Vo Pehli Baarish - 52 - last part in Hindi Fiction Stories by Daanu books and stories PDF | वो पहली बारिश - भाग 52 - अंतिम भाग

The Author
Featured Books
  • My Passionate Hubby - 5

    ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा॥अब आगे –लेकिन...

  • इंटरनेट वाला लव - 91

    हा हा अब जाओ और थोड़ा अच्छे से वक्त बिता लो क्यू की फिर तो त...

  • अपराध ही अपराध - भाग 6

    अध्याय 6   “ ब्रदर फिर भी 3 लाख रुपए ‘टू मच...

  • आखेट महल - 7

    छ:शंभूसिंह के साथ गौरांबर उस दिन उसके गाँव में क्या आया, उसक...

  • Nafrat e Ishq - Part 7

    तीन दिन बीत चुके थे, लेकिन मनोज और आदित्य की चोटों की कसक अब...

Categories
Share

वो पहली बारिश - भाग 52 - अंतिम भाग


“सॉरी यार.. फालतू तुम्हारे इतने चक्कर लगवा दिए।", कैब में अपने साथ बैठे ध्रुव को देख कर, निया बोली।

“कोई नहीं।", ध्रुव मंद सा मुस्करा कर बाहर देखने लगा।

थोड़ी देर में निया की बिल्डिंग के बाहर पहुंचे, तो ध्रुव निया की मदद करते हुए, लहंगे का बैग ऊपर तक ले गया।

निया ने घंटी बजाई, तो सिमरन ने दरवाज़ा खोला, और धीरे से बोली।

“हाय.. सॉरी, वो तुम्हें भी परेशान कर दिया।"

“नहीं नहीं.. कोई नहीं।"

"अंदर आओ।", ध्रुव से लहंगे का बैग लेते हुए, सिमरन ने उसे थोड़ा साइड करके रख दिया।

“आंटी कहाँ है?”, निया ने पूछा।

“अंदर है, सफर से थकी हुई थी, तो मैंने सोने को कह दिया।"

“अच्छा.. मैं जाकर देखती हूँ।", ये कहते हुए, निया अपना बैग साइड में रख कर अंदर चली गई।

“तो कैसा रहा सब? मुझे गालियां तो नहीं दे रहे थे, की मैंने सब बर्बाद कर दिया।"

“अर्रे नहीं.. आपका काम भी तो ज़रूरी था।"

“हाँ, वो काम ही ऐसा है.. सब सही ना?”, ध्रुव के बुझे बुझे चेहरे को देखते हुए सिमरन ने पूछा।

“हाँ.. सब सही है।", ध्रुव ने शांत सा जवाब दिया।

“एक मिनट रुको.. मैं चाय लेकर आती हूँ।"

“अर्रे नहीं प्लीज चाय नहीं..”, ध्रुव ने बोला।

“ऐसे कैसे नहीं। आपने मेरे लिए इतना किया, तो ये तो मैं करूंगी ही।"

सिमरन जहां रसोई में जाकर चाय बनानी लग गई, वहीं आंटी से मिल कर आई निया, ध्रुव के साथ आ कर बैठ गई।

“ओए.. चाय।"

“कुछ खिला दे यार सिमी.. मैंने कुछ खाया ही नहीं, पता है वहाँ मुझे ऋषि मिले थे..”, ये बोलते हुए निया रसोई में चली गई।

“अच्छा.. चल मैं कपड़े बदल कर आती हूँ, और उनसे ही कुछ ऑर्डर करती हूँ, जल्दी आजाएगा। ध्रुव तुम भी खाओगे ना?"

“हहम्म?”, निया के पूछने पे ध्रुव ने हैरान होते हुए बोला।

“मैं भी क्या पूछ रही हूँ.. एक तो मैंने तुम्हारा खाना खराब किया, और अब ऊपर से ये सब बोल रही हूँ।", ये बोलते हुए निया अंदर चली गई।

“ये लो चाय..” , एक थाली में सजा कर दो कप चाय, बिस्किट और नमकीन डालते हुए सिमरन ध्रुव को देती है।

“धन्यवाद।", ध्रुव चाय की पियाली उठाते हुए बोला।

“अच्छा.. अब सिमरन की स्पेशल वाली कडक चाय पी रहे हो तो मुझे ये भी बता दो, की आखिर बात क्या है?”

“हह.. कुछ खास नहीं, मैं समझ नहीं पा रहा.. हो सकता है, मैं ही गलत हूँ।"

“समझ नहीं पा रहे हो तो दूसरों से बात करनी चाहिए। हो सकता है, की आपको लग रहा हो की ये लड़की कुछ ज्यादा ही मेरी ज़िंदगी में घुस रही है। पर मैं क्या करूँ, मेरा ऐसा ही है, जहां भी निया से जुड़ी बात आती है, मुझे सब जानना होता है। मुझे फिक्र है उसकी।"

“ऐसी कोई परेशानी वाली बात नहीं है। वो बस, निया जब दुकान पे गई, तो हमे ऋषि मिले.. और फिर कुछ एस हुआ की निया ने ऋषि को जब मुझसे मिलाया, तो मुझे उसका दोस्त बोला।"

“हह?”

“मतलब, मुझे दोस्त या कलीग कहलाने में कोई बुराई नहीं है, पर मुझे लगा था की हमारा रिश्ता अब आगे बड़ गया है, तो हम बिना किसी झिझक के एक दूसरे को उसी रिश्ते से मिलवाएंगे।"

“हहम्म.. जो की आपको एकदम ठीक लग रहा है। मतलब मैं आपकी जगह होती, तो मुझे भी यही लगता.. होती क्या मतलब जब थी, तो मेरे मन में भी यहीं आता था। ऐसा करने की निया की वजह तो मैं नहीं जानती.. पर मैं ये जरूर कहूँगी की आपको इस बारे में उससे बात करनी चाहिए।"

“हाँ.. मैं मौका देख कर उससे बात करूंगा।"

“क्या बातें चल रही है?”, अंदर से पाजामा टी -शर्ट पहने, बाहर आते हुए निया बोली।

“कुछ नहीं.. बस गप्पे।", सिमरन ने जवाब दिया।

“अच्छा.. मैंने खाने का ऑर्डर दे दिया है, पर ऋषि के वहाँ डेलीवेरी के लिए कोई है नहीं अभी, तो वो कह रहे है.. की खाना लेने के लिए हमे खुद ही आना होगा। तो मैं एक काम करती हूँ, की खाना ले आती हूँ, इतने तू पलटेस वग्रह निकाल दे।"

“हाँ।", सिमरन उठते हुए बोली।

“निया.. निया, तुम क्यों मैं जाता हूँ ना लेने।", ध्रुव निया को रोकते हुए बोला।

“हह?”

“मेरा मतलब.. तुम यहीं सिमरन के पास रुक जाओ, उसकी मदद करा दो, मैं इतने फटाफट ले आता हूँ।", यूं तो ध्रुव किसी भी परिस्थिति में यही करता.. पर अभी ये करना उसके लिए और जरूरी हो गया था, क्योंकि निया और कहीं नहीं ऋषि से मिलने जा रही थी।

“ठीक है।", सिमरन को देखते हुए निया ने कहा।

ध्रुव बाहर खाना लेने निकला, तो ऋषि को फोन करके ध्रुव के आने के बारे में बता कर निया भी सिमरन के साथ रसोई में आ गई।

थोड़ी देर पहले ही धुली प्लेट को साफ करके नीचे पटकते हुए सिमरन ने जब जोर से आवाज करी, तो निया ने पूछा।
“क्या हुआ?”

“कुछ नहीं।", ये बोलते ही सिमरन ने दूसरी प्लेट भी पटक दी।

कुछ देर बाद प्लेट चम्मच बाहर रखते हुई निया, को जब सिमरन ने कटोरिया पकड़ाई, तो अजब ही गुस्से में उसे देखा।

“क्या हुआ है, तू बताएगी?”

“कुछ नहीं, तुझे कहा तो।"

“देख मैं ना तुझे इतने समय से तो जानती हूँ, की तेरे कुछ ना होना बोलने में और कुछ ना होने में फर्क समझ सकती हूँ।"

“हहम्म.. अगर तू सब समझ सकती है, तो सुन.. मैं ये कहना तो नहीं चाहती , क्योंकि तेरे और ध्रुव की बीच की बात थी, पर फिर मैं कहे बिना रह भी नहीं पा रही।"

“क्या है, बता?”

“तू जब ऋषि से मिली, तो तूने ध्रुव को कलीग और दोस्त की तरह मिलवाया था?”

“अ. अ.. हाँ, तो क्या हो गया?”

“तो ध्रुव को बुरा लग गया।"

“पर इसमें बुरा लगने वाली बात क्या है?”

“बुरा लगने वाली बात क्या है.. ये वो निया कह रही है, जो अंकित की ऐसी ही एक हरकत पे दो दिन तक यहाँ बैठ कर बोले जा रही थी, की उसने ऐसा क्यों किया?”

“वो तो..”, निया ने शर्मिंदगी में अपना चेहरा नीचे कर लिया, और आगे बोली। "वो अगर सच बताऊँ तो, तो मैंने जब ध्रुव को हाँ कहा था तो इसलिए नहीं कहा था की मैं उसे पसंद करती हूँ, बल्कि बस इसलिए कह दिया था, की उससे बुरा ना लगे।", निया गर्दन नीचे करके ही अपनी पूरी बात बोलती है।

“क्या? तू क्या कह रही है?”, सिमरन ने हैरानी से पूछा।

“वो.. ध्रुव..”, निया ने सिमरन को जवाब देने के लिए गर्दन ऊपर करी, तो देखा की ध्रुव वहीं पीछे दरवाजे पे खड़ा था।

“खाना आ गया।", ध्रुव खाने के बैग को ऊपर दिखाते हुए बोला। वैसे तो इसके अलावा ध्रुव निया को कुछ नहीं बोला, पर उसकी उतरी शक्ल और हाव भाव देख कर निया बता सकती थी की उसने सब सुन लिया था।


*******************************************


“चलो खाना हो गया है, तो मैं चलता हूँ।", खाने के बीच में बिना कुछ ज्यादा बोले, ध्रुव खाना खत्म करके उठते हुए बोला।

“रुको.. रुको ना.. मीठा.. तुमने मीठा तो खाया नहीं, वो खाते जाओ।", निया ने हिचखिचाते हुए कहा।

“अ.. नहीं, अभी मन नहीं है। घर जाना है लेट हो रहा है, कुनाल भी सोच रहा होगा की कहाँ रह गया मैं।"

“ठीक है। मैं फोन करती हूँ बाद में।"

“ओके..” ये बोलते हुए ध्रुव निया के घर से बाहर निकल गया।

“तुझे क्या लगता है? उसने कुछ सुना होगा?”, सिमरन की तरफ देखती निया पूछती है।

“मुझे कैसे पता होगा.. अभी मुझे लोगों के दिमाग पढ़ना नहीं आया है ना।", सिमरन ने तंस कसते हुए कहा।

“तू तो कम से कम, मेरे साथ दे।", निया ने छोटा सा मुंह बनाते हुए कहा।

“क्यों? जब अंकित ने तेरे साथ बब्रेकअप किया था, तो मैं उसका साथ देती, तो तुझे कैसा लगता?”, सिमरन ने अपनी बात को और बुलंद करते हुए कहा।

“बुरा।"

“क्यों.. क्योंकि वो उस समय गलत था, उसने फैसला बिना बात करे ले लिया था। अब खुद को शीशे में देख, यही काम तू कर रही है, कुछ बातें तुझे उसे साफ बतानी चाहिए थी।"

“लेकिन..”

“लेकिन तुझे दया करने का ज्यादा शोक चड़ा हुआ था।", सिमरन गुस्से में बोलते हुए अंदर कमरे में चली जाती है।

“सिमु.. सुन तो।"

कुछ देर बाद, अपने फोन को घूरती हॉल में बैठी निया खुद से कहती है। "उस दिन तो बहुत शोक था तुम्हें.. पहुंचते ही मैसेज कर दिया था.. और आज कुछ मैसेज नहीं किया।"
"कहीं फस तो नहीं गया।", अपना फोन उठा कर लॉक स्क्रीन से कॉल और मैसेज चेक करते हुए वो बोली।

“मैं करलु.. या रहने दूँ.. रहने देती हूँ.. नहीं कर लेती हूँ.. क्या कहेगा वो की आज मैंने निया की इतनी मदद करी, पर उसमें इतने भी शिष्टाचार नहीं, की मुझसे एक बार फोन करके पूछ ले की मैं पहुँचा या नहीं।", अपनी आखिरी बात पे खुद को मनाते हुए अपने बंद फोन को घूरती निया, फटाफट से फोन उठाती है और ध्रुव को फोन मिला देती है।

“हैलो ध्रुव..”

“हाय निया।"

“वो मैं पूछ रही थी ना, की तुम घर पहुँच गए सही से।"

“हाँ।"

“अच्छा..”, ध्रुव के इस शब्द के जवाब को सुन कर निया सोच में पड़ गई। वो ध्रुव जो अक्सर अपनी एक बात के साथ दो चार बातें जोड़ कर निया को बता देता था, आज इतना शांत कैसे है?

“तुम ठीक हो ना?”, कुछ सेकंड के अंतराल के बाद निया ने ध्रुव से पूछा।

“हाँ.. मुझे क्या होना है। अच्छा सुनो.. मुझे कुछ काम है, तो मैं तुमसे बाद में बात करता हूँ।"

“ठीक है, बाय।"

“बाय"

अगली सुबह ऑफिस में कॉफी टेबल पे अपने फोन को घूरती निया, फिर खुद से बोलती।
“ये बाद में कब आएगा?”

वो इतना बोल ही रही होती है, की उसका फोन बज पड़ता है।

“ध्रुव..”, वो खुश होते हुए फोन उठाती है, तो देखती है, की स्क्रीन पे चंचल का नाम आ रहा है।

“हाँ चंचल बताइए।", ये कहते हुए निया ने फोन उठाया, तो चंचल ने उसे बहुत सारा काम उसे थमा दिया।

लगभग तीन दिन हो गए थे, निया अपने काम की वजह से ध्रुव से बात नहीं कर पाई थी, और ध्रुव ने भी निया को फोन नहीं किया था।
अचानक की अपने आस पास किसी को फोन पे हाय ध्रुव, कैसे हो बोलते सुना तो उसने अपना माथा पकड़ लिया।

“इतना टाइम हो गया, इसने एक बार भी फोन नहीं किया। मैं सही थी, इसने सब कुछ सुन लिया था।"

शाम में काम से फ्री हुई निया, अपने डेस्क से दूर जाकर अपना फोन निकालती है, और ध्रुव का फोन मिलाती है।

दो तीन बार पूरी घंटी जाने के बावजूद भी जब ध्रुव फोन नहीं उठाता तो निया चिढ़ जाती है, और उसके फोन पे मैसेज छोड़ देती है।
“मुझे तुरंत फोन करो।"

कुछ देर बाद, जब निया घर जाने के लिए बस में सवार होती है, तो कोई पीछे से उसके कंधे पे हाथ रखता है।

“ध्रुव..”, मुस्करा कर ध्रुव का नाम लेकर पीछे देखती है, तो एक लड़की उससे जाने का रास्ता मांग रही होती है।

वो साइड होती है, की इतने उसका फोन बज जाता है, फोन ध्रुव का था।

“हाय निया.. कुछ ज़रूरी था क्या, ऐसा मैसेज छोड़ा तुमने।"

“हाँ.. मुझे तुमसे मिल कर बात करनी है।", निया ने गंभीरता से बोला।

“पर अभी तो मुश्किल है, आजकल काम ज्यादा है, तो मैं तुमसे मिलने तो नहीं आ पाऊँगा।"

“कोई नहीं.. आजकल में मत आओ, वीकिन्ड पे मिलते है।"

“हहम्म?”

“शनिवार, 6 बजे.. ब्लूहार्ट कैफै, मैं तुम्हारा इंतज़ार करूंगी।"

“अच्छा।", ध्रुव की तरफ से बस इतना ही जवाब आया तो निया ने फोन काट दिया।
***********************

“सिमो.. सुन ना, कम से कम तू तो मेरी बात सुन, जा रही हूँ मैं ध्रुव से बात करने.. अब तो मान जा।", सिमरन जो उस दिन से निया से ठीक से बात नहीं कर रही थी, निया उसे मनाते हुए बोली।

“पहले बात करके आ.. फिर देखेंगे..”, सिमरन ने निया से कहा।

“ठीक है। मैं निकल रही हूँ.. उससे मिलकर ही आऊँगी।", शाम के लगभग 4:30 बज रहे थे, जब निया घर से कैब में निकली।

"मैडम आपका स्टॉप यही है ना", बड़ी बड़ी साँसे भर कर अपने मन ही मन में निया ये सोच रही थी, की ध्रुव को क्या कहेगी, की तभी कैब वाला बोला।
निया पैसे निकाल कर कैब वाले को दे ही रही थी, की इतने में रेडियो पे न्यूज आई, “रवि, कयास तो ये लगाए जा रहे है, की इस महीने की ये पहली बारिश.. पिछले कई महीनों की बारिश से तेज़ होगी।"

“अभी तो पूरा आधा घंटा है, ध्रुव को आने में, तब तक पास की मार्केट ही देख आती हूँ।", खुद से ये सोचते हुए, निया मार्केट की तरफ बढ़ गई।

निया को अभी कुछ ही देर हुई थी मार्केट में घूमते हुए, की तेज हवा चलने लगी, और अभी कुछ पल ही हुए थे, की बारिश की बूंदे भी गिरनी शुरू हो गई। निया कैफै की ओर भाग रही थी, की इतने में बारिश और तेज हो गई और एकदम से उसका पैर किसी चीज में अटका और वो गिर गई।

वो अपने पैर को अभी देख ही रही होती है, की जो झामझम बारिश की बूंदे उसपे पड़ रही थी, वो थम जाती है।

ऊपर दिखते पीले छाते को देख कर वो पीछे मुड़ी तो ध्रुव ने उसे खड़े होने के लिए हाथ दिया।

ध्रुव का हाथ पकड़ कर उठती निया, उसको ध्यान से देखे जा रही थी, और मन ही मन उसके चकोर लंबे चेहरे, बड़ी चड़ी बोहे, काली बड़ी आँखें और कारीने से सधे हुए बाल को देख कर सोचती की ये हमेशा इतना हैन्डसम था या आज कुछ ज्यादा ही लग रहा है।

“चले?”, निया के आगे चुटकी बजाते हुए ध्रुव ने पूछा।

****************************************

“पक्का.. सिर्फ होट चॉकलेट से काम चल जाएगा।", ब्लूहार्ट कैफै में ध्रुव के सामने बैठी हुई निया, रेड-व्हाइट कलर का लॉंग बिना बाजू का टॉप और ब्लू जीन्स जो दोनों ही बारिश में भीग गए थे, को देखते हुए ध्रुव बोला।


“हाँ, ये एकदम ठीक है।"


“तुम उस काफी सी देर में भी बहुत भीग गई, मैं कहीं से जाकर, कुछ और लेकर आऊ?”


“नहीं, मैं ठीक हूँ।", निया अपने सामने बैठे ध्रुव की चिंतित आँखों में देखते हुए बोली।


“ठीक है, पर इतना तो कर सकता हूँ।", आगे बढ़ कर अपनी शर्ट उतार कर निया पे डालते हुए, ध्रुव ने कहा।


“ये क्या?”


“मेरे पास तो टी-शर्ट है ना! तो चिंता मत करो।"


निया ने अपने होट चॉकलेट की चुसकियाँ ली और आराम से बैठ कर ध्रुव से बात करने लग गई।


कुछ देर दोनों ने इधर उधर की बातें करी, की इतने में ध्रुव बेमना सा निया की आँखों में देख कर बोल पड़ा।


“अच्छा.. अब तुम्हारा हो गया, तो चले हम? मैं तुम्हें कैब तक छोड़ दूंगा।"


“अ. अ. नहीं ऐसे कैसे? मुझे अभी तुमसे बात करनी है।”


“क्या बात?”

“तुमने उस दिन सब सुन लिया था?”


“क्या सब? वहीं सब जिसमें तुम कह रही थी की इस रीलैशन्शिप में आकर तुम मुझ पे अहसान कर रही हो, और कुछ नहीं।", ध्रुव ने अपने हाव भाव को संभालते हुए बोला।


“नहीं.. तुम गलत समझ रहे हो, मैं तुम पे कोई अहसान कैसे कर सकती हूँ।", निया ने ध्रुव को समझाते हुए बताना चाहा।


“कहाँ गलत था मैं? क्या तुम मुझे पसंद करती हो इसलिए हाँ बोला था?”


“नहीं, इसलिए तो नहीं बोला।", अपनी गर्दन नीचे करते हुए निया ने कहा।


“तो फिर क्या, मुझ पे दया करने के लिए किया था?”


“नहीं.. तुम ऐसा क्यों बोल रहे हो, मैंने ऐसे कभी नहीं सोचा।"


“देखो निया.. हम ये सब यही खत्म कर सकते है, मैं नहीं चाहता की तुम किसी ऐसे रिश्ते में रहो, जो तुम पे थोपा जाए।"


“पर?”


“सैंडविच खाओगी?”, ध्रुव ने टेबल से उठते हुए बोला।


5 मिनट बाद जब ध्रुव सैंडविच ले कर आया तो उनमें से एक सैंडविच निया के आगे करके, उसकी तरफ बिना देखे वहाँ बैठ गया।


“तुम ऐसा क्यों कह रहे हो की सब खत्म करना है? कुछ भी हो जाए, हम दोस्त तो रहेंगे ही?”, निया ध्रुव को आँखें छोटी छोटी करते हुए देख कर बोली।


“शायद नहीं.. तुम वहाँ रहोगी और मैं यहाँ, दोस्ती निभाने का समय नहीं होगा हमारे पास।", ध्रुव ने बिना निया की तरफ देखते हुए बोला।


“पर मैंने ये सोच कर हाँ नहीं बोला था..”, निया ने ध्रुव की तरफ उम्मीदों से देखते हुए बोला।


“मुझे लगता है, कुछ बातें हम यूं ही छोड़ दे तो ज्यादा अच्छा है।", ये बोलते हुए ध्रुव अपना सैंडविच खाने लग गया।


कुछ देर बाद निया ने ध्रुव की शर्ट वापस करी और बोली।

"कैब आ गई है, तो मैं चलती हूं।"

निया के साथ कैब तक आए ध्रुव ने भी उसे अलविदा कहा और अपने घर की ओर चल दिया।


“क्या सचमुच अब हमारी कभी बात नहीं होगी?”, निया मन ही मन सोचते हुए कैब से उतरी।


वो अभी अपने घर के अंदर पहुँची ही थी की उसे सिमरन हॉल में बैठी दिख गई।


“तू?”


“हाँ.. मम्मी की दोस्ती नीचे वाली आंटी से हो गई, तो वो उनके साथ शॉपिंग खत्म करने चली गई। ये मम्मियाँ भी ना गजब ही होती है।"


“हां.. वो तो है। पर तू क्या कर रही है?”, निया ने हंसते हुए बोला।


“मैं क्या ही करूंगी, और कुछ नहीं था, तो अपने होने वाले पति से बात कर रही थी।"


“सही चल रहा है तेरा।", निया ये कहते हुए अंदर कपड़े बदलने चली गई।


कुछ देर बाद जब अंदर से पजमा टी-शर्ट पहन कर बाहर आई तो वहीं आराम से बैठी सिमरन के बगल में बैठते हुए बोली।


“अच्छा सुन… ध्रुव से बात कर ली मैंने।"


“हहम्म.. क्या बोला फिर वो।", वहीं आँखें बंद करके बैठी सिमरन पूछती है।


“कह रहा है, की सब खत्म करते है।"


“क्या?”, एकदम से उठते हुए सिमरन ने पूछा।
“मतलब.. और तूने क्या बोला उसे?”, सिमरन ने आगे जोड़ा।


“कुछ नहीं। मतलब उसने कुछ कहने ही नहीं दिया, बस हाँ और ना में सवाल किए, और फैसला बता दिया।"


“उसने ऐसा किया?”


“हाँ..”, निया की ये बात सुनकर सिमरन चकित हो गई।

"एक बात बता मैं ये सोच रही थी, की क्या ये भी मेरी फेलड रीलैशन्शिप होगी?”, कुछ पल मौन रहने के बाद निया ने पूछा।


“हहम्म? तूने क्या बहीखाते में लिखना है?”


“नहीं, पर फिर भी क्या है ये?”


“कोई भी काम अगर पूरे मन से ना किया जाए, तो आप उसमें नाकामयाब ही होते हो। तो तेरी ये रीलैशन्शिप.. हाँ, वो भी तेरी पिछली रीलैशन्शिप की तरह नाकामयाब थी।"


“ठीक है.. मुझे ना नींद आ रही तो मैं सोने जा रही।", सिमरन की बात का इतना सा जवाब देकर निया अंदर अपने कमरे में चली जाती है।


“ओहो.. ये क्या हो गया, मैंने तो सबको बता दिया था की निया का एक बॉयफ्रेंड है अब, तो कोई उसे शादी में अंकित के नाम से चिड़ाये नहीं। ओर ये क्या कर आई।", सिमरन अपने फोन में ग्रुप चैट जैसा कुछ खोल कर, आगे पीछे करते हुए परेशान सी होती हुई खुद से बोली।


“अब क्या करूँ.. निया तो मुझे जान से ही मार डालेगी... पर उसे बताना तो होगा।", एक लंबी सांस भरते हुए सिमरन बोली।


“ओए सुन..”, अंदर कमरे में जाकर, निया को नींद से उठाते हुए , सिमरन बोली।


“देख अगर अभी तो फिर से कोई लेक्चर देने आई है, तो मेरा मन नहीं है कुछ भी सुनने का।"


“नहीं.. लेक्चर नहीं दे रही, तू सुन तो।"


“बोल..”


“वो हुआ क्या ना.. हुआ ये ना..”, निया का परेशान सा चेहरा देखते हुए सिमरन आगे कुछ बोल ही नहीं पा रही थी।


“बोल!!! क्या बात है? तूने उससे मिलने जाना है और आंटी मना कर रही है?”


“तुझे कैसे पता.. मम्मी ने मना किया है?..”


“सुबह सुना था आंटी को किसी से बात करते हुए कह रही थी, की आजकल के बच्चे कुछ भी करते है.. पर अब मैं यहाँ हूँ ना, देखती हूँ इन्हें, अब नहीं मिलेंगे ये शादी से पहले।", निया ने मुस्कराते हुए सिमरन को सब बताया।


“हाँ यार.. उन्होंने मना कर दिया, पर वो कोई नहीं, हम अभी विडिओ कॉल से ही काम चला लेंगे। तू ना मुझे ध्रुव का नंबर दे दे।"


“हहह.. क्यों?”


“शादी में बुलाना है, उसे अब कितना खराब लगेगा ना, मैंने उसके सामने इतना शादी शादी किया और फिर बुलाया भी नहीं।"


“मझे तो नहीं लगता कुछ भी खराब लगेगा, ऐसे सब को थोड़ी बुला लेते है कोई शादी में।"


“अर्रे सबको नहीं.. पर उसने तो मेरी दोस्त का इतना ख्याल भी रखा है ना।"


“कौन सा ख्याल? उससे ज्यादा तो रिया ख्याल रखती थी।"


“यार.. तू नंबर दे रही है या नहीं दे रही.. बस बहस ही करे जा रही है।"


“अच्छा.. देती हूँ।"

***********************************************


सिमरन की शादी का समय आ गया, और निया के साथ साथ सिमरन के और दोस्त भी उनके फ्लैट पे आने शुरू हो गए।

वहीं पास ही के एक बैंगक्विट हॉल में सिमरन की मेहंदी और संगीत की रसम होनी तय हुई थी, और सब लोग वहीं के लिए निकल रहे होते है, की इतने में निया और सिमरन की एक दोस्त ने निया को रोका और पूछने लगी।

“ओए.. कहाँ है तेरा बॉयफ्रेंड? हमे भी तो मिलवा उससे, सिमरन कह रही थी की बहुत सुंदर है वो।”

“हह?”, बिना किसी हाव भाव के उसकी बात को हजम करते हुए निया सिमरन की तरफ देखती है और मन ही मन बोलती है, “जब इसे माना करो, तब इसने जरूर पूरी दुनिया में गाना है।"

“वो.. वो आएगा थोड़ी देर में, तो मिल लेना, अभी चले?”, निया ने उन्हें टरकाते हुआ कहा।

बैंगक्विट हॉल पहुँच कर निया जहाँ इधर उधर की तैयारियां देखने लग गई, वहीं पीछे से ध्रुव भी वहाँ पहुँच गया।

ध्रुव पहुंचते ही सिमरन के पास गया।

“हाय सिमरन! अच्छी लग रही हो।”, ध्रुव ने हरे और गुलाबी रंग का लहंगा पहनी सिमरन को देख कर धीरे से कहा।

“धन्यवाद तारीफ के लिए भी और आने के लिए भी.. तुम मेरी बात मान कर, मेरी फ्रेंड के लिए यहाँ तक आए।"

“तुम्हारी ही नहीं.. वो मेरी भी दोस्त भी है, तो इतना तो मैं उसके लिए कर ही सकता हूँ।"

“पक्का?”, सिमरन ने हँसते हुए पूछा।

“हाँ..”

“ओए सुनो..”, सिमरन ने पास खड़े अपने दोस्तों को बुलाते हुए कहा। "इनसे मिलों ये है ध्रुव.. निया के बॉयफ्रेंड।", सिमरन ने ध्रुव की तरफ इशारा किया तो वो थोड़ा बेचैन सा हो गया, पर फिर वो एक एक करके सबसे आराम से मिला।" निया अभी भी कहीं और व्यस्त थी , तो ध्रुव ऐसे ही इधर उधर घूमने लगा।

कुछ देर बाद जब निया सिमरन को कुछ बताने आई, तो सिमरन बोली।

“तू ये क्या कर रही है, अब तो सब लोग आ गए है.. वो अपने आप देख लेंगे। तो ध्रुव को जाकर देख।"

“हह?”

“मैंने ध्रुव को बुलाया था ना, तो वो आ गया।"

“सच में, वो आया हुआ है?”

“हाँ.. ऐसा हो सकता है क्या, की मैं बुलाऊ किसी को और वो ना आए।"

“बिल्कुल मेरी क्वीन विक्टोरिया..”, निया ने हँसते हुए सिमरन की तरफ देखा।

“चुप कर और उसे ढूंढ।", सिमरन के कुछ रिश्तेदार उससे मिलने आए हुए थे तो उसने निया को हाथ दिखाते हुए धीरे से कहा।

निया वहाँ से अभी ध्रुव को ढूँढने के लिए मुड़ी ही थी, की उसने पाया की ध्रुव उसके सामने खड़ा है।

“अ. अ. अच्छी लग रही हो।", खुले बाल, माथे पे एक छोटी सी बिंदी, कानों में लटकते झुमके, और हरे ज़री के काम वाला अनारकली पहने निया को देख कर ध्रुव की साँसे एक पल के लिए थम गई, और दूसरे ही पल उसके मुंह से निया की तारीफ निकल गई।

“तुम भी बहुत अच्छे लग रहे हो।", लंबी सांस लेते हुए हरे कुर्ता पजामा और ऊपर से सफेद जैकिट पहने ध्रुव को देख कर निया बोली।

“आज ही अच्छा लग रहा हूँ, बस? तुम्हारे मुंह से ऐसा कुछ मैंने पहली बार सुना, वैसे।”, ध्रुव ने निया को चिड़ाते हुए कहा।

“नहीं.. हमेशा ही अच्छे लगते हो। तुम्हें पता भी है, सिमरन ने तुम्हारे बारे में इन लोगों को क्या कहा है?”, निया ने हँसते हुए बोला।

“क्या कहा है?”, ध्रुव ने ये पूछा ही था, की इतने में निया के दोस्त उनकी तरफ आए और निया से बोले।

“निया, तुम्हारा बॉयफ्रेंड..”

“वो नहीं आ रहा आज।", निया ने उनकी बात पूरी होने से पहले ही उन्हें काटते हुए बोला।

“हह? तो ये कौन है? सिमरन ने अभी तो इसे तुम्हारा बॉयफ्रेंड कह कर मिलवाया।", निया की एक दोस्त ने सवाल किया।

“वो मैं.. वो मैं सबको बताना नहीं चाहता था पहले, तो इसलिए निया ने ऐसे कहा।", ध्रुव ने निया की तरफ जाते हुए कहा।

“अच्छा। पक्का यही बात है या कुछ और?", उन में से एक ने बोला, जिसपे ध्रुव ने सिर हिला दिया, और निया को उसकी बाजू से पकड़ कर अपने और पास कर लिया।

कुछ देर बाद दूल्हा और दुल्हन स्टेज पे थे, और कुछ लोग डीजे पे परफॉरमेंस देने आ रहे थे, और कुछ उन दोनों को आकार बधाइयाँ दे रहे थे। जब निया उनके पास पहुँची, तो सिमरन अपने होने वाले पति से बोली।

“तुम्हारी भी दोस्त है ना ये.. अक्ल दो इसे थोड़ी, फिर से ब्रेकअप कर लिया है इसने।", सिमरन ने ये बात शायद थोड़ी जोर से बोल दी थी, तभी तो ये बात उनके पास ही खड़ी उनकी कुछ सहेलियों को सुन गई थी।

“तू सचमुच हमे अपना दोस्त नहीं समझती ना?”, सिमरन के पास से आई हुई निया को उसके दोस्त पूछते है।

“मतलब.. क्या हुआ?”, निया ने उनकी तरफ हैरानी से देखते हुए कहा।

“तेरा ब्रेकअप और तूने हमे बताना ज़रूरी भी नहीं समझा। ये सब तो चलता रहता है, आजकल, कभी कुछ हो जाता है और कभी कुछ.. वैसे ऐसा हुआ क्या था?”, निया की सहेली उसे सिमरन से थोड़ा दूर लेकर आते हुए पूछती है।

“अ. अ…”, निया कुछ बोलने का सोच ही रही होती है की इतने ध्रुव जिसने ये सब बातें सुन ली थी, उस तरफ आकर बोलता है।
“निया ने छोड़ा था मुझे.. वो मैं उसके लायक नहीं हूँ ना इसलिए।"

“ऐसे कैसे, इससे ज्यादा अच्छे दिखते हो आप।।।"

“हर अच्छा दिखने वाला इंसान अच्छा नहीं होता ना।", ध्रुव ने आगे बढ़ कर निया की सहेली की आँखों में अपनी आँखे बड़ी करके देखते हुए कहा।

निया की सहेली ध्रुव की ये बात सुन कर थोड़ा पीछे हुई, और निया से बोली, “अच्छा सुन.. हम कुछ खाने जा रहे है, तू चल रही है?"

“हाँ.. चलेगी क्यों नहीं, अब क्यों ड्रामे करेगी..”, निया की दूसरी सहेली ने उसे बाजू से पकड़ते हुए कहा।

निया अभी भी उस ध्रुव को ही देख रही थी, जो उसे बचाने के लिए बीच में बोल पड़ा था।

ध्रुव जो अब निया और उसकी सहेलियों के जाने से वहाँ अकेला हो गया, एक दो मिनट के लिए इधर उधर देखता रहा और फिर धीरे से बाहर की और बढ़ने लग गया।

अपने दोस्तों का साथ छोड़ कर निया, जब बैंगक्विट हॉल की बालकनी में पहुँच कर कुछ सोचने की कोशिश कर रही होती है। तभी उसका ध्यान बाहर जाता है।
बाहर तेज़ हवाएँ चल रही थी, और अचानक ही उसके देखते देखते बारिश भी शुरू हो गई।
बारिश के शुरू होते ही निया के आगे जैसे ध्रुव और उसकी पहली मुलाकात से उस बारिश की आखिरी मुलाकात तक के सारे किस्से तरोताजा हो गए।

“अगर ये प्यार नहीं है तो प्यार क्या है?”, उसके ध्रुव को देखने के अंदाज में जो बदलाव आया था, वो याद करके निया ने खुद से कहा, और फटाफट साथ वाले कमरे में भागी।

एक हाथ से छाता उठाती निया, दूसरे हाथ से फोन उठा कर ध्रुव को कॉल करने की कोशिश कर रही थी।

“ये फोन क्यों नहीं उठा रहा है।", नीचे जाने के लिए लिफ्ट के बटन दो-चार बार दबाती हुई बोली।
ध्रुव के फोन उठाने से पहले, लिफ्ट आ गई, और निया नीचे जाने के लिए उसमें चढ़ गई। नीचे पहुँच कर, अभी लिफ्ट का दरवाजा खुला ही था, की ध्रुव ने फोन उठा लिया।

“हैलो..”

“हैलो ध्रुव.. कहाँ हो तुम?”

“ऊपर ये जो ब्राइडल रूम टाइप कमरा है उसके पास आया हूँ, इनके ऑफिस में, क्या हुआ?”

“ऊपर.. ओह शेट..”

“क्या हुआ?”

“तुम वहीं ब्राइडल रूम में रुकना.. मैं वहीं आ रही हूँ।"

“ठीक है।", ये सुन कर निया फोन काट देती है, और वो अधीरता से लिफ्ट का बटन दबाने लगती है, पर जब कई बार की कोशिशों के बावजूद भी वो नहीं आती, तो उसने छाता वहीं पटका और वो अपना सूट उठाते हुए सीढ़ियों की तरफ भाग गई।

जैसे तैसे भाग कर ऊपर पहुँची निया को जब ध्रुव देखता है, तो पूछता है।

“क्या हो गया ऐसा.. ऐसे क्यों भाग रही हो?"

ध्रुव के सवाल का जवाब दिए बिना निया अंदर कमरे में जाकर अपनी साँसे नॉर्मल करने की कोशिश करती है।


ध्रुव भी निया के पीछे उसके जवाब के इंतज़ार में अंदर आ जाता है।

अपने पीछे खड़े ध्रुव को महसूस करते हुए निया, फट से पीछे मुड़ती है, और उसे अपने बाहों में समाने की कोशिश करती है।

“आई एम सॉरी ध्रुव.. मैंने समझने में देर कर दी, पर ये प्यार है ध्रुव.. प्यार है, और कुछ नहीं। इतना प्यार है की तुम्हें देखूँ तो देखती रह जाऊ, तुम हो तो खुश हो जाऊ, तुम ना हो तो सड़ जाऊ, और मेरा भी ये प्यार बिल्कुल वैसा नहीं है, जैसा मैं कुनाल या रिया के लिए महसूस करती हूँ।"

ये सुनते ही ध्रुव ने भी निया की कमर पे अपने हाथों को कस कर उसे गले से लगा लिया, वो समझ ही नहीं पा रहा था, की वो किस बात से ज्यादा खुश है की निया ने अपने प्यार का इजहार कर दिया है, या उसके गले लगने से।

निया को अपने हाथों से अपने पास रखते हुए, अपने मुंह पीछे कर, उसकी आँखों में देखते हुए ध्रुव ने बोला।

“तुम सच कह रही हो ना, कोई मज़ाक तो नहीं कर रही?"

ध्रुव की ये बात सुनते ही निया हल्का सा मुस्करा दी, और अपने होट ध्रुव के होंटों पे रख दिए...
“अभी भी मज़ाक लग रहा है?”, निया ने हँसते हुए ध्रुव से पूछा, जिसपे उसने मुस्कराते हुए एक पल अपनी गर्दन नीचे करी और दूसरे ही पल उसने भी निया की तरह अपने होट उसके होटों पे रख उसे किस्स कर लिया।