Tere Ishq me Pagal - 10 in Hindi Love Stories by Sabreen FA books and stories PDF | तेरे इश्क़ में पागल - 10

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तेरे इश्क़ में पागल - 10

अहमद ज़ैनब के रूम में गया तो सानिया उसे समझा रही थी।

"क्या पट्टिया पढ़ाई जा रही है मेरी भाभी प्लस बहेना को।"
अहमद ने मुस्कुरा कर कहा।

"कुछ पट्टिया वट्टीया नही पढ़ा रही हु और तुम्हारा टांग अड़ाना जरूरी है क्या।" सानिया ने चिढ़ कर कहा।

"ओह मैडम मैं ने पट्टियों का नाम लिया है। वैसे यह वट्टीया क्या होती है?" अहमद ने ज़ैनब के पास बैठते हुए कहा।

"तुम अपने काम से काम रखो।" सानिया ने झुंझला कर कहा।

"तुम दोनों चुप करो क्यों पागलों की तरह लड़ रहे हो।" ज़ैनब ने तंग आ कर कहा।

"तुम हमे कह रही हो जैनी!" सानिया ने हैरान हो कर कहा।

"नही, तुम दोनों के यहां कोई और पागल है क्या।" ज़ैनब ने चिढ़ कर कहा।

दोनो ने ज़ैनब की तरफ देखा और फिर एक दूसरे को हाईफाई दे कर हँसने लगे।

ज़ैनब उन दोनों की इस हरकत पर मुंह बना कर बैठ गयी।

सानिया अहमद को फ्रैंकली होते देख कर बोली:"अब ज़्यादा खुश फहमी में ना रहना बंदर।" यह कह कर वोह ज़ैनब को बाये बोल कर कमरे से भाग गई।

"पागल लड़की।" अहमद ने मुस्कुरा कर कहा और फिर ज़ैनब से बोला:"भाभी मैं आपके लिए खाना ले कर आता हूं खाना खाने के बाद आप रेस्ट कर लेना।" यह कह कर वोह कमरे से बाहर निकल गया।

अहमद बाहर आने के बाद मासी से ज़ैनब के कमरे में खाना पहुचाने कह रहा था ज़ैन वहां खड़ा था। अहमद उसे इग्नोर करके सानिया के पास चला गया। यह देख कर ज़ैन ने अपनी मुट्ठियां भींच ली।

"चलो मैं छोड़ देता हूं, बहोत देर हो गयी।" अहमद ने सानिया से कहा।

"कोई ज़रूरत नही मैं चली जाउंगी।" सानिया ने आगे बढ़ते हुए कहा।

"कैसी जाओगी?" अहमद ने पूछा।

"जैसे भी जाऊं तुम्हे इससे क्या?" सानिया ने अपनी हंसी दबाते हुए कहा।

वोह आगे बढ़ी ही थी कि तभी अहमद ने उसका हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खींच लिया। अहमद ने एक हाथ उसकी कमर में डाला और दूसरे हाथ से उसकी लटों को पीछे करते हुए बोला:"बोल रहा हु मैं छोड़ देता हूं तो ज़िद क्यों कर रही हो।"

सानिया की तो सांसे ही अटक गयी थी। अहमद की गर्म सांसे सानिया को अपने चेहरे पे महसूस हो रही थी। अहमद थोड़ा झुकते हुए उसके कान के पास जा कर बोला:"वैसे तुम्हे देख कर दिल मे कुछ कुछ होता है।" अपनी बात पूरी करते ही अहमद झटके से उससे दूर हो गया और लंबे लंबे कदमो से चलता हुआ बाहर चला गया।

अब क्या मैं तुम्हे गोद मे उठा कर कार में बिठाऊँ।

सानिया का पूरा चेहरा लाल हो गया था वोह जल्दी से वहां से भागते हुए कार में आ कर बैठ गयी।

उसकी शक्ल देख कर अहमद ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा।
सानिया ने अहमद को घूर कर देखा तो अहमद अपनी हंसी दबाते हुए चुप चाप गाड़ी चलाने लगा।

........

अहमद जब वापस आया तो ज़ैन सिगरेट पी रहा था। वोह ज़ैन को इग्नोर करता हुआ सीधा सोफे पर जा कर बैठ गया और गेम खेलने लगा।

अहमद.........मेरी जान.......अहमद यार........

ज़ैन अहमद को आवाज़ दे रहा था लेकिन वोह उसे इग्नोर कर रहा था।

अहमद यार सुन तो सही...... ज़ैन उसे बुला ही रहा था कि अहमद ने ब्लूटूथ निकाला और अपने दोनों कान में लगा लिया। ज़ैन को उसकी इस हरकत पर बहोत गुस्सा आया। वोह गुस्से से उठा और उसके हाथ से फ़ोन छीन कर ज़मीन पर दे मारा।

उसकी इस हरकत पर अहमद का दिमाग घूम गया।अहमद उसका कालर पकड़ कर गुस्से से बोला:"तू अपने आपको समझता क्या है, तुझे गुस्सा आएगा तो तू तोड़ फोड़ करेगा, अब अगर कुछ तोड़ा ना तो मैं तेरा मुंह फोड़ दूंगा।"

अहमद की बात सुनकर ज़ैन ने उसे सोफेपर गिराया और खुद उसके ऊपरचढ़ कर बैठ गया।

"मैं तो समझता था मैं तेरी जान हु और तू मुझसे ऐसे नाराज़ हो गया है कि मुझे माफ़ भी नही कर सकता।" ज़ैन बेचारगी से कहा।

उसकी बात सुनकर अहमद ने अपना मुंह दूसरी तरफ फेर लिया।

"यार अहमद ऐसा मत कर तू जानता है ना तेरी नाराज़गी मुझसे बर्दाश्त नही होती।" ज़ैन ने कहा।

"तो तू अपने काम ठीक से किया कर ना तो मैं नाराज़ भी नही होऊंगा।" अहमद ने बिना उसकी तरफ देखे ही कहा।

ज़ैन की आंखों के आंसू सीधा अहमद के गालों पर गिरे। उसने तड़प कर ज़ैन को देखा।

"यार ज़ैनु तो रो मत मैं अब तुझसे नाराज़ नही हु।" अहमद ने उसे गले लगाते हुए कहा।

"अहमद दोबारा ऐसा मत करना तू जनता है तेरे इलावा मेरा कोई भी नही है।" ज़ैन ने उससे दूर होते हुए कहा।

"यार मेरा दिल तो बहोत कर रहा था मैं निकाह के वक़्त तेरे पास रह तुझसे बाते करूँ लेकिन तुझे सज़ा देना भी ज़रूरी था।" अहमद ने अपने दांत दिखाते हुए कहा।

"अच्छा एक मिनट तू यही बैठ।" ज़ैन ने उससे कहा ऐरगे बढ़ कर ड्रावर से फास्टेडकीट ले कर आया और उसकी हाथ की पट्टी करने लगा।

"मुझे अब तू नया फ़ोन ला कर दे।" अहमद ने नूंह फुलाते हुए कहा।

"ठीक है कल ला कर देदूँगा।" ज़ैन ने उसका सिर सहलाते हुए कहा।

"नही मुझे अभी के अभी चाहिए मुझे गेम खेलना है।" अहमद छोटे बच्चो की तरफ ज़िद करते हुए बोला।

ज़ैन अपनी पॉकेट से अपना फ़ोन निकाल कर उसको देते हुए बोला:"फिलहाल तो तू इसी से काम चला, नया फ़ोन तो तुझे कल से पहले नही मिलेगा।"

"मैं शाह जी का फ़ोन कैसे यूज़ कर सकता हु, तौबा....तौबा।" अहमद अपने दोनों कानो को पकड़ता हुआ ड्रामाटिक्ल अंदाज़ में बोला।

उसकी बात सुनकर ज़ैन हँसने लगा।

"यार ज़ैनु एक बात बोलू।" अहमद ने सीरियस हो कर कहा।

"औरतो का दिल कांच की तरह होता है एक बार टूट जाये तो दोबारा जोड़ना बहोत मिश्किल होता है। इसीलिए मेरी जान भाभी के सामने गुस्सा मत दिखाना बल्कि उन्हें यह अहसास दिलाने की कोशिश कर की तू उसने कितना प्यार करता है।" अहमद ने उसे समझाते हुए कहा।

"ठीक है। वैसे अब वोह कैसी है?" ज़ैन ने पूछा।

"वोह कौन?" अहमद अनजान बनता हुआ बोला।

"तेरी भाभी" ज़ैन ने कहा।

"मेरी तो एक बहेना है और मेरा कोई भाई भी नही है। तो फिलहाल कोई भाभी नही है।" अहमद उसे परेशान करते हुए बोला।

"तुझसे तो पूछना ही बेकार है।" ज़ैन ने चिढ़ कर कहा।

"जब पता है तो पूछता क्यों है।" अहमद ने हस्ते हुए कहा।

ज़ैन ने सोफ़े पर पड़ा कुशन उठाया और उसे मरने लगा।

"यार वैसे मेरी आधी ज़िन्दगी तो तुझे संभालते हुए ही गुज़र जाएगी।" अहमद ने कहा।

"अब तेरी भाभी आ गयी है ना आधा तो वोह ही संभाल लेंगी।" ज़ैन ने हस्ते हुए कहा।

"खाक संभालेंगी, तेरा नाम सुनते ही उनके होश उड़ जाते है। वोह तुझे संभालेंगी।" अहमद ने हंसते हुए कहा।

"कोई नही उनका डर भी दूर कर देंगे।" ज़ैन आंख मरते हुए बोला और अपने कमरे की तरफ चला गया।

उसके जाने के बाद अहमद हस्ते हुए अपने कमरे में चला गया।

दरवाज़ा खुलने की आवाज़ पर ज़ैनब ने पीछे मुड़ कर देखा तो ज़ैन को अंदर आते देख वोह झट से खड़ी हो गयी।

"क्या हुआ बटरफ्लाई उठ क्यों गयी।" ज़ैन ने बेड पर बैठते हुए पूछा।

"वोह आप.........." ज़ैनब ने हकला कर कहा।

"हूं, अच्छा अब तुम सो जाओ।" ज़ैन ने कहा।

"नही।" ज़ैनब ने कहा।

उसकी बात सुनकर ज़ैन सीरियस हो कर कहा:"बोला ना सो जाओ।"

उसकी आवाज़ सुनकर ज़ैनब जल्दी से लेट गयी और कम्बल को उठा कर ऊपर तक तान लिया।

ज़ैन भी मुस्कुराते हुए उसके पास जा कर लेट गया।

ज़ैनब को जब उसकी मौजूदगी का अहसास हुआ तो वोह जल्दी से उठ कर बैठ गयी।

"क्या हुआ बटरफ्लाई!" ज़ैन ने परेशान हो कर पूछा।

"आप यहां क्यों सो रहे है!" ज़ैनब ने हैरानी के साथ पूछा।

"क्योंकि येह मेरा रूम है।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए कहा।

"आप यहां नही सो सकते।" ज़ैनब ने हकला कर कहा।

"क्यों और किसने कहा कि मैं यहां नही सो सकता।" ज़ैन ने अपनी इएब्रो उचकाते हुए पूछा।

"मैं कह रही हु ना।" ज़ैनब ने चिढ़ कर कहा।

"ओ अच्छा, वैसे मैं तुम्हारा हस्बैंड हु तो मैं यही सोऊँगा।" ज़ैन ने उसके चेहरे को देखते हुए कहा जो इस वक़्त गुस्से से लाल होने की वजह से और भी अट्रैक्टिव लग रहा था। ज़ैन ने अपनी नज़रे उसके चेहरे से हटाई और आंख बंद करके लेट गया।

"फिर मैं यहां से जा रही हु।" ज़ैनब कह कर अभी खड़ी हुई ही थी कि ज़ैन ने उसके हाथों को पकड़ कर वापस बेड पर खींच लिया और अपनी बाहों में भरते हुए कहा:"चुप चाप सो जाओ वरना मेरे पास और भी तरीके है।" इतना कह कर ज़ैन ने उसके चेहरे पर किस किया। वुसकी इस हरकत से ज़ैनब सकपका गयी और चुप चाप लेट गयी।

...

अगली सुबह जब ज़ैन की नींद खुली तो ज़ैनब को अपने बाहों में देख कर उसके चहरे पर एक मुस्कुराहट आ गयी। उसके उसके माथे पर किस किया और उठ कर फ्रेश होने के लिए वाशरूम में चला गया। तैयार हो कर वोह सीधा कमरे से बाहर चला गया।

ज़ैन की जब आंख खुली तो खुद को बेड पर अकेला देख उसको रात की सारी बातें याद आ गयी और दो आंसू उसकी आँखों से टूट कर उसके ऑपेर गिर गए। फिर वोह उठ कर वाशरूम में चली गयी। नहा कर बाहर आने के बाद वोह अपने बाल सूखा ही रही थी कि तभी ज़ैन नाश्ते की टरे ले कर अंदर आया और ज़ैन को देखते ही उसकी धड़कने एक पल के लिए रुक ही गयी। फिर वोह अपने जज़्बात पर काबू करता हुआ ज़ैनब से बोला:"बटरफ्लाई आओ नाश्ता करलो।"

"नही मुझे भूख नही है।" ज़ैनब ने बिना उसकी तरफ देखे जवाब दिया।

ज़ैन उठा और उसकी तरफ बढ़ते हुए उसे कमर से खींच कर अपने करीब करते हुए बोला:"जानू खाना नही खाना है।"

न..ही, मु...झे भू..ख न..ही है। ज़ैनब ने अटकते हुए कहा।

ज़ैन ने उसकी गर्दन से बाल हटाये और अपने गर्म होंठ उसकी ठंडी गर्दन पर दिया। उसकी इस हरकत से ज़ैनब के होश ही उड़ गए।

उसके चेहरे को देखते हुए ज़ैन अपनी हंसी कंट्रोल करते हुए बोला:"जानू अभी भी भूख नही लगी।"

"हाँ लगी है, आप डोर हटेंगे तब ना खाऊँगी।" ज़ैनब ने अपने लाल पड़े चेहरे के साथ ज़ैन को दूर करने की कोशिश।

"जब तुम्हे भूख नही लगेगी मुझे बता देना। मुझे तो हर वक़्त ही भूख लगी रहती है।" ज़ैन ने धीरे से उसके कान में कहा और उससे दूर हो गया।

ज़ैनब का चेहरा उसकी बात सुनकर और लाल हो गया। वोह अपने हाथों से अपना चेहरा छुपाते हुए खुद को ठीक करने के बाद जा कर ज़ैन के साथ नाश्ता करने लगी।

कहानी जारी है.....
©"साबरीन"