खबर मिली थी।" कि कोई श्रेया को स्टॉक कर रहा है | और अक्षत के यह बर्दाश्त से बाहर था। कि श्रेया कोई परेशान करें |

कुछ डियर बाद श्रेया ने नोटिस किया , की ड्राइवर कार को ऑफिस की तरफ ले जा रहा था। उसने अक्षत से पूछा |

श्रेया : हम कहा "जा रहे हैं ?

तो अक्षत ने श्रेया से कहा

अक्षत : " तुमने लंच किया है?

तो श्रेया ने ना मैं अपना सर हिला दिया | अक्षत ने कहा |

अक्षत : " ठीक है | पहले हम लंच कर लेते हैं | फिर चलते हैं |

अक्षत ने अभी तक श्रेया को बताया नहीं कि वह कहा जा रहे थे | श्रेया फिर अक्षत को शक की निगाहों से देख रही थी |